वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

मंत्र जप केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि एक “Neuroscience Practice” यानि दिमाग की कसरत भी है

आज के ज्ञानप्रसाद लेख का शुभारम्भ बहुचर्चित Quotation “The more I learn,the less I know” से होता है जिसका अर्थ है कि मैं जितना अधिक पढ़ता हूँ उतना ही कम जानता हूँ। सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन इसका कारण यह बताते हैं कि न तो ज्ञान की कोई सीमा है,न ही जानने की कोई सीमा है,न ही मस्तिष्क की कोई सीमा है। ज्यों ज्यों जानने की जिज्ञासा बढ़ती जाती है Confusion बढ़ता ही जाता है। सुकरात ने तो यहाँ तक कह दिया था कि ज्ञानप्राप्ति का सबसे बड़ा एवं मूलमंत्र यही है कि मैं बिलकुल अज्ञानी हूँ। 

हम जैसे “सम्पूर्ण अज्ञानी” की आज यही स्थिति है। वर्षों पूर्व हमारे मस्तिष्क में उठे बेसिक प्रश्न “गायत्री मंत्र जप किस गति से करना चाहिए?” का समाधान आज तक नहीं हो पाया। इसके पीछे Driving force, गायत्री परिवार के कुछ साथी ही थे जो बार-बार कहते आ रहे थे कि गायत्री मंत्र  की एक माला का जप  करने में केवल 8 मिंट ही लगते हैं। जब से हमने यह बात सुनी थी, बार-बार इंटरनेट,यूट्यूब से ढूंढने का प्रयास किया कि कहीं से गुरुदेव द्वारा 8 मिंट में एक माला जपने का प्रूफ मिल जाये, अनेकों से पूछा लेकिन कुछ भी नहीं मिला। हमें तो केवल गुरुदेव पर ही विश्वास है। यहाँ पर हम दो यूट्यूब लिंक्स दे रहे हैं जिसमें 6:54  मिंट में एवं 10:58 मिंट में 108 बार गायत्री मंत्र का जप किया गया है, दोनों किसी और चैनल से सम्बंधित हैं:

https://youtu.be/9tZjrH7RRww?si=2yzLC_3fLkxQO3Dd (7  मिंट)

https://youtu.be/C245X4ZP4wE?si=_IdvNmiZwjHcdNCr (11 मिंट)

परम पूज्य गुरुदेव की बहुचर्चित वीडियो जिसके साथ अनेकों गायत्री साधक रोज़ाना गायत्री मंत्र जप कर रहे हैं उसका लिंक भी दे रहे हैं, इसमें गुरुदेव एक घंटे में एक माला करवा रहे हैं। https://youtu.be/BcLQObhfv_g?si=bQ3rkCQ7Qwwt3rKu

Chatgpt से भी एक वीडियो मिली है जिसमें गुरुदेव 8 मिंट में 24 बार गायत्री मंत्र करवा रहे हैं। इस जानकारी में  गुरुदेव बता रहे हैं कि इस बात का महत्व नहीं है कि कितनी बार मंत्र दोहराया गया है, यह भावना, अध्यात्म, मानसिक शांति एवं एकाग्रता के लिए किया जाता है। यहाँ यह भी बताया गया है कि गुरुदेव ने सामूहिक आयोजनों में अपने साथ-साथ 24 बार मंत्र जप,यह कह कर करवाया है कि साधकों को 24000 मंत्रों का पुण्य प्राप्त हो रहा है। इसका कारण हम अनेकों बार रिपीट कर चुके हैं, यहाँ फिर से रिपीट करने का कोई औचित्य नहीं। 

ऐसी स्थिति में ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार से ही आशा की जा सकती है। यदि किसी को, कहीं से भी गुरुदेव की कोई भी वीडियो, लेख आदि मिले जिसमें गुरुदेव ने तेज़ गति में गायत्री मंत्र जप की बात की हो,समर्थन किया हो तो इस मंच पर अवश्य शेयर करें। हम तो कहेगें कि आदरणीय सुमनलता बहिन जी एवं आदरणीय अरुण वर्मा जी,जिन्होंने कल वाले लेख में कमेंट किया था,अपनी एक शार्ट वीडियो बना कर भेज दें जिसमें 5-6 मिंट में एक माला जप हो रहा हो ताकि हमारी समस्या का समाधान हो सके। इन वीडियोस को  हम साप्ताहिक स्पेशल सेगमेंट में शेयर करना चाहेंगें। 

अब आती है आज के ज्ञानप्रसाद लेख की बात। आज लेख में ऐसे वैज्ञानिक तथ्यों को,ब्रेन वेव्स के आधार पर इक्क्ठा किया गया है जिसको समझने के बाद मंत्र जप का उद्देश्य पूरी तरह से क्लियर होने की सम्भावना है। वैज्ञानिक अध्यात्मवाद का समर्थन करता आज का लेख किसी की भी शंका का निवारण कर सकता कि सभी मंत्र विशेषकर गायत्री मंत्र एटम बम जैसी शक्ति लिए हुए हैं।

तो शांतिपाठ के साथ आज की गुरुकक्षा का शुभारम्भ करते हैं।

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति: पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:
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  • ध्यान, एकांत साधना, मानसिक शांति के लिए धीमा और मध्यम जप उचित है।
  •  सामूहिक संकीर्तन, भक्ति भाव, ऊर्जा जागरण के लिए  तेज़ जप उचित है।  
  • सामान्य साधना के लिए मध्यम गति (न तो बहुत धीमी, न बहुत तेज़) सर्वोत्तम मानी जाती है।
  • गायत्री मंत्र जैसे वेद मंत्र को  स्पष्ट और मध्यम गति से जपना चाहिए।
  • ॐ, ह्रीं, क्लीं जैसे बीज मंत्रों को धीरे-धीरे और गहरे स्वर में जपना चाहिए।
  • कीर्तन/भजन जैसे सामूहिक आयोजनों में मंत्र लयबद्ध और तेज़ भी हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

  • शुरुआती साधकों को मध्यम गति से मंत्र जप करना चाहिए।
  • ध्यान और गहराई के लिए धीरे-धीरे मंत्र करना श्रेष्ठ है।
  • अगर ऊर्जा जगानी हो तो कुछ समय तेज़ जप भी किया जा सकता है।

1. तेज़ (Fast) मंत्र जप करने से मस्तिष्क में 12-30 Hz वाली  बीटा वेव्स (Beta waves) सक्रिय होती हैं। यह हमें ऊर्जा, जागरूकता और सक्रियता देती हैं । तेज़ मंत्र जप करने से  हृदयगति और रक्तसंचार थोड़े बढ़ जाते हैं। शरीर में Adrenaline जैसे  Energy hormones पैदा होते  हैं। थकान या नींद आने पर तेज़ जप Instant energy प्रदान करता  है। तेज़ जप करने से एकाग्रता जल्दी आती है। अगर अधिक समय तक तेज़ जप किया जाए तो मन थोड़ा उत्तेजित भी हो सकता है।

2.धीमे (Slow) मंत्र जप  से अल्फ़ा (8–12 Hz) और थीटा वेव्स (4–7 Hz) सक्रिय होती हैं।  यह हमें शांति,ध्यान और गहरी विश्रांति (Deep  relaxation) देता है। धीमा जप करने से सांस गहरी और नियमित हो जाती है। हृदयगति और ब्लड प्रेशर सामान्य होता है। शरीर में Serotonin और Melatonin (शांति और नींद लाने वाले हार्मोन) बढ़ते हैं। क्या धीमा मंत्र जप के समय नींद आने का कारण Melatonin का secretion ही है? हो सकता है ऐसा ही हो, सारा विश्व शांति की तरफ भाग रहा है, गहरी नींद के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन साधना/मंत्र जप के समय आने वाली नींद को “योगनिद्रा” के साथ जोड़ना भी अनुचित नहीं है। आदरणीय चिन्मय भाई साहिब इस तथ्य को हमारे साथ Certify कर चुके हैं ।

धीमी गति में मंत्र जप करने से तनाव और चिंता कम होती है। ध्यान (Meditation) की गहराई बढ़ती है, लंबी साधना के लिए धीमी गति ही उपयुक्त मानी गयी है। 

कुछ परंपराओं में शुरू में मंत्र को तेज़ गति से जपकर ऊर्जा जगाई जाती है, फिर धीरे-धीरे धीमी गति में  जप करके उस ऊर्जा को स्थिर और शांत किया जाता है। इसे “मंत्र साधना की ताल (Rhythm)” भी कहा जाता है।

निष्कर्ष:

  • तेज़ जप से ऊर्जा, जागरूक और  सक्रिय होती है।
  • धीमा जप से शांति, ध्यान, गहराई प्राप्त होती है।
  • दोनों का अपना-अपना  स्थान हैऔर साधक परिस्थिति के अनुसार चुन सकता है।

मंत्रों की सूची में देखा जा सकता है कि कौन से मंत्र तेज़ (Fast) और कौन से धीमे (Slow) जपने उपयुक्त माने जाते हैं:

  1. नीचे दिए गए धीमे (Slow, गहरे स्वर में) जपने योग्य मंत्र आंतरिक शांति और साधना प्रदान करते हैं:

ॐ,ॐ नमः शिवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,गायत्री मंत्र,महामृत्युंजय मंत्र,बीज मंत्र (ह्रीं, क्लीं, श्रीं, ऐं आदि),ॐ शांति शांति शांति

यह मंत्र मन को शांत करते हैं, ध्यान को गहरा बनाते हैं। धीरे करने पर मस्तिष्क में थीटा और अल्फ़ा वेव्स उत्पन्न होती हैं।

  1. नीचे दिए गए  तेज़ (Fast, लयबद्ध) जपने योग्य मंत्र ऊर्जा, जोश और उत्साह प्रदान करते हैं। यह मंत्र भजन/कीर्तन शैली में भी गाए जाते हैं:

हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे; हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे;जय श्री राम; जय हनुमान;ॐ नमः भगवते रुद्राय;ॐ नमः नारायणाय (कभी तेज़, कभी मध्यम); हनुमान चालीसा, गायत्री चालीसा आदि)

यह मंत्र शरीर में ऊर्जा और उत्साह भरते हैं। समूह जप या भक्ति भाव जगाने में उपयुक्त। मस्तिष्क में बीटा वेव्स सक्रिय करते हैं, जिससे सक्रियता आती है।

  1. नीचे दिए गए मिश्रित गति (पहले तेज़, फिर धीमे) वाले मंत्र  कुछ मंत्र ऐसे हैं जिन्हें गहरे ध्यान में जपना श्रेष्ठ माना जाता है:

ॐकार (ॐ जप), शुरुआत में कई बार तेज़, फिर अंत में लंबा और धीमा, गायत्री मंत्र, पहले मध्यम गति से 11/21 बार, फिर अंत में धीमा और ध्यानपूर्वक। महामृत्युंजय मंत्र, बीमार व्यक्ति या संकट में तेज़, ध्यान में धीरे।

आइए चलते-चलते Daily Mantra Practice Schedule को भी देख लें जिसे कोई भी साधक आसानी से अपना सकता है।

  1. प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में सूर्योदय से पहले  मन-शरीर को शुद्ध करने के लिए,दिन की सकारात्मक शुरुआत करना अभूत ही अनिवार्य है। इसके लिए धीरे और लम्बे स्वर में 3–7 बार ॐ जप करना बहुत लाभदायक है। मध्यम गति, स्पष्ट उच्चारण से गायत्री मंत्र करना उचित है। उसके बाद धीरे से, गहराई से 5–11 बार ॐ नमः शिवाय जपना चाहिए। दिन की शुरुआत ऐसे करने से एकाग्रता, ऊर्जा और शांति प्राप्त होती है। 
  2. दोपहर के समय काम/पढ़ाई के बीच थकान या तनाव के लिए ऊर्जा और सक्रियता के लिए 5–11 मिनट हरे कृष्ण महामंत्र (तेज़, लयबद्ध जप), 3–5 बार जय श्री राम या जय हनुमान मंत्र जपने चाहिए। ऐसा करने से मन में जोश और शरीर में ताजगी।
  3. शाम (सूर्यास्त के समय) दिनभर की थकान मिटने के लिए और मन को शांत करने के लिए 11 बार महामृत्युंजय मंत्र (मध्यम या धीमी गति से), 21 बार ॐ नमः शिवाय (धीरे और ध्यानपूर्वक) जप करना चाहिए। ऐसा करने से शांति,रोग-निवारण और मानसिक संतुलन बनता है। 
  4. रात (सोने से पहले) मन को शांत करने के लिए, गहरी नींद के लिए 3–7 बार ॐ शांति शांति शांति, धीमी गति में हनुमान चालीसा धीमी गति में (शांति और सुरक्षा के लिए) करना चाहिए।

सुबह आँख खुलते ही  थीटा (4–7 Hz) से अल्फ़ा (8–12 Hz) waves  में परिवर्तन होता है जिससे शांति  और जागरूकता मिलती है।ब्रह्मुहुर्त में गायत्री मंत्र जप से Serotonin (Happiness  hormone) और Dopamine  (Motivation  hormone) बढ़ते हैं,मन एकाग्र होता है, पढ़ाई/काम की क्षमता बढ़ती है।
दोपहर (तनाव या थकान के समय) बीटा वेव्स (12–30 Hz) सक्रिय होती हैं। जिनसे शरीर में एड्रेनालिन (Adrenaline  और नॉरएड्रेनालिन(Noradrenaline) निकलते हैं जिनसे थकान मिटती है। मस्तिष्क का Reticular Activating System (RAS) सक्रिय होता है, नींद टूटती है,मन सतर्क होता है। ऐसा होने से ऑफिस/स्टडी के बीच की सुस्ती दूर होती  है।

शाम (सूर्यास्त के समय) धीमा जप करने से अल्फ़ा वेव्स सक्रिय होकर मन शांत करती हैं । महामृत्युंजय मंत्र जप से ऑक्सिटोसिन (Oxytocin-healing hormone) और एंडॉर्फिन (Endorphin, pain-relief hormone) निकलते हैं। तनाव हार्मोन (Stress hormone,Cortisol) का स्तर कम होता है। डोपामिन और  एंडॉर्फिन दोनों के Secretion से खुशी और ऊर्जा प्राप्त होती है।
रात (सोने से पहले) धीरे जप से थीटा (4–7 Hz) और डेल्टा वेव्स (0.5–4 Hz) सक्रिय होने लगती हैं,गहरी नींद की तैयारी होती है।
मेलाटोनिन (Sleep hormone) का स्तर बढ़ता है,अच्छी और गहरी नींद आती है। हृदयगति और सांस धीमी होती है, शरीर “relaxation mode” में चला जाता है। अवचेतन मन शांत होकर अगले दिन के लिए रीसेट होता है।
उपरोक्त चर्चा एवं कल वाले लेख के ज्ञान से यही अर्थ निकलता है कि मंत्र जप केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि एक “Neuroscience Practice” यानि दिमाग की कसरत  भी है जो हमारी brain waves और hormones को समय अनुसार संतुलित करता है।

समापन, जय गुरुदेव 


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