Month: November 2025
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पंडित लीलापत जी से गुरुदेव ने कहा, “बेटे,तुम्हें कड़वी बातें सुनने का बहुत ही शौक है।” लेख शृंखला का 13वां लेख
1 दिसंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद 15 वर्ष पूर्व पंडित लीलापत शर्मा जी की दिव्य रचना, “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी में” पर आधारित लेख श्रृंखला का आज 13वां लेख प्रस्तुत है। प्रस्तुत लेख में गुरुदेव बता रहे हैं कि धर्म का रास्ता इतना आसान नहीं है। अपने दोष दुर्गुणों को छोड़ना पड़ता है, पवित्र जीवन
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पंडित लीलापत जी से गुरुदेव ने कहा “ बेटे,आवश्यकताएँ तो सबकी पूरी हो जाती हैं लेकिन इच्छाएँ किसी की भी समाप्त नहीं होती।” लेख श्रृंखला का 12वां लेख
27 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का ज्ञानप्रसाद लेख का शुभारम्भ वहीँ से हो रहा है जहाँ हमने कल छोड़ा था। लेख को दो मुख्य सन्देश हैं,(क) भगवान किसी को भी लिए बिना देते नहीं हैं और (ख) आवश्यकताएँ तो सबकी पूरी हो जाती हैं लेकिन इच्छाएँ किसी की भी समाप्त नहीं होती।” सभी जानते
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पंडित लीलापत जी ने गुरुदेव से पूछा, “ईश्वर दयालु और न्यायी कैसे हो सकते हैं ?” लेख श्रृंखला का 11वां लेख
26 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद वर्तमान ज्ञानप्रसाद लेख श्रृंखला का आधार पंडित लीलापत शर्मा जी की पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म,युगऋषि की वाणी में” है। इस पुस्तक पर आधारित अभी तक जितने भी लेख प्रस्तुत किये गए हैं, सभी रोचक और शिक्षाप्रद होने के साथ-साथ ऐसी धारणाओं एवं अंधविश्वासों के समाधान प्रदान करा रहे हैं जो
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गुरुदेव ने पंडित लीलापत जी से कहा “इष्ट का अर्थ है,जीवन का लक्ष्य !!” लेख श्रृंखला का 10वां लेख
25 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद गुरुवार के लेख का समापन निम्नलिखित पंक्तियों से हुआ था: कुछ लोग कहते है कि हमारे इष्ट भगवान शंकर हैं, कोई कहता है हमारे इष्ट हनुमान जी हैं और कोई अपने इष्ट योगेश्वर भगवान कृष्ण को बताते हैं। यह इष्ट क्या होता है ? क्या एक व्यक्ति का इष्ट एक
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“स्मारिका पूर्णाहुति 1995” और “स्मारिका महापूर्णाहुति 2000” में प्रकाशित आदरणीय पंडित लीलापत शर्मा जी के बारे में संक्षेप में जानकारी।
24 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद https://archive.org/details/1995_20251123/mode/2up
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गुरुदेव ने पंडित लीलापत जी को बताया “मनुष्य जीवन केवल एक ही दिन का है।” लेख श्रृंखला का नौंवा लेख
22 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद- पंडित लीलापत शर्मा जी की दिव्य रचना “युगऋषि का अध्यात्म, युगऋषि की वाणी में” पर आधारित वर्तमान लेख श्रृंखला का आज नौंवा लेख प्रस्तुत है। आज के लेख में पंडित जी गुरुदेव से उस प्रश्न का उत्तर याचना कर रहे हैं जिसने वर्षों से मनुष्य को भ्रमित किया हुआ है,
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गुरुदेव ने लीलापत जी को कहा: बेटे,देवता बाहिर नहीं अंदर हैं- लेख श्रृंखला का आठवां लेख
20 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद साथिओं के कमैंट्स से पता चलता रहता है कि हमारे परिजन पूर्ण समर्पण के साथ दैनिक ज्ञानप्रसाद की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, करें भी क्यों न? गुरुदेव की अमृतवाणी पर आधारित यह सभी लेख हमारे परिजनों की बैटरी चार्ज करते हैं, यह Charged बैटरी उन्हें दिन भर ऊर्जावान बनाये
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इंद्रिय संयम के बिना समर्पण संभव नहीं
19 नवंबर, 2025 का ज्ञानप्रसाद सप्ताह के तीसरे दिन, भारतीय समयानुसार बुधवार की अमृतवेला में हम आज का ज्ञानप्रसाद लेकर उपस्थित हुए हैं। अधिकतर साथी हमारे साथ भारत से ही जुड़े हैं इसलिए भारत के समय को स्टैण्डर्ड मान कर ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की सभी गतिविधिओं का संचालन करने की प्रथा है। विश्व के
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लीलापत शर्मा जी और गुरुदेव के बीच हुई समर्पण विषय पर चर्चा
18 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का ज्ञानप्रसाद समर्पण की शक्ति की बहुत ही व्यावहारिक एवं प्रैक्टिकल शक्ति का वर्णन कर रहा है। इसे समझना कोई राकेट साइंस नहीं है, ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के छोटे से परिवार के प्रति ही जिसने स्वयं को समर्पित, उसे जो कुछ मिला,जो शक्ति प्राप्त हुई उसके साक्षात् परिणाम
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त्रिपदा गायत्री के जप से आकृति तो वैसी ही रहती है लेकिन प्रकृति बदल जाती है
17 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के समर्पित साथिओं को स्मरण कराना उचित समझते हैं कि उपासना-साधना-आराधना की त्रिवेणी की वर्तमान लेख श्रृंखला के अंतर्गत आज का लेख “आराधना” के विषय पर चर्चा कर रहा है। यह भी स्मरण करा दें कि परम पूज्य गुरुदेव और पंडित लीलापत शर्मा के गुरु-शिष्य के
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आदरणीय पंडित लीलापत शर्मा जी की पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी” पर आधारित दूसरा लेख-त्रिपदा गायत्री की विस्तृत जानकारी
12 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद कल वाले ज्ञानप्रसाद लेख में गुरु-शिष्य संवाद के अंतर्गत माँ गायत्री के अंतरंग और बहिरंग रूपों की चर्चा की गयी थी। जब इन रूपों की जानकारी हो जाती है तो साधक में अद्भुत साहस का अनुभव होता है। साहस,श्रद्धा और समर्पण के तीन गुणों से ही पात्रता विकसित होती है।
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आदरणीय पंडित लीलापत शर्मा जी की पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी” पर आधारित प्रथम लेख:माँ गायत्री के दो रूप
11 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद पंडित लीलापत शर्मा जी द्वारा रचित 82 पन्नों की दिव्य पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि की वाणी” का शुभारम्भ कल वाले लेख से हुआ। इस दिव्य लेख में ईश्वर को भांति-भांति की प्रतिमाओं में एक व्यक्ति की भांति पूजे जाने की चर्चा की गयी थी। इस चर्चा में व्यक्तिकरण (Personification) जैसा
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आद पंडित लीलापत शर्मा जी की पुस्तक “युगऋषि का अध्यात्म-युगऋषि का वाणी में) पर आधरित लेखों का शुभारम्भ
10 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से पिछले दो दिनों से अलग-अलग मीडिया से हमारे स्वास्थ्य के बारे में प्राप्त हुए सभी संदेशों के लिए हम ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। जिस प्रकार हमारे साथिओं ने सन्देश भेज कर,इस छोटे से “वर्चुअल परिवार” में परिवार- भावना को सार्थक किया है
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8 नवंबर 2025 का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का विशेषांक-“आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार हृदय परिवर्तन की एक जादुई मशीन”
कैसा संयोग है कि दो वर्ष पूर्व 8 मई वाले दिन आदरणीय सरविन्द जी द्वारा लिखा गया लेख “आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार हृदय परिवर्तन की एक जादुई मशीन” प्रकाशित किया गया था,आज 8 नवंबर को फिर से गुरुदेव ने इसे हमारे हाथों में थमा दिया। इस संयोग को समझने के लिए हमें बहुत ही संक्षेप
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पूज्य गुरुदेव के “हनुमानरुपी भक्त” ,पंडित लीलापत शर्मा जी पर आधारित एक और लेख श्रृंखला
6 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद https://www.facebook.com/share/v/1FmciiUxsk ( Facebook link of Pt Leelapat Sharma video) हमारे साथिओं को भलीभांति स्मरण होगा कि पूज्यवर के “हनुमानरूपी भक्त” आदरणीय लीलापत शर्मा जी पर आधरित 2020 से लेकर अब तक हम कितने ही लेख लिख चुके हैं। शायद कहना अनुचित न हो कि हमारा कहाँ इतना सामर्थ्य कि हम
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आज के युग का सबसे बड़ा तप “फ़ोन संयम का तप” है
5 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद पिछले कल और आज के दोनों ज्ञानप्रसाद लेखों की रचना करते समय ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे हम फिर से प्राइमरी कक्षा में बैठे हों क्योंकि उस आयु के बच्चों को टीचर ने अनेकों बार फ़ोन के लाभ/हानियां विषय पर निबंध लिखने के लिए होमवर्क दिया होगा। जो ज्ञान
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आधुनिक युग की एक “इन्द्रिय” सोशल मीडिया, इस पर संयम “आत्मबल” का परिचायक है
4 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद कल वाले ज्ञानप्रसाद लेख में जिस “मॉडर्न इन्द्रिय संयम” का संकेत दिया गया था उस का नाम सोशल मीडिया है। शायद ही कोई ऐसा मुनष्य होगा जिसे इस इन्द्रिय ने प्रभावित न किया हो। आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख इसी विषय पर चर्चा कर रहा है। भांति-भांति के संयम की
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समाज और की नाक चिंता के बजाए दिमाग और विवेक की चिंता करें
3 नवंबर 2025 का ज्ञानप्रसाद 1977 में प्रकाशित परम पूज्य गुरुदेव की दिव्य रचना “शक्ति संचय का स्रोत-संयम” पर आधरित लेख श्रृंखला का आज 20वां एवं समापन लेख प्रस्तुत किया जा रहा है। मात्र 69 पन्नों में समाहित लगभग 19000 शब्दों को 20 विस्तृत लेखों (36000 शब्दों) में समझना, लिखना, साथिओं संग चर्चा करना बहुत