कैसा संयोग है कि दो वर्ष पूर्व 8 मई वाले दिन आदरणीय सरविन्द जी द्वारा लिखा गया लेख “आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार हृदय परिवर्तन की एक जादुई मशीन” प्रकाशित किया गया था,आज 8 नवंबर को फिर से गुरुदेव ने इसे हमारे हाथों में थमा दिया।
इस संयोग को समझने के लिए हमें बहुत ही संक्षेप में बैकग्राउंड वर्णन करनी होगी नहीं तो “ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार” में “परिवार” शब्द महत्वहीन हो जायेगा।
कल सुबह से ही स्वास्थ्य कुछ ढीला था,जैसे-तैसे वीडियो तो प्रकाशित कर दी थी लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी कि शनिवार के विशेषांक के लिए हिम्मत जुटा पाएं। आद नीरा जी तो अवकाश लेने का सुझाव दे रही थीं लेकिन “राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ विश्राम” दोहा कहाँ चैन से बैठने दे रहा था। पिछले दस घंटे से लेटे-लेटे ही जो कुछ बन पा रहा था, किये जा रहे थे। साथिओं से कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ था, अपनी ही वेबसाइट पर पुराने विशेषांकों को सर्च करना शुरू कर दिया,दृष्टि उस लेख पर जा टिकी जिसमें आद सरविन्द जी ने OGGP के लिए “जादुई मशीन” का विशेषण प्रयोग किया था। लेख की कुछ नीचे वाली पंक्तियों में स्वर्गीय प्रधान मंत्री वाजपई जी के शब्द थे,बस फिर क्या था, गुरुदेव का धन्यवाद् किया और निर्णय किया कि इसी लेख को एडिटिंग के बाद प्रकाशित किया जायेगा।
आइए दो वर्ष बाद आज फिर देखें कि आद सरविन्द भाई साहिब इस परिवार को जादुई मशीन क्यों कह रहे हैं।
हमारे साथी जानते हैं कि प्रत्येक प्रकाशन को परिवार के समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व एडिटिंग की प्रक्रिया के मापढण्ड से गुज़रना ही पड़ता है। एडिटिंग करते समय हमारे मन में उठ रहे विचारों का शामिल होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया होती है लेकिन हमारे साथी प्रस्तुतकर्ता की भावना यथावत ही रहती है।
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आदरणीय सरविन्द जी लिखते हैं :
आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की जितनी प्रशंसा की जाए कम है क्योंकि इस प्लेटफार्म में प्रतिदिन सहभागिता सुनिश्चित करने वाले का अंतःकरण परिष्कृत होता जाता हैl ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्रत्येक प्रयास, चाहे वोह लेख हो, वीडियो हो, शुभरात्रि सन्देश हो यां फिर सप्ताह का सबसे लोकप्रिय सेगमेंट “अपने सहकर्मियों की कलम से” हो, एकदम “जादुई” कार्य करता है। सहकर्मी अपने अंतःकरण में हो रहे परिवर्तन देख तो नहीं पाता लेकिन परिवर्तन होता ही जाता है। ऐसा इसलिए है कि प्रत्येक प्रयास एक अदृश्य ईश्वरीय शक्ति द्वारा निर्देशित होता है, एक ऐसी शक्ति जिसके द्वारा हमारी सोई हुई प्रतिभा जगायी जाती है। यह हमारे गुरुदेव की ही दिव्य शक्ति है जिनका सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य हम सब पर निरंतर बरस रहा है। पूज्यवर की ही प्रेरणा और मार्गदर्शन का प्रतिफल है कि आज सम्पूर्ण विश्व में हमें “ज्ञान की ज्योति” जलाने का परमार्थ परायण सौभाग्य प्राप्त हो रहा है, एक ऐसा सौभाग्य जो हर किसी को प्राप्त नहीं हो सकता। ऐसा कहना इसलिए उचित है कि गुरुवर अपने शिष्य का चयन एक कठिन चयन प्रणाली के द्वारा ही करते हैं जिसमें सबसे बड़ा योग्यता “पात्रता” ही है।ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सूत्राधार एवं संचालक डॉ अरुण त्रिखा जी द्वारा लगाई श्रम, समय व ज्ञान की पूंजी का लाभ सभी को नियमित रूप से मिलता जा रहा है। इस प्लेटफॉर्म के अंतर्गत प्रकाशित हो रहे लेखों का नियमित एवं गम्भीरतापूर्वक स्वाध्याय करने वाला व्यक्ति स्वयं को बहुत ही भाग्यशाली अनुभव कर रहा है क्योंकि उसे निरंतर ज्ञान का दुर्लभ अनुदान प्राप्त रहा है l
आज के युग में सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिदिन नए से नए प्रतिभाशाली गुरु प्रकट हो रहे हैं। ज्ञान प्राप्त करने की न तो कोई तंगी है और न ही कोई महंगाई।अनेकों ज्ञानगुरूओं का तो मूल्यांकन करना ही कठिन हो जाता है कि कौन Real है और कौन Fake है। सही मायनों में देखा जाए तो Fake गुरु का मूल्यांकन करना इतना कठिन भी नहीं है। जिस आशा व विश्वास के साथ ढोंगी गुरु प्रकट होते हैं,जब उन्हें वह नहीं मिलता तो उन्हें उड़नछू होने में समय ही नहीं लगता। ढोंगी गुरुओं की ही तरह,ढोंगी शिष्यों की भी कमी नहीं जो चमत्कार की तलाश में आते हैं और 2-4 दिन में ही अपना रोना रोकर भाग खड़े होते हैं।
नवंबर 1995 में तालकटोरा स्टेडियम दिल्ली में पूर्णाहुति यज्ञ समारोह आयोजित हुआ था, वहां भूतपर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपाई जी ने श्रद्धावान गायत्री साधकों के सैलाब को देख कर कहा था:
“भीड़ तो सब इकट्ठी कर लेते हैं,लेकिन ऐसी अनुशासित, सुसंस्कृत और साधना-समर्पित भीड़ विरले ही देखने को मिलती है।”
आने वाले दिनों में इस विषय पर भी प्रकाश डालना होगा।
आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में “कर्म की पूजा” होती है,न कि चर्म की। इस परिवार का प्रत्येक सदस्य निस्वार्थ भाव से सम्पूर्ण नियमितता एवं श्रद्धा से समयदान करके सहभागिता सुनिश्चित कर रहा है, निष्काम भाव से “ज्ञान के महायज्ञ” में कमेन्ट्स/काउन्टर कमेन्ट्स के रूप में अपने विचारों की आहुति अर्पण कर रहा है। प्रत्येक परिवारजन का अटूट विश्वास है कि गुरुदेव हम जैसे अनेकों बच्चों के लिए पात्रता के आधार पर ही आध्यात्मिक व भौतिक अनुदानों का शक्ति-कलश उढेल देते हैं। गुरुसत्ता से प्राप्त हुए अनुदानों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गुरुदेव ने स्वयं इन अनुदानों को प्राप्त करने के लिए श्रद्धा, नियमियता एवं समर्पण की सरल सी शर्त निर्धारित की हुई है। गुरुदेव अपनी एक वीडियो में नियमितता पर बल देते हुए कह रहे हैं “कीमत तो चुका, मक्कार कहीं का, कभी-कभार प्रणाम करने आ जाता है और दुनिया भर के वरदान मांगता है।”
जब सच्चे और पवित्र मन से सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी तब ही कहीं कुछ प्राप्त करने की आशा की जा सकती है, अन्यथा कुछ भी मिलने वाला नहीं है l इतिहास में समर्पण, श्रद्धा और गुरुभक्ति के अनेकों उदाहरण मिल जायेंगें।
दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार जैसे दिव्य परिवार में जिस किसी की भी सहभागिता नियमितता पूर्वक सम्पन्न होती है वह बहुत ही भाग्यशाली होता है और वह कोई साधारण आत्मा नहीं बल्कि बहुत ही श्रेष्ठ व महान दिव्य आत्मा होती है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि हमें परम पूज्य गुरुदेव, वंदनीय माता जी एवं माँ गायत्री की विराटता का अनुभव होने लगता है। जिस किसी को भी इस विश्व्यापी किन्तु छोटे से परिवार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए,नियमित समयदान का परम सौभाग्य प्राप्त हो रहा है उसे समझ लेना चाहिए कि वह एक उच्कोटि की उपासना, साधना व आराधना कर रहा है। वह एक ऐसी साधना कर रहा है जिसका प्रतिफल उसे हर क्षण प्राप्त हो रहा है l
OGGP जैसे दिव्य प्लेटफॉर्म से जुड़ने वाले किसी भी सहकर्मी का अमूल्य समय कभी भी नष्ट नहीं जा सकता,ऐसा हमारा अटूट विश्वास है। इस अटूट विश्वास का आधार हमारा (सरविन्द कुमार पाल) स्वयं का जीवन है। हम तो मानते हैं कि हमारे लिए परम पूज्य गुरुदेव का “बोओ और काटो वाला सिद्धांत” पूरी तरह से सार्थक सिद्ध हुआ है। हम निरंतर, नियमित रूप से,वर्षों से अनवरत इस परिवार में ज्ञानदान, समयदान एवं श्रमदान करते आ रहे हैं। गुरुदेव ने इस तुच्छ से योगदान को अनेकों गुना करके हमें वापिस लौटाया है l
जो कोई भी इन पक्तियों को पढ़ रहा है हम उससे निवेदन एवं अपील करते हैं कि कभी भी किसी के बहकावे व संशय में आकर इस दिव्य परिवार के बारे में भ्रमित न हों । हम सबका यह परम कर्तव्य बनता है कि इस परिवार में विश्वास और निष्ठा का बीजारोपण करते हुए ही योगदान करें। अगर इससे कम हुआ तो पछताने के सिवाय और कुछ भी हाथ नहीं लगेगा।
किसी भी संस्था में आने और जाने की प्रक्रिया बहुत ही स्वाभाविक और प्राकृतिक है। नए साथियों का आना, पुराने साथियों का नए विकल्प, नए अवसर ढूंढते हुए चले जाना कोई अस्वाभाविक बात नहीं है। नवागंतुकों से करबध्द विनम्र प्रार्थना है कि अगर सच्चाई के मार्ग पर अग्रसर होना चाहते हैं तो नैतिकता के आधार पर इस परिवार की गतिविधियों में नियमितता से अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए अपने अमूल्य समय का दान करें, प्रतिबद्धता के साथ दैनिक ज्ञानप्रसाद लेखों का नियमितता से गम्भीरतापूर्वक अमृतपान करें, कमैंट्-काउंटर कमेंट की प्रक्रिया में अधिक से अधिक सक्रियता दिखाएँ और फिर देखें जीवन का कायाकल्प कैसे होता जाएगा। जो लोग भूले भटके इस परिवार को टैस्ट करने के लिए कभी-कभार दर्शन देते हैं,गुरुदेव से बड़े अनुदानों की आशा रखते हैं तो यह उनकी सबसे बड़ी भूल है। ऐसे साथियों के लिए “भटका हुआ देवता” जैसा विशेषण प्रयोग करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए।
यह सच है कि भटके हुए देवताओं के लिए यह बहुत ही उत्तम परिवार है, शर्त केवल एक ही है कि वोह इस परिवार के साथ परिवार जैसे सम्बन्ध तो बनाएं, अपनी निष्ठा और समर्पण साबित तो करें। यह परिवार भटकन को दूर करने का बहुत ही श्रेष्ठ विकल्प है क्योंकि यहाँ मनुष्य की सुप्त प्रतिभा को झकझोड़ कर जगाया जाता है, गुरुकुल पाठशाला में ज्ञानार्जन करते हुए सभी परस्पर सहयोग,आदर, सम्मान, प्रेम और सहकारिता का पाठ भी पढ़ते हैं l
दिन का शुभारम्भ गुरुदेव के साहित्य पर आधारित दैनिक ज्ञानप्रसाद लेख से होता है जो प्रातःकाल की मंगलवेला में साथिओं के इनबॉक्स में पँहुच जाता है, अधिकतर साथी अपनी नींद इसी ज्ञानप्रसाद के साथ खोलते हैं। सुबह-सुबह प्रदान होने वाली इस दिव्यता को “गूँगें के गुड़” की भांति केवल अनुभव ही किया जा सकता है।अनेकों साथी अपनी अनुभूतियाँ कमेंट करके बता ही रहे होते हैं कि सुखमय नींद के लिए शुभरात्रि/दिव्य सन्देश प्राप्त होता है, यह संक्षिप्त सन्देश भी गुरुदेव के साहित्य पर ही आधारित होता है।
जैसे-जैसे ज्ञानामृत की बूँदें हमारे अंतकरण में शक्ति का संचार करती जाती हैं, विचारों की आंधी/सैलाब सा उठता अनुभव होता दिखता है। इस आंधी/सैलाब का वेग तभी कम हो पाता है जब हम कमेंट करके अपनी भावनाएं Vomit out नहीं कर देते।
हम स्वयं के अनुभव से कह सकते हैं कि आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार जैसा दिव्य प्लेटफार्म बड़े ही सौभाग्य से मिलता है, जिसे भी यह प्लेटफार्म मिल जाता है उसका तो कायाकल्प ही हो जाता है, उसकी कुछ भी इच्छा नहीं रहती। हम(सरविन्द पाल), स्वयं इस तथ्य के जीवंत उदाहरण हैं। इस परिवार में जुड़ने से हमारा भाग्य तो बदला ही है,हमारा परिवार भी बहुत प्रसन्न हैl भौतिक दृष्टि से हमारे पास कुछ भी नहीं है लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से हम सभी बहुत सम्पन्न हैं। गुरुदेव की कृपा से हमारे लिए हर परिस्थिति का सामना करना बहुत ही सहज एवं सरल हो गया है।
हम आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। हमारे बच्चे भी अपना अमूल्य समय निकाल कर यथासंभव समयदान करते हुए लाभ प्राप्त कर रहे हैं एवं बच्चों को गुरुदेव का सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य अनवरत मिल रहा है।
परम पूज्य गुरुदेव, परम वंदनीय माता जी से विनम्र निवेदन है कि अपने सभी बच्चों को संरक्षण प्रदान करें ताकि गुरुदेव के सपने साकार करने में सहायक बन पाएं l आज के प्रज्ञागीत में जिस उत्साह से आद गोविंद पाटीदार भाई साहिब गुरुवर का सपना साकार कर रहे हैं,जादू नहीं तो और क्या है।
धन्यवाद्, जय गुरुदेव