वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

पात्रता के विकास की उदाहरण सहित अति सरल परिभाषा। 

18 जुलाई 2022 का ज्ञानप्रसाद – पात्रता के विकास की उदाहरण सहित अति सरल परिभाषा। 

सप्ताह के प्रथम दिन सोमवार की मंगलवेला में अपने सहकर्मियों का अभिवादन करते बहुत हर्ष को रहा है।  रविवार के एक दिन के अवकाश के उपरांत Monday Blues का अनुभव होना स्वाभाविक होता हैं परन्तु ऑनलाइन ज्ञानरथ के ज्ञानप्रसाद आपको इन Monday Blues में से बाहिर निकालते  हुए अवश्य ही सुपरचार्ज कर देंगें,ऐसा हमारा अटूट विश्वास है। 

गायत्री तपोभूमि के प्रथम व्यवस्थापक आदरणीय  पंडित लीलापत शर्मा जी पर आधारित लेखों की श्रृंखला 5 जुलाई को आरम्भ हुई और हमने 6 लेख इस महान  आत्मा के जीवन पर प्रकाशित किये ,सभी ने सराहा जिसके लिए हम ह्रदय से आभारी हैं। अभी इन लेखों का समापन  होना  बाकी है। इसी विषय पर जब तक हम बाकि के लेखों को सजाने-सवांरने में व्यस्त रहेंगें, तब तक आज से  एक नई श्रृंखला का श्रीगणेश कर रहे हैं।  यह नई श्रृंखला “ पात्रता”  अत्यंत लोकप्रिय है और हम सब इससे  परिचित भी हैं।जब हमने इस श्रृंखला पर कार्य करना आरम्भ किया तो बहुत कुछ नया जानने को मिला, विचार हुआ कि यह एक ऐसा विषय है जिस पर “Brainstorming discussion” होना बहुत ही आवश्यक है और अपने ज्ञानवान सहकर्मियों के साथ ज्ञानवर्धक चर्चा से बहुत सारी शंकाएं और भ्रांतियों (doubts and misconceptions) का निवारण हो सकता है। आने वाले लेखों में जो चर्चा की जाएगी उसे A layman’s level का कहा जाये तो शायद ग़लत न हो क्योंकि बहुत ही सरल, एक अनजान को समझाने वाली चर्चा होगी। 

इस विषय पर गूगल सर्च में तो ज्ञान का भंडार भरा हुआ है लेकिन परम पूज्य गुरुदेव की जन्म शताब्दी पुस्तकमाला अंक 11, प्रवचनों पर आधारित पुस्तक “पात्रता  विकसित करें, भगवान्  को प्राप्त करें”, अखंड ज्योति के जुलाई 1972 अंक में प्रकाशित 6 पन्नों  का “ अपनों से अपनी बात” शीर्षक से प्रकाशित  आर्टिकल और नवंबर 2020 की फेसबुक पोस्ट बहुत कुछ बता रहे हैं। इस विस्तृत कंटेंट की सहायता से रोज़मर्रा जीवन में प्रयोग हो रहे शब्दों(पात्रता ,उपासना ,साधना,आराधना इत्यादि) को समझने का प्रयास  किया जायेगा। 

तो आइए चलते हैं इस सप्ताह  के प्रथम  लेख की ओर।

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पात्रता का अर्थ क्या है ?  

योग्यता,क्षमता, संपन्नता, सुघड़ता, कार्यनिर्वाह-क्षमता आदि पात्रता शब्द के पर्यायवाची हैं। वैसे तो मूवी के पात्र भी होते हैं लेकिन अगर हम पात्र को आज के सन्दर्भ में बर्तन कहें  तो शायद  गलत न हों। पात्रता के लिए  अंग्रेजी शब्द eligibility ,competency ,entitlement, capacity आदि हैं। चम्मच ,कटोरी , गिलास, गागर  सबकी capacity ,क्षमता अलग- अलग है।  सभी में उनकी क्षमता के आधार पर ही जल डाला जा सकता है। अगर capacity से अधिक जल डालने का प्रयास किया जाये तो वह overflow होकर बाहिर गिरने लगेगा। इसी प्रकार का एक उदाहरण हम सबने सुना है कि छोटे बच्चे  को माता पानी मिलाकर,पतला करके दूध देती है क्योंकि उसकी पचाने  की क्षमता नहीं होती लेकिन एक बड़े बच्चे यां फिर पहलवान को पानी वाला दूध थोड़े दिया जाता है ,उसे तो माता बादाम डाल  कर देती है। बस यही है पात्रता की  बेसिक  गुत्थी।

जिस प्रकार स्कूल ,कॉलेज ,यूनिवर्सिटी शिक्षा के विभिन्न लेवल हैं पात्रता के भी लेवल हैं। 15 -20 वर्ष की कढ़ी मेहनत के  बाद जब यूनिवर्सिटी की डिग्री प्राप्त होती है तो  नौकरी भी अच्छी ही मिलती है।  स्कूली शिक्षा से तो नौकरी भी इससे निचले दर्जे की ही मिलती है।  हाँ कभी-कभार पिताजी वाईस चांसलर या चांसलर हों तो कुछ भी हो सकता है ,यह केवल exceptions ही होती हैं                      

अन्य सभी प्रगति प्रयासों की तरह आध्यात्मिक प्रगति के भी दो पक्ष हैं-एक पात्रता का सम्पादन, योग्यता का विकास, दूसरा उस योग्यता के अनुरूप दिए गए  उत्तरदायित्वों का,अधिकारों का पालन करना। बिना योग्यता ( eligibility)  के कहीं कोई किसी को बहुमूल्य सम्पदाएँ प्रदान नहीं करता। भला अपनी बेटी को कोई माता पिता किसी कुपात्र के हाथों क्यों  सौंप देंगें। कोई बिजनेसमैन अपने कारखाने की अर्थव्यवस्था किसी ऐरे गैरे को  क्योंकर सुपुर्द करेगा? तो क्या परम पूज्य गुरुदेव घोर तप से अर्जित की गयी अपनी दुर्लभ सम्पति, किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ में दे सकते हैं जिसकी पात्रता अविकसित है।  यही बात परम पिता परमात्मा के सम्बन्ध में भी कही जा सकती है कि उस दिव्य सत्ता का राजकुमार केवल वही सौभाग्यशाली हो सकता है जो इस वाटिका का अच्छे से पालन पोषण कर सकता है, जिसने अपनेआप को इस  लेवल तक विकसित कर लिया है कि भगवान् को उसे ज्येष्ठ पुत्र कहने में गर्व अनुभव होता है।     

बादल तो हर जगह एक जैसे ही  बरसते हैं लेकिन वर्षा के जल को जमा करना छोटे या बड़े बर्तन के हिसाब से ही संभव होता है। छोटे गड्ढे या बड़े सरोवर में उनके विस्तार (dimensions)  के अनुरूप ही जल  जमा होता है। प्रतियोगिताओं में जीतने वाले ही मैडल के हकदार होते हैं। ऑनलाइन ज्ञानरथ के अद्भुत 24 आहुति संकल्प में topper को ही गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है, यही topper औरों को प्रेरित करके रेस में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन प्रदान करता है। उच्च पद उन्हें ही सौंपे जाते हैं, जो उनका निर्वाह कर सकने की क्षमता को खरी सिद्ध करके दिखाते हैं। सोने का मूल्यांकन उसे कसौटी पर घिसने और आग में तपाने के आधार पर किया जाता है। सोना आग में तपने के बाद ही कुंदन कहलाता है।  

यही पात्रता है, जो आध्यात्मिक प्रगति की पहली सीढ़ी है।

ईश्वर का प्यार और अनुदान उसकी हर सन्तान के लिए बहुत ही अधिक मात्रा  में विद्यमान है, पर उसकी उपलब्धि पात्रता के अनुरूप ही होती है। किसी के लिए चपरासी बनना भी सौभाग्य है और किसी को जिस श्रेणी का अफसर बनाया गया है, उसे उससे भी बढ़ी पदोन्नति जल्दी ही मिल जाती है। इसमें भेद भाव या पक्षपात जैसा कोई अन्याय नहीं। ऊँची श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले ही पुरस्कृत होते और छात्रवृत्ति पाते हैं। एक ही परिवार के पांच बच्चों में से एक ने दिन -रात  परिश्रम किया, कक्षा चार से लेकर यूनिवर्सिटी  शिक्षा के अंत तक Ph.D तक  छात्रवृतियों की लाइन सी लगा दी , भारत में तो   क्या, विदेशों में भी छात्रवृतियों और fellowships से सम्मान पाना केवल पात्रता के आधार पर ही सम्भव हो पाया, क्योंकि हमारे पिता जी न तो वाईस चांसलर थे, न ही किसी उच्च पद पर थे। मार्गदर्शन तो सभी बच्चों के एक सा ही मिला लेकिन कोई पात्रता विकसित कर सका,कोई नहीं। सबसे बड़ा तो उस दिव्य सत्ता का हाथ होता है God helps those who help themselves . बहुत बार हमारे सहकर्मी हमें हमारे बारे में लिखने के लिए आग्रह कर चुके हैं लेकिन  ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार में अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियां प्रकाशित करना हमें  विज्ञापन जैसा लगता है, जिससे हम परहेज़ ही करना चाहते हैं। आज टॉपिक कुछ ऐसा चल रहा था जो कुछ पंक्तियाँ लिखी गयीं जिसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं। हमारे सहयोगी हमें आदर, सम्मान, प्यार देते हैं और जो हमारे बारे में कहते हैं ,लिखते हैं शायद ठीक ही होगा।         

दैवी अनुग्रह और अनुदान प्राप्त करने के लिए यह प्रमाणित करना पड़ता है कि प्रार्थी ने उसके लिए उपयुक्त प्रामाणिकता अर्जित कर ली है। इतना कर चुकने के उपरान्त योग्यता का मूल्य प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं रह जाती, किन्तु यदि इससे बचकर नियुक्तिकर्ता की मनुहार करने या छुटपुट उपहारों के सहारे फुसलाने और अपना उल्लू सीधा करने के लिए स्वामी भक्ति की दुहाई दी जाय, तो उसका सफल होना कहाँ सम्भव है। बैंक में ढेरों रुपया होने पर भी किसी का उतना ही बड़ा चैक स्वीकारा जाता है, जितनी उसकी अमानत जमा हो। कर्ज भी वापसी की गारण्टी पर ही मिलता है। घर खरीदने के लिए भी तो बैंकों ने  stress test की प्रक्रिया आरम्भ की है।  हम हर रोज़ विज्ञापन सुनते रहते हैं कि अगर आपके पास घर है तो आप गिरवी रखकर लोन ले सकते हैं, अगर लोन की किस्तें समय पर  न दी गयीं तो घर बैंक के पास चला जायेगा। इसी योग्यता(पात्रता) के आधार पर भगवान् के दरबार में हमारा इंटरव्यू होता है और हमें  भगवान् द्वारा सौंपें job को करने का उत्तरदाईत्व प्रदान किया जाता है। बैंक के  उदाहरण  को यहाँ  भी apply किया जा सकता है, पात्रता घटी तो job खोने की आशंका भी रहती  है, सावधानी हटी ,दुर्घटना घटी। किसी भी job  पर ठीक से काम न करने पर fire भी किया जा सकता है 

To be continued:

इन्ही शब्दों के साथ अपनी लेखनी को विराम देते हैं। कामना करते हैं कि सुबह की मंगल वेला में आँख खुलते ही इस ज्ञानप्रसाद का अमृतपान आपके रोम-रोम में नवीन ऊर्जा का संचार कर दे और यह ऊर्जा आपके दिन को सुखमय बना दे। 

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16  जुलाई 2022  की 24 आहुति संकल्प सूची: 

(1 )संध्या कुमार-28  , (2 )अरुण वर्मा-34   , (3 )प्रेरणा कुमारी -25   ,(4) सरविन्द  कुमार -35      

आज की सूची के अनुसार अरुण वर्मा  और सरविन्द कुमार  दोनों ही  गोल्ड मैडल विजेता हैं, उन्हें हमारी व्यक्तिगत और परिवार की सामूहिक बधाई। सभी सहकर्मी अपनी-अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिनको हम हृदय से नमन करते हैं, आभार व्यक्त करते हैं और जीवनपर्यन्त ऋणी रहेंगें। धन्यवाद

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