परमपूज्य गुरुदेव की हीरक जयंती -पार्ट 5

25 दिसंबर 2021 का ज्ञानप्रसाद – परमपूज्य गुरुदेव की हीरक जयंती -पार्ट 5

आज का ज्ञानप्रसाद परमपूज्य गुरुदेव की हीरक जयंती श्रृंखला का पांचवा पार्ट है। यह पार्ट हमें जानबूझ कर छोटा रखना पड़ रहा है क्योंकि जिस कंटेंट को आपके समक्ष प्रस्तुत करने की योजना थी वह इतना specialised है कि उसे समझने के लिए कुछ पृष्ठभूमि की आवश्यकता है। हम पूर्णरूप से विश्वास करते हैं कि हमारे सहकर्मियों का समझ-स्तर ऐसा है कि उन्हें कभी भी कोई कठिनाई नहीं हुई है लेकिन फिर भी रिसर्च,स्वाध्याय ,सरलीकरण के पश्चात् ही प्रकाशित किया जाये तो ठीक रहेगा। आने वाले लेखों के लिए बेसिक गणित ,विज्ञान, बायोलॉजी और आध्यात्मिक विज्ञान का ज्ञान हो जाये तो काफी सहायता मिल सकती है। तो देखते हैं हमारी बुद्धि समझने ,विश्लेषण करके आपको समझाने में कितनी सफल होती है। हर बार की तरह आज भी हम किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हैं -आखिर इंसान ही तो हैं हम। 

तो आइये चलते हैं परमपूज्य गुरुदेव के चरणों में आज के ज्ञानप्रसाद काअमृतपान करने। 

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सूक्ष्मीकरण से सम्भावित परिणतियाँ:

परमपूज्य गुरुदेव लिखते हैं :मई 1984 से हमने अपने स्थूल शरीर से संभव हो सकने वाला स्थूल स्तर का क्रियाकलाप बन्द कर दिया। इसका अर्थ हुआ यह हुआ कि भेंट, मिलन वार्तालाप, विचार विनिमय, परामर्श का अब तक चलने वाला सिलसिला एक प्रकार से समाप्त ही हो जाना। कोई विशेष बात हो, तब ही व्यक्तिगत संपर्क होना संभव होगा।

जड़ और चेतन के नियम अलग -अलग होते हैं। जड़ नियम जड़ पदार्थों पर लागू होते हैं। चेतना की अपनी विशेष स्थिति है, वह जीवित रहते हुए भी मृतक और मृत होते हुए भी जीवितों जैसे आचरण करती पायी जाती है। सूक्ष्मीकरण का अंग्रेजी अनुवाद miniaturization य reduced in size होता है। विज्ञान की भाषा में किसी बड़ी वस्तु को छोटे-छोटे भागों में बाँटने को सूक्ष्मीकरण कहते हैं। रोज़मर्रा के जीवन से इसका एक उदाहरण दिया जा सकता है। Aspro aur Microrefined Aspro की गोली। Microrefined में छोटे पार्टिकल होने के कारण अधिक प्रभावशाली होती है। liquid और भी अधिक और इंजेक्शन उससे भी अधिक प्रभावशाली होते हैं।

सूक्ष्मीकरण प्रक्रिया क्या थी ?

हमारी सूक्ष्मीकरण प्रक्रिया का प्रयोजन पाँच कोशों पर आधारित शक्तियों को “अनेक गुनी” कर देना है। दो शरीर मिलें तो गणना में दो ही होते हैं। पर सूक्ष्म-जगत में स्थूल अंक गणित, रेखा गणित, बीज गणित काम नहीं आती। उस लोक का गणना चक्र अलग ही गुणन-क्रम से चलता है। स्कूली गणित में 2+2+2+2=8 होंगे। लेकिन सूक्ष्म जगत में यही multiply होकर 16 हो जायेंगे ; 2x2x2x2=16 सूक्ष्मीकृत शक्तियाँ कई बार तो इससे भी बड़े कदम उठाते देखी गई हैं। मनुष्य शरीर में पाँच कोश हैं। अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, आनन्दमय। मोटे तौर से सभी कोशों के जागृत होने पर एक मनुष्य “पाँच गुणा” सामर्थ्य सम्पन्न माना जाता है परन्तु “दिव्य गणित” के हिसाब से 5x5x5x5x5=3125 गुणा हो जाता है। भौतिक शरीर प्रत्यक्ष गणित के हिसाब से ही कुछ हद तक कार्य कर सकता है। चेतना के पाँच प्राण भी शरीर की परिधि में बंधे रहने के कारण पाँच विशेषज्ञों जितना ही कार्य कर सकते हैं परन्तु “सूक्ष्मीकृत” होने पर गणित की धारणाएं बदल जाती हैं और यह गणना (addition ) से गुणा (multiplication) हो जाता है। एक सूक्ष्म शरीर की प्रखर सत्ता 3125 गुनी हो जाती है।

हनुमान जी द्वारा रामायण काल में जो अनेकों अद्भुत काम संभव बन पड़े, वे उनके सूक्ष्म शरीर के ही कर्तव्य थे। जब तक वे स्थूल रहे, तब तक उन्हें सुग्रीव का नौकर रहना पड़ा और बातों द्वारा बालि द्वारा सुग्रीव की तरह उन्हें भी अपमानित होना पड़ा। पर सूक्ष्मता का अवलम्बन तो चेतना की सामर्थ्य को कुछ से कुछ बना देता है।

सूक्ष्मीकरण साधना का प्रयोजन :

यह कार्य “युग परिवर्तन प्रयोजन” में भगवान की सहायता करने के लिए मिला है। युग संधि का समय सन् 2000 तक चलेगा। इस अवधि में हमें न बूढ़ा होना है, न मरना। अपनी 3125 गुनी शक्ति के अनुसार काम करना है। कालक्षेत्र के नियमों का भी सीमा बंधन नहीं रहेगा। इसलिए जो काम अभी हाथ में हैं, वे अन्य शरीरों के माध्यम से चलते रहेंगे। लेखन हमारा बहुत बड़ा काम है, वह अनवरत रूप से सन् 2000 तक चलेगा। 

“हमारे सहकर्मी यह सोच रहे होंगें कि परमपूज्य गुरुदेव का महाप्रयाण 1990 में हो गया था तो 2000 की बात कैसे संभव हो सकती है -हम सूक्ष्म सत्ता की बात कर रहे हैं।”

यह दूसरी बात है कि कलम जो हमारे हाथ में जिन अंगुलियों द्वारा पकड़ी हुई है वे ही कागज काला करेंगी या कोई और। वाणी हमारी रुकेगी नहीं। यह प्रश्न अलग है जो जीभ इन दिनों बोलती चालती है, वही बोलेगी या किन्हीं अन्यों को माध्यम बनाकर काम करने लगेगी। अभी हमारा कार्य क्षेत्र मथुरा, हरिद्वार रहा है और हिन्दू धर्म के क्षेत्र में कार्य चलता रहा है। आगे वैसा देश, जाति, लिंग, धर्म, भाषा आदि का कोई बन्धन न रहेगा जहाँ जब जैसी उपयोगिता आवश्यकता प्रतीत होगी वहाँ इन इन्द्रियों की क्षमताओं से समयानुकूल कार्य लिया जाता रहेगा।

सन् 2000 तक किसी अनाड़ी को ही हमारे मरण की बात सोचनी चाहिए। विशेषज्ञों को स्मरण रख लेना चाहिए कि इस दृश्यमान शरीर से भेंट दर्शन, परामर्श, हो या न हो, हमारे अपने कार्य क्षेत्र में उत्तरदायित्वों की पूर्ति में अनेक गुनी तत्परता से काम होते रहेंगे। सहकारिता और अनुदान का क्रम भी चलता रहेगा। हमारे मार्गदर्शक(दादा गुरु) की आयु 600 वर्ष से ऊपर है। “उनका सूक्ष्म शरीर ही हमारी रूह में है।” हर घड़ी पीछे और सिर पर उनकी छाया विद्यमान है। कोई कारण नहीं कि ठीक इसी प्रकार हम अपनी उपलब्ध सामर्थ्य का सत्पात्रों के लिए सत्प्रयोजनों में लगाने हेतु वैसा ही उत्साह भरा उपयोग न करते रहें। 

पाठकों एवं आत्मीय परिजनों को हमारे विचार सतत सन 2000 तक ब्रह्मवर्चस नाम से पत्रिकाओं, पुस्तिकाओं और फोल्डरों के माध्यम से मिलते रहेंगे। हमारे पाठकों ने “ब्रह्मवर्चस” लेखक नाम से कई पुस्तकें अवश्य देखी होंगी, ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है 

क्रमशः जारी -To be continued -अगला लेख :प्राण ऊर्जा का वाष्पीकरण-सूक्ष्मीकरण

हर बार की तरह आज भी कामना करते हैं कि प्रातः आँख खोलते ही सूर्य की पहली किरण आपको ऊर्जा प्रदान करे और आपका आने वाला दिन सुखमय हो। धन्यवाद् जय गुरुदेव

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24 आहुति संकल्प सूची :

हमारा ह्रदय प्रतिदिन दुःखित होता था कि ऋषितुल्य सरविन्द भाई साहिब जो रात दो बजे उच्च कोटि के विशेषणों से सजा कर 24 आहुति संकल्प सूची पोस्ट करते थे, शब्द सीमा के कारण हमें काट-छांट करनी पड़ती थी। लेख छोटा होने के कारण आज हम बिल्कुल उन्ही के शब्दों में प्रकाशित कर रहे हैं :

आज दिनांक 24/12/2021 के ज्ञानप्रसाद पयपान के उपरांत आनलाइन ज्ञान रथ परिवार के 10 सूझवान व समर्पित वीरभद्र सहकर्मियों ने 24 आहुतियों का संकल्प पूर्ण कर परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी 10 सूत्रीय कार्यक्रमों का स्मरण कराने का सराहनीय व प्रशंसनीय कार्य किया है इसके लिए आप सब बहुत बहुत बधाई के पात्र हैं और इससे हम सबको बहुत बड़ी प्रेरणा मिलेगी और हम सबका दृष्टिकोण व दिशा बदलेगी और आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होगा l वह सब वीरभद्र युग सैनिक निम्नलिखित हैं l (1) सरविन्द कुमार पाल – 41, (2) संध्या बहन जी – 33, (3) डा.अरुन त्रिखा जी – 25, 31, (4) अरूण कुमार वर्मा जी – 30, (5) रेनू श्रीवास्तव बहन जी – 29, (6) प्रेरणा कुमारी बेटी – 26, (7) रेणुका बहन जी – 26, (8) नीरा बहन जी – 25, (9) राजकुमारी बहन जी – 25, (10) रजत कुमार जी – 24

उक्त सभी सूझवान व समर्पित वीरभद्र युग सैनिकों को गुरु सत्ता के इस पुनीत व महत्वपूर्ण कार्य में निस्वार्थ भाव से पूर्णतया बहुत ही श्रद्धा व समर्पण के साथ समयदान देने हेतु आनलाइन ज्ञान रथ परिवार की तरफ से बहुत बहुत साधुवाद व हार्दिक शुभकामनाएँ व हार्दिक बधाई हो और आप व आप सबके परिवार पर आद्यिशक्ति जगत् जननी माँ भगवती गायत्री माता दी की असीम अनुकम्पा सदैव बरसती रहे यही आनलाइन ज्ञान रथ परिवार की गुरु सत्ता से विनम्र प्रार्थना व पवित्र शुभ मंगल कामना है। जय गुरुदेव

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