2 अगस्त 2021 का ज्ञानप्रसाद – आइये गुरुदेव के सादगी भरे जीवन से प्रेरणा लें
आज का लेख संक्षिप्त लेकिन बहुत ही प्रेरणादायक है। परमपूज्य गुरुदेव के विशाल जीवन से कुछ एक उदाहरण आपकी समक्ष प्रस्तुत हैं। अगर हम इस लेख में से 1 प्रतिशत भी अपने जीवन में अपना लें तो शायद जीवन बहुत ही सरल हो जाये। हम में से अधिकतर लोग इस समाज के साथ जिसमें हम रह रहे हैं विरोध करने में असमर्थ समझते हैं। अगर ऐसा कहें कि हम अपने आप के साथ ही विरोध करने में असमर्थ हैं। हम चाहते तो हैं कि सदा ,एक औसत भारतीय का जीवन व्यतीत करें लेकिन हमारा समाज हमें नहीं रहने देता। इसका तो सीधा अर्थ निकलता है कि हम समाज के निर्देश पर चलते हैं। समाज हमारा रहन -सहन तय करता है ,समाज तय करता है कि हमें कितने बड़े घर में रहना है ,समाज तय करता है कि हमारे पास कौन सी गाड़ी होनी चाहिए , यहाँ तक कि समाज यह भी तय करता है कि हम कौन सी ड्रेस पहन कर पार्टी में जाएँ। क्यों भाई साहिब यह सच है न ? आप कहेंगें -हाँ यह सच है – समाज में रहना है तो समाज के तौर तरीके तो अपनाने ही पड़ेंगें ,आखिकार we human beings are social animals ,we have to interact with this society. इसीलिए हमने 1 प्रतिशत की शर्त रखी है। आप करके तो देखिये ,तुरंत (instant ) इसका असर दिखना आरम्भ हो जायेगा। छोटे नन्हे बच्चे को जिसे अभी कुछ भी ज्ञान नहीं है ,हम डांट सकते हैं ,ताड़ सकते हैं लेकिन क्या हमने कभी अपनी ताड़ना की है। अवश्य ही बहुत कठिन है लेकिन असम्भव बिलकुल नहीं है। कुछ भी प्राप्त करने के लिए परिश्रम तो करना ही पड़ता है , और आप उस अमूल्य चीज़ को पाने के लिए परिश्रम कर रहे हैं जिसका नाम है “शांति“ सादगी और शांति का चोली दामन का साथ है।
आज का लेख हमने परमपूज्य गुरुदेव के रहन सहन की सादगी पर आधारित किया है। हममें से बहुत सारों ने गुरुदेव के साथ मिलते समय इस सादगी को अवश्य ही अनुभव किया होगा। हमने अभी एक सप्ताह पूर्व ही एक वीडियो अपलोड की थी जिसमें गुरुवर की जन्मस्थली आंवलखेड़ा आगरा ,कर्मस्थली मथुरा और शांतिकुंज हरिद्वार का संक्षिप्त वर्णन दिया हुआ है। वैसे तो यह वीडियो 73 मिंट लम्बी है लेकिन हम इसको संक्षिप्त इसलिए कह रहे हैं कि जो कंटेंट हमने इस वीडियो में compile करने का प्रयास किया है वह इतना विशाल है कि इन पर कई – कई ग्रन्थ लिखे जा चुके हैं। गुरुदेव के सादगीभरे भरे जीवन के कितने ही पहलु हमारे सहकर्मी जानते हैं जिन्हे हम फोटो और वीडियो के माध्यम से समय-समय पर आपको परिचित करवाते रहते हैं जैसे कि परमपूज्य गुरुदेव की बैलगाड़ी के ऊपर फोटो ,तपोभूमि की सीढ़ियों पर बैठे हुए गुरुदेव , एक सादा चारपाई पर बैठे हुए गुरुदेव , अखंड ज्योति संस्थान मथुरा में बनियान पहने गुरुदेव पत्रों को पढ़कर वंदनीय माता जी को ( जो ज़मीन पर बैठी है ) देते हुए , शांतिकुंज के गेट नंबर 2 पर रिक्शा पर बैठे हुए गुरुदेव और माता जी आदि आदि कितनी ही और ऐसी फोटो/ वीडियो हैं। पंडित लीलापत शर्मा जी जिन्हे माता जी गुरुदेव का बड़ा बेटा मानते थे 1992 वाले शपथ समारोह में बताते हैं : मैंने गुरुदेव को किस -किस रूप में जाना। एक तो लेखक का रूप है जिसे उन्होंने अखंड ज्योति पत्रिका पढ़ने के बाद कहा था -”ऐसा लेखक मैंने जीवन भर नहीं देखा “, दूसरा रूप एक विचारक का था जब उन्होंने रेलवे स्टेशन पर गुरुदेव को थर्ड क्लास के डिब्बे में से टीन का बक्सा और बगल में बिस्तर उठाये आते देखा था। पंडित जी अपने साथियों के साथ ट्रैन की एक -एक बोगी में गुरुदेव को ढूढ़ रहे थे। उनका विचार था कि गुरुदेव फर्स्ट क्लास में से आयेंगें और उनके साथ साधकों का पूरा काफिला होगा ,पर ऐसा न हुआ। जहाँ तक हमें मालूम है गुरुदेव ने भारत में कभी भी हवाई यात्रा नहीं की।
हम सब जब युगतीर्थ शांतिकुंज जाते हैं तो अखंड दीप के दर्शन तो अवश्य ही करते हैं। 1926 से अनवरत ज्वलित इस पावन दीप के दर्शन के साथ ही गुरुदेव के कक्ष के दर्शन भी करते हैं। यह वह कक्ष है जहाँ गुरुदेव अपना लेखन का काम करते रहे हैं । परिजनों ने यह कक्ष अवश्य देखा होगा जो साधना ,लेखन, शयन कक्ष इत्यादि इत्यादि सब कुछ ही था । इसी कक्ष में दो तख़्त भी पड़े हैं जिन पर परमपूज्य गुरुदेव एवं वंदनीय माता जो सोते होंगें। इत्यादि इत्यादि लिखने का अर्थ यह है कि इस छोटी जगह में ही सिकुड़ कर वह सब काम करते रहे । हम बार -बार “ जो प्राप्त है वही पर्याप्त है ” के सिद्धांत को प्रमोट कर रहे हैं ,हाँ प्रमोट ही कर रहे हैं ठीक उसी तरह जैसे हम और आप प्रतिदिन TV programs में प्रमोशन देखते हैं। वह अपने products को प्रमोट करते हैं और हम अपने product को ,सादगी को प्रमोट कर रहे हैं।
मथुरा में घीआ मंडी स्थित अखंड ज्योति संस्थान की 15 कमरों वाली, भूतों वाली बिल्डिंग में गुरुदेव एक छोटे से कमरे में ही रहते थे I 15 कमरे होने के बावजूद गुरुदेव एक छोटी सी कोठरी में ही साधना ,शयन ,लेखन का काम करते थे। एक छोटा सा तख्त था जिस पर गुरुदेव का सारा कार्य होता था। ऐसे उदाहरण देने का हमारा अभिप्राय यही है कि वह इंसान जिसका इतना विश्व्यापी परिवार हो, जिसके इतने बेटे, बेटियां हों , जो बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमते हों , बड़े बड़े घरों में रहते हों, जिन्हे पैसे की कोई कमी न हो ,उनका मुखिया इतना सादगी भरा जीवन व्यतीत करे। यह सारी बातें अविश्वसनीय लगती हैं पर हैं बिल्कुल सच्ची। हम जैसे अनगनित परिजनों ने यह सब अपनी आँखों से देखा है। यह हमारे लिए एक प्रेरणा का स्रोत नहीं तो और क्या है ।
1972 -73 में परमपूज्य गुरुदेव East Africa की यात्रा पर गए। इतनी लम्बी यात्रा पर भी गुरुदेव ने समुद्री जहाज़ से ही जाना ठीक समझा। आज 2021 में इतनी प्रगति होने के बावजूद भी इस 2800 nautical miles की यात्रा में 11 -12 दिन लगते हैं और हवाई जहाज़ से केवल 5 घंटे , 50 वर्ष पूर्व तो स्थिति और भी कठिन होगी। क्या गुरुदेव हवाई जहाज़ से नहीं जा सकते थे ? अवश्य जा सकते थे लेकिन वह एक औसत भारतीय के स्तर का जीवन व्यतीत करना चाहते थे। वहां 40 दिन के प्रवास में गुरुदेव गाड़ियों में ही जाते रहे , क्या हवाई जहाज़ से नहीं जा सकते थे ? Dar es Salaam से मोम्बासा 8 -9 घंटे लगा कर गाड़ी से ही जाना पसंद किया ,चाहे मार्ग में आदिवासियों के साथ साक्षत्कार भी हुआ । इन आदिवासियों को गुरुदेव ने कैसे गाड़ी के छत पर बैठ कर सम्बोधित किया इसका विस्तृत विवरण हमने अपने किसी लेख में दिया हुआ है। आदिवासियों के साथ गुरुदेव की भेंट एक दिव्य कथा है और किसी पूर्वजन्म के सम्बन्ध हैं।
गुरुदेव की सादगी को दर्शाती एक वीडियो का लिंक हम आपको यहाँ दे रहे हैं लगभग दो वर्ष पूर्व हमारे चैनल से यह वीडियो आज तक 28000 दर्शकों ने देखी है। आप इस वीडियो को तो देखें ही लेकिन साथ में ही हमारी आजकल की वीडियो भी देखें ताकि आप गुरुदेव के बारे में अधिक से अधिक जान पाएं ,और न केवल आप ही जानें औरों को भी ज्ञान बाँट कर अपना जीवन सफल बनाएं। https://youtu.be/LJLAeRiW_u0
आज का लेख समाप्त करने से पूर्व हम एक दुःखद घटना आप सबके साथ शेयर कर रहे हैं। हमारी बहुत ही समर्पित सहकर्मी प्रीति भारद्वाज जी के मम्मी 29 जुलाई को अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर ब्रह्मलीन हो गई हैं ,आइये हम सभी दिवंगत आत्मा को अपने श्रद्धा सुमन भेंट कर श्रद्धांजलि अर्पित करें। प्रीती जी यूट्यूब पर बहुत सक्रियता से कार्य कर रही थीं लेकिन कुछ दिन से उनका कोई भी मैसेज नहीं आया तो हमने विवश होकर पूछा तो उन्होंने यह दुःखद समाचार दिया। अपने प्रत्येक सहकर्मी से सम्पर्क स्थापित रखना हम अपना धर्म समझते हैं और सहकर्मियों से भी यही आशा रखते हैं।
जय गुरुदेव
हर बार की तरह आज भी कामना करते हैं कि आज प्रातः आँख खोलते ही सूर्य की पहली किरण आपको ऊर्जा प्रदान करे और आपका आने वाला दिन सुखमय हो। धन्यवाद् जय गुरुदेव
Show less
