14 फ़रवरी 2022 का ज्ञानप्रसाद – गुरुदेव के अध्यात्मिक जन्म दिवस पर हमारी अनुभूतियों के श्रद्धा सुमन-8
परमपूज्य गुरुदेव के जन्म दिवस पर अनुभूतियों की श्रृंखला की अंतिम एवं आठवीं कड़ी लिखते हुए हमें बहुत ही हर्ष हो रहा है। अपने गुरु के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने का यह अद्भुत, अनुपम एवं नवीन प्रयास न केवल सफल रहा बल्कि आशा से भी परे रहा। हमने तो सोचा था,केवल 2-3 लेख ही लिखे जायेंगें लेकिन आठ लेख यकीनन एक अद्भुत प्रयास है। सम्पूर्ण प्रयास और श्रेय हमारे श्रद्धावान सहकर्मियों को जाता है -धन्यवाद् ,धन्यवाद् एवं धन्यवाद्।
कल वाला ज्ञानप्रसाद इसी विषय पर कुछ data analysis करता हुआ प्रयास, हमारी अंतरात्मा की वाणी आपसे शेयर करता हुआ होगा।
आज हम दो सहकर्मियों – बहिन सुमन लता और अरुण वर्मा भाई साहिब जी की अनुभूतियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं। इसी वर्ष 7 जनवरी को हम अरुण जी की अनुभूति एक full-length लेख के रूप में प्रस्तुत कर चुके हैं। सहकर्मी हमारी वेबसाइट से उस लेख को पढ़ सकते हैं। सुमन लता जी का विशेष करके धन्यवाद् कर रहे हैं कि उन्होंने बहुत ही कम समय में अत्यंत promptly अनुभूति भेजी।
आज के लेख में एक विशिष्टता शामिल कर रहे हैं। लेख के अंत में ओंकार जी और छवि राम जी द्वारा UK में प्रस्तुत “स्वयं भगवान हमारे गुरु” प्रज्ञा गीत का न केवल लिंक https://youtu.be/TmLIhVn2_Vo ही दे रहे हैं बल्कि lyrics भी लिख रहे हैं। यही टोली हमारे घर में भी आयी थी, और प्रज्ञा गीतों के इलावा यह गीत भी गाया था लेकिन वह लिंक नहीं मिल सका। इस विशिष्टता का विचार हमें इसलिए आया कि लेख समाप्त करते ही आप अपनी सुबह को अपने गुरु की स्तुति के साथ ऊर्जावान बनायें। कहिये कैसा लगा हमारा यह नवीन प्रयास।
तो आइये अनुभूतिओं का अमृतपान करें
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i).सुमन लता:
आज संध्या बहन की अनुभूतियों को पढ़ कर हमें भी कुछ कहने का मन हो रहा है।
12 वर्ष पूर्व 2010 में मुझे ह्रदय से संबंधित समस्या हो गई थी जिसे मेडिकल की भाषा में dilated cardiomyopathy कहते हैं। इस बीमारी के कारण मेरा ह्रदय केवल 35% ही काम कर रहा था। मेरी eco, angiography भी हुई।डाक्टर साहब ने बोला कि उम्र के साथ ये बीमारी बढ़ेगी। मुझे इसके लिए बहुत एहतियात बरतनी होगी। 2011 में बेटी का विवाह होना फिक्स हुआ था। मेरी दशा कोई इतनी अच्छी न थी। थोड़ा सा काम करके ही थक जाती थी। 2014 में मेरा रिटायरमेंट हो गया। दुर्भाग्यवश 2016 में मेरी बेटी का आकस्मिक देहावसान हो गया।
उन्ही दिनों हमारे एक इंजीनियर भाई साहब जो गुरुदेव से पहले से ही जुड़े हुए थे, हमारे घर आए और अखण्ड ज्योति पत्रिका और एक युग निर्माण योजना की एक एक प्रति छोड़ गए। भाई साहिब कह गए कि बहन अगर आपका मन हो तो पढ़ लेना। मैंने वो दोनों पत्रिकाएं पढ़ीं तो एक अध्भुत सी तीव्र इच्छा होने लगी कि मुझे युगतीर्थ शान्तिकुंज जाना है। बीमारी के कारण मेरे लिए एक घंटा बैठना भी कठिन था। दिल्ली से 6 घंटे का सफर कर बेटे के साथ गई। वहाँ पूरा घूम कर आई। हमने कुछ छोटी- छोटी पुस्तकें भी खरीदीं । उसमें एक पुस्तक गायत्री चालीसा भी थी। उन पुस्तकों को पढ़कर ऐसा लगा कि ये शायद हमारे लिए ही लिखी गई थीं। इस समय तक मुझे गुरुदेव के विषय में कुछ भी नहीं पता था, उनका नाम तक भी नहीं जानती थी । घर आकर उन सबको पढ़ा । बिना कोई विचार किये गायत्री चालीसा में बताई गई विधि से पूजा भी आरंभ कर दी। ऐसा लगने लगा कि यह सब गुरुदेव ही करवा रहे हैं। अब तो हमारे लिए परमपूज्य गुरुदेव के परोक्ष अनुदानों का अनवरत सिलसिला शुरू हो गया।
1.हम बहुत समय से घर तलाश रहे थे, कहीं भी कोई जगह पसंद नहीं आती थी। जो पसंद आती उसके लिए बजट अपर्याप्त। गुरुदेव की शरणमें आते ही हमें उपयुक्त घर मिल गया।
2.2017 की बात है । दोपहर में खाना खाने के बाद मुझे बचपन से ही सोने की आदत है। मुझे स्वप्न आया कि युगतीर्थ शान्तिकुंज में एक खाली मैदान में गायत्री पूजा का आयोजन हो रहा है। एक बड़ी सी मेज़ पर गायत्री माता की विशाल तस्वीर है। मैं और परम वंदनीया माता जी उसको सुसज्जित कर रहे हैं। सामने से परमपूज्य गुरुदेव मुस्कुराते हुए आ रहे हैं और कहते हैं -दोनों मां बेटी क्या कर रही हो। इस पर माताजी कहती हैं कि यह (मेरे लिए) कह रही है कि मैं सजाऊंगी । बस नींद खुल जाती है। 3.उसके कुछ दिन बाद मुझे फील होने लगा कि मुझे अब पहले जैसी परेशानी नहीं होती। जब मेरा Eco हुआ तो रिजल्ट्स बताते हैं कि अप्रत्याशित रूप से मेरे हृदय ने अधिक क्षमता के साथ काम करना शुरू कर दिया है। और अब दिल की बीमारी नहीं है।
यह है हमारे परमपूज्य गुरुदेव की असीम अनुकम्पा। हमारा विश्वास इतना बढ़ गया है कि अब कोई परेशानी लगती ही नहीं है। हमारे रक्षा करने वाले हमारे संरक्षक जब हर पल हमारे साथ हैं तो फिर परेशानी किस बात की । जय गुरुदेव ।शत शत नमन।
ii).अरुण वर्मा
परम आदरणीय परम स्नेहिल परम प्रिय श्री अरुण भैया जी के चरणों में सत सत प्रणाम
भैया जी एक छोटा सी अनुभूति हमारे पास भी है जिसे ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार के साथ शेयर करना चाहता हूँ। परमपूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस के पावन पर्व पर यह बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि गुरुदेव का अनुग्रह कैसे प्राप्त होता है, किस परिस्थिति में, किस समय में गुरुदेव आपको अपने साथ खड़े मिलते हैं।
घटना 2 फ़रवरी 2020 की है। मैं अपनी बड़ी बेटी को परीक्षा दिलाने के लिए कलकत्ता जाने वाला था। सुबह 5:25 की गाड़ी थी। हम दोनों ने परमपूज्य गुरुदेव की उपासना की लेकिन उपासना के बाद ही अचानक बेटी की तबीयत खराब हो गयी, उसे उल्टी होने लगी। मैं अभी उपासना कर ही रहा था। मैंने गुरुदेव से केवल इतना ही कहा कि- गुरुदेव अब जो करना है आप ही को करना है। मैंने शांतिकुंज से लाई प्रसाद भस्म थोड़ी सी बेटी को खिलाई और बोला कि चलो गाड़ी का समय हो गया है। थोड़ी देर में कुछ सुधार हुआ, किसी तरह पकड़ कर ऑटो पर बैठाकर स्टेशन तक ले गया। वहां पहूंचने पर एक फिर उल्टी हुई, उसके बाद बेटी की तबीयत कुछ हल्की हुई और उसे अच्छा भी लगने लगा। कलकत्ता पहूंचे तो जिस जगह जाना था मैं उस जगह से बिल्कुल अंजान था, मुझे वहाँ के बारे में कुछ भी पता नहीं था। हमने प्रवास के लिए होटल बुक किया था, होटल फोन किया तो पता चला कि हमारी बुकिंग कैंसिल कर दी गयी है। अब तो हमें बहुत ही परेशान होने लगी, अनजान नगर में किसका सहारा लें ,बेटी को लेकर कहाँ जाऊं। बेटी भी बहुत घबरा गयी, सुबह से कुछ खाया भी नहीं था उपर से तबीयत भी खराब थी। मैंने ऑटो वाले से कहा- भैया अगर कोई और होटल है तो हमें ले चलो। ऑटोवाले ने हमारे साथ बहुत हमदर्दी जताई और करीब डेढ़ घंटा खोजने के बाद एक होटल में जगह मि गयी,इसका रेट भी पहले वाले से कम था, और लोकेशन भी कालेज के बिल्कुल पास थी, केवल 10 मिनट पैदल रास्ता था। पहले हम यही सोचकर घबरा रहे थे कि जिस कालेज में परीक्षा देनी थी ,उसका पता नहीं था, कैसे ढूँढेगें, लेकिन परमपूज्य गुरुदेव की कृपा ऐसी बरसी कि सब काम आसान हो गया। होटल भी सस्ता मिल गया, परीक्षा केंद्र भी बिल्कुल नज़दीक।
यह सब गुरुदेव का ही चमत्कार है , गुरुदेव किस तरह, किस रूप में, कहाँ हमारे साथ सूक्ष्म रूप में आकर मदद कर देते हैं पता ही नहीं चलता। ऐसे प्राप्त होता है गुरु का अनुग्रह। धन्य हैं हमारे गुरुदेव जो अपने बच्चों पर हर पल ध्यान रखते हैं और सही मार्ग दर्शन करते रहते हैं।
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स्वयं भगवान हमारे गुरु, परम सौभाग्य हमारा है। स्वयं नारायण नर तन धरे, हमारे बीच पधारा है ॥
1.गुरु तो आते जाते पर नारायण कभी-कभी आते। तभी अवतार हुआ करते-पाप धरती पर बढ़ जाते॥
ब्रह्म ने स्वयं अवतरित हो-धरा का भार उतारा है। स्वयं भगवान हमारे गुरु, परम सौभाग्य हमारा है।
2.दें सके तो दें जीवनदान, अन्यथा समयदान तो करें। न बन पाये यदि भामाशाह, अपेक्षित अंशदान तो करें॥ समर्पित करें उन्हें प्रतिभा, उन्हीं ने जिसे सँवारा है। स्वयं भगवान हमारे गुरु, परम सौभाग्य हमारा है|
3.आरुणी और विवेकानंद, समर्पण की विधि बतलाते। स्वयं गुरु अपने जीवन से, शिष्य की गरिमा समझाते॥ शिष्य ने किया समर्पण तो, गुरु ने उसे निखारा है। स्वयं भगवान हमारे गुरु, परम सौभाग्य हमारा है॥
4.गुरु की जन्मभूमि पर आज गुरु को कुछ तो अर्पित करें। बाँटने जन-जन में गुरु ज्ञान-स्वयं को हम संकल्पित करें। शिष्य हैं तो सोंचे कितना, गुरु का कर्ज उतारा है। स्वयं भगवान हमारे गुरु, परम सौभाग्य हमारा है॥
हर बार की तरह आज भी कामना करते हैं कि प्रातः आँख खोलते ही सूर्य की पहली किरण आपको ऊर्जा प्रदान करे और आपका आने वाला दिन सुखमय हो। धन्यवाद् जय गुरुदेव
हर बार की तरह आज का लेख भी बड़े ही ध्यानपूर्वक तैयार किया गया है, फिर भी अगर कोई त्रुटि रह गयी हो तो उसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं।
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24 आहुति संकल्प सूची :
12 फ़रवरी 2022 के ज्ञानप्रसाद का अमृतपान करने के उपरांत इस बार आनलाइन ज्ञानरथ परिवार के 6 समर्पित साधकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। यह समर्पित साधक निम्नलिखित है :
(1 ) अरुण कुमार वर्मा -25 ,(2) रेणुका गंजीर-24,(3) अरुण त्रिखा -27,(4 )सरविन्द कुमार-28,(5 )प्रेरणा कुमारी -25,(6) संध्या कुमार -26
इस पुनीत कार्य के लिए सभी युगसैनिक बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं और सरविन्द कुमार जी गोल्ड मैडल विजेता हैं। कामना करते हैं कि परमपूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि आपके परिवार पर सदैव बनी रहे। हमारी दृष्टि में सभी सहकर्मी विजेता ही हैं जो अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं,धन्यवाद् जय गुरुदेव