वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

10 मई 2025 शनिवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक 

जिस प्रकार प्रत्येक ज्ञानप्रसाद का शुभारंभ हम विश्वशांति की कामना के साथ करते हैं, उसी प्रकार आज के इस विशेष सेगमेंट का शुभारंभ भी, भारत-पाक के तनाव को देखते हुए, विशेष कामना से होता है: 

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः ।सर्वे सन्तु निरामयाः ।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु ।मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ अर्थात सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। हे भगवन हमें ऐसा वर दो! 

कल रविवार को मातृदिवस है, रविवार को ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का ऑफिस बंद रहता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि अपनी माँ का आशीर्वाद आज ही प्राप्त कर लिया जाय। हमारी और नीरा जी की माता जी एवं परिवार की माता जी का संयुक्त आशीर्वाद,संयुक्त शक्ति अवश्य ही विश्वशांति के लिए प्रयास करेंगीं। ज्ञानरथ परिवार की सभी माताओं को मातृदिवस की हार्दिक बधाई, निवेदन करते हैं कि सभी माताएं अपने बच्चों के शीश पर अपना हाथ रखते हुए आशीर्वाद एवं  प्यार की वर्षा करती रहें। 

आज का प्रज्ञागीत भी इसी भावना को चरितार्थ कर रहा है, इस प्रज्ञागीत को पिछले दो दिनों से शार्ट  वीडियोस के माध्यम से 40000 दर्शक देख चुके हैं 

इन्हीं दो Updates के साथ आज के इस विशेष वीकेंड सेगमेंट का शुभारंभ होता है। 

हमारे  सभी नियमित एवं कभी-कभार भ्रमण करने आये परिजन जानते हैं कि इस छोटे से समर्पित  परिवार में शनिवार का दिन  एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब  सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त  करता हुआ स्वयं  को सौभाग्यशाली मानता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी  साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर ही करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा।  

माह के सभी शनिवारों  का टाईमटेबल पहले भी कई बार शेयर कर चुके हैं लेकिन फिर से बताना अपना कर्तव्य समझते हैं, क्या पता  कभी-कभार आने वाले पर्यटकों के ह्रदय को कौन सी बात छू जाए और वोह सदा सदा के लिए हमारे हो जाएँ। हममें से अधिकतर इसी संपर्क साधना से इस परिवार से जुड़े और फिर  हमारे ही हो गए। अक्सर कहते आये हैं “जहाँ संपर्क छूटा, वहीँ सम्बन्ध टूटा” 6 मई वाले आरंभिक पैराग्राफ में भी इसी बात को लिखा था कि परम पूज्य गुरुदेव ने इस परिवार को अपनत्व,स्नेह और प्यार की खाद और जल से सींचा है। आज जहाँ हर कोई स्वार्थ की अग्नि की ओर आकर्षित हुआ जा रहा है,ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार गुरुदेव के सपने को साकार करता हुआ निस्वार्थ भावना का प्रकाट्य कर रहा है।    

माह के पहले तीन शनिवार साथिओं से सहयोग और योगदान  को समर्पित होते हैं,  “अपने सहकर्मियों की कलम से” शीर्षक के अंतर्गत इन तीन शनिवारों में उन्हीं  का योगदान होता है, जिसके द्वारा इस  छोटे से मंच को  और अधिक  शक्तिशाली बनाने का प्रयास होता है। माह का अंतिम शनिवार पूर्णतया हमारे विचारों के लिए रिज़र्व किया हुआ है। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने अंतिम शनिवार के प्रति आदरणीय सुमनलता बहिन जी के सुझाव को समर्थन देकर  परिवार का सम्मान बढ़ाया है। 

शनिवार की ही भांति माह के चार “शुक्रवार” वीडियो/ऑडियो सेक्शन के  लिए रिज़र्व किया गए हैं  पहले तीन शुक्रवार में प्रस्तुत की जाने वाली वीडियो/ऑडियो हमारे स्वयं के प्रयास की प्रस्तुति होती है जबकि अंतिम शुक्रवार को आदरणीय सुमनलता बहिन जी के ही सुझाव एवं सभी के समर्थन पर युवासाथिओं के लिए रिज़र्व  किया हुआ है लेकिन प्रतिभा के बावजूद युवासाथिओं की व्यस्तता, आलसीपन, Take-it-easy  attitude से शुक्रवार का नियमित टाईमटेबल अस्तव्यस्त हो ही जाता है। ऐसा होना स्वाभाविक है, बच्चे जो ठहरे, वोह नहीं करेंगें तो फिर हम ऐसी अनियमितता दिखाएंगें क्या ? इन सबके बावजूद हम उन्हें स्मरण कराते  हुए, करबद्ध निवेदन करते ही रहते हैं लेकिन उनकी तरफ से अधिकतर कोई  रिप्लाई तक भी नहीं आता, शायद ऐसे साथिओं पर गुरुदेव की शिक्षा का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता। हमें विश्वास है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में  प्रतिभाशाली युवाशक्तियों का वास है, उन  शक्तियों को जागृत  करने की बड़ी आवश्यकता है और यह जाग्रति केवल प्रोत्साहन एवं प्रेरणा से ही संभव हो सकती है।

इस स्पेशल सेगमेंट में हर बार लिखते हैं कि हम कोई लेखक नहीं हैं, जैसे-जैसे, जो-जो विचार उठते  जाते हैं, बिना किसी फॉर्मेट, Sequence  की चिंता किये बिना,  लिखे जाते हैं, भावना यही होती है कि हम अपने परिजनों के आमने सामने हैं, बातचीत कर रहे हैं, कई बार लेखनी बहुत कुछ कह जाती हैं।

परिवार की ही भावना को चरितार्थ करती निम्नलिखित तीन फ़ोन वार्ताएं आज के विशेष सेगमेंट का मुख्य भाग हैं। साथिओं से निवेदन है कि लेख के साथ अटैच दो चित्र अवशय देखें जिनमें परम पूज्य गुरुदेव एवं आदरणीय चिन्मय भैया जी परिवाजनों के साथ दिख रहे हैं, क्या हमारे मन में भी ऐसी परिवार भावना जागृत हो रही है ? 

6 मई के ज्ञानप्रसाद की निम्नलिखित आरंभिक पंक्तियों ने हमारी छोटी बहिन को रुला कर रख दिया:   

आदरणीय बहिन सुमनलता जी को धन्यवाद् देकर कर रहे हैं कि उन्होंने आज हमारे लिए 29वां टाइटल (ज्ञान शिक्षक) प्रयोग किया है। जहाँ बहिन जी का हम जैसे साधारण से व्यक्ति के लिए इतने सम्मानीय टाइटल प्रयोग करने के लिए धन्यवाद् करते हैं वहीँ अंदेशा भी है कि कहीं हम बहिन जी के स्नेह/आदर से ऋणमुक्त हुए बिना ही इस संसार से विदा न हो जाएँ। अपने साथिओं द्वारा लुटाया जा रहा प्यार हमें दिन-रात, सोते-जागते, खाते-पीते एक ही सन्देश दिए जा रहा है, “इस ऋण की गठरी का भार उतारने  के लिए 24  घंटे कम लग रहे हैं।

इन आरंभिक पंक्तियों को आद सरविन्द जी एवं आद अरुण जी के साथ अनेकों साथिओं ने अपनी अपनी भावनाओं के साथ रिप्लाई किया लेकिन बहिन सुमनलता जी का निम्नलिखित कमेंट देखते ही आद नीरा जी ने पढ़कर बताया कि बहिन जी ने आज आपकी पिटाई कर दी है : 

अभी हम अपने आदरणीय , सबके प्रिय और मार्गदर्शक भाई साहब से करबद्ध निवेदन करना चाहते हैं कि आपने ऋण की बात लिखकर हमें आहत कर दिया।हम सब तो दिन रात गुरुदेव से एक ही प्रार्थना किया करते हैं कि वो आपको अपना संरक्षण और अपार सामर्थ्य और शक्ति दें , जिससे हमें मार्गदर्शन मिलता रहे। हमें गुरुवर का आश्वासन भी है कि वो आपको सदा स्वस्थ रखेंगे क्योंकि आप एक निस्वार्थ भाव से हम सब का मार्गदर्शन और गायत्री परिवार का कार्य निष्ठा पूर्वक कर रहे हैं। हम आपके प्रति जो भी लिखते हैं , उसमें अपने भाई के प्रति सम्मान की भावना ही होती हैं। आपने जो लिखा है वह  हमारे या किसी भी सहयोगी के प्रति गुरुवर की भांति प्रेम की भावना अधिक होती है। एक मन की बात लिखना चाहती हूं। मेरे परिवार में मुझे अपने बड़े भाईयों से जो प्रेम मिला था ,वो उनके जाने के बाद कहीं खो गया था।जो अब आपके रूप में पुनः मिल गया है।( हमने कुछ अनावश्यक या आहत करने वाले शब्द लिखे हों तो हम दिल से क्षमा प्रार्थी हैं 🙉)

नीरा जी ने बहिन जी का रिप्लाई पढ़कर तो सुना  दिया, उस समय किसी पर्सनल कार्य में फंसे हुए थे।  कार्य ख़त्म करके एक दम बहिन जी से फ़ोन मिलाया तो बहिन जी ने “जय गुरुदेव” के बाद पहला वाक्य यही बोला, “भाई साहिब, आज आपने हमें रुला दिया।” बहिन जी के उलाहने में जो भावना भरी पड़ी थी, जिस अपनत्व की झलक दिख रही थी उसे शब्दों में उतार पाने में हम पूर्णतया असमर्थ हैं (हम कोई  लेखक तो हैं नहीं ) यह तो केवल गुलज़ार, कवि प्रदीप,साहिर,जावेद अख्तर जैसों की कलम ही  लिख सकती है, इन्होने तो अपनी कलम से टूटे हुए दिलों में जान डाल दी है।

खैर आगे बढ़ते हैं,हम दोनों के साथ बहिन जी ने 42 मिंट बात की, ऐसा अनुभव हुआ जैसे कोई खोया हुआ रत्न मिल गया हो। ज़रा सी भी बनावट नहीं, साक्षात् बिना कोई लाटलपेट के, ह्रदय से निकलती बातें, ऐसा लग रहा था कि न जाने कब के बिछड़े भाई-बहिन मिल गए हों। 

बहिन जी ने जब अपने भाई बहिनों के बारे में बताया तो कमेंट में लिखा गया शब्द “आहत” सच में सब कुछ कह गया । अनेकों पर्सनल बातें  भी हुईं जिन्हें सार्वजनिक करना अनुचित ही होगा लेकिन हमारा विश्वास है कि आद. अरुण जी, आद. साधना जी एवं आद. सुजाता जी आदि को बहिन जी के साथ बातचीत करने का सौभाग्य  हमसे अधिक ही प्राप्त हुआ होगा।

हमने तो अंत में अपनी छोटी बहिन जी को यह कह कर मना लिया कि हम इंडिया आकर आपके पास एक दो दिन रहेंगें, चाय पिएंगें, खाना खायेंगें।

परिवार के सभी साथिओं के स्मरण होगा कि 8 मई को आद. अरुण जी की बेटी कात्यानी का जन्म दिवस था। बेटी को शुभकामना देने के लिए हमने फ़ोन किया और लगभग 20 मिंट बात हुई। अरुण जी पहले ही हमें बेटी के साथ यज्ञ/हवन  की वीडियो भेज चुके  थे, वीडियो देखकर बेटी के अंतकरण में संस्कार एवं गुरुदेव के प्रति श्रद्धा साफ़ देखी  जा सकती थी, हमने भी  ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्रचार करने का प्रयास किया, बेटी पहले से ही गुरुदेव के साहित्य से प्रभावित है। वीडियो में बेटी का घर आदि देखकर मन प्रसन्न हो उठा। 

हम सभी जानते हैं कि आद. अरुण जी शनिवार को शक्तिपीठ में यज्ञ/बाल संस्कारशाला चलाते  हैं। उस कार्यक्रम की वीडियोस हमें भेजते हैं। हमारी इच्छा थी कि अरुण जी के इस प्रयास को  प्रचार करके गतिशील बनाया जाये। हमने उन्हें मैसेज किया कि  हम वीडियो क्वालिटी के लिए बात करना चाहते हैं। जब अरुण जी ने फ़ोन किया तो हम ड्राइव कर रहे थे लेकिन  फिर भी हमारी 16 मिंट बात हो गयी। वीडियो में संशोधन के लिए जो-जो उचित लगा हमने बताया ताकि हम अपने चैनल पर अपलोड कर सकें। 

तो साथिओ इस एक लेख द्वारा  हम सभी ने न केवल तीन नगरों बेंगलुरु,दानापुर और देहली, की सैर कर ली, यही है सूक्ष्म की शक्ति, भौतिक दूरी को आत्मिक निकटता ने पीछे खदेड़ दिया। 

आज के विशेष सेगमेंट का समापन आद. पुष्पा बहिन जी की निम्नलिखित जानकारी से करते हैं : 

आज हमारे आरा के प्रज्ञा पीठ मंदिर के तरफ से निर्मल गंगा जन अभियान के तहत प्रभात फेरी निकाली गई और लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गयाऔर जल संरक्षण के तरफ भी ध्यान करवाया गया जय गुरुदेव माता जी 🙏🙏

जय गुरुदेव 

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कल प्रकाशित हुई वीडियो को 368  कमेंट मिले एवं 8  साथिओं ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। सभी को बधाई एवं शुभकामना    


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