वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

1 फ़रवरी  2025 ,शनिवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक 

https://youtu.be/kLsTGj_BrzA?si=agxg5FbIVesR7lP3 https://youtu.be/LZ1OAEnimuY?si=IYb3APwCvf2ihPF1

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन  एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब  सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त  करता हुआ अपने को सौभाग्यशाली मानता है। 

यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी  साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर ही करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा। हम बहुत प्रयास करते हैं कि शनिवार के दिन फ़ोन उपवास करते हुए, एक कुशल सैनिक की भांति अपने अस्त्र-शस्त्र (फ़ोन-लैपटॉप, saved फाइल्स आदि) को  up-to-date कर दें, क्योंकि सोमवार के ज्ञानप्रसाद के लिए रविवार को ही तो कार्य आरम्भ होना है लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता। ऐसा इसलिए है कि हमारे साथी/सहकर्मी इस परिवार की “सबसे बड़ी सम्पति” है, उनके साथ बातचीत करना हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात होती है क्योंकि गुरुदेव के सूत्र के अनुसार “सम्पर्क टूटा, सम्बन्ध छूटा” जैसी स्थिति का आना हमारे लिए एवं परिवार के लिए अति दुर्भाग्यपूर्ण होता है।  

तो आइए चलें Tutorial room में जहाँ हमारी शनिवार की कक्षा होती है, कुछ अपनी  कहें, कुछ साथिओं की सुनें  और गुरुसत्ता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

अक्सर हम “माह के चार शनिवार के विशेषांक” के फॉर्मेट की बात करते रहते हैं, आज फिर इस विषय की जानकारी शेयर कर रहे हैं  ताकि  यदि किसी ने इस जानकारी को मिस कर दिया हो तो उसे  एक और अवसर मिल जाए। 

हमारा पूरा विश्वास है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में बहुत ही प्रतिभाशाली शक्तियों का वास है, उन  शक्तियों को जागृत  करने की बड़ी आवश्यकता है और यह जाग्रति केवल प्रोत्साहन एवं प्रेरणा से ही संभव हो सकती है।  

माह के चार शनिवार के विशेषांकों को इस धारणा से बनाया  हुआ है कि पहले  तीन विशेषांक पूरी तरह से  साथिओं ( जिनमें हम भी आते हैं)  के लिए रिज़र्व हों और “अंतिम शनिवार का  विशेषांक” केवल हमारे व्यक्तिगत विचारों, भावनाओं, जीवन अनुभवों आदि से ही सम्बंधित विषयों के लिए ही रिज़र्व हो। पहले तीन विशेषांक, ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की प्रगति, improvement , साथिओं के  योगदान, उनसे प्राप्त होने वाले  मार्गदर्शन, प्रोत्साहन, प्रेरणा एवं अन्य किसी भी गतिविधि (जिसका ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री  से सम्बन्ध हो) को समर्पित होते हैं, इन तीनों विशेषांक में हमारी व्यक्तिगत बातों की चर्चा को Avoid ही किया जाता है  क्योंकि यह विशेषांक हमारे प्राणप्रिय  एवं आदरणीय  साथिओं के लिए  ही होता है, हमारे लिए (Exclusively हमारे ही  लिए) अंतिम शनिवार तो होता ही है।

पिछले सप्ताह के अंतिम शनिवार वाले विशेषांक पर आद. संध्या बहिन जी ने निम्नलिखित कमेंट करके हमें भाव विभोर का दिया था :  

आदरणीय सुमन लता बहनजी ने अंतिम शनिवार आदरणीय त्रिखा भाई जी के लिये सुरक्षित रखने का सुझाव रखा था जिसे सभी परिजनों ने सहर्ष स्वीकार किया, किंतु आदरणीय त्रिखा भाई जी का विशाल हृदय देखिये इस विशेषांक में भी अपने चार परिजनों के पूर्व कमेन्ट को प्रस्तुत किया है, उनके जैसा संचालक, मार्गदर्शक अन्यत्र दुर्लभ है उन्हें पाकर हम परिजन धन्य हो गये l 

बहिन जी के कमेंट का रिप्लाई करते हुए हम कह सकते हैं कि उस विशेषांक में विचार चाहे  हमारे  समर्पित साथिओं के थे लेकिन बात तो हमारी ही हो रही थी, इसलिए यह हमारा सेगमेंट ही हुआ ,धन्यवाद् बहिन जी, आपके कमेंट सदैव सभी को मार्गदर्शन देते हैं। 

आज के विशेषांक में आदरणीय पुष्पा जी, अरुण जी और कुसुम जी का योगदान है जिसके लिए हम उनका ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। पुष्पा जी से हम करबद्ध क्षमाप्रार्थी हैं जिन्होंने पिछले शनिवार को अपना योगदान भेजा था लेकिन उसे आज प्रकाशित कर रहे हैं। आज का योगदान 22 मिंट की वीडियो के रूप में प्रस्तुत किया गया है जिसे देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि हमारे साथी कितने उत्साह एवं गंभीरता  से गुरुकार्य को आगे ले जा रहे हैं।  

आज का शनिवार, फ़रवरी 2025 का प्रथम शनिवार है।  कल रविवार को वसंत पंचमी है। हमारे साथी जानते हैं कि वसंत पंचमी का गायत्री परिवार में क्या महत्व है। यही वोह दिन है जब 1926 में परम पूज्य गुरुदेव का आंवलखेड़ा स्थित हवेली की कोठरी में दादा गुरु से साक्षात्कार हुआ था और उन्होंने गुरुदेव के तीन जन्मों को एक चलचित्र  की भांति वर्णन किया था। उसी दिन से आज तक गायत्री परिवार में वसंत पंचमी का दिन गुरुदेव के “आध्यात्मिक जन्म दिवस” के रूप में मनाया  जाता है। प्रत्येक गायत्री परिजन अपनी समर्था के अनुसार यथासंभव योगदान देकर इस दिन को मनाता है। 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार, जो बहुत ही छोटा लेकिन समर्पित साथिओं का जमावड़ा है, अपनी-अपनी अनुभूतियाँ गुरुवर के श्रीचरणों में अर्पित करते हुए इस दिन को मनाता है। इस पुनीत कार्य के लिए बहुत पहले से ही साथिओं को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने का प्रयास आरम्भ हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप साथिओं  का उत्साह देखते ही बनता है।  इस बार भी अब तक आद. सरविन्द जी, अरुण जी, पुष्पा जी और राधा जी, चार साथिओं ने अपनी अनुभूतियाँ भेज दी हैं जिसके लिए ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। अन्य साथिओं से भी अनुरोध करते हैं कि गुरुकार्य में योगदान देकर पुण्य के भागीदार  बनें, यह दुर्लभ अवसर वर्ष में केवल एक बार ही मिलता है। 

आज प्रस्तुत की गयी वीडियो गूगल ड्राइव लिंक न होकर पिछली बार की भांति एक यूट्यूब लिंक है। गूगल ड्राइव लिंक को तो हम 24 घंटे बाद डिलीट कर देते थे लेकिन यूट्यूब का यह लिंक सदा के लिए प्रकाशित रहेगा।        

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आद पुष्पा बहिन जी द्वारा वीडियो से सम्बंधित प्रदान की गयी जानकारी:  

जय गुरुदेव माता जी कोटि-कोटि प्रणाम 🙏🙏

आज मैं अपने ” ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार” के मंच से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक श्रृंखला “अपने सहकर्मियों के कलम से ” में अपनी कुछ बातें अभिव्यक्त कर रही हूं जो निम्नलिखित हैं : 

20  जनवरी 2025 को शांतिकुंज हरिद्वार  से चलकर अखंड ज्योति कलश रथ यात्रा का रथ हमारे पूरे शहर भ्रमण करते हुए प्रज्ञापीठ रमना मैदान आरा,बिहार  में आया , हमें मंदिर से  

4 :00 बजे संध्या का समय स्वागत के लिए दिया गया था लेकिन शहरवासियों में बहुत उत्साह के कारण जगह-जगह रोक कर रथ का स्वागत जयकार किया गया जिसमें हमारे परम पूज्य गुरुदेव माता जी मां गायत्री विराजमान थीं इस वजह से हमारे प्रज्ञापीठ पहुंचने में 7:00   बज गया और हम सभी लोग बेसब्री से आने की प्रबल प्रतीक्षा के साथ तब-तक गुरू भाईयों  खूब प्रज्ञागीत गाकर “अखंड ज्योति कलश रथ ” के आने की राह देखते रहे फिर 7 : 00  बजे प्रतीक्षा खत्म हुई और रथ का स्वागत करने का अवसर प्राप्त हुआ, फिर दीपयज्ञ का कार्यक्रम हुआ और शांतिकुंज हरिद्वार और मथुरा से आए विशेष प्रतिनिधि के द्वारा “ज्योति कलश रथ यात्रा” का महत्व बताया गया।  गुरुदेव जी विचारों को घर-घर में पहुंचाया जा सके।  हर घर सनातन घर बन सके, हमारे देश में फिर से सतयुग जैसा वातावरण बन जाए। इसीलिए  परम पूज्य गुरुदेव,  वंदनीय माता जी, मां गायत्री को रथ में बिठाकर देशभर का  भ्रमण कराया  जा रहा है क्योंकि जब  “स्वयं भगवान हमारे गुरु परम सौभाग्य हमारा है” स्वयं चलकर घर-घर जाएंगे तो कैसे लोगों का हृदय परिवर्तन नहीं होगा !!!

हम सभी नगरवासी आपके आने से धन्य-धन्य हो गये, बहुत सुखद अनुभूति हुई। 

जय गुरुदेव माता जी जय मां गायत्री कोटि-कोटि प्रणाम वंदन 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🕉️ शांति शांति शांति

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आज के इस विशेषांक का समापन साथिओं को बधाई देते हुए दो स्लाइड्स के साथ कर रहे हैं। पहली स्लाइड में उनके  यूट्यूब चैनल की वर्ष 2024 की प्राप्ति दर्शाई गयी है। जनवरी से नवंबर 2024 तक लगभग 11000 नए सब्सक्राइबर्स ने इस चैनल को शोभायमान किया और 2 मिलियन दर्शकों ने देखकर इसका मान बढ़ाया। 4.5 लाख व्यूज वाली वीडियो, जो हमारे चैनल की  प्रोफाइल वीडियो भी है, को सर्वश्रेष्ठ वीडियो के सम्मान से नवाज़ा गया है। 

सभी साथिओं का  अनवरत सहयोग के लिए  ह्रदय से धन्यवाद करते हैं।      

जहाँ हम यह प्राप्ति देखकर प्रसन्न होते हैं वहीँ हर शुक्रवार की वीडियो में आ रही समस्या  के कारण Stressed भी रहते हैं।  हम तो रात दिन इसी प्रयास में भटकते रहते हैं कि कहीं इस समस्या का पता तो चले, यूट्यूब की टेक्निकल टीम से भी चर्चा हुई तो उन्होंने तो यही बताया कि कोई इशू नहीं है, लेकिन एक बात तो सामने निकल कर आ ही रही है कि  दर्शक बड़ी वीडियो की तुलना में शार्ट वीडियो को देखना अधिक पसंद करते हैं। दूसरी स्लाइड में दी गयी 6 वीडियोस में व्यूज के नंबर इस तथ्य के साक्षी हैं। स्लाइड में दी गयी गुरुदेव की पहली वीडियो को मात्र दो माह में एक मिलियन यानि 10 लाख लोगों ने देखा है। यह वीडियो केवल 1 मिंट की है जबकि 25 मिंट की उन्हीं गुरुदेव की एक वीडियो को पिछले 10  माह में केवल 26000 लोगों ने ही देखा है। इस स्लाइड में दी गयी सभी यूट्यूब शार्ट वीडियो किसी अन्य चैनल पर शेयर हुई हैं। इसी तरह की बात फेसबुक Reels में भी दिख रही है। महाकुम्भ वाली शार्ट वीडियो मात्र एक सप्ताह में लगभग 88000 दर्शकों द्वारा देखी  गयी है, इसे यूट्यूब पर कुछ हज़ार व्यूज ही मिले हैं। 

ऐसी स्थिति में एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न सामने आ खड़ा होता है : 

क्या हम भी औरों की भांति व्यूज लेने के चक्र में केवल शार्ट  वीडियोस ही बनायें और अपनी दुकानदारी चलाएं, हमारा उत्तर तो यही रहेगा, कदापि नहीं। यह दुकानदारी नहीं ,बिज़नेस नहीं है, यह गुरु का काम है, ह्रदय की बात है, अध्यात्म की बात है। यूट्यूब की समस्या से हमें भी आपकी भांति स्ट्रेस होता है लेकिन क्वालिटी से कोम्प्रोमाईज़ करना हमारे DNA में नहीं है। हाँ प्रचार-प्रसार के लिए फेसबुक जैसे अन्य प्लेटफॉर्म को Tap किया जा सकता है/कर भी रहे हैं। जिन्हे असुविधा न हो वोह अपनी सहूलियत एवं रूचि के अनुसार उन प्लैटफॉर्म्स पर भी अपना योगदान दे सकते हैं लेकिन हम आद सुमनलता बहिन जी के विचार से पूरी तरह सहमत  हैं कि अनेकों जगहों पर जाने से विचारों का बिखराव होता है।   

हमारे विचार में इससे बेहतर विकल्प कोई सूझ नहीं रहा, साथिओं से आग्रह है कि वोह भी अपना योगदान दें, अपने विचार रखें। 

इन्ही शब्दों के साथ आज के इस विशेषांक का समापन करते हैं, गुरुवर के आध्यात्मिक जन्म दिवस की सभी परिवारजनों को ह्रदय से बधाई, शुभकामना। 

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कल  प्रकाशित हुई वीडियो  को केवल  257   कमेंट ही  मिले, 5  संकल्पधारिओं ने 24 से अधिक आहुतियां प्रदान की हैं। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद  करते हैं।     


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