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Boston के प्रोफेसर राइट के साथ स्वामी विवेकानंद की अविस्मरणीय भेंट- लेख शृंखला का नौंवा लेख
26 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज के ज्ञानप्रसाद लेख में स्वामी विवेकानंद की जापान,कनाडा से होते हुए अमेरिका की यात्रा एवंम उससे जुड़े कुछ अविस्मरणीय क्षणों का वर्णन है। उचित रहेगा कि बिना किसी विलम्ब के सीधा ज्ञानप्रसाद के अमृतपान की ओर बढ़ा जाए I *************** खेतड़ी के राजा की इच्छानुसार उनके प्राइवेट सेक्रेटरी मुंशी जगमोहनलाल
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स्वामी जी सम्बंधित खंडवा और पूना के दो घटनाक्रम-लेख श्रृंखला का आठवां लेख
25 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आदरणीय रेणु श्रीवास्तव जी की पसंद की प्रार्थना को आज के लेख के साथ अटैच करने में अपना सौभाग्य समझते हैं। आज के ज्ञानप्रसाद लेख के लिए हम एक बार फिर से 91 पृष्ठों का पुस्तक “स्वामी विवेकानंद-संक्षिप्त जीवनी तथा उपदेश की ओर रुख कर रहे हैं। खंडवा(मध्य प्रदेश) में
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रिसर्च रिपोर्ट पर आधारित लेख अनेकों प्रश्नों के उत्तर दे रहा है- लेख श्रृंखला का सातवां लेख
24 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का ज्ञानप्रसाद 2020 में प्रकाशित हुए “स्वामी विवेकानंद और विश्व धर्म सम्मेलन शिकागो” रिसर्च पेपर पर आधारित है। रामजय कॉलेज छपरा बिहार के आदरणीय डॉ संतोष रजक जी का पांच पृष्ठों का रिसर्च पेपर वर्तमान लेख श्रृंखला में एक विशेष योगदान लेकर आया है जिसे “शोध समागम” नामक रिसर्च
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स्वामी विवेकानंद का सन्देश:यदि ईश्वर से लाभ प्राप्त करना चाहते हो तो पहले नररूपी नारायण की सेवा करो।”- लेख श्रृंखला का छठा लेख
23 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद अमेरिका के मीडिया और जनता ने स्वामी विवेकानंद को शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन (1893) के ऐतिहासिक भाषण और उनकी करिश्माई वक्तृत्व-शैली के कारण “साइक्लोनिक हिन्दू” (Cyclonic Hindu) के विशेषण से सम्मानित किया था। वे एक बवंडर (cyclone) की तरह अपनी ऊर्जा, ज्ञान और भारतीय दर्शन की प्रस्तुति से पश्चिमी
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स्वामी विवेकानंद का वराहनगर वाला “भूतहा” मकान -लेख श्रृंखला का पांचवां लेख
22 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद विश्वगुरु स्वामी विवेकानंद पर आधारित लेख श्रृंखला का आज का ज्ञानप्रसाद लेख श्रीरामकृष्ण मठ द्वारा प्रकाशित पुस्तक “स्वामी विवेकानंद: संक्षिप्त जीवनी एवं उपदेश” पर आधारित है। लेख में इतना कुछ जानने को है कि यदि सारांश लिख दिया जाये तो Repetition जैसा लगेगा। बेहतर होगा कि पाठक स्वयं ही,अपने विवेक
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स्वामी विवेकानन्द जी की तीन अल्मोड़ा यात्रायें- लेख शृंखला का चौथा लेख
19 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद सुकरात और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे विचारकों ने अक्सर दोहराया है: The more I study, the less I know, समय-समय लोगों ने इस तथ्य को अपनी सुविधा के अनुसार तोड़-मरोड़ कर अलग-अलग अर्थ निकाले। जिसे पढाई में कोई रूचि नहीं थी उसने कहा कि यदि मुझे अधिक पढ़कर कंफ्यूज ही होना
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स्वामी विवेकानंद की विदेश यात्रा औसत भारतीय के लिए कैसे लाभदायक रही? लेख श्रृंखला का तीसरा लेख
18 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का ज्ञानप्रसाद लेख एक बहुत ही बेसिक प्रश्न का उत्तर दे रहा है: स्वामीजी की विदेश यात्रा से सामान्य भारतीय को क्या लाभ मिला? क्या आध्यात्मिकता से पेट की भूख शांत होती है ? तो आइये आज के ज्ञानप्रसाद लेख का अमृतपान करें। ********************* देश दशा का अनुभव: सन्
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स्वामी विवेकानंद की दिव्यता दर्शाती दो घटनाएं-लेख श्रृंखला का दूसरा लेख
17 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से प्रस्तुत की जा रही वर्तमान लेख श्रृंखला पूज्यवर की दिव्य रचना “धर्म और संस्कृति के महान उन्नायक -स्वामी विवेकानंद” पर आधारित है। आज प्रस्तुत किये गए लेख में दो ऐसी घटनाएं वर्णित की गयी हैं जिन्हें हमने अनेकों बार सुना/जाना है लेकिन फिर
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स्वामी विवेकानंद को अपने प्रश्न का उत्तर रामकृष्ण परमहंस से ही मिला- लेख श्रृंखला का प्रथम लेख
16 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद परम पूज्य गुरुदेव की मात्र 43 पृष्ठों की दिव्य पुस्तक “धर्म और संस्कृति के महान उन्नायक -स्वामी विवेकानंद” पर आधारित लेख श्रृंखला का प्रथम लेख आज ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर प्रस्तुत करते हुए अत्यंत हर्ष का आभास हो रहा है। स्वामी विवेकानंद जी के विशाल व्यक्तित्व पर
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मात्र 1200 शब्दों में सिमटी, विशाल व्यक्तित्व “स्वामी विवेकानंद” की बायोग्राफी
15 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद हम जानते हैं कि हमारे साथी हमें प्रश्न कर सकते हैं कि जब हम स्वामी विवेकानंद जी के बारे में इतना विस्तार से लिख चुके हैं,जान चुके हैं तो इस छोटे से लेख का क्या औचित्य है, अवश्य औचित्य है !!! हम अपने विद्यार्थी जीवन के अनुभव से कह सकते
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स्वामी विवेकानंद जी के भारत आने पर अभूतपूर्व स्वागत-2
12 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद स्वामी विवेकानंद जी से सम्बंधित मात्र दो लेखों की श्रृंखला का आज समापन हो रहा है, इस दिव्य व्यक्तित्व पर अनेकों जन्म भी समर्पित कर दिए तो भी तृष्णा शांत न हो, ऐसी हमारी पर्सनल धारणा है। सभी साथिओं से, इस समापन लेख की निम्नलिखित मुख्य हाइलाइट्स को अंतर्मन में
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स्वामी विवेकानंद जी के भारत आने पर अभूतपूर्व स्वागत-1
11 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद हमारी और आदरणीय नीरा जी की चर्चाओं में स्वामी विवेकानंद जी को बड़े सम्मान एवं प्यार से डिसकस किया जाता है। हम तो अनेकों बार कह चुके हैं कि यदि परम पूज्य गुरुदेव ने हमें अपने अनुदान प्रदान करते हुए,ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की ज़िम्मेदारी न सौंपी होती तो हम
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संत कबीर की “उल्टबाँसी” को समझने के लिए एक संक्षिप्त एवं सरल लेख
10 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का लेख थोड़ा Philosophical है, इसे साधारण भावना में न समझकर आत्मा के स्तर पर समझने की प्रार्थना कर रहे हैं। हम सब इस तथ्य से भलीभांति परिचित हैं कि परम पूज्य गुरुदेव का एक जन्म संत कबीर के रूप में भी था। संत कबीर के बारे में आज
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“युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी में” पर आधारित लेख श्रृंखला का 20वां एवं समापन लेख
9 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद- 5 नवंबर 2025 को आरम्भ हुई “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी में” दिव्य लेख श्रृंखला का आज 20वां एवं समापन लेख प्रस्तुत किया गया है। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने इस लेख श्रृंखला का अध्ययन करके,कमेंट-काउंटर कमेंट करके इस लेख श्रृंखला को सफल बनाने में सहयोग
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गुरुदेव ने पंडित जी को तीन इंजैक्शन लगाए -लेख शृंखला का 19वां लेख
8 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज के लेख का शुभारम्भ करने से पहले साथिओं का धन्यवाद् करने चाहते हैं जिनके कमैंट्स ने “महाकाल और महाकाली के प्रसंग” को Rephrase करने की निम्नलिखित प्रेरणा दी है: महाकाल की छाती पर महाकाली का होना शिव और शक्ति के एकात्म, अहंकार के नाश और सृष्टि के निरंतर
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पंडित जी ने गुरुदेव से पूछा “महाकाल कौन हैं? ”-लेख शृंखला का 18वां लेख
6 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद “युगऋषि का अध्यात्म,युगऋषि की वाणी में” आदरणीय पंडित लीलापत शर्मा जी की 10 उत्कृष्ट रचनाओं में से एक रचना है। 82 पन्नों की इस पुस्तक पर आधारित लेख श्रृंखला अब समापन की ओर बढ़ रही है,आज उसका 18वां ज्ञानप्रसाद लेख प्रस्तुत किया गया है। हर बार की भांति इस बार
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पूज्यवर ने पंडित जी को कहा “जागरण तो सार्थक तब होता यदि अज्ञानी भक्त अविवेक और अज्ञान की नींद से जग उठता”-लेख शृंखला का 17वां लेख
5 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद पिछले कुछ दिनों से ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से परम पूज्य गुरुदेव के अति समर्पित शिष्य पंडित लीलापत शर्मा जी की अद्भुत रचना “ युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी में” को आधार बना कर लेख लिखने का प्रयास किया जा रहा है। सभी साथिओं का धन्यवाद् करते है
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पूज्यवर ने पंडित जी को कहा “ परिष्कृत जीवन में ही भौतिक सुख आनंद प्रदान कराते हैं”-लेख शृंखला का 16 वां लेख
4 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद पंडित लीलापत शर्मा जी की दिव्य रचना “युगऋषि का अध्यात्म- युगऋषि की वाणी में” पर आधरित लेख श्रृंखला का आज 16वां लेख प्रस्तुत है। मर्यादा पुरषोतम भगवान श्रीराम एवं योगेश्वर श्रीकृष्ण की शिक्षाओं पर आधारित चार लेखों की सीरीज का आज अंतिम लेख साथिओं के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हम
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पूज्यवर ने पंडित जी को कहा “ अखंड ज्योति के प्रथम अंक के प्रथम पृष्ठ पर सुदर्शन चक्रधारी श्रीकृष्ण सिद्धांतों के प्रतीक हैं ।”-लेख शृंखला का 15वां लेख
3 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद- ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के जो साथी हमसे वर्षों से जुड़े हुए हैं, ज्ञानप्रसाद लेखों से भलीभांति परिचित हैं लेकिन अनेकों ऐसे भी हैं जिन्हें इस तथ्य का ज्ञान नहीं है कि गुरुदेव के दिव्य साहित्य पर आधारित यह लेख मात्र कॉपी पेस्ट न होकर गहन रिसर्च एवं अध्ययन का
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पूज्यवर ने पंडित जी को रामायण शिक्षा से कहा “आज समाज सद्विचारों और सद्भावनाओं के अभाव में मर रहा है।”-लेख शृंखला का 14वां लेख
2 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद पंडित लीलापत शर्मा जी की दिव्य रचना, “युगऋषि का अध्यात्म- युगऋषि की वाणी में” पर आधारित लेख श्रृंखला का आज 14वां लेख प्रस्तुत है। प्रत्येक लेख की भांति ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से प्रकाशित यह लेख भी गुरुवर के सिद्धांतों को अंतर्मन में उतारने,उन पर अमल करने के
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पंडित लीलापत जी से गुरुदेव ने कहा, “बेटे,तुम्हें कड़वी बातें सुनने का बहुत ही शौक है।” लेख शृंखला का 13वां लेख
1 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद 15 वर्ष पूर्व पंडित लीलापत शर्मा जी की दिव्य रचना, “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी में” पर आधारित लेख श्रृंखला का आज 13वां लेख प्रस्तुत है। प्रस्तुत लेख में गुरुदेव बता रहे हैं कि धर्म का रास्ता इतना आसान नहीं है। अपने दोष दुर्गुणों को छोड़ना पड़ता है, पवित्र जीवन
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पंडित लीलापत जी से गुरुदेव ने कहा “ बेटे,आवश्यकताएँ तो सबकी पूरी हो जाती हैं लेकिन इच्छाएँ किसी की भी समाप्त नहीं होती।” लेख श्रृंखला का 12वां लेख
27 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का ज्ञानप्रसाद लेख का शुभारम्भ वहीँ से हो रहा है जहाँ हमने कल छोड़ा था। लेख को दो मुख्य सन्देश हैं,(क) भगवान किसी को भी लिए बिना देते नहीं हैं और (ख) आवश्यकताएँ तो सबकी पूरी हो जाती हैं लेकिन इच्छाएँ किसी की भी समाप्त नहीं होती।” सभी जानते
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पंडित लीलापत जी ने गुरुदेव से पूछा, “ईश्वर दयालु और न्यायी कैसे हो सकते हैं ?” लेख श्रृंखला का 11वां लेख
26 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद वर्तमान ज्ञानप्रसाद लेख श्रृंखला का आधार पंडित लीलापत शर्मा जी की पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म,युगऋषि की वाणी में” है। इस पुस्तक पर आधारित अभी तक जितने भी लेख प्रस्तुत किये गए हैं, सभी रोचक और शिक्षाप्रद होने के साथ-साथ ऐसी धारणाओं एवं अंधविश्वासों के समाधान प्रदान करा रहे हैं जो
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गुरुदेव ने पंडित लीलापत जी से कहा “इष्ट का अर्थ है,जीवन का लक्ष्य !!” लेख श्रृंखला का 10वां लेख
25 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद गुरुवार के लेख का समापन निम्नलिखित पंक्तियों से हुआ था: कुछ लोग कहते है कि हमारे इष्ट भगवान शंकर हैं, कोई कहता है हमारे इष्ट हनुमान जी हैं और कोई अपने इष्ट योगेश्वर भगवान कृष्ण को बताते हैं। यह इष्ट क्या होता है ? क्या एक व्यक्ति का इष्ट एक
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“स्मारिका पूर्णाहुति 1995” और “स्मारिका महापूर्णाहुति 2000” में प्रकाशित आदरणीय पंडित लीलापत शर्मा जी के बारे में संक्षेप में जानकारी।
24 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद https://archive.org/details/1995_20251123/mode/2up
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गुरुदेव ने पंडित लीलापत जी को बताया “मनुष्य जीवन केवल एक ही दिन का है।” लेख श्रृंखला का नौंवा लेख
22 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद- पंडित लीलापत शर्मा जी की दिव्य रचना “युगऋषि का अध्यात्म, युगऋषि की वाणी में” पर आधारित वर्तमान लेख श्रृंखला का आज नौंवा लेख प्रस्तुत है। आज के लेख में पंडित जी गुरुदेव से उस प्रश्न का उत्तर याचना कर रहे हैं जिसने वर्षों से मनुष्य को भ्रमित किया हुआ है,
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गुरुदेव ने लीलापत जी को कहा: बेटे,देवता बाहिर नहीं अंदर हैं- लेख श्रृंखला का आठवां लेख
20 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद साथिओं के कमैंट्स से पता चलता रहता है कि हमारे परिजन पूर्ण समर्पण के साथ दैनिक ज्ञानप्रसाद की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, करें भी क्यों न? गुरुदेव की अमृतवाणी पर आधारित यह सभी लेख हमारे परिजनों की बैटरी चार्ज करते हैं, यह Charged बैटरी उन्हें दिन भर ऊर्जावान बनाये
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इंद्रिय संयम के बिना समर्पण संभव नहीं
19 नवंबर, 2025 का ज्ञानप्रसाद सप्ताह के तीसरे दिन, भारतीय समयानुसार बुधवार की अमृतवेला में हम आज का ज्ञानप्रसाद लेकर उपस्थित हुए हैं। अधिकतर साथी हमारे साथ भारत से ही जुड़े हैं इसलिए भारत के समय को स्टैण्डर्ड मान कर ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की सभी गतिविधिओं का संचालन करने की प्रथा है। विश्व के
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लीलापत शर्मा जी और गुरुदेव के बीच हुई समर्पण विषय पर चर्चा
18 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का ज्ञानप्रसाद समर्पण की शक्ति की बहुत ही व्यावहारिक एवं प्रैक्टिकल शक्ति का वर्णन कर रहा है। इसे समझना कोई राकेट साइंस नहीं है, ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के छोटे से परिवार के प्रति ही जिसने स्वयं को समर्पित, उसे जो कुछ मिला,जो शक्ति प्राप्त हुई उसके साक्षात् परिणाम
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त्रिपदा गायत्री के जप से आकृति तो वैसी ही रहती है लेकिन प्रकृति बदल जाती है
17 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के समर्पित साथिओं को स्मरण कराना उचित समझते हैं कि उपासना-साधना-आराधना की त्रिवेणी की वर्तमान लेख श्रृंखला के अंतर्गत आज का लेख “आराधना” के विषय पर चर्चा कर रहा है। यह भी स्मरण करा दें कि परम पूज्य गुरुदेव और पंडित लीलापत शर्मा के गुरु-शिष्य के
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आदरणीय पंडित लीलापत शर्मा जी की पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी” पर आधारित दूसरा लेख-त्रिपदा गायत्री की विस्तृत जानकारी
12 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद कल वाले ज्ञानप्रसाद लेख में गुरु-शिष्य संवाद के अंतर्गत माँ गायत्री के अंतरंग और बहिरंग रूपों की चर्चा की गयी थी। जब इन रूपों की जानकारी हो जाती है तो साधक में अद्भुत साहस का अनुभव होता है। साहस,श्रद्धा और समर्पण के तीन गुणों से ही पात्रता विकसित होती है।
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आदरणीय पंडित लीलापत शर्मा जी की पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी” पर आधारित प्रथम लेख:माँ गायत्री के दो रूप
11 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद पंडित लीलापत शर्मा जी द्वारा रचित 82 पन्नों की दिव्य पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी” का शुभारम्भ कल वाले लेख से हुआ। इस दिव्य लेख में ईश्वर को भांति-भांति की प्रतिमाओं में एक व्यक्ति की भांति पूजे जाने की चर्चा की गयी थी। इस चर्चा में व्यक्तिकरण (Personification) जैसा
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आद पंडित लीलापत शर्मा जी की पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि का वाणी में) पर आधरित लेखों का शुभारम्भ
10 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से पिछले दो दिनों से अलग-अलग मीडिया से हमारे स्वास्थ्य के बारे में प्राप्त हुए सभी संदेशों के लिए हम ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। जिस प्रकार हमारे साथिओं ने सन्देश भेज कर,इस छोटे से “वर्चुअल परिवार” में परिवार- भावना को सार्थक किया है
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8 नवंबर 2025 का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का विशेषांक-“आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार हृदय परिवर्तन की एक जादुई मशीन”
कैसा संयोग है कि दो वर्ष पूर्व 8 मई वाले दिन आदरणीय सरविन्द जी द्वारा लिखा गया लेख “आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार हृदय परिवर्तन की एक जादुई मशीन” प्रकाशित किया गया था,आज 8 नवंबर को फिर से गुरुदेव ने इसे हमारे हाथों में थमा दिया। इस संयोग को समझने के लिए हमें बहुत ही संक्षेप
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पूज्य गुरुदेव के “हनुमानरुपी भक्त” ,पंडित लीलापत शर्मा जी पर आधारित एक और लेख श्रृंखला
6 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद https://www.facebook.com/share/v/1FmciiUxsk ( Facebook link of Pt Leelapat Sharma video) हमारे साथिओं को भलीभांति स्मरण होगा कि पूज्यवर के “हनुमानरूपी भक्त” आदरणीय लीलापत शर्मा जी पर आधरित 2020 से लेकर अब तक हम कितने ही लेख लिख चुके हैं। शायद कहना अनुचित न हो कि हमारा कहाँ इतना सामर्थ्य कि हम
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आज के युग का सबसे बड़ा तप “फ़ोन संयम का तप” है
5 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद पिछले कल और आज के दोनों ज्ञानप्रसाद लेखों की रचना करते समय ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे हम फिर से प्राइमरी कक्षा में बैठे हों क्योंकि उस आयु के बच्चों को टीचर ने अनेकों बार फ़ोन के लाभ/हानियां विषय पर निबंध लिखने के लिए होमवर्क दिया होगा। जो ज्ञान
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आधुनिक युग की एक “इन्द्रिय” सोशल मीडिया, इस पर संयम “आत्मबल” का परिचायक है
4 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद कल वाले ज्ञानप्रसाद लेख में जिस “मॉडर्न इन्द्रिय संयम” का संकेत दिया गया था उस का नाम सोशल मीडिया है। शायद ही कोई ऐसा मुनष्य होगा जिसे इस इन्द्रिय ने प्रभावित न किया हो। आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख इसी विषय पर चर्चा कर रहा है। भांति-भांति के संयम की
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समाज और की नाक चिंता के बजाए दिमाग और विवेक की चिंता करें
3 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद 1977 में प्रकाशित परम पूज्य गुरुदेव की दिव्य रचना “शक्ति संचय का स्रोत-संयम” पर आधरित लेख श्रृंखला का आज 20वां एवं समापन लेख प्रस्तुत किया जा रहा है। मात्र 69 पन्नों में समाहित लगभग 19000 शब्दों को 20 विस्तृत लेखों (36000 शब्दों) में समझना, लिखना, साथिओं संग चर्चा करना बहुत
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मनुष्य के पास “चमत्कारी विशेषताओं” वाला अल्लादीन का चिराग है
30 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद पिछले कई दिनों से गुरुकक्षा में गुरुदेव की अद्भुत रचना “शक्ति का स्रोत संचय-संयम” पर आधारित लेख श्रृंखला का अध्ययन हो रहा है, तरह-तरह के संयम पर चर्चा हो रही है। आज का लेख, समय और श्रम पर आधरित कल वाले लेख की ही Extension है। आज के युग की
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स्पर्श इन्द्रिय(Sense of touch) कैसे समय और श्रम को असंयमित करती है ?
29 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख दो महत्वपूर्ण सन्देश लेकर आया है: 1.आलसी मनुष्य एक जीवित मृतक (Living dead) है। 2.आलस्य एक प्रकार की आत्महत्या है। इन दोनों संदेशों को समझने के लिए “स्पर्श इन्द्रिय(Sense of touch) का सहारा लिया गया है, यह समझने का प्रयास किया गया है कि स्पर्श
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उपवास(भोजन संयम) ईश्वर से जुड़ने की साधना है।
28 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद 1977 में प्रकाशित हुई परम पूज्य गुरुदेव की मात्र 69 पन्नों की साधारण सी दिखने वाली पुस्तक के कंटेंट का जिस तरीके से Analysis करते हुए, सरलीकरण हो रहा है, सभी साथी, पाठकगण भलीभांति परिचित हैं। जिस प्रकार अब तक प्रस्तुत हो चुके 17 लेख हम सबको प्रभावित कर रहे
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“क्या हम खाने के लिए जी रहे हैं यां जीने के लिए खा रहे हैं ?” भाग 2
27 अक्टूबर का ज्ञानप्रसाद- आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख पिछले लेख का दूसरा भाग है। यह भाग इतना छोटा है कि इसका अमृतपान कुछ ही मिंटो में किया जा सकता है। आज के लेख में वर्णित अधिकतर बातों से हम सभी परिचित हैं लेकिन उन्हें अपनाने की संकल्पशक्ति क्यों नहीं है? इसीलिए आग्रह करना उचित
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25 अक्टूबर 2025 वाला “सुझाव बहिन सुमनलता जी का, समर्थन सभी साथिओं का” स्पैशल अंक। आदरणीय बहिन पुष्पा सिंह जी का विशेष योगदान
https://youtu.be/MjdazvDvMDU?si=F4i9_zRRRAYBwLF2 (आज का प्रज्ञागीत फिर से नीरा जी की खोज है) आज अक्टूबर 2025 का अंतिम शनिवार है। बहिन सुमनलता जी के सुझाव पर,साथिओं के समर्थन से, प्रत्येक अंक की रोचकता को दर्शाती आप सभी की प्रतीक्षा इस तथ्य को सार्थक का रही है कि गुरुवर का अपनत्व एवं प्रेम वाला Element कितना शक्तिशाली है।
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क्या हम खाने के लिए जी रहे हैं यां जीने के लिए खा रहे हैं ? भाग 1
23 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख एक बहुत ही महत्वपूर्ण सन्देश लेकर आया है: “हम खाने के लिए जी रहे हैं यां जीने के लिए खा रहे हैं ?” परम पूज्य गुरुदेव ने हम बच्चों के लिए 69 पन्नों की एक अद्भुत पुस्तिका (शक्ति संचय का स्रोत-संयम) रच कर रख दी
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ब्रह्मचर्य की सफलता एक Inter-connected प्रक्रिया है।
22 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज प्रस्तुत किया गया दिव्य ज्ञानप्रसाद कामवासना के प्रति संयम बरतने की दिशा का अंतिम अंक है। कल से किसी अन्य संयम की बात शुरू होगी। आम जीवन में कठिन दिखने वाले संयम,परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य के माध्यम से इतने सरल प्रतीत हो रहे हैं कि अब कहा जा
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कामुक विचार खाली दिमाग में ही उत्पन होते हैं।
21 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद वर्तमान लेख श्रृंखला में अब तक प्रकाशित हुए सभी लेखों की भांति आज का लेख भी एक अति-महत्वपूर्ण समस्या के प्रति विचारकोष लेकर आया है, सभी से अनुरोध है कि गुरुदेव द्वारा प्रदान किया साक्षात् गुरुज्ञान का बड़े ही ध्यानपूर्वक अमृतपान किया जाए। हमारा परम सौभाग्य है कि हमें परम
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जीवनी शक्ति का आधार क्या है ?
20 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज सोमवार है,दीपावली के दिव्य पर्व की सभी साथिओं को शुभकामना प्रदान करते हैं। आजकल फैशन बन चुका है कि हर कोई त्यौहार दो अलग-अलग तिथिओं पर मनाया जाये। कोई चाहे नोट जलाकर,पटाखों से दिवाली मनाए, लेकिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से एक ही सन्देश प्रसारित होना चाहिए:
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किसको कण्ट्रोल करें, मन को यां इन्द्रियों को?
16 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से इन्द्रिय-संयम के महत्वपूर्ण विषय पर लगभग 60 विस्तृत लेख प्रकाशित हो चुके हैं, इसके बावजूद इस विषय को जानने की तृष्णा अधिकधिक बढ़ती ही जा रही है क्योंकि ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। आज के लेख में मन का संयम और इन्द्रिय-संयम
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वाणी-संयम का एक अंग मधुर-भाषण भी है
15 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज प्रस्तुत किए गए दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख से हम परम पूज्य गुरुदेव की अद्भुत रचना “शक्ति संयम का स्त्रोत-संयम” के 30 पन्नों का अमृतपान करने में सफल हो रहे हैं। 39 पन्नें अभी भी बाकी हैं लेकिन हम निवेदन करना चाहेंगें कि गुरुदेव द्वारा रचित पुस्तकें चाहे हम 3200 भी
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वाणी संयम से वाणी शोधन (Purification of speech) होता है
14 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज के ज्ञानप्रसाद लेख में वाणी संयम को वाणी शोधन से जोड़कर समझने का प्रयास किया गया है। जितना महत्व “वाणी संयम” यानि सोच समझ कर बोलने का है उतना ही महत्व “परिष्कृत वाणी”, सही शब्दावली का भी है। शब्दों की शक्ति एवं उसके पीछे छिपे ज्ञान को समझने के
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“अपने सहकर्मियों की कलम से” का 11 अक्टूबर 2025 का विशेषांक
https://www.facebook.com/share/v/17RzW6tqV8/ (तेरे साथ तेरी माँ जो है ) https://archive.org/details/pita-ji-ki-pustak (पिताजी की पुस्तक की साथिओं ने भी सराहना की ) हमारे समर्पित साथी इस तथ्य से भलीभांति परिचित हैं कि प्रत्येक शनिवार वाला अंक हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती लेकर आता है। साथिओं द्वारा भेजे गए सन्देश,वीडियोस,संकेत आदि लेकर एक डाक बाबू की भूमिका निभानी
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अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें, त्रुटियों के सुधार पर चिंतन करें
8 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद शब्द सीमा की बेड़ियाँ आज मजबूर कर रही हैं कि आज का लेख बिना किसी भूमिका के आरम्भ कर दिया जाए। मनुष्य का अति महत्वपूर्ण दुर्व्यसन “अहंकार” आज के लेख का विषय है। *************** तृष्णा एवं वासना की ही तरह ही अहम भी मानासिक असंयम का ही दुष्परिणाम है। अहंकार
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गुरुदेव द्वारा बताया गया आत्मनिरीक्षण का बहुत ही सरल प्रैक्टिकल
6 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद अपने साथिओं को स्मरण कराना अपना कर्तव्य समझते हैं कि आजकल हम परम पूज्य गुरुदेव की दिव्य रचना “शक्ति संचय का स्रोत-संयम” को आधार बना कर एक अद्भुत ज्ञानप्रसाद लेख श्रृंखला का अमृतपान कर रहे हैं। यह लेख श्रृंखला इतनी सरल है कि अनेकों ने अनुभव किया होगा कि यह
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आपके पास जीने के लिए एक ही पल है “वर्तमान”
शास्त्रकारों के अनुसार किन्हीं विचारों का प्रभाव मनुष्य के मस्तिष्क में बहुत देर तक बना रहता है। जब से यह विचार उठता है उसी क्षण से मनुष्य उसे साक्षात् करने की कोशिश करना आरम्भ कर देता है और जब तक वह साक्षात् नहीं हो जाता तब तक उसे चैन ही नहीं आता। इसका कहने का
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मानसिक शक्तियों की फिजूलखर्ची न करें
1 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से पिछले कुछ दिनों से परम पूज्य गुरुदेव की अद्भुत रचना “शक्ति संचय का स्रोत-संयम” को आधार बनाकर, एक-एक शब्द को पढ़कर, समझकर,अधिक से अधिक प्रैक्टिकल बनाकर एक लेख श्रृंखला प्रस्तुत की जा रही है। इस लेख श्रृंखला में भांति-भांति के उदाहरण, परिवार के
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इन्द्रियों का उपभोग अर्थात अधिक भोग ही असंयम है।
30 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद कैसी विडंबना है कि दैनिक ज्ञानप्रसाद लेखों के अमृतपान से जितना लाभ युवापीढ़ी को होने वाला है,उतना शायद ही किसी अन्य Age group को हो, लेकिन उनके पास तो समय ही नहीं है। हमारे वरिष्ठ, आदरणीय सहयोगी जीवन के उस पड़ाव पर पंहुच चुके हैं जहाँ उन्होंने जीवन-यात्रा में ऐसे-ऐसे
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भोग-विलास से केवल भौतिक सुख ही प्राप्त होता है
29 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद -“शक्ति संचय का स्रोत-संयम” गुरुवार को साथिओं को वचन दिया था कि असंयमित जीवन में “लिप्सा”, “भोगेच्छा” का क्या योगदान है एवं गीता में इस स्थिति का क्या उपदेश है,सोमवार को जानने का प्रयास करेंगें। तो साथिओ,उसी वचन का पालन करते हुए आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख प्रस्तुत है। परम
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“संयम” Impractical क्यों सिद्ध होता जा रहा है ?
25 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद- Source: “शक्ति संचय का स्रोत-संयम” क्या “संयम” केवल स्वयं पर प्रतिबंध लगाना ही है यां स्वयं को नियंत्रित करना है ? आज के ज्ञानप्रसाद लेख में इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर ढूंढने का प्रयास किया गया है। परम पूज्य गुरुदेव की 69 पृष्ठीय दिव्य रचना “शक्ति संचय का स्रोत-संयम” में
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अपनी शक्तियों को सार्थक दिशा दें
24 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद- Source: शक्ति संचय का स्रोत-संयम आज आरम्भ हो रही ज्ञानप्रसाद लेख श्रृंखला में अनेकों प्रश्नों के उत्तर मिलने की सम्भावना है, गुरुदेव के मार्गदर्शन में रचे जानी वाली अन्य लेख श्रृंखलाओं की भांति इस लेख श्रृंखला में भी प्रत्येक लेख एक अद्भुत/दिव्य जानकारी लेकर आएगा जिससे अनेकों साथी प्रेरित होकर
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जनसाधारण के लिए “सामान्य साधना”
23 सितम्बर,2025 का ज्ञानप्रसाद- Source: गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां ध्यान साधना की श्रृंखला का आज 14वां एवं समापन लेख प्रस्तुत किया जा रहा है। 374 पन्नों की गुरुदेव की उत्कृष्ट रचना “गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां” का अमृतपान करके हम से जो बन पाया,हमने समझकर साथिओं के समक्ष प्रस्तुत किया, निष्कर्ष यही निकला
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पंचकोशों का सम्बन्ध समूची जीवन चेतना से है।
https://youtube.com/shorts/Cw5InVXfNJ8?si=FcUbISvjYf1r5DRo 22 सितम्बर,2025 का ज्ञानप्रसाद- Source: गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां आज के ज्ञानप्रसाद लेख का शुभारम्भ एक सन्देश से कर रहे हैं जो निम्नलिखित है : आदरणीय सुजाता बहिन जी के सुझाव पर हमने पंचकोशी साधना एवं तीन शरीरों की सरलतम जानकारी पिछले लेखों के माध्यम से साथिओं से समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास
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साधना का विज्ञान भौतिक विज्ञान से अधिक Capable एवं Real है।
18 सितम्बर, 2025 का ज्ञानप्रसाद- गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां आज के ज्ञानप्रसाद लेख में पंचमुखी साधना के द्वारा “पंचकोशों के विकास अर्थात खुलने की जानकारी समझने का प्रयास है। साधना एक ऐसा विज्ञान है जो भौतिक विज्ञान (Chemistry,Physics आदि) की अपेक्षा अधिक Real है। साधना के विज्ञान को अक्सर अन्धविश्वास मानकर नकार दिया
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मनुष्य सबसे अधिक नज़रअंदाज़ “सद्बुद्धि” को ही क्यों करता है ?
17 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद- गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद बिना किसी पृष्ठभूमि एवं भूमिका से यहीं से आरम्भ हो रहा है। परम पूज्य गुरुदेव की विशाल कलाकृति “गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां”, जिस पर वर्तमान लेख श्रृंखला आधरित है, आज एक अद्भुत लेख लिए हुए है जिसका शीर्षक है
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प्राथमिक एवं उच्चस्तरीय गायत्री साधना के अलग-अलग उद्देश्य
16 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद-“गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां” वर्तमान लेख शृंखला में प्रस्तुत किये जा रहे लेखों को समझना एवं अंतःकरण में उतारने के लिए, लेखों का उद्देश्य समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमें स्वयं से प्रश्न करना चाहिए कि हमें इस शिक्षा से क्या प्राप्त होने वाला है? क्या हम रातोंरात गुरुदेव
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मानव मस्तिष्क,“आत्मा का वास्तविक राजमहल”, एक अतिरोचक लेख
15 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद- Source “गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां” ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्रत्येक साथी आदरणीय सुजाता बहिन जी का ह्रदय से धन्यवाद् करता है जिन्होंने पंचकोशी साधना एवं तीन शरीरों को जानने की जिज्ञासा प्रकट की। इस मंच पर अक्सर इस प्रकार के अनेकों सुझाव मिलते रहते हैं एवं सभी
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भगवान की आराधना में समर्पित किया गया समय कभी भी व्यर्थ नहीं जाता।
11 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद-Source: गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां गायत्री साधना की वर्तमान लेख शृंखला में निम्नस्तरीय से उच्स्तरीय, सभी स्तरों की चर्चा की जा रही है हमारे विवेकशील पाठक स्वयं ही इस Classification को समझने में समर्थ हैं, ऐसा हमारा विश्वास है। **************** शास्त्रकारों के अनुसार, गायत्री साधना के केवल दो ही
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सामान्य-साधना (बाल-साधना) का बहुत ही सरल विवरण
10 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद-Source:गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां परम पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित 374 पन्नों के विशाल ग्रन्थ “गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां” के आरंभिक पन्नों में तीन प्रकार की “साधना स्तर” का वर्णन है। गुरुदेव ने इन तीनों साधना स्तरों को शिक्षा के तीन स्तर की भांति: “बाल साधना”, “माध्यमिक साधना”
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माँ गायत्री के पांच मुख अर्थात मानव शरीर के पांच कोष
9 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद : Source- गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां” आज का ज्ञानप्रसाद लेख परम पूज्य गुरुदेव के 374 पृष्ठों के उत्कृष्ट ग्रन्थ पर आधारित है जिसका शीर्षक “गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां” है। इस विशाल एवं अति काम्प्लेक्स कंटेंट को ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर लाने से पहले
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म्यूजिक थेरेपी को समझने के लिए एक अति सरल लेख
8 सितंबर,2025 का ज्ञानप्रसाद आज के लेख का शुभारंभ बिना किसी भूमिका के परम वंदनीय माता के चरणों में गिरकर क्षमा याचना से कर रहे हैं,हमें मां का महाप्रयाण कैसे भूल गया यह हमारी समझ से बाहिर है। लेकिन हमें विश्वास है कि माँ का ह्रदय बहुत विशाल होता है, वह अपने बेटे को क्षमा
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ध्वनि शक्ति (Power of sound) पर एक अद्भुत लेख- पार्ट 2
4 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद अखंड ज्योति के जनवरी 1971 अंक में “चमत्कार कोई अवैज्ञानिक तथ्य नही” शीर्षक से प्रकाशित हुए लेख पर आधारित दो अंकों की लेख शृंखला का आज दूसरा एवं समापन लेख प्रस्तुत है। शब्द से ध्वनि, ध्वनि से संगीत की यात्रा करते हुए आज हम संगीत के कुछ ऐसे सकारात्मक पक्षों
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ध्वनि शक्ति (Power of sound) पर एक अद्भुत लेख- पार्ट 1
3 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद अखंड ज्योति के जनवरी 1971 अंक में “चमत्कार कोई अवैज्ञानिक तथ्य नही” शीर्षक से प्रकाशित लेख शृंखला हमारे पाठक पहले भी पढ़ चुके है लेकिन आज और कल का लेख उस लेख से विभिन्न है। किसी Technical error के कारण एक ही शीर्षक के अंतर्गत दो अलग-अलग कंटेंट प्रकाशित हुए,
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मंत्र जप केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि एक “Neuroscience Practice” यानि दिमाग की कसरत भी है
2 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद– आज के ज्ञानप्रसाद लेख का शुभारम्भ बहुचर्चित Quotation “The more I learn,the less I know” से होता है जिसका अर्थ है कि मैं जितना अधिक पढ़ता हूँ उतना ही कम जानता हूँ। सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन इसका कारण यह बताते हैं कि न तो ज्ञान की कोई सीमा है,न ही
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अलग-अलग विधि से किये गए मंत्र जप के लाभ एवं हानियां
https://youtube.com/shorts/WqOmLYa8QmE?si=DfBbA4cTD0Z6uGNA 1 सितम्बर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज सप्ताह का प्रथम दिन सोमवार होने के साथ-साथ सितम्बर महीने का भी प्रथम दिन है, ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्रत्येक साथी एवं परम पूज्य गुरुदेव द्वारा संचालित गुरुकुल का प्रत्येक विद्यार्थी कुछ अधिक ही ऊर्जा लेकर आया होगा,ऐसा हमारा अटूट विश्वास है। तो आद सरविन्द जी की
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“सुझाव आद बहिन सुमनलता जी का प्रयास हमारा” का 30 अगस्त 2025 वाला अंक
आदरणीय बहिन सुमनलता जी के सुझाव एवं साथिओं के समर्थन से जन्में विशेषांक में प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को हमें अपने बारे में कुछ लिखने का सौभाग्य प्राप्त होता है। इस सुझाव एवं समर्थन से प्रदान किये गए सम्मान के लिए हम अपने प्रिय साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। कहने को तो
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वर्तमान समय, ईश्वर के अवतार लेने का समय है।
27 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद https://youtube.com/shorts/WqOmLYa8Qm… (गुरुदेव हमसे प्रार्थना कर रहे हैं) पिछले कुछ दिनों से ज्ञानरथ परिवार के मंच से लगातार “चमत्कार” विषय पर लेख प्रस्तुत किये जा रहे हैं। पाठकों के समक्ष अनेकों संस्मरण प्रस्तुत किये गए जिनमें कइयों के कभी समाप्त न होने वाले कष्ट मिटे हैं तो कईयों को अप्रत्याशित सहायता
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“योगक्षेमं वहाम्यहम्” का अर्थ दर्शाता गुरुदेव का एक उदाहरण
26 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद अपने साथिओं को दिए गए वचन का पालन करते हुए आज के लेख में स्वर्गीय कवियत्री आदरणीय माया वर्मा की चर्चा को आगे बढ़ाया जा रहा है। आज के लेख का शुभारम्भ गुरुदेव द्वारा लिखित 19 अक्टूबर वाले पत्र से हो रहा है। हमारे साथी जानते हैं कि वर्तमान लेख
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औघड़दानी गुरुदेव की शक्तियां
https://youtube.com/shorts/WqOmLYa8QmE?si=f157NTULuu5-93Fp (गुरुदेव हमसे प्रार्थना कर रहे हैं) 25 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का ज्ञानप्रसाद लेख उन चार साधकों का विवरण दे रहा है जिन पर गुरुदेव की कृपा बरसी।यदि हम निम्नलिखित सन्देश को अपने अंतर्मन में उतार लें तो हमारा प्रयास सार्थक होता दिखेगा: “ईश्वरीय अनुकम्पा हर व्यक्ति पर बरस सकती है व बरसती
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गुरुदेव की शक्ति के तीन प्रतक्ष्य उदाहरण
21अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद अखंड ज्योति मार्च,अप्रैल, मई 1992 अंकों में “लीला प्रसंग” शीर्षक के अंतर्गत एक लेख श्रृंखला प्रकाशित हुई। हमने इस लेख श्रृंखला को आधार बना कर गुरुआज्ञा से ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर लेख लिखने का बीड़ा उठाया। आज प्रस्तुत किया गया लेख मार्च वाले कंटेंट का समापन लेख है।
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तीन शरीर एवं पांच कोशों का संक्षिप्त सा विवरण
20 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद हम अपने साथिओं के बहुत ही आभारी हैं कि साइंस की बेसिक बैकग्राउंड तक न होने के बावजूद Brain waves को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी, इनके कमैंट्स इस तथ्य के साक्षी हैं। यदि हम सब मिलजुल कर, एक दूसरे की सहायता करते हुए गुरु के ज्ञान को समझने
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गुरुदेव कहते हैं, हर व्यक्ति एक शक्तिपुंज है।
18 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद गुरुकक्षा के समर्पित सहपाठिओं को स्मरण कराना चाहते हैं कि पिछले गुरुवार को हमने “चमत्कारों की वैज्ञानिक दुनिया” लेख श्रृंखला का समापन किया था। इन लेखों की भूमिका में हमने लिखा था कि परम पूज्य गुरुदेव ने सदैव ही चमत्कारों का विरोध किया है, तो फिर यह लेख क्या दर्शाना
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चमत्कारों की वैज्ञानिक दुनिया-2
14 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद: अखंड ज्योति जनवरी 1971, पृष्ठ 29 स्कैन कॉपी ,”चमत्कार कोई अवैज्ञानिक तथ्य नहीं “ हमारे साथी देख रहे हैं कि हम पिछले कई दिनों से ज्ञानप्रसाद लेख के साथ परम पूज्य गुरुदेव की आग्रह करती वीडियो अटैच कर रहे हैं, उद्देश्य केवल एक ही है, गुरुदेव के साहित्य की दिव्यता,शक्ति को
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चमत्कारों की वैज्ञानिक दुनिया-1
13 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद–अखंड ज्योति जनवरी 1971, पृष्ठ 29 स्कैन कॉपी ,”चमत्कार कोई अवैज्ञानिक तथ्य नहीं “ है न कितना आकर्षक शीर्षक, साथिओ ? अपनी सर्वप्रिय एवं सर्वोपरि मैगज़ीन अखंड ज्योति के जनवरी 1971 वाले अंक में “चमत्कारों के वैज्ञानिक पक्ष” वाला लेख देखा तो हमसे सेव किये बिना रहा न गया। न जाने कितनी
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हमारी शक्ति का पांचवां भाग
12 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद कल वाले लेख में इस आकर्षित शीर्षक “हमारी शक्ति का पांचवां भाग” वाले लेख का संकेत दिया था। अखंड ज्योति 1942 के सितम्बर अंक में प्रकाशित हुए लेख में परम पूज्य गुरुदेव ने मनुष्य की धर्मिक एवं आर्थिक शक्ति को औसत भारतीय की शक्ति का “पांचवां भाग” कह कर समझाया
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हमारी कितनी ही रातें रोते सिसकते बीती हैं
11 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद अखंड ज्योति फरवरी 1971 में “अपनों से अपनी बात, हमारे दृश्य जीवन की अदृशय अनुभूतियाँ” शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित दिव्य लेख का आज समापन अंक प्रस्तुत किया जा रहा है। परम पूज्य गुरुदेव के दृश्य जीवन की अदृश्य अनुभूतियों का साक्षात् अनुभव करवाने के लिए हमसे अपने तुच्छ प्रयास एवं
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स्वयं को अति समझदार समझने वाला मनुष्य इतना नासमझ क्यों है?
7 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद वर्तमान लेख श्रृंखला अखंड ज्योति पत्रिका के जनवरी और फ़रवरी 1971 के अंकों में “अपनों से अपनी बात” के अंतर्गत प्रकाशित हुए कंटेंट पर आधारित है। “अपनों से अपनी बात’ हमारे ह्रदय के इतने करीब है कि जब भी हम अखंड ज्योति की कोई भी प्रति खोलते हैं तो इस
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परम पूज्य गुरुदेव के शब्दों में “आत्मवत् सर्वभूतेषु” की अति सरल व्याख्या।
6 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद अपने समर्पित परिवार में शेयर का रहे हैं कि हम Vancouver वापिस आ गए हैं, रेगुलर दिनचर्या का पालन करने का प्रयास करेंगें। अपने गुरु की कृपा का ही परिणाम है कि जहाँ हमें सम्पूर्ण अज्ञातवास की आशंका थी,सब कुछ लगभग रोज़ की तरह ही चलता रहा। परिवार ने चाहा
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अखंड दीप और अखंड ज्योति का जन्म-इतिहास,गुरुवर के मुखारविंद से।
5 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद अखंड ज्योति के जनवरी, फरवरी 1971 वाले अंक में “हमारी जीवन साधना के अंतरंग पक्ष-पहलू” शीर्षक से दो बहुत ही महत्वपूर्ण लेख प्रकाशित हुए।दोनों लेखों में गुरुवर की लेखनी से अवतरित हुई ज्ञानगंगा को शब्दों में बांध पाना हम जैसों के लिए लगभग असंभव ही है। हमें तो इस बात
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हमारे गुरुदेव के निर्देश
3 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद अखंड ज्योति के जनवरी, फरवरी 1971 अंक में “हमारी जीवन साधना के अंतरंग पक्ष-पहलू” शीर्षक से दो बहुत ही महत्वपूर्ण लेख प्रकाशित हुए। यह लेख गुरुदेव के मार्गदर्शन के साथ-साथ निर्देशों का वर्णन भी दे रहे हैं। सबसे बड़ा निम्नलिखित मार्गदर्शन बहुत महत्वपूर्ण है: युग धर्म का निर्वाह करने के
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अखंड ज्योति एक व्रतशील तीर्थयात्री की भूमिका निभा रही है।
1 अगस्त 2025 का ज्ञानप्रसाद हम अपने साथियों से क्षमाप्रार्थी हैं कि आज शुक्रवार होने के बावजूद वीडियो कक्षा चलाने में असमर्थ हैं। इसका कारण तो पहले भी लिख चुके हैं लेकिन विस्तृत वर्णन की चर्चा कल वाले स्पेशल सेगमेंट में कर देंगे (यदि उसे कंपाइल कर पाए तो !!!!) इंटरनेट की समस्या के कारण
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मथुरा से विदाई के समय परम पूज्य गुरुदेव के संदेश, “एक और अदभुत लेख”
31 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद अप्रैल 1971 की अखंड ज्योति में एक लेख प्रकाशित हुआ था जिसका शीर्षक “विदाई सम्मेलनों के लिए आमंत्रण और प्रतिबंध” था। “अपनों से अपनी बात” की अति लोकप्रिय श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित हुए इस लेख को आधार बनाकर ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से दो छोटे-छोटे लेख पहले ही
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हमारे अज्ञातवास से गुरुदेव ने खींच कर ज्ञानप्रसाद लिखने को कहा
29 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद हम अपने साथिओं को अवगत करते आ रहे हैं, अपडेट करते आ रहे हैं कि क्रूज पर इंटरनेट की स्थिति कुछ विश्वसनीय नहीं है, बेटे ने 1000 डॉलर देकर एक पैकेज ख़रीदा तो है लेकिन कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर भी हमारे प्रयास से आज का छोटा सा ज्ञानप्रसाद
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“सुझाव बहिन सुमनलता जी का प्रयास हमारा”-हमारा 10 दिवसीय अज्ञातवास
आज जुलाई माह का अंतिम शनिवार है, हमारी आदरणीय बहिन सुमनलता जी के सुझाव एवं साथियों की स्वीकृति से जन्में इस अंक को लेकर हम आपके न्यायालय में उपस्थित हो चुके हैं। हर बार लिखते हैं कि हम कोई लेखक नहीं हैं, त्रुटियां होना स्वाभाविक है। हृदय में जो भी विचार उठते हैं उन्हें शब्दों
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धरती पर स्वर्ग का अवतरण कैसे विश्वसनीय है ?
24 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद अपने साथिओं से क्षमाप्रार्थी हैं कि आज का लेख,कल वाले लेख का भाग 2 न होकर एक Independent लेख है। लेख के शीर्षक बता रहा है कि गुरुदेव की “धरती पर स्वर्ग के अवतरण” की आशा एवं हमारा अनुसन्धान प्रयास इस दिशा में कितने विश्वसनीय हैं। लेख का अंत “एक
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ईश्वरेच्छा ही युग परिवर्तन का प्रबल कारण है-भाग 1
23 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद “नवयुग का अवतरण सुनिश्चित है और सन्निकट” शीर्षक से प्रकाशित अखंड ज्योति मई 1972 के दिव्य लेख को समझने के लिए हमने पिछले दो दिन पृष्ठभूमि का अध्ययन किया। दो भागों में प्रस्तुत होने वाले पहले भाग के ज्ञानप्रसाद में युग परिवर्तन में ईश्वर की इच्छा को माना गया है।
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उदाहरणों सहित युगसंधि एवं युगपरिवर्तन के कुछ प्रतक्ष्य लक्षण
22 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद कल वाले लेख की भांति आज भी अपने साथिओं से क्षमाप्रार्थी हैं कि युगसंधि,युग परिवर्तन, नवयुग, विचार क्रांति आदि विषयों से सम्बंधित ऑनलाइन जितना साहित्य एवं उदाहरण उपलब्ध हैं,उन्हें प्रस्तुत करना कोई सरल कार्य नहीं है, सिर चकराने जैसी स्थिति आना स्वाभाविक है। परम पूज्य गुरुदेव के संरक्षण में जितनी
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आने वाले लेखों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
21 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य से अवतरित हुई ज्ञानगंगा में दिव्य स्नान कर रहे सभी साथियों का अभिवादन। अखंड ज्योति मई 1972 वाले अंक में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था “नवयुग का अवतरण सुनिश्चित है और सन्निकट”, इस लेख का शीर्षक जितना आकर्षक था उससे कहीं आकर्षक इसमें
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आत्मबल को प्रखर करने के सरल उपाय
17 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद आत्मबल का विषय कठिन,जटिल होने के बावजूद इतना रोचक है कि यदि सारा जीवन भी विषय का अध्यन करते रहें तो भी अनंत ही प्रतीत होता है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के ही मंच से इस विषय को बार-बार दोहराया गया है। मार्च 2025 में ही आत्मबल के विषय पर
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आत्मबोध (स्वयं को जानना) की अति सरल चर्चा
16 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद- अखंड ज्योति मई 1972 पिछले दो दिन से शरीर,मन और आत्मा के विषय पर चर्चा चल रही है, अनेकों उदाहरण दिए गए हैं,यथासंभव सरलीकरण का भी प्रयास किया गया है, साथिओं का सहयोग भी मिल रहा है, इस सामूहिक प्रयास का ही रिजल्ट है कि Step by step, एक एक
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दिल तो बच्चा है जी
15 जुलाई 2025 का ज्ञानप्रसाद- अखंड ज्योति मई 1972 कल आरम्भ हुई “शरीर और मन” की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए आज का लेख,अंतिम पंक्तियों में “आत्मा” की बात कर रहा है। आज तो “आत्मा की बात” केवल सरसरी तौर से ही की गयी है,कल इसकी विस्तृत चर्चा की योजना है। आज के लेख में