26 अगस्त 2021 -आइये कुछ अपनी कहें ,कुछ आपकी सुनें -अखिर हम एक परिवार ही तो हैं
बहुत ही प्रसन्नता होती है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार का प्रत्येक सदस्य , अपना बहुमूल्य समय निकाल कर इस पुनीत कार्य में अपना योगदान दे रहा है। हम तो यह कहेंगें कि यह योगदान केवल कमेंट लिख कर ही नहीं दे रहा, शेयर करके और शेयर करने के बाद उन्हें प्रेरित करने का प्रयास भी कर रहा है। व्हाट्सप्प पर आये मैसेज के स्क्रीनशॉट इस बात के साक्षी हैं कि आपने गुरुकार्य में कितना समयदान किया और उसके क्या परिणाम आये। अरुण वर्मा जी ने फ़ोन करके बताया था वह हर लेख अपने मित्रों में शेयर करते हैं और उन्हें कहते भी हैं कि कमेंट करके अपनी श्रद्धा और ज्ञान व्यक्त करें। क्योंकि यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ सबका आदर सम्मान करते हुए हर एक सदस्य की प्रतिभा को उभारने का प्रयास किया जाता है। इसका ही परिणाम है कि इतने बड़े बड़े लेख अनवरत पढ़े जा रहे हैं , उनकी प्रतीक्षा की जा रही है – इतना ही नहीं, बड़े बड़े कमेंट भी लिखे जा रहे हैं। आदरणीय सरविंदर भाई साहिब का कमेंट तो हर बार ही सराहनीय होता है और हम बार अपडेट में शेयर भी कर चुके हैं। लेकिन आज हम उनसे -दोनों से – पिता -पुत्री जोड़ी से करबद्ध क्षमा याचना करेंगें क्योंकि कमैंट्स की लम्बाई देखकर तो लगता है कि अगर इन्हे शेयर किया तो हम और कुछ भी नहीं लिख पायेंगें ,यूट्यूब आज्ञा ही नहीं देगा। सरविंदर जी का कमेंट 1100 शब्दों का और पिंकी बेटी का 710 शब्दों का था। कितना बड़ा समयदान किया है दोनों ने – इस जोड़ी ने जो आदर ,सम्मान और श्रद्धा व्यक्त की है उसने हमें निशब्द कर दिया है । पिंकी बेटी अब धीरे धीरे स्वस्थ हो रही है ,पढ़कर और संपर्क से पता चलता ही रहता है। परमपूज्य गुरुदेव की शक्ति से हम पूरी तरह परिचित हैं – वह सब ठीक कर देंगें।
24 अगस्त वाले लेख पर creative brain से एक कमेंट पोस्ट हुआ था , बहुत ही ज्ञानप्रद और उच्च स्तर का था , हमने तो उन्हें रिप्लाई कर दिया था लेकिन आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं – अवश्य ही मार्गदर्शन मिलगा – हमारे बारे में जो भी लिखा है कृपया उस पर ध्यान न दें।
Creative Brain :
बहुत बढ़िया, अरुण त्रिखा जी की कृति भी तपोबल का ही रूप है। उन्होंने आंतरिक तपोबल के संदर्भ में अनुकरणीय रूप दिखाया है। सोचना और ज्ञान बाँटना और सबसे महत्वपूर्ण बात इसे लोगों तक पहुंचाना भी तपोबल का एक रूप है जो उपवास की तपस्या के बाहरी तपोबल की तुलना में बहुत अधिक उत्पादन या महत्व है। आज गायत्री परिवार के अंदर और बाहर के लोगों को लगता है कि व्रत उपवास केवल साधना और तपोबल का रूप है लेकिन वास्तविक तपोबल ज्ञान योग है। यही आज के समय की असली जरूरत है। इसे ही वास्तव में आचार्य पंडित श्रीराम शर्मा विचारक्रांति अभियान मानते हैं। मैं अरुण त्रिखाजी से अनुरोध करता हूं कि वे इसी लेख को fb और what’s app पर भी पोस्ट करें। उन्हें बहुत सी शुभकामनाएं। “ज्ञान योग तपोबल पानी के कुएं की तरह है जो न केवल इसे बनाने में कड़ी मेहनत करने वाले व्यक्ति की ही नहीं बल्कि दूसरों की भी प्यास पूरी करता है,” उसी तरह हमारे आचार्यश्री ने लेखन का मार्ग दिखाया और सबसे महत्वपूर्ण बात – आचरण के साथ। अरूण त्रिखा ने इस बात को बखूबी समझा और वह उस विचार की एकता में शामिल हो गए, जिसे हम ब्रह्म कहते हैं।
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विश्वास पर हमारा पक्ष :
परमपूज्य गुरुदेव को जब दादा गुरु ने निर्देश दिए तो उन्होंने आँख बंद करके ,बिना कोई प्रश्न किये एक मूक साधक की तरह 24 वर्ष/जीवन भर अनवरत तप किया। मूक साधक का अर्थ महेंद्र जी भी समझा रहे थे कि गुरुदेव ने हमें कभी भी कोई concrete plan of action नहीं बताया। सुबह को कोई काम ,शाम को कोई काम , हिमालय में मार्गदर्शक भी कुछ नहीं बोले, कहाँ जा रहे हैं। इन सब उदाहरणों का एक ही निचोड़ निकलता है कि – उनको अपने गुरु की शक्ति पर विश्वास था , संशय की कोई गुंजाईश ही नहीं थी। पिता अपने बच्चों का अनर्थ कैसे कर सकता है ? कदापि नहीं। इसी अविश्वास ने हमें संशय , मृगतृष्णा, stress और न जाने कौन से उपहार दिए हैं। और इन सबका आरोपी हम दूसरों को ठहराने में एक क्षण भी नहीं लगाते। आज के युग में ,इंटरनेट युग में ,साधन- प्रधान युग में ,कंप्यूटर युग में हम अपनी दिशा ढूंढ तो लेते हैं लेकिन भटक -भटक कर – क्योंकि जिस मार्गदर्शक ने अपना पूरा जीवन उस क्षेत्र में तपाया उस पर हमें विश्वास नहीं है। लेखों के माध्यम से हम इसी अविश्वास को हटा कर उन तथ्यों की पुष्टि करने का प्रयास कर रहे हैं जिन्हे आधुनिक प्राणी मानने को तैयार नहीं है। जब हमने किसी से कहा – महाप्रयाण के समय कीना राम जी की आयु 170 वर्ष थी तो प्रतिक्रिया मिली -This is all wrong , totally unbelievable. Yes it is unbelievable क्योंकि यह दिव्य आत्माएं हैं कोई साधारण मानव नहीं। शुक्ला बाबा द्वारा स्थापित अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल ,रावल जी द्वारा स्थापित मसूरी इंटरनेशनल स्कूल , शशि संजय शर्मा द्वारा जयपुर कारावास में स्थापित गायत्री मंदिर, गायत्री तपोभूमि मथुरा , युगतीर्थ शांतिकुंज , देव संस्कृति यूनिवर्सिटी इत्यादि ,इत्यादि सभी दिव्यता के प्रतीक हैं। इन पावन भूमियों की रज अपने मस्तक पर लगाने वाले बहुत ही सौभाग्यशाली हैं। जिस प्रकार हिमालय के सिद्ध क्षेत्र में गुरुदेव को अद्भुत अनुभव हुए थे ठीक उसी प्रकार इन तीर्थों में भी हर किसी को होने चाहिए- शर्त केवल एक ही है – श्रद्धा।, विश्वास और पात्रता । दोनों परिवार जो अभी -अभी मस्तीचक शक्तिपीठ होकर आये हैं अवश्य ही किसी पूर्वजन्म के कर्मों का ही फल होगा।
“Orbis विश्व का एकमात्र फ्लाइंग नेत्र हस्पताल :”
कल वाले ज्ञान प्रसाद के साथ ही हमने व्हाट्सप्प और फेसबुक पर एक लिंक शेयर किया था जिसने हमें बहुत दिनों से प्रेरित किया हुआ था। विश्व के एकमात्र फ्लाइंग हस्पताल का यह लिंक छाया और छवि तिवारी ,दो जुड़वां ,अनाथ बच्चियों की कहानी बयान तो करता ही है साथ में मृतुन्जय तिवारी, शुक्ला बाबा ,परमपूज्य गुरुदेव की शक्ति पर भी मुहर लगाता है। आने वाले किसी लेख में यह हृदयस्पर्शी प्रसंग आप सबके समक्ष लाने का प्रयास करेंगें। कुछ दिन पहले ही हमने अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल की शशि मिश्रा और छवि तिवारी से वीडियो काल की और उन दोनों जुड़वां बेटियों की कहानी कैप्चर करने का प्रयास किया। बिहार की बस व्यवस्था के कारण छाया समय पर नहीं पहुँच सकी ,इसलिए हमें वीडियो कैप्चर स्थगित करना पड़ा। दिल्ली स्थित Dr. Shroff’s Charity Eye Hospital में इन दोनों बहिनों ने ट्रेनिंग प्राप्त की जिसमें Orbis का सहयोग सराहनीय था। Orbis का सहयोग आज भी अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल में सराहनीय है। इस सन्दर्भ में मृतुन्जय भाई साहिब का व्हाट्सप्प मैसेज भी आया है। कितने सहयोग और सहकारिता से यह पुनीत और पुण्य कार्य सम्पन्न किया जा रहा है , एक बार तो विश्वास नहीं होता है परन्तु यह तीन शब्द -अविश्वसनीय ,आश्चर्यजनक किन्तु सत्य इसके प्रमाण हैं। हमारे दोनों परिवारों के सदस्य तो स्वयं मस्तीचक होकर आये हैं ,उन्होंने देख ही लिया होगा कैसे शुक्ला बाबा के आशीर्वाद से यह सारे कार्य निशुल्क सम्पन्न करवाए जा रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध कोरियर कंपनी FEDEX द्वारा जहाज़ दान करना और Orbis द्वारा 92 देशों में मेडिकल ट्रेनिंग उपलब्ध करवाना ,अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल को फंडिंग provide करना – सच में अविश्वसनीय है। इसीलिए हम पिछली कुछ पंक्तियों में विश्वास का राग आलाप रहे थे। शशि मिश्रा , मनीषा द्विवेदी , ज्योति शुक्ला , मृतुन्जय तिवारी सभी को विश्वास दिलाने का प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन —— हमारा वीडियो बनाना , इंटरव्यू करना ,लेख लिखना , वीडियो कॉल करना इसी दिशा में एक प्रयास है कि हम अपने स्तर पर अगर किसी की सहायता कर सकें तो हमारा सौभाग्य होगा और गुरुकार्य में सहयोग। Orbis का यह लिंक हम आपके लिए यहाँ शेयर कर रहे हैं ताकि जब तक हम इसको स्टडी कर रहे हैं , आप स्वयं इसको browse कर लें। इन बेटियों की कहानी CNN के किसी इंटरव्यू में शेयर हुई थी। हम तो नतमस्तक हैं मृतुन्जय तिवारी जी के प्रयास पर जिन्होंने आजीवन अपनेआप को शुक्ला बाबा ,परमपूज्य गुरुदेव के लिए समर्पित कर दिया है ,विश्वास इतना अटूट कि कभी पीछे मुड़कर देखा ही नहीं। हम तो चाहेंगें कि मृतुन्जय जी का Football to Eyeball प्रोग्राम अवश्य देखें। इतना सबकुछ उपलब्ध कराने का उदेश्य यही है कि आप अपनेआप को शिक्षित करें ताकि आने वाले दिनों में आपको भी अपनी बेटियों के करियर मार्गदर्शन की ज़रूरत पड़ेगी। बिल्कुल समय पर रिसर्च करने से कुछ हाथ नहीं लगता।
अंत में हम अपने सहकर्मियों का धन्यवाद् करेंगें कि ऑनलाइन ज्ञानरथ के स्तंभों की रक्षा और पालन करते हुए सब अपना योगदान दे रहे हैं। सरविंदर जी का बहुत ही धन्यवाद् करते हैं जिन्हे हमारा मार्गदर्शन पसंद आया , हमारी सहायता की कहीं भी , किसी समय भी आवश्यकता हो तो बेझिझक बता दें।
जय गुरुदेव
