आज के इस विशेष वीकेंड सेगमेंट का शुभारंभ विश्वशांति की कामना से होता है:
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः ।सर्वे सन्तु निरामयाः ।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु ।मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ अर्थात सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। हे भगवन हमें ऐसा वर दो!
हमारे सभी नियमित एवं कभी-कभार भ्रमण करने आये परिजन जानते हैं कि इस छोटे से समर्पित परिवार में शनिवार का दिन एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त करता हुआ स्वयं को सौभाग्यशाली मानता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर ही करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा।
माह के सभी शनिवारों का टाईमटेबल पहले भी कई बार शेयर कर चुके हैं लेकिन फिर से बताना अपना कर्तव्य समझते हैं, क्या पता कभी-कभार आने वाले पर्यटकों के ह्रदय को कौन सी बात छू जाए और वोह सदा सदा के लिए हमारे हो जाएँ। हममें से अधिकतर इसी संपर्क-साधना से इस परिवार से जुड़े और फिर हमारे ही हो गए। अक्सर कहते आये हैं “जहाँ संपर्क छूटा, वहीँ सम्बन्ध टूटा” इसी बात को अनेकों बार लिख चुके हैं कि परम पूज्य गुरुदेव ने इस परिवार को अपनत्व,स्नेह और प्यार की खाद और जल से सींचा है। आज जहाँ हर कोई स्वार्थ की अग्नि की ओर आकर्षित हुआ जा रहा है,ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार गुरुदेव के सपने को साकार करता हुआ निस्वार्थ भावना का प्रकाट्य कर रहा है।
हमारी आदरणीय बहिन सुमनलता जी के सुझाव पर हमारे द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाला अंतिम शनिवार का कंटेंट तैयार करना जितना कठिन होता है उतना ही कठिन अन्य शनिवारों का कंटेंट होता है जब हमारी स्थिति एक समर्पित डाकिये की भांति होती है। हमारे प्रिय साथी वीडियोस।पिक्चर्स/फ़ोन कॉल्स आदि से हमें जो भी जानकरी भेजते हैं उन्हें यथावत परिवार के मंच पर प्रकाशित कर देते हैं।
इस स्पेशल सेगमेंट में हर बार लिखते हैं कि हम कोई लेखक नहीं हैं, जैसे-जैसे, जो-जो विचार उठते जाते हैं, बिना किसी फॉर्मेट, Sequence की चिंता किये बिना, लिखे जाते हैं, भावना यही होती है कि हम अपने परिजनों के आमने सामने हैं, बातचीत कर रहे हैं, कई बार लेखनी बहुत कुछ कह जाती हैं।
तो आइये Point by point चलते हैं आज के विवरण की ओर :
1.सबसे पहले तो मथुरा वाले सहस्र कुंडीय महायज्ञ पर आधारित लेख श्रृंखला की बात करते हैं। इस अति विशिष्ट लेख श्रृंखला पर हमने 21 दिव्य लेखों का अमृतपान किया और दिसंबर 1958 के महायज्ञ विशेषांक का समापन समझा गया। गुरुदेव का सन्देश तो यही मिल रहा है कि 3 अंक और लिख कर “24” की दिव्य गणना का श्रेय प्राप्त कर लिया जाये। गुरुदेव के आदेश का पालन करते हुए आने वाले तीन अंक कुछ इस दृष्टि से चयनित किये गए हैं कि यज्ञ से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर मिलने की सम्भावना है। यज्ञ तो हम सभी कर रहे हैं, गायत्री मंत्र का जाप भी सभी कर रहे हैं लेकिन प्रश्न तो यह उठता है कि क्या उसका प्रभाव वही अनुभव हो रहा है जो होना चाहिए। क्या हम नकारात्मक शक्तियों को दूर भागने में सफल हो रहे हैं ? अगर नहीं तो फिर अवश्य ही हम कुछ गलत कर रहे हैं, यां हमारी साधना हमारे अंतर्मन तक पंहुचने से काफी दूर है।
आने वाले लेखों में यही प्रयास रहेगा कि जो कोई प्रक्रिया भी हम कर रहे हैं उसका प्रतक्ष्य अनुभव हमें स्वयं देखने को मिले। बिना प्रतक्ष्य प्रमाण के माला जपना, किसी मशीन ऑपरेट करने से कम नहीं है।
परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य साहित्य में चुनकर,भलीभांति समझकर प्रकाशित होने वाले ज्ञानप्रसाद लेख यदि “प्रतक्ष्य आत्मिक शांति” देने में असमर्थ हैं तो समझ लेना चाहिए कि यां तो लेखक अयोग्य है यां पाठक में कोई कमी है। यदि यह लेख आत्मिक शन्ति प्रदान करने में सफल होते हैं, Negativity-out, Positivity-in के सिद्धांत का प्राकट्य होता है तो समझ लेना चाहिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। लेखक और पाठक, दोनों की स्थिति एक नन्हें से बच्चे की भांति होनी चाहिए जो अपनी सफलता को भाग-भाग कर सभी को बताता फिरता है, शायद कमेंट-काउंटर कमेंट इस आत्मिक शांति को ही प्रकट कर रहे होते हैं।
इन तीन लेखों के बाद जिस लेख श्रृंखला की योजना जन्म ले रही है, वोह मार्च 1972 की अखंड ज्योति पर आधारित है, जब वंदनीय माता जी शांतिकुंज के प्रारंभिक दिनों में गुरुदेव के बिना रह रही थीं। इस कंटेंट में इतनी दिव्यता है कि जब भी समय मिला, न जाने हम कितनी ही बार पढ़ चुके हैं।
2.शुक्रवार प्रकाशित होने वाली वीडियो को लेकर हमारे ह्रदय में सदैव चिंता बनी रहती है। यही चिंता बनी रहती है कि लोगों को इतने उच्चस्तरीय, दिव्य कंटेंट को देखने के लिए कैसे प्रेरित करें। शॉर्ट वीडियो तो कोई विकल्प नहीं है, इस प्रणाली से व्यूज तो मिलियंस में मिल जाते हैं लेकिन हमारा उद्देश्य व्यूज बटोरना नहीं है, व्यूज तो खरीदे भी जाते हैं। गुरुदेव स्वयं ही मार्ग दिखाते जा रहे हैं, हमारी नैया के वही खेवनहार हैं।
3.हमारी सर्वप्रिय बेटी संजना की मम्मी आदरणीय पूनम जी की ज्ञानरथ परिवार में अनुपस्थिति हमारे समेत सभी को दिख रही थी। जब तक हमने बेटी से संपर्क नहीं किया था, उन्हें “कभी कभार आने वाले पर्यटक” की संज्ञा दे दी थी। बेटी से ही पता चला कि माता-पिता दोनों ही बिहार में नेगेटिव शक्तियों से इतने प्रभावित हो गए थे कि हर तरफ अन्धकार ही दिख रहा था। अशोक जी का लगातार तीन बार एक्सीडेंट हो गया तो बेटी ने उन्हें शांतिकुंज के दिव्य वातावरण में आकर कुछ समय बिताने का सुझाव दिया। आजकल दोनों शांतिकुंज में सत्र कर रहे हैं जो माह के अंत में समाप्त होगा। हमारी दोनों से बात हुई है, अनेकों स्थितिओं में सार्थक विकल्प ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है। स्वाभाविक है कि ऐसी स्थिति में ज्ञानप्रसाद जैसी बातों पर कहाँ मन टिक पाता है।
अपनी दुविधा में फंसे, संकोचवश ज्ञानप्रसाद परिवार में भी बता न सके, हमारा विश्वास है कि यदि यहाँ बात करते तो एकदम सभी सामूहिक तौर से गुरुवर से प्रार्थना करते, कोई न कोई विकल्प निकल ही आता। इस छोटे से परिवार का इतिहास हमारी बात का साक्षी है। इस परिवार में तो ऐसे-ऐसे साथिओं के लिए शुभकामना (विवाह सन्देश,जन्म दिवस सन्देश आदि), सहयोग आदि की प्रार्थना की जाती है जिनका गुरुदेव से कहीं दूर-दूर से भी सम्बन्ध नहीं होता क्योंकि गुरुदेव की योजना विश्व्यापी है, सारा विश्व ही गुरुदेव का परिवार है।
एक दो जगह बातचीत चल रही है, आशा है अशोक/पूनम जी का कुछ न कुछ हो ही जायेगा।
बेटी संजना की आत्मा ज्ञानरथ परिवार में पर्याप्त योगदान न दे पाने के लिए कचोट रही थी।
4.गायत्री शक्तिपीठ चंदापुर नाम से चलाये जा रहे व्हाट्सप्प ग्रुप से लगातार गतिविधिओं एवं सूचनाओं की जानकारी मिलती रहती है। अपनी व्यक्तिगत व्यस्तता के कारण हम कोई भी योगदान न दे पाने के लिए क्षमाप्रार्थी हैं लेकिन जो भी महत्वपूर्ण जानकारी दिखाई देती है उसे परिवार के साथ शेयर करने में अपना सौभाग्य समझते हैं।
इसी मंच से शेयर हुई “गायत्री मंत्र से ह्रदय रोग का इलाज” जानकारी परिवार में दो स्लाइड्स के रूप में शेयर कर रहे हैं। हमारे साथिओं ने ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की प्रोफाइल वीडियो तो देखी ही है जिसमें सुधीर चौधरी गायत्री मंत्र से बौद्धिक क्षमता की बात कर रहे हैं।
गायत्री मंत्र की शक्ति पर न जाने कितने ही रिसर्च पेपर्स और थीसिस केवल देव संस्कृति यूनिवर्सिटी से ही प्रकाशित हो चुके हैं।
5.“संसार है इक नदिया ,दुःख सुख दो किनारे हैं” गीत ज्ञानरथ परिवार का बहुत ही लोकप्रिय गीत है। 1975 में रिलीज़ हुई रफ़्तार फिल्म का गीत, मुकेश जी की आवाज़ में जीवन के सत्य को वर्णन करता है। जहाँ बहिन पूनम जी और अशोक जी दुःखित परिस्थिति में हैं वहीँ हमारे आदरणीय भाई साहिब चंद्रेश जी के परिवार में नवशिशु के आगमन की ख़ुशी है। भाई साहिब के भतीजे डॉ प्रतीक सिंह को पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण परिवार को ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के माध्यम से गुरुदेव का आशीर्वाद मिले, सारा परिवार गुरुसत्ता की शिक्षा से गायत्रीमय हो जाए, ऐसी हमारी व्यक्तिगत कामना है।
जय गुरुदेव

