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परम पूज्य गुरुदेव ने एक सांस में चार बार “नियमितता” शब्द पर बल दिया है। गुरुदेव से निवेदन है कि प्रत्येक युगसैनिक को नियमितता का अनुदान प्रदान करें।
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सप्ताह का सबसे लोकप्रिय सेगमेंट, “अपने सहकर्मियों की कलम से” प्रस्तुत है और उन सभी साथियों का धन्यवाद् जिन्होंने इस सेगमेंट में अपने योगदान से इसे लोकप्रिय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शब्द सीमा के कारण बहुतों के योगदान इस सेगमेंट में शमिल न हो पाए जिन्हें हमने अगले सेगमेंट के लिए सुरक्षित कर दिया है। इसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।
किसी भी परिवार की भांति हमारे परिवार में भी हर दिन नए साथी आते जाते रहते हैं, तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपनी कार्य प्रणाली अपडेट करते रहें। तो संक्षेप में बता दें कि सोमवार से गुरुवार तक चार दिन मंगलवेला में गुरुदेव से सम्बंधित फुल length लेख प्रस्तुत किये जाते हैं, शुक्रवार को गुरुदेव से सम्बंधित एक वीडियो अपलोड की जाती है और शनिवार को यह स्पेशल सेगमेंट प्रकाशित होता है। इस सेगमेंट में प्रयास किया जाता है कि परिवार में सक्रियता से कार्यरत साथियों की गतिविधियां एवं updates प्रकाशित किये जाएँ। हर रात साथियों की सुखद नींद की कामना करता एक प्रेरणादायक “शुभरात्रि सन्देश” प्रकाशित किया जाता है। साथियों से सम्बंधित प्रेरणादायक गतिविधियों के प्रकाशन से सभी को प्रोत्साहन मिलता है।
शब्द सीमा आज भी आड़े आ रही है तो गुरु चरणों में समर्पित होकर शुरू करते हैं आज की गुरुकुल पाठशाला।
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1.व्हाट्सप्प पर कमेंट न करें :
सभी साथियों से करबद्ध निवेदन है कि जहां तक संभव हो सके यूट्यूब पर ही कॉमेंट करें, ऐसा करने से आपका और हमारा दोनों का समय बचेगा। व्हाट्सएप और यूट्यूब दोनों पर कॉमेंट करने का कोई लॉजिक नहीं दिखता। बहुत बार बता चुके हैं कि हमारा व्हाट्सएप “ब्रॉडकास्ट ग्रुप” एक ऐसा ग्रुप है जहाँ पर पोस्ट किया गया कोई भी कॉमेंट “केवल” हम ही देख सकते हैं। ऐसा होने के कारण “विचारों” का,”भावनाओं” का प्रसार तो न हो पाया, केवल हम और आप ही संपर्क करते रहे।
अब तक तो सभी को पता चल ही गया होगा कि इस प्लेटफॉर्म का मुख्य उद्देश्य परम पूज्य गुरुदेव से सम्बंधित ” ज्ञान का प्रसार” है । हमारा सारा प्रयास अलग-अलग विकल्पों को , जो पूर्णतया सार्थक हों, ढूंढने में ही लगा रहता है। परम सौभाग्य है कि अनेकों साथी इस कार्य में निस्वार्थ योगदान दे रहे हैं। नमन है ऐसे समर्पण को।
हमारे अनेकों साथियों ने हमें कमैंट्स की चिंता न करने का परामर्श दिया है। हम उनकी भावनाओं को समझ सकते हैं लेकिन जब तक हम अपने समर्पित साथियों द्वारा परिश्रम से समयदान करते हुए लिखे कमैंट्स का रिप्लाई न दें, हमारा मन भटकता रहता है। किसी की भावना का रिप्लाई न कर पाना हमारे लिए एक तरह का अनादर होता है जिसे हमारी अंतरात्मा सहन नहीं कर पाती।
2.नियमितता ही हमारा मूल मंत्र है:
कल की वीडियो में गुरुदेव ने एक सांस में चार बार “नियमितता” शब्द प्रयोग किया है। हम तो बार-बार इस पर बल देते आ रहे हैं, कभी कभार असर दिख भी जाता है लेकिन अगर हमारे गुरुकुल के मुख्याधिष्ठाता की बात भी नकार दी जाती है तो इससे बड़ा कोई अनादर हो ही नहीं सकता। हमारे लिए यह चुल्लू भर पानी में डूब जाने जैसा ही है। जिन साथियों को हम मैसेज करके नियमितता का स्मरण कराते रहते हैं,उन्हें फिर से निवेदन कर रहे हैं कि कम से कम अनुपस्थिति की सूचना तो दे ही दिया करें। आपकी आज्ञा लेकर सम्मानपूर्वक अगर हम कहते है कि “यह व्यस्तता कम और non- seriousness ज़्यादा है” तो हम क्षमाप्रार्थी हैं। जब हम यह पंक्तियाँ इतना सोच समझ कर लिख रहे हैं तो यह भी विचार आ रहा है कि जिनके लिए लिख रहे हैं वोह शायद देखें ही न। यही कारण है कि पिछले कई दिनों से हर लेख की tagline ही नियमितता बना दी है।
मुख्याधिष्ठाता जैसा भारी भरकम शब्द भी बहिन सुमन लता जी का ही अविष्कार है। बहिन जी ने हमारे लिए “मास्टर जी” का शब्द भी अविष्कार किया लेकिन कमेंट में भी लिखा था आज फिर से लिख रहे हैं : बहिन जी, हम आप सभी के साथ एक अबोध विद्यार्थी की भांति नीचे टाट पर बैठ कर अपने गुरु का अनुदान प्राप्त कर रहे हैं। यह आपका बड़पन्न है कि आप हम जैसे अध्यापक का सम्मान कर रहे हैं। बहुत बहुत आभार।
3.व्यक्ति निर्माण-परिवार निर्माण -समाज निर्माण का जीवंत उदहारण है हमारे सरविन्द जी का परिवार :
इस तथ्य का चित्रण हम रविवार की एक व्हाट्सप्प चैट के माध्यम से कर रहे हैं। 30 अप्रैल रविवार को बेटी अनुराधा पाल का मैसेज आता है कि व्हाट्सप्प पर ज्ञानप्रसाद नहीं मिल रहे, आप शायद भेज रहे होंगें लेकिन हमें नहीं मिल रहे। हमने सोचा कि बेटी अभी नई है, उसे ज्ञानरथ के टाइम टेबल का ज्ञान न हो क्योंकि रविवार को अवकाश होता है। हमने बेटी अनुराधा का मैसेज सरविन्द जी को फॉरवर्ड करते हुए लिख दिया कि बेटी को OGGP की कार्यप्रणाली बताने की कृपा करें। जो मैसेज सरविन्द जी ने हमें भेजा वोह हम यथावत आपके समक्ष रख रहे हैं :
बेटी अनुराधा पाल व बेटी पिंकी पाल के Whats app number पर लेख नहीं दिख रहे हैं l आज हम कानपुर बच्चों के पास आए हुए हैं तो नैतिकता के आधार पर दोनों बच्चों के मोबाइल फोन में देख रहे थे कि बच्चे OGGP में अपनी कितनी सहभागिता सुनिश्चित कर रहे हैं, तो पाया कि Whats app में सिर्फ एक ही लेख मिला है अतः हमने बेटी अनुराधा पाल से आपको अवगत करने के लिए कहा था l आपके यहाँ कनाडा में काफी रात्रि हो गई है जिसके कारण हम आपसे क्षमाप्रार्थी हैं l धन्यवाद l
हमारे पाठक समझ सकते हैं कि इस सारे घटनाक्रम से हमने क्या अनुभव किया। भाई साहिब बेटियों का गुरुकार्य में भी ठीक उसी प्रकार मार्गदर्शन कर रहे हैं जैसे एक अनुशासित पिता अपनी संतान का रियल लाइफ में करता है। एक तो वोह परिवार है जहाँ बच्चों के फ़ोन password-protected हैं और एक यह संस्कारित परिवार है। इस परिवार में पिता संतान के लिए एक आदर्श role मॉडल है। सरविन्द जी ने बेटियों को इस परिवार में लाकर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ा बल्कि Progress report भी देखी। ऐसा इसलिए है कि भाई साहिब गुरुकार्य को “काम चलाऊ” नहीं बल्कि एक समर्पण की भावना से करते हैं। नमन है ऐसा श्रद्धा को। इस उदाहरण से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
हम बार-बार गुरुकार्य का शब्द प्रयोग करते है लेकिन यह गुरु का कार्य न होकर हमारा अपना कार्य है क्योंकि गुरु के मार्गदर्शन में व्यक्तित्व-निर्माण हमारा ही तो हो रहा है। गुरु ने एक अनुशासित, समर्पित पिता की भांति अनेकों उपकरण देकर हमारे व्यक्तित्व निर्माण का बीड़ा अपने ज़िम्मे लिया हुआ है। तो अभी से हमें गुरु का धन्यवाद् करने का संकल्प लेना चाहिए न कि अहसान जताएं कि हम गुरु का कार्य कर रहे हैं।
4.गुरुदेव का सुरक्षा चक्र- स्नेहा गुप्ता :
ईश्वर की कृपा से मेरे पास एक भरा पूरा मायका और ससुराल है। जीवन संघर्ष में अक्सर
जब तन, मन, थकान से, तनाव से या कलह से चूर हो जाता था,तब क्षणिक ही सही सकून की, सुख की और थोड़ी आराम की तलाश में मैं मायके चली जाती थीं जहां है तो वीरानी लेकिन भाईयों के संग दुख सुख बांट कर मन ऊर्जा से भर जाता है।
गुरुदेव की कृपा से अब हमारा सौभाग्य और अधिक बढ़ गया है। ईश्वर की और कृपा मिलने लगी है क्योंकि अब OGGP “मेरा दूसरा मायका बन गया है “जहां मुझे जीवन का हर रिश्ता और रिश्तों में सच्चा प्यार,अपनत्व/ममत्व मिल रहा है,जहां हम अपना हृदय खोल पाते हैं। इस परिवार से मेरा हृदय कुछ ऐसे जुड़ गया है कि दिनोदिन मैं स्वयं को अधिक सौभाग्यशालीनी अनुभव कर रही हूँ। इसलिए कल की घटना परिवार में शेयर करने की गहरी इच्छा हुई।
कल फूफा जी का तेरहवीं संस्कार था जिसके लिए मेरे स्वास्थ्य के कारण, भाईयों के मना करने के बावजूद मन की आवाज सुनकर हम परसों शाम की ट्रेन से हरपुर चले गए।और कल शाम की ट्रेन से वापस भी आ गए। जाती बार मेरे साथ एक घटना हो गई:
मायके जाने के लिए हम लोग जमानियां स्टेशन तक ट्रेन से जाते हैं और उसके बाद आटो लेते हैं। ट्रेन रुकने पर मिट्ठी बेटी सामने रखे अन्य किसी का सामान लांघ कर कूद गई, मैं भी जल्दी से उतरने लगी । इस दौरान न जाने कब ,कैसे मेरे सामने खड़ी औरत के गले के गहने खिंचे गए। वोह मेरे आगे गेट पर खड़ी थी और मैं उसके पीछे बांए खड़ी थी और दायें हाथ से उसके पीछे की हैंडल पकड़े हुए थी। संभव है उतरते समय मेरे हाथों से ही लग गया हो। फिर क्या था, उसको लगा मैने उसके गहने खींचे है। उसने हमें बहुत कुछ बोला । पहले तो मैं समझी ही नहीं लेकिन जब समझ आयी तो मैने उससे माफी मांगी,उसे बताना चाहा कि ऐसी बात नहीं है लेकिन वो नहीं मानी । फिर हम दोनो अपनी राह चल दिए । पिछले तीन दिनों से मेरा आस्वाद व्रत जारी था। व्रत में ऊर्जा और हृदय का स्तर कुछ अलग ही होता है। आटो में बैठते भी मेरे आंखों से अश्रुधारा निकलती रही कि गुरुदेव आप मेरी निष्ठा के साक्षी हैं। मन को भी रोने में सुख मिलता है,वह कल्पना करता गया कि अगर उसके गहने टूट गए होते तो वोह लोग मेरी पिटाई भी कर सकते थे। भरी भीड़ जुट जाती । लोग वीडियो बनाते,जो वायरल भी होती और मेरे सत्य को कौन सुनता ? न ये कल्पना चित्र रुकते न मेरे आंसू ही रुकते । मैं क्या करती ।
मेरा मन हर क्षण गुरुचरणों में होता है, मेरा अंतर्मन चीत्कार उठा,मेरा रोम रोम पुकार उठा। मैं सोचती हूँ कि गुरुदेव का सहारा न होता तो ऐसे समय में किसे पुकारती।
जीवन में ऐसी घटनाएं भी हो सकती हैं जब हमारे बिल्कुल निर्दोष होने पर भी दोषी ठहराया जाए। जीवन में यह अनुभव बहुत ही रोमांचकारी एवं सावधानी की शिक्षा देने वाला था। गुरु का ही सहारा है उनका सुरक्षा चक्र आज फिर कार्य कर गया।
5.संजना बेटी ने अपनेआप को रिकॉडिंग के लिए ऑफर किया :
OGGP पर पोस्ट हुए अखंड ज्योति के दिव्य लेखों ने हमारी संजना बेटी को इतना प्रभावित किया तो उसने स्वयं को इनकी ऑडियो रिकॉर्डिंग के लिए प्रस्तुत किया है। हमारे साथियों ने इस सन्दर्भ में यूट्यूब पर हमारा कमेंट देखा ही होगा। बेटी संजना का उदाहरण उन परिजनों के लिए एक मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है जिन्हें “समय” की समस्या है। हमारे पाठकों के ह्रदय में बेटी की हृदयस्पर्शी यूट्यूब वीडियो स्मरण हो आयी होगी जो उसने तब रिकॉर्ड कराई थी जब वह मात्र हाई स्कूल की छात्रा थी। उस वीडियो का लिंक दे रहे हैं https://youtu.be/ytX2RnJgu1w
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आज की 24 आहुति संकल्प सूची में 11 युगसैनिकों ने संकल्प पूर्ण किया है। अरुण जी स्वर्ण पदक विजेता घोषित हुए हैं ।
(1)रेणु श्रीवास्तव-28,(2 )संध्या कुमार-34 ,(3 )सुजाता उपाध्याय-27,(4 )सरविन्द पाल-34 ,(5 ) चंद्रेश बहादुर-33 ,(6) वंदना कुमार-31, (7) पिंकी पाल-29,(8) कुमोदनी गौराहा-37 , (9) सुमन लता-27,(10 ) स्नेहा गुप्ता-25,(11) अरुण कुमार-42
सभी को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई।