प्रस्तुत है ship SS Karanja के कप्तान सदका देंगला की कथा –
कप्तान ने देखा कि ship की तीसरी मंज़िल पर बने केबिन में कुछ ज़्यादा चहल पहल थी । एक शाम को उसने देखा गुरुदेव बाहर deck पर बैठे सूर्यास्त को निहार रहे थे और समुद्री लहरों का आनंद ले रहे थे । सदका पास आया । एक कुर्सी को खींच कर पास बैठ गया । उसने गुरुदेव को 2 दिन पहले भी इसी मुद्रा में ध्यान-मग्न देखा था । वह तो गुरुदेव को आम यात्रियों कि भांति समझता था । परन्तु आज की भेंट की बाद तो वह उनका भक्त ही बन गया । थोड़ी ही देर में अपनी बातें करते करते वह गुरुदेव से खुल गया और घर परिवार की बातें करने लगा ।जन्म से ले करके अब तक की 45वे वर्ष तक का पूरा हाल चाल बता दिया । अब वह गुरुदेव से पूछने लगा मुझे अपने परिवार और बच्चों से मिले 8 महीने हो गए हैं ।आप ही कोई उपाय कीजिये ताकि उनसे मेल हो सके ,उनके बारे में जान सकूँ । गुरुदेव ने कैप्टन सदका की ओर देखा और कहा। तुम चाहो तो अभी यहाँ बैठे बैठे उनसे मिल सकते हो ,उन्हें देख सकते हो । कैप्टन चौंक उठा और घबरा कर पुछा -अभी ,कैसे ? क्या में उनसे बात भी कर सकता हूँ ? गुरुदेव ने कहा -नहीं – बात तो कर सकते हो पर अचानक देख कर डर जायंगें । तो मुझे फिर देख ही लेने दो । इतने में ही संतुष्ट हो जाऊंगा । पास खड़े व्यक्ति ने कहा यह हमारे गुरुदेव हैं बेहतर होगा आप भी इन्हे ऐसे ही देखें । आपको आसानी होगी ।
हाँ हाँ गुरुदेव -कैप्टन ने कहा और घुटनों की बल बैठ गया । गुरुदेव ने अपना दाहिना हाथ उसके सिर पर फेरा और स्नेह से दुलार किया। 2 -3 बार हाथ फेरा ही था कि उसकी आंखें बंद हो गयी । बंद आँखों से ही उसने अपने दोनों हाथ गोदी में रख लिए जैसे ध्यान की मुद्रा
में चला गया हो । करीब दस मिंट इसी स्तिथि में रहा । धीरे धीरे आँखें खोली और गुरुदेव की ओर देखा । आँखें खोलते ही उसकी पुतलियों में ख़ुशी चमक उठी और आंसुओं की बूँदें
गालोँ पर लुडक आईं। देर तक गुरुदेव को एक- टक निहारने की बाद इतने ही शब्द निकले –
“आपकी दुआ से मैं बच्चों को देख सका,उनसे मिला ,उनसे प्यार भी किया ,मेरी माँ अब ठीक होती जा रही है ,पत्नी उसकी अच्छी तरह देखभाल कर रही है । कैप्टन ने पराभौतिक माध्यम से अपने परिवार को देखा।बाकी लोगों को शायद ऐसा अनुभव न हुआ हो । इसके बाद तो वह गुरुदेव का भक्त ही हो गया और लोग भी गुरुदेव के केबिन में भीड़ जमाने लगे। आज का प्रसंग यहीं पे विराम।
This is the divine power of our Gurudev.
2 responses to “Ship SS Karanja के कप्तान सदका देंगला की कथा”
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Pragnyeswar ki jai ho ! Jai Mahakaal!!