6 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद
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हमारे साथिओं को भलीभांति स्मरण होगा कि पूज्यवर के “हनुमानरूपी भक्त” आदरणीय लीलापत शर्मा जी पर आधरित 2020 से लेकर अब तक हम कितने ही लेख लिख चुके हैं। शायद कहना अनुचित न हो कि हमारा कहाँ इतना सामर्थ्य कि हम कुछ भी लिख पाएं, यह तो सब गुरुसत्ता ही लिखवा रही है। समय-समय पर बदलती परिस्थितियां, टेक्नोलॉजी का विकास, साथिओं के सुझाव, गुरुदेव का संकेत एवं निर्देश, यही सब पैरामीटर्स हमारी लेखनी एवं ज्ञानप्रसाद लेखों का चयन करते हैं।
इस बार तो लेख श्रृंखला के चयन में टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
2020-2024 के बीच में पंडित जी पर आधरित लेख लिखते समय हमने उनकी 10 रचनाओं को ढूंढने के लिए अथक प्रयत्न किया लेकिन कुछ 2-4 ही ढूढ़ पाए लेकिन इस बार ChatGPT ने इतनी सहायता की कि सभी पुस्तकें,लिंक्स के साथ हमारे सामने ला कर रख दीं। लेकिन हम ऐसे वैसे विश्वास करने वाले तो हैं नहीं, ChatGPT तो Disclaimer लिख कर अपना पल्ला छुड़ा लेता है और दी गयी सारी जानकारी की ज़िम्मेदारी हमारे कन्धों पर डाल देता है। तो साथिओ हमारे साथ-साथ आपकी भी ज़िम्मेदारी बनती है,आज के लेख को मात्र एक पन्ने का समझना अनुचित होगा क्योंकि साथ में दी गयी पीडीऍफ़ फाइल में अनेकों लिंक्स हैं। सभी से निवेदन कर रहे हैं कि हमारे चेक करने के बावजूद, इन लिंक्स को एक-एक करके क्लिक देख लें, यदि कोई त्रुटि है तो उसका तुरंत संशोधन कर दें, बड़ी ही कृपा होगी।
टेक्नोलॉजी का उपयोग करना लेकिन दास न बनना अभी अभी प्रकाशित हुए दोनों ही लेखों का वर्णन है। ChatGPT बहुत ही लाभदायक है, सरल है लेकिन चेक करने की आवश्यकता हमेशा ही रहेगी। कल आदरणीय नीरा जी ने भी एक बहुत ही चुटकले भरे प्रश्न के साथ इसका प्रयोग करने का साहस किया।
तो साथिओ अब चलते-चलते संक्षेप में आरम्भ हो रही लेख श्रृंखला का वर्णन कर दें :
आदरणीय लीलापत शर्मा जी द्वारा रचित 83 पन्नों की पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी में” एक दिव्य पुस्तक है। 2010 में प्रकाशित हुए सेकंड एडिशन में पंडित जी और परम पूज्य गुरुदेव के बीच हुए संवाद में अद्भुत ज्ञान तो समाहित है ही, इसको पढ़ते-पढ़ते बिल्कुल योगेश्वर भगवान और अर्जुन के बीच हो रहे संवाद लग रहे थे। इसीलिए कल वाले लेख में साथिओं को संकेत दिया था कि अपने ह्रदय में रंगमंच पर हो रहे नाटक/धारावाहिक सीरियल की एक दिव्य पिक्चर बना ली जाए जिसमें परम पूज्य गुरुदेव रथ पर बैठे सारथी हैं और पंडित जी उनके चरणों में बैठे हैं, हम सब यह संवाद ग्रहण करके अपना कायाकल्प कर रहे हैं, साथिओ इससे कम में बात बनेगी नहीं, ऐसा हमारा व्यक्तिगत विचार है।
तो साथिओ आज के लिए इतना ही उचित रहेगा, सभी के लिए काम बहुत है।
आज के ज्ञानप्रसाद लेख के साथ पंडित जी की मात्र 3 मिंट की वीडियो संलग्न की है, बहुत ही प्रेरणादायक है।
