आज का प्रज्ञागीत युगतीर्थ शांतिकुंज में किये गए साधना सत्र को ही समर्पित है।
4 फ़रवरी 2025, मंगलवार को लिखी जा रही यह पंक्तियाँ ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के किसी भी साथी को ऊर्जावान किये बिना नहीं रह सकतीं क्योंकि वसंत पंचमी का दिन गायत्री परिजनों के जीवन में एक विशेष स्थान बनाये बैठा है। वर्ष 1926 की वसंत पंचमी का दिन परम पूज्य गुरुदेव के जीवन का एक अति विशिष्ट दिन था। यही वोह दिन था जब परम पूज्य गुरुदेव के हिमालयवासी गुरु (जिन्हें हम सब दादा गुरु के नाम से सम्बोधन करते हैं) के साथ,आंवलखेड़ा गाँव,(आगरा) स्थित हवेली की कोठरी में, दिव्य साक्षात्कार हुआ था, उनके तीन जन्मों की कथा एक फ़िल्म की भांति दिखाई गयी थी। उसी दिन से,आज लगभग 100 वर्ष (2026 में 100 वर्ष) बाद भी पूज्यवर ने इस दिन को अपना आध्यात्मिक जन्म दिन घोषित करते हुए,अपने सभी क्रियाकलापों को वसंत पंचमी के दिन ही आरम्भ करने का संकल्प लिया और उसे पूर्ण भी किया।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के अनेकों संकल्पों में एक ही ध्वनि चरितार्थ होती है और वोह ध्वनि है, “क्या हम सही मायनों में अपनेआप को गुरुवर के चरणों को समर्पित कर पाए हैं?” साथिओं द्वारा हमारे सभी प्रयासों को पर्याप्त सम्मान मिलना गुरुवर के समर्पण का मूल्यांकन है, लेकिन सर्वश्रेष्ठ मूल्यांकन तो वसंत पर्व पर ही होता है जब हर कोई गुरुवर के चरणों में अपनी अनुभूतियाँ समर्पित करके उनके विशेष अनुदान प्राप्त करता है।
ऑनलाइन ज्ञानरथ के मंच से 2021 की वसंत पंचमी से आरम्भ हुए “अनुभूति विशेषांक” का सिलसिला आज 2025 में भी अनवरत चल रहा है। आदरणीय सरविन्द पाल जी द्वारा संकलित इस “अनुभूति विशेषांक” श्रृंखला का प्रथम लेख प्रस्तुत किया गया था। आज इस श्रृंखला का दूसरा लेख प्रस्तुत है जिसमें हम सब को आद अरुण वर्मा जी द्वारा सम्पन्न किये गए संजीवनी साधना सत्र के अनुभव एवं परम पूज्य गुरुदेव के प्रति श्रद्धा और विश्वास की एक झलक देखने का अवसर मिलेगा।
तो आइए गुरुचरणों में समर्पित होकर जाने कि समर्पित साथी क्या कह रहे हैं।
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ॐ श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमो नमः
परम पूज्य गुरुदेव के श्रीचरण कमलों में सत सत नमन वंदन
परम आदरणीय अरुण भैया जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
“नौ दिवसीय संजीवनी साधना सत्र” में शामिल होने की यात्रा की अनुभूति निम्नलिखित शब्दों में वर्णित है:
1 जनवरी 2025 से आरंभ होने वाले नौ दिवसीय संजीवनी साधना सत्र में शामिल होने के लिए हमने औनलाइन फाॅर्म भरा, 21 अक्टूबर 2024 को ही परमिशन भी मिल गया। हमारे मोबाइल पर किसी तरह का कोई मैसेज न आने के कारण हमें पता नहीं चला लेकिन शांतिकुंज जाने से पहले जिसके माध्यम से फार्म भरा था उसे कहा कि देखिए हमें कोई मैसेज नहीं आया है । पता चला कि स्वीकृति पत्र तो 21 अक्टूबर वाले सत्र के लिए मिली थी। हमें तो घबड़ाहट हो गई लेकिन इतना भरोसा था कि अगर सत्र में शामिल नहीं हो पाए तो बाकि की गतिविधियों में शामिल तो जरूर हो पाएंगें।
यही सोचकर यात्रा प्रारम्भ कर दी। जिस दिन जाना था,गाड़ी समय से दो घंटा लेट थी। गाड़ी में भीड़ भी बहुत ज्यादा था, किसी तरह चढ़ गये,समान जैसे-तैसे रखा, सुबह होने पर थोड़ा भीड़ कम हुई तो समान ठीक से रख पाए। किसी तरह हरिद्वार रेलवे स्टेशन पहुंच गया, सामन बहुत ज्यादा था, जिसके कारण परेशानी बहुत हुई लेकिन गुरुदेव का मार्गदर्शन निरंतर मिलता रहा। दो घंटा लेट होने के बावजूद गाड़ी ने रात में मेकअप कर लिया और समयानुसार पहूंचा दिया।
आज तक इतना पहले कभी शांतिकुंज नहीं पहूंचे थे, पांच बजे शाम पहुंच गए, स्वागत कक्ष में जाकर बोला कि नौ दिवसीय साधना सत्र में शामिल होने आए हैं तो सीधे हमको विवेकानंद हाल में जाने को कहा गया। वहां जाकर पता चला कि हमारा औनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। कर्मचारिओं ने सांत्वना दी कि पहले आप जाकर संकल्प ले लीजिए,कल देखते हैं।
हमने वही किया और कल शाम हमारा और पत्नी दोनों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो गया। साधना सत्र में शामिल हो गए,मन प्रसन्न हो गया,मन ही मन गुरुदेव को धन्यवाद किया। इसी बीच दो तारीख को हमारे ससुर जी के साथ कुछ बदतमीजी की गयी, हमारा मोबाइल फोन तो बंद था, भोजनालय में खाना खिला रहे थे तो वहीं हमारी पत्नी आकर बोली कि रूम से भगा रहे हैं, पापा बहुत परेशान हैं, जल्दी जाइए।
हमने मन ही मन गुरुदेव को याद किया और बिल्कुल शांत भाव से वहां गए। तब तक वहां एक महिला थी जिसने सब संभाल लिया था। पता चला कि वो भी उसी समय पहूंची थी,जब बिछावन फेंक रहा था, वह बहुत बोली कि इनका लड़का नौ दिवसीय साधना में है उनको आने दीजिए तब आप कुछ करीएगा।हमने नीचे जाकर वहां के इंचार्ज को सारी बात बताई लेकिन उसने मानने से इंकार कर दिया, हमने कहा कि हम आगे जाकर कंप्लेन करेंगे। फिर उस दिन से कोई कुछ नहीं बोला, जब दुसरे दिन प्रवचन में शामिल हुए तो वही सुनने को मिला जो हमारे अंदर हलचल मचाए हुए था,तरह-तरह के विचार उत्पन्न हो रहे थे। प्रवचन सुनने के बाद मन बिल्कुल साफ हो गया।
प्रवचन में कहा जा रहा था कि गुरुदेव आपकी परीक्षा भी लेंगे कि आपके साथ ऐसा घटना भी घटित हो सकती है जिससे आपको क्रोध आ सकता है लेकिन आपको क्रोधित नहीं होना है,यह सब पूज्य गुरुदेव का परीक्षा की घड़ी होती है। मैंने मन ही मन गुरुदेव को फिर से धन्यवाद किया कि आपने हमारे क्रोध को नियंत्रण में रखने का संबल प्रदान किया।
नौ दिवसीय साधना सत्र से जो ऊर्जा और प्रशिक्षण मिला उसको हृदयंगम कर अपने क्षेत्र में विकसित करना ही परम कर्तव्य है । गुरुदेव की बहुत बड़ी कृपा रही कि वहां के दिनचर्या में तनिक भी बाधा उत्पन्न नहीं हुई,सब समय से होता चला गया,नौ दिन की संजीवनी साधना इतना प्रभावशाली होती है कि क्या कहा जाये,
हमें तो लगता है कि गुरुदेव से जो भी जुड़ा है उसे इस साधना सत्र में जरूर शामिल होना चाहिए।
जिस दिन शांतिकुंज से लौटना था उस दिन हम दो ही व्यक्ति थे हम और हमारी पत्नी, लैगेज दस था। हरिद्वार स्टेशन पर तो किसी तरह समान चढ़ गया,पूरी तरह भीड़ से बोगी खचाखच भरा हुआ था,जब मैं पटना स्टेशन पहूंचा और उतरने की बारी आई तो इतना परेशानी हुआ कि मत पूछिए। रास्ता पूरा जाम, उतरने वालों की संख्या भी और चढ़ने वालों की संख्या ज्यादा थी, उतरने से पहले लोग चढ़ना शुरू कर दिए, हमने अपनी पत्नी को आगे बढ़ाया था और पीछे-पीछे मैं था। उस समय गुरुदेव ने साक्षात महाकाल की शक्ति हमारे अंदर समाहित की और भीड़भाड़ को चीरते हुए पत्नी को नीचे उतारा और एक लड़का मिल गया जो हमारा दो बैग खिड़की के सहारे हमें पकड़वा दिया, और जहां उतरा वहीं पर कुली मिल गया,आधा घंटा रूकने के बाद थोड़ा मन शांत हुआ तो फिर स्टेशन से बाहर आया, और घर पहूंच गया।
यह सब पूज्य गुरुदेव की ही परम कृपा थी कि इस परिस्थिति में हमें सुरक्षित घर पहूंचा दिया। इस बार का यात्रा बहुत ही कठिन रही लेकिन पग-पग पर गुरुदेव का संरक्षण मिलता रहा। सबसे बड़ी बात यह हुई कि गुरुदेव ने हमें क्रोध पर नियंत्रण रखने का बल प्रदान किया।
हमने जो संकल्प लिया है उसे भली प्रकार विकसित करने में लग गया हूँ। नव वर्ष में नवीन प्रयास जारी हो गया,अब महीना में दो बार हवन यज्ञ संपन्न होगा और प्रति सप्ताह हर शनिवार को नन्हे मुन्नों की बाल-संस्कार शाला का शुभारंभ हो चुका है, इसलिए अब स्वध्याय बहुत जरूरी हो गया है,
भैया जी समय समय पर आप हमें सही मार्ग दर्शन करते रहेंगे, ऐसा हमारा विश्वास है।
गुरुदेव सदैव सही मार्ग दिखाते रहें यही पूज्य गुरु सत्ता से प्रार्थना है।
भैया जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम,जय माता दी,जय मां गायत्री, जय गुरुदेव
आपका अनुज अरुण कुमार वर्मा।
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कल प्रकाशित हुए लेख को 486 कमेंट मिले, 13 संकल्पधारिओं ने 24 से अधिक आहुतियां प्रदान की हैं। इस प्रिजल्ट के लिए सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद करते हैं।
