आज जुलाई माह का अंतिम शनिवार है, हमारी आदरणीय बहिन सुमनलता जी के सुझाव एवं साथियों की स्वीकृति से जन्में इस अंक को लेकर हम आपके न्यायालय में उपस्थित हो चुके हैं।
हर बार लिखते हैं कि हम कोई लेखक नहीं हैं, त्रुटियां होना स्वाभाविक है।
हृदय में जो भी विचार उठते हैं उन्हें शब्दों में परिवर्तित करके साथियों के समक्ष बड़ी ही सरलता,निष्ठा एवं अपनत्व से प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं।प्रयास तो यही रहता है कि एक भी शब्द ऐसा न लिखा जाए जिससे किसी की भावना को ठेस पंहुचे लेकिन क्या करें हम इंसान ही तो हैं और इंसान गलती का पुतला है।
आज 26 जुलाई 2025 का यह विशेषांक कुछ स्पेशल संदेश लेकर आया है जो लगभग प्रत्येक परिवारजन से संबंधित है। शायद कहना गलत न हो कि गुरुदेव के निर्देश में ही इन संदेशों का जन्म हुआ है।
हुआ कुछ ऐसा कि गुरुवार की रात का समय था, हम तो गहरी नींद में सो रहे थे,न जाने क्या हुआ कि 3:00 बजे अचानक नींद खुली जैसे गुरुदेव ने ही झटका देकर जगाया हो। इस तरह अचानक नींद खुलने से स्वाभाविक है कि बेचैनी और बेआरामी होती लेकिन हम तो पूरी तरह से फ्रेश थे, इतना फ्रेश कि नींद पूरी हुई महसूस हुई। फिर भी हमने लगभग आधा घंटा सोने का प्रयास किया लेकिन नींद नहीं आई। 3:30 बजे उठ पड़े और गुरुदेव के निर्देश का पालन करते हुए यूट्यूब को खंगालना शुरू कर दिया। उस दिन के ज्ञानप्रसाद लेख और शॉर्ट वीडियो की परफॉर्मेंस को यूट्यूब और फेसबुक पर तुलना करना आरंभ कर दिया।
गुरुदेव से जो संदेश मिले उनका विस्तृत विवरण तो Point by point करते हैं लेकिन उससे पहले निम्नलिखित अपडेट को देख लें:
गुरुवार वाले समापन लेख में संकेत दिया था कि यह लेख इस श्रृंखला का एवं इस “समय” का अंतिम लेख है। “समय का अंतिम” लेख से हमारा अभिप्राय है कि मंगलवार के बाद हमारा और आपका संपर्क लगभग 10 दिन के लिए टूटने की कगार पर आ पहुंचा है।10 दिन के इस समय को हम “अज्ञातवास” कहें तो शायद अनुचित न हो। हम अपने दोनों बेटों, दोनों नन्हीं मुन्नी पोतियों, बड़ी बहुरानी के साथ पानी के जहाज से Alaska cruise के लिए जा रहे हैं। छोटी बहुरानी छुट्टी न होने के कारण जाने में असमर्थ रही। अगर कहें कि जब से ज्ञानरथ का कार्य शुरू किया है,यह पहला अवकाश है तो शायद गलत न हो।
Cruise ship सागर के अंदर होने के कारण इंटरनेट की क्वालिटी बहुत ही Weak बताई गई है। इतना महंगा इंटरनेट कनेक्शन लेने के बावजूद भी signal strength की कोई गारंटी नहीं है। 10 दिन के बाद वापिस आने पर हम स्वयं आपसे संपर्क करेंगे।
यह अपडेट सभी साथियों के लिए नोट करना लाभदायक रहेगा क्योंकि इसके बाद हमसे संपर्क करना संभव नहीं होगा। हम जानते हैं कि पहले की तरह अनेकों साथी इसे ध्यान से देखेंगे नहीं और हमें मैसेज करके पूछेंगे कि आज का लेख क्यों नहीं आया? ऐसे साथियों का हम कुछ भी कर पाने में असमर्थ हैं।
तो आइए चलते हैं गुरुदेव द्वारा दिए गए निर्देशों की ओर। गुरुदेव ने हमें कठोर शब्दों का प्रयोग करने का निर्देश दिया है लेकिन ऐसी प्रवृति हमारे रक्त में ही नहीं है, फिर भी यदि कुछ गलत लिखा गया हो तो हम करबद्ध क्षमाप्रार्थी हैं ।
1.पहला निर्देश यूट्यूब पर हमारे द्वारा पोस्ट किए जा रहे कंटेंट पर कॉमेंट/काउंटर कॉमेंट से संबंधित है। समय आ चुका है कि इसके बारे में कुछ ठोस निर्णय लिया जाए।
कॉमेंट/काउंटर कॉमेंट की प्रक्रिया के पीछे एकमात्र उद्देश्य गुरुदेव को घर-घर में स्थापित करके,उस घर/परिवार की सुख-शांति में योगदान देते हुए विश्व शांति की कामना करना था। अभी-अभी तो धरती पर स्वर्ग के अवतरण की बात हुई है। ज्ञानरथ परिवार में यह भावना प्रत्यक्ष स्वर्गीय वातावरण का प्रयास है।
कमेंट/काउंटर कमेंट की प्रक्रिया जिस उत्साह एवं उद्देश्य से आरंभ की गयी थी, दोनों ही विफल होते दिखे हैं। इस प्रक्रिया की सफलता के लिए, इसे आकर्षक बनाने के लिए गोल्ड मेडल, संकल्प सूची,Main points आदि उपकरणों से अलंकृत किया गया लेकिन हर कोई प्रयास उस प्वाइंट तक परिणाम लाने सफल न हो पाया जिसकी हम आशा लगाए बैठे थे। वर्षों पूर्व आरंभ की गई कॉमेंट/ काउंटर कॉमेंट प्रक्रिया के ग्राफ का दिनोदिन पतन ही होता गया। कॉमेंट करने वाले साथियों का नंबर,पोस्ट होने वाले कॉमेंट्स का नंबर, कॉमेंट्स की क्वालिटी आदि सभी लगातार गिरते ही गए। बिना पढ़े, गुरुज्ञान का अनादर करते हुए “जय गुरुदेव, जय महाकाल” जैसे कमैंट्स लिख कर, कमैंट्स का नंबर बढ़ाने का अनवरत प्रयास चलता रहा जबकि कुछ माह पूर्व बड़ी ही स्पष्टता से निवेदन किया था कि “नंबर नहीं क्वालिटी” की ओर ध्यान दिया जाये।
हम उन गिने-चुने समर्पित साथियों के चरणों में सदैव नतमस्तक रहेंगे जिन्होंने अनवरत हमारा साथ दिया,बिना किसी रोकटोक के,हर प्रकार की स्थिति में इस प्रक्रिया में सक्रियता दिखाई। उन्होंने न केवल सक्रियता ही दिखाई बल्कि औरों को प्रेरित करने के यथासंभव, प्रयास भी किए लेकिन कोई प्रभाव न दिखा।
दूसरी तरफ ऐसे साथी थे जिन्होंने हमारे प्रत्येक निवेदन को नकार कर, न केवल मानवीय मूल्यों का हनन किया बल्कि स्वयं को ज्ञान गंगा की बहती निर्मल जल की दिव्यता से वंचित रखा। ऐसे साथी गुरुदेव द्वारा प्रदान किए जा रहे दुर्लभ सौभाग्य का लाभ न प्राप्त कर पाए और भटकन ने उनका कभी भी पल्ला नहीं छोड़ा। जब भी ज्ञानरथ परिवार में आए,अपना रोना-धोना, गुरुवर से भिक्षा मांगते,हथेली पे सरसों जमाने जैसी आशा लेकर आए। गुरुवर सब देख रहे हैं, पात्रता देख कर ही देते हैं।
उस रात गुरुवर ने अपने निर्देश में बड़ी ही सांत्वना देकर यही कहा “बेटे तू पत्थरों पर सिर पटक-पटक पर अपना ही रक्त बहा रहा है, इन पत्थरों से तुझे कोई आशा नहीं करनी चाहिए, अपना मूल्यवान समय, ऊर्जा व्यर्थ में मत गंवा और आगे की ओर कदम बढ़ा।”
हम अपने उन समर्पित साथियों से पूर्णतया सहमत हैं कि Main comment में “जय गुरुदेव” लिखने वाले साथी केवल हाजरी ही लगवा रहे हैं, वोह लेख पढ़ते ही नहीं हैं। यदि पढ़ते हों तो परम पूज्य गुरुदेव की वाणी के अंगारों ने उनके हृदय पर कोई प्रभाव क्यों नहीं डाला,यदि उनकी आत्मा को झकझोड़ा होता तो उनकी भावना अवश्य ही शब्दों में परिवर्तित होती। यदि उन्होंने इन लेखों को पढ़ा होता तो उन्हें अनुमान होता कि इन्हें Compile करने में किस स्तर का परिश्रम, ज्ञान,कितने घंटों/दिनों/ महीनों के परिश्रम की पूंजी लगी हुई है।
अनेकों बार लिख चुके हैं,आज फिर लिख रहे हैं कि इस प्रक्रिया में हमारा रत्ती भर भी स्वार्थ नहीं है। Subscribers बिना कहे ही बढ़े जा रहे हैं, चैनल Demonetized है, अर्थात कोई धन नहीं कमाया जा रहा है।
शायद ही कोई ऐसा यूट्यूब चैनल होगा जिसका उद्देश्य पूर्ण श्रद्धा से केवल ज्ञानप्रसार ही हो।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से समय-समय पर निम्नलिखित 16 मानवीय (शिष्टाचार, आदर, सम्मान, श्रद्धा, समर्पण, सहकारिता, सहानुभूति, सद्भावना, अनुशासन, निष्ठा, विश्वास, आस्था, प्रेम, स्नेह, नियमितता,शालीनता) मूल्यों का स्मरण कराया जाता है, ढिंढोरा पीटा जाता है। शायद हमारा भ्रम ही होगा कि यह परिवार अन्य परिवारों से अलग है, यूनिक है, लेकिन सच में यह भ्रम ही है। यदि ऐसा न होता तो बार-बार हमारे एवं अन्य वरिष्ठ,आदरणीय साथियों के निवेदन का कुछ तो आदर, सम्मान किया होता;कुछ तो शिष्टाचार, शालीनता व्यक्त की होती; गुरु के चरणों में श्रद्धा,समर्पण,विश्वास, निष्ठा व्यक्त की होती;परिवार के सदस्यों के प्रति सद्भावना, सहानुभुति,प्रेम,स्नेह व्यक्त किया होता;नियमितता का भाव प्रकट किया होता।
बड़े ही आदर सम्मान एवं सावधानी पूर्वक,ऐसे साथियों का जिक्र किए बिना नहीं रह सकते जिन्होंने असम्मान की सारी हदें पार कर दीं। चुपके से कन्नी काट कर चले तो गए आज तक सूचित करना भी अपना कर्तव्य नहीं समझा। क्या हम ऐसे मानवीय मूल्यों का ढिंढोरा पीटते रहे हैं?
अपने स्वयं के बारे में लिखेंगें तो Self-praise का दोष लगेगा लेकिन इतना तो कह ही दें कि दिव्य सन्देश का समय अगर भारतीय समय के अनुसार 8:00 बजे है तो चाहे खाना छोड़ना पड़े नियमितता का पालन करने का प्रयास करते हैं। दैनिक ज्ञानप्रसाद पोस्ट करने के समय हम कहीं भी हों,प्रज्ञामण्डल में, चिन्मय जी, राकेश जी आदि के पास हों तो बीच में छोड़ कर इस कार्य को पूरा करने का प्रयास करते हैं
जिस भावना को हम इस समय प्रकट कर रहे हैं उसके पीछे उन कुछ एक साथियों का परिश्रम है जो नियमितता से लेख को पढ़कर,समझकर विस्तृत कॉमेंट करते हैं और उनको केवल “जय गुरुदेव” ही लिखा मिलता है।
कॉमेंट्स को न पढ़ने के पीछे,काउंटर कॉमेंट न करने के पीछे यदि व्यस्तता का बहाना है तो फिर गुरुदेव के डांट भरे शब्द ही लिखने पड़ रहे हैं, “आप सांस लेते हैं कि नहीं, आप खाना खाते हैं कि नहीं,आप टीवी देखते हैं कि नहीं” क्या यह सभी काम गुरु के काम से अधिक जरूरी हैं?
इस स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद ही कुछ ठोस कदम लेने उचित समझा जा रहा है। यदि कहा जाए कि जिन ठोस कदमों की बात हम कर रहे हैं वह वही सुझाव हैं जो वर्षों पहले हमारे साथियों ने कॉमेंट/काउंटर कॉमेंट के संबंध में व्यक्त किए थे। उन्होंने कहा था कि आप व्यर्थ में ही कॉमेंट/काउंटर कॉमेंट के लिए चिंतित होते रहते हैं, जिसकी जितनी श्रद्धा होगी खुद ही पढ़ेगा। 12वीं शताब्दी की Phrase, “You Can Lead a Horse To Water, But You Can’t Make It Drink” ऐसे ही साथिओं पर फिट बैठती है।
तो साथिओ अब कुछ “ठोस निर्णय” लेने का समय आ गया है। उन गिने-चुने समर्पित, निष्ठावान साथिओं से कहना उचित समझ रहे हैं कि
1.कमैंट्स के नंबर की चिंता करना छोड़ दें।
2.कोई साथी काउंटर-कमेंट करता है यां नहीं इसकी चिंता छोड़ दें।
3.यदि कोई साथी लेख से सम्बंधित विस्तृत कमेंट करता है तो उसके कमेंट पढ़कर ही उसका बनता काउंटर कमेंट करें।
4.जय गुरुदेव,जय महाकाल जैसे कमैंट्स का रिप्लाई करके अपना समय/श्रम आदि ख़राब न करें।
5.जो साथी लेख से सम्बंधित कमेंट नहीं करते हैं उनको रिप्लाई करना बंद ही उचित होगा।
तो साथिओ कमेंट-काउंटर कमेंट का विषय यहीं पर समाप्त होता है।
अब आगे चलते हैं, दुसरे पॉइंट की ओर।
19 जुलाई को आदरणीय चिन्मय जी ने USA,Canada, UK, Europe, EAfrica, UAE, South Africa, Ireland, Russia आदि देशों के गायत्री परिजनों के साथ ज़ूम मीटिंग की, हमें भी उसमें शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस सम्बन्ध में भेजी गयी न्यूज़ कटिंग के लिए आदरणीय चंद्रेश जी का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। आने वाले दिनों में इस मीटिंग से मिले आईडिया को परिवार में रखने की योजना है। इस आईडिया से ज्ञानरथ परिवार एक नए रूप में सक्रीय होगा, ऐसा हमारा विश्वास है।
तो साथिओ आज के इस विशेषांक का यहीं पर समापन होता है, Cruise पर जाने से पूर्व अभी एक-दो दिन पारिवारिक व्यस्तता रहेगी लेकिन साथिओं के कमैंट्स का रिप्लाई तो हो ही जायेगा।
अंत में इतना ही कहना चाहेंगें कि जब से गुरुदेव ने स्वप्न में आकर निर्देश दिए, उसी समय से, बड़ी ही सावधानी से, आज तक इस विशेषांक को लिखते रहे हैं,यदि इतनी सावधानी के बाद भी कुछ गलत लिखा गया हो तो करबद्ध क्षमाप्रार्थी हैं
धन्यवाद्, जय गुरुदेव