मित्रो अपने पहले वाले लेख में हमने आपको बताया कि कैसे गुरुदेव की शक्ति से प्रेरित होकर और नारी सशक्तिकरण की दिशा में हसमुख राय रावल नामक प्रवासी भारतीय ने मसूरी इंटरनेशनल स्कूल की उत्पति की ,जो पूरे का पूरा कन्या आवासीय ( residential ) स्कूल है।रावल जी तो शांतिकुंज में अनुष्ठान करने आए थे और बीच में उनके पास एक दिन फ्री था तो उन्होंने मसूरी का केम्पटी फाल देखने का मन बनाया। मसूरी में उन्होंने एक खाली भूमि का बिकाऊ टुकड़ा देखा तो उस पर होटल बनाने के विचार से खरीद लिया। लेकिन गुरुदेव ने उनको बोला
” यह भूमि होटल के लिए नहीं है ,इस पर 1000 वर्ष पूर्व ऋषियों ने घोर तपश्चर्या करके इसको दिव्यता प्रदान की है और तू इस पर एक कन्या विद्यालय बना दे ”
गुरुदेव की बात को अमृत वाणी मान कर रावल जी ने 1984 में इस विद्यालय की स्थापना की। इस विद्यालय के बारे में सम्पूर्ण विस्तार से लिखना तो संभव नहीं है लेकिन हम कुछ महत्वपूर्ण बातें अपने सहकर्मियों के साथ शेयर करने का प्रयास करेंगें। मसूरी डाउनटाउन से केवल साढ़े पांच किलोमीटर दूर स्थित है मसूरी इंटरनेशनल स्कूल ( MIS ) यह एक ऐसा विद्यालय है जहाँ परम्परागत ( traditional ) और आधुनिक ( modern ) शिक्षा का अविश्वसनीय समन्वय मिलता है। एक तरफ गायत्री मन्त्र और गायत्री साधना और दूसरी तरफ आज के युग की समस्त आधुनिक गतिविधियां हमारी बालिकाओं का सम्पूर्ण विकास करने में समर्थ हैं। यह स्कूल Council for the Indian School Certificate Examinations (CISCE code UT026), New Delhi and University of Cambridge International Examinations (CIE) , IBDP. के साथ affiliated है I कहने का अर्थ यह है की यह स्कूल CBSE के साथ नहीं है I विद्यालय का logo देखते स्वयं ही दिव्यता का आभास हो जाता है ” धियो योनः प्रचोदयात” का होना अपने आप ही गायत्री उपासना के लिए प्रेरित करता जाता है। विद्यालय में पहाड़ी पर स्थित मंदिर दिव्यता प्रदान करता हुआ कुछ यूँ बातें करता हुआ प्रतीत होता है :
“आज रविवार की सुबह है,विद्यालय बिल्क़ुल शांत और भावपूर्ण है। विद्यालय के मंदिर में भजन बजाए जा रहे हैं, सूर्यौदय हो रहा है, पर्वतों के उच्च शिखर एक राजसी बड़े भाई की तरह सुरक्षात्मक दृष्टिकोण के साथ हम पर मुस्कुरा रहे हैं। नीचे विद्यालय परिसर की ताज़ी रंगीन दीवारों से रिफ्लेक्ट होती चमक दमक, गेंदें के फूलों की फसल लहलहा कर स्वर्गीय वातावरण का आभास दे रही है एक पेड़ के शीर्ष पर अकेला पक्षी , बच्चियों के आने का इंतजार कर रहा है ”
पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में सभी प्रतिमाओं पर नवरात्री को नए वस्त्र पहनाये जाते हैं। माँ गायत्री के साथ ही परमपूज्य गुरुदेव की प्रतिमा इस मंदिर को शोभायमान करती है। वर्तमान प्रिंसिपल मीता शर्मा जहाँ स्कूल की और सारी गतिविधियों में बालिकाओं का मार्गदर्शन करती हैं वहीँ स्कूल की आध्यात्मिक क्रियाओं में भी पूर्ण तौर पे सहयोग देती हैं। हमारे साथ संक्षिप्त बातचीत के दौरान उन्होंने MIS के बारे में किसी भी प्रकार सहयोग देने की उत्सुकता दिखाई। स्कूल की वेबसाइट और सोशल मीडिया साइट्स पर उनकी सक्रियता देखी जा सकती जहाँ वह बच्चों और स्टाफ के साथ गायत्री हवन करती दिखाई देती हैं। स्कूल प्रांगण के सामने पहाड़ी पर स्थित मंदिर में देवियों के वस्त्र बदलते हुए और बालिकाओं का कन्या पूजन करते भी हम इनको देख सकते हैं। शांतनु प्रकाश जो इस स्कूल के ट्रस्टी हैं इन्हे भी हम परमपूज्य गुरुदेव और माँ गायत्री के चित्रों के समक्ष नतमस्तक होते देख सकते हैं। स्कूल के प्रांगण में स्थित “प्रज्ञा शिखर” एक बहुत ही आकर्षित मीनार की तरह आपका स्वागत करता है, इसके ऊपर ग्लोब बहुत ही मनोहर दृश्य देता है।
हसमुख राय रावल जी की जितनी भी वीडियो हमने देखीं सब में परमपूज्य गुरुदेव के समक्ष नतमस्तक होते उन्होंने एक बात कही :
” गुरुदेव ने हमें धरती से उठाकर आकाश पर बिठा दिया “।
हमारे गुरुदेव हैं ही ऐसे। चाहे हम मृतुन्जय तिवारी ,मस्तीचक हस्पताल के ट्रस्टी से बात करें , ,मस्तीचक स्थित गायत्री शक्तिपीठ के अधिष्ठाता आदरणीय शुक्ला बाबा से बात करें, लीलापत शर्मा जी का साहित्य पढ़ें यां फिर गायत्री परिवार के किसी भी परिजन से बात करें सभी गुरुदेव के प्रति भरपूर समर्पण व्यक्त करेंगें क्योंकि सभी को गुरुदेव ने एक अद्भुत संरक्ष्ण प्रदान किया है। रावल जी अगर एक सफल बिज़नेस मैन हैं तो उनकी पत्नी भी कोई कम नहीं हैं। गुजरात प्रदेश के नगर भुज में जन्मी कल्पना रावल भारत से ही LL.B और LL .M की डिग्री प्राप्त करने उपरांत 27 वर्ष की आयु में अपने पति हसमुख राय रावल जी को join करने 1973 में केन्या ( अफ्रीका ) में शिफ्ट हो गयीं। कल्पना जी केन्या की सुप्रीम कोर्ट में डिप्टी चीफ जस्टिस और वाईस प्रेजिडेंट के पद से रिटायर हो चुकी हैं।
हम अपने सहकर्मियों के लिए गुरुदेव/गायत्री परिवार से सम्बंधित बिल्क़ुल ही यूनिक जानकारियां प्रस्तुत करने का प्रयास करते रहते हैं ,ऐसी जानकरियां जो लीक से हटकर हों ,जिन्हें कभी किसी ने दर्शाया न हो। मन मैं सदैव एक आग सी धधकती रहती है कि गुरुदेव के साहित्य में से जो कुछ भी नया हो उसे रीसर्च करके आपके समक्ष लाया जाये और ऐसे विषय लाये जाएँ जो कभी पहले किसी ने न छुए हों। इसीलिए किसी भी विषय पर कार्य शुरू करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह वीडियो यां लेख कहीं पहले किसी ने प्रस्तुत तो नहीं किया है क्योंकि अगर हमने वही कर दिया जो पहले ही उपलब्ध है तो यह फोटोकॉपी ही हुआ। रिसर्च फोटोकॉपी नहीं ,ओरिजिनल होती है। इसके लिए हमें कई लोगों से संपर्क करना पड़ता है , कई किताबें पढ़नी पड़ती हैं ,कई वीडियो देखनी पड़ती हैं और कई कई दिन ,कई कई रातें चिंतन -मनन करना पड़ता है ,सुनिश्चित करना पड़ता है कि जो हम प्रस्तुत कर रहे हैं उसकी validity पर कोई ऊँगली न उठा दे। अगर हमारा कोई शुभचिंतक कार्य प्रकाशित करने के पश्चात् हमारे कार्य में कोई सकारात्मक सुझाव देता है तो बहुत हर्ष की प्राप्ति होती है I इतना परिश्रम करके हमें भी पूर्ण संतुष्टि होती है जब आप हमारे कार्य को सराहते हुए परमानंद का अनुभव करते हैं और कमेंट करते हैं। यह सब परमपूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन के कारण ही सम्पन्न हो रहा है नहीं तो हम कहाँ इतना कुछ करने में समर्थ थे। गुरुदेव हमसे यह सब करवाते गए ,आप जैसे सामर्थ्यवान सहकर्मी हमसे जुडते गए ,ज्ञानरथ आगे ही आगे गति शील होता गया।
अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल का लेख लिखते समय भी हमने कहा था कि यह जानकारी इतनी विस्तृत है कि इसको दो -तीन लेखों में compile करना संभव नहीं है, तो जिस किसी को भी दिलचस्पी हो इंटरनेट से सर्च कर ले। मसूरी इंटरनेशनल स्कूल के बारे में भी हम यही कहेंगें कि जानकारी विस्तृत तो है ही लेकिन दिलचस्प भी बहुत है और सब कुछ प्रस्तुत करना संभव नहीं है। YouTube की अपनी लिमिटेशन है कि एक फोटो से अधिक नहीं लगा सकते ,व्हाट्सप्प पर कितनी ही लगा लो ,इसका एक ही विकल्प है कि हम समय समय पर आपको इस स्कूल की फोटो दिखाते जायेंगें ताकि आप इस स्कूल की दिव्यता को अपने ह्रदय में बसाये रखें।
तो इन्ही शब्दों के साथ आज का लेख को विराम देते हुए सूर्य भगवान की प्रथम किरण से नया सवेरा ,नई ऊर्जा और नई उमंग की कामना करते हैं । परमपूज्य गुरुदेव एवं वंदनीय माता जी के श्री चरणों में समर्पित
