Month: October 2025
-
मनुष्य के पास “चमत्कारी विशेषताओं” वाला अल्लादीन का चिराग है
30 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद पिछले कई दिनों से गुरुकक्षा में गुरुदेव की अद्भुत रचना “शक्ति का स्रोत संचय-संयम” पर आधारित लेख श्रृंखला का अध्ययन हो रहा है, तरह-तरह के संयम पर चर्चा हो रही है। आज का लेख, समय और श्रम पर आधरित कल वाले लेख की ही Extension है। आज के युग की
-
स्पर्श इन्द्रिय(Sense of touch) कैसे समय और श्रम को असंयमित करती है ?
29 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख दो महत्वपूर्ण सन्देश लेकर आया है: 1.आलसी मनुष्य एक जीवित मृतक (Living dead) है। 2.आलस्य एक प्रकार की आत्महत्या है। इन दोनों संदेशों को समझने के लिए “स्पर्श इन्द्रिय(Sense of touch) का सहारा लिया गया है, यह समझने का प्रयास किया गया है कि स्पर्श
-
उपवास(भोजन संयम) ईश्वर से जुड़ने की साधना है।
28 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद 1977 में प्रकाशित हुई परम पूज्य गुरुदेव की मात्र 69 पन्नों की साधारण सी दिखने वाली पुस्तक के कंटेंट का जिस तरीके से Analysis करते हुए, सरलीकरण हो रहा है, सभी साथी, पाठकगण भलीभांति परिचित हैं। जिस प्रकार अब तक प्रस्तुत हो चुके 17 लेख हम सबको प्रभावित कर रहे
-
“क्या हम खाने के लिए जी रहे हैं यां जीने के लिए खा रहे हैं ?” भाग 2
27 अक्टूबर का ज्ञानप्रसाद- आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख पिछले लेख का दूसरा भाग है। यह भाग इतना छोटा है कि इसका अमृतपान कुछ ही मिंटो में किया जा सकता है। आज के लेख में वर्णित अधिकतर बातों से हम सभी परिचित हैं लेकिन उन्हें अपनाने की संकल्पशक्ति क्यों नहीं है? इसीलिए आग्रह करना उचित
-
25 अक्टूबर 2025 वाला “सुझाव बहिन सुमनलता जी का, समर्थन सभी साथिओं का” स्पैशल अंक। आदरणीय बहिन पुष्पा सिंह जी का विशेष योगदान
https://youtu.be/MjdazvDvMDU?si=F4i9_zRRRAYBwLF2 (आज का प्रज्ञागीत फिर से नीरा जी की खोज है) आज अक्टूबर 2025 का अंतिम शनिवार है। बहिन सुमनलता जी के सुझाव पर,साथिओं के समर्थन से, प्रत्येक अंक की रोचकता को दर्शाती आप सभी की प्रतीक्षा इस तथ्य को सार्थक का रही है कि गुरुवर का अपनत्व एवं प्रेम वाला Element कितना शक्तिशाली है।
-
क्या हम खाने के लिए जी रहे हैं यां जीने के लिए खा रहे हैं ? भाग 1
23 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज का दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख एक बहुत ही महत्वपूर्ण सन्देश लेकर आया है: “हम खाने के लिए जी रहे हैं यां जीने के लिए खा रहे हैं ?” परम पूज्य गुरुदेव ने हम बच्चों के लिए 69 पन्नों की एक अद्भुत पुस्तिका (शक्ति संचय का स्रोत-संयम) रच कर रख दी
-
ब्रह्मचर्य की सफलता एक Inter-connected प्रक्रिया है।
22 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज प्रस्तुत किया गया दिव्य ज्ञानप्रसाद कामवासना के प्रति संयम बरतने की दिशा का अंतिम अंक है। कल से किसी अन्य संयम की बात शुरू होगी। आम जीवन में कठिन दिखने वाले संयम,परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य के माध्यम से इतने सरल प्रतीत हो रहे हैं कि अब कहा जा
-
कामुक विचार खाली दिमाग में ही उत्पन होते हैं।
21 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद वर्तमान लेख श्रृंखला में अब तक प्रकाशित हुए सभी लेखों की भांति आज का लेख भी एक अति-महत्वपूर्ण समस्या के प्रति विचारकोष लेकर आया है, सभी से अनुरोध है कि गुरुदेव द्वारा प्रदान किया साक्षात् गुरुज्ञान का बड़े ही ध्यानपूर्वक अमृतपान किया जाए। हमारा परम सौभाग्य है कि हमें परम
-
जीवनी शक्ति का आधार क्या है ?
20 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज सोमवार है,दीपावली के दिव्य पर्व की सभी साथिओं को शुभकामना प्रदान करते हैं। आजकल फैशन बन चुका है कि हर कोई त्यौहार दो अलग-अलग तिथिओं पर मनाया जाये। कोई चाहे नोट जलाकर,पटाखों से दिवाली मनाए, लेकिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से एक ही सन्देश प्रसारित होना चाहिए:
-
किसको कण्ट्रोल करें, मन को यां इन्द्रियों को?
16 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से इन्द्रिय-संयम के महत्वपूर्ण विषय पर लगभग 60 विस्तृत लेख प्रकाशित हो चुके हैं, इसके बावजूद इस विषय को जानने की तृष्णा अधिकधिक बढ़ती ही जा रही है क्योंकि ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। आज के लेख में मन का संयम और इन्द्रिय-संयम
-
वाणी-संयम का एक अंग मधुर-भाषण भी है
15 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज प्रस्तुत किए गए दिव्य ज्ञानप्रसाद लेख से हम परम पूज्य गुरुदेव की अद्भुत रचना “शक्ति संयम का स्त्रोत-संयम” के 30 पन्नों का अमृतपान करने में सफल हो रहे हैं। 39 पन्नें अभी भी बाकी हैं लेकिन हम निवेदन करना चाहेंगें कि गुरुदेव द्वारा रचित पुस्तकें चाहे हम 3200 भी
-
वाणी संयम से वाणी शोधन (Purification of speech) होता है
14 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद आज के ज्ञानप्रसाद लेख में वाणी संयम को वाणी शोधन से जोड़कर समझने का प्रयास किया गया है। जितना महत्व “वाणी संयम” यानि सोच समझ कर बोलने का है उतना ही महत्व “परिष्कृत वाणी”, सही शब्दावली का भी है। शब्दों की शक्ति एवं उसके पीछे छिपे ज्ञान को समझने के
-
“अपने सहकर्मियों की कलम से” का 11 अक्टूबर 2025 का विशेषांक
https://www.facebook.com/share/v/17RzW6tqV8/ (तेरे साथ तेरी माँ जो है ) https://archive.org/details/pita-ji-ki-pustak (पिताजी की पुस्तक की साथिओं ने भी सराहना की ) हमारे समर्पित साथी इस तथ्य से भलीभांति परिचित हैं कि प्रत्येक शनिवार वाला अंक हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती लेकर आता है। साथिओं द्वारा भेजे गए सन्देश,वीडियोस,संकेत आदि लेकर एक डाक बाबू की भूमिका निभानी
-
अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें, त्रुटियों के सुधार पर चिंतन करें
8 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद शब्द सीमा की बेड़ियाँ आज मजबूर कर रही हैं कि आज का लेख बिना किसी भूमिका के आरम्भ कर दिया जाए। मनुष्य का अति महत्वपूर्ण दुर्व्यसन “अहंकार” आज के लेख का विषय है। *************** तृष्णा एवं वासना की ही तरह ही अहम भी मानासिक असंयम का ही दुष्परिणाम है। अहंकार
-
गुरुदेव द्वारा बताया गया आत्मनिरीक्षण का बहुत ही सरल प्रैक्टिकल
6 अक्टूबर 2025 का ज्ञानप्रसाद अपने साथिओं को स्मरण कराना अपना कर्तव्य समझते हैं कि आजकल हम परम पूज्य गुरुदेव की दिव्य रचना “शक्ति संचय का स्रोत-संयम” को आधार बना कर एक अद्भुत ज्ञानप्रसाद लेख श्रृंखला का अमृतपान कर रहे हैं। यह लेख श्रृंखला इतनी सरल है कि अनेकों ने अनुभव किया होगा कि यह
-
आपके पास जीने के लिए एक ही पल है “वर्तमान”
शास्त्रकारों के अनुसार किन्हीं विचारों का प्रभाव मनुष्य के मस्तिष्क में बहुत देर तक बना रहता है। जब से यह विचार उठता है उसी क्षण से मनुष्य उसे साक्षात् करने की कोशिश करना आरम्भ कर देता है और जब तक वह साक्षात् नहीं हो जाता तब तक उसे चैन ही नहीं आता। इसका कहने का