वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

सुझाव बहिन सुमनलता जी का प्रयास हमारा-अरुण त्रिखा

आज 26 अप्रैल,2025, शनिवार का दिन है। एक वर्ष पूर्व 27 अप्रैल वाले दिन इस “विशेष विशेषांक” का शुभारम्भ हुआ था। इस “विशेष विशेषांक” के इतिहास की तरफ दृष्टि दौड़ाएं तो साथिओं को स्मरण हो आएगा कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की सर्वआदरणीय बहिन सुमनलता जी ने  यूट्यूब पर सुझाव पोस्ट किया था जिसे सभी साथिओं  ने समर्थन भी प्रदान किया था।बहिन सुमनलता जी के सुझाव के अंतर्गत कुछ ऐसी सहमति बनी थी  कि माह का अंतिम शनिवार हमारे (अरुण त्रिखा)  लिए सुरक्षित रख दिया जाए लेकिन हमने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह शनिवार हमारे लिए ही क्यों,सभी साथिओं के लिए बारी-बारी क्यों न सुरक्षित  रखा जाए। इस प्रतिक्रिया के रिस्पांस में लगभग सभी साथिओं ने यही कमेंट किए कि “हमें तो सारा सप्ताह ही समय मिलता रहता है, हम तो व्हाट्सप्प पर भी कमेंट कर देते हैं लेकिन 30-31 दिन में केवल एक शनिवार अरुण जी अपने “मन की बात” परिवार के समक्ष ला दें तो कुछ भी अनुचित नहीं होगा।

परिवारजनों से यह सम्मान मिल पाना जहाँ हमें प्रसन्नता प्रदान कर रहा था, वहीँ हमें एक चैलेंज का सामना करने को भी कह रहा था क्योंकि ज्ञानप्रसाद लिखना एक बात है,और पूर्णतया “अपनों से अपनी बात”, “मन की बात” लिख पाना कोई सरल कार्य नहीं है। ऐसा इसलिए कहना उचित हो जाता है कि जब कोई अपने बारे में कुछ कहने का प्रयास करता है तो उसके रास्ते में Inhibition रोड़ा अटका देती हैं, यां फिर वोह अपनी भावनाओं के महासागर में ऐसा डूब जाता है कि उसे किनारे पर लाना असंभव हो जाता है। दोनों में से कौन सी स्थिति हम पर  हावी होती इसका मूल्यांकन हमारे साथिओं के इलावा और कौन कर सकता है। इसलिए प्रथम लेख की तरह आज भी साथिओं से यही निवेदन कर रहे हैं कि हमारी त्रुटियों/कमजोरिओं को हाईलाइट करके हमारा सही मार्गदर्शन करें। साथिओं द्वारा प्रदान किया गया Constructive criticism ही इस परिवार को आगे ले जाने में योगदान दे पायेगा क्योंकि हमारे रुधिर में विज्ञान तो बाल्यकाल से ठाठें मार रहा है, सुमनलता बहिन जी जैसे “साहित्य विशेषज्ञ” की उपस्थिति में स्पष्ट हिंदी लिख पाना कहाँ संभव हो पायेगा, हम कोई लेखक तो है नहीं, गलतियां तो अवश्य ही होंगीं। 

साथिओं को जहाँ इस “विशेष विशेषांक” का स्मरण करा रहे  वहीँ  यह भी स्मरण कराना  उचित समझते हैं कि अंतिम शनिवार को छोड़कर, बाकी तीन शनिवार, इस परिवार के साथिओं/ सहकर्मियों के लिए सुरक्षित रखे  गए हैं जिन्हें परिवार में  एक उत्सव की भांति मनाया जाता है। यह तीनों शनिवार  Open forum की भांति होते हैं जब ज्ञानप्रसाद अध्ययन और वीडियो को एक तरफ रख दिया जाता है और बात की जाती है सप्ताह के पांच दिन की शिक्षा की, जिसका आधार साथिओं के कमैंट्स और काउंटर कमैंट्स होते हैं, बात की जाती है साथिओं की गतिविधियों की, बात की जाती है इस छोटे से किन्तु समर्पित परिवार के सदस्यों के दुःख-सुख की, बात की जाती है आने वाले दिनों की रूपरेखा यां फिर गायत्री परिवार से सम्बंधित कोई भी विषय जिसे परिवारजन उचित समझें, इसीलिए इस विशेषांक को Open forum की संज्ञा दी गयी है।  

यदि हमारी टूटी-फूटी लेखनी से साथिओं में गुरुदेव के प्रति त्याग,श्रद्धा और समर्पण की भावना जग पड़ती है तो हमारे लिए इससे बड़ा सौभाग्य कोई हो ही नहीं सकता। हम विश्वास से कह सकते हैं  शायद ही कोई होगा जिसने सड़क के किनारों पर लगे हुए “मील के पत्थर” न देखें हों। इन signs से  एक पड़ाव से दूसरे पड़ाव तक एवं गंतव्य (Destination) स्थान  की दूरी की जानकारी मिलती है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की यात्रा के भी अनेकों पड़ाव हैं ; गुरु-सानिध्य, गुरु-समर्पण, गुरु-श्रद्धा; गुरु-प्राप्ति  तो Ultimate destination (अंतिम पड़ाव)  है। गुरु-सानिध्य सबसे प्रथम पड़ाव है, इस परिवार में आ पाना ही सबसे बड़ा सौभाग्य है,जो आ गया, समझो उसका स्वयं का जीवन तो धन्य हो ही गया, उससे जुड़े अनेकों खुद-बखुद ही तर गए।  इतिहास साक्षी है हमारे फकीर जैसे गुरु ने कैसे केसों को तार दिया, इसीलिए उन्हें “तारणहार” की उपाधि से सम्मानित किया जाता है। 

संध्या बहिन जी ने एक बार कमेंट किया था कि हमने यह वाला शनिवार (जो हमारे लिए रिज़र्व था) साथिओं को समर्पित कर दिया। बहिन जी हम और हमारे  साथी एक ऐसी डोर से बंधे हैं कि अलग करना कठिन ही नहीं असंभव है। इसलिए आगे चलने से पहले आदरणीय सरविन्द जी के व्हाट्सअप ग्रुप का अपडेट प्रस्तुत करना उचित समझते हैं। “गायत्री शक्तिपीठ चंदापुर” नाम से आरम्भ हुए इस व्हाट्सप्प ग्रुप में इन पंक्तियों के लिखने के समय तक 101 मेंबर हो चुके हैं,आदरणीय सुमनलता बहिन जी के साथ-साथ भाई साहिब के बच्चे भी इस ग्रुप में सक्रियता दिखा रहे हैं। अभी-अभी सरविन्द जी ने बताया कि OGGP में अवकाश के कारण प्रत्येक रविवार को इस ग्रुप द्वारा शक्तिपीठ में यज्ञ किया जायेगा, बहुत ही सुन्दर प्रयास है, गुरुदेव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होगा,बहुत बहुत बधाई सरविन्द जी।  

ऐसा ही एक अपडेट आदरणीय सुमनलता जी का निम्नलिखित कमेंट  शेयर कर रहे हैं जो उन्होंने यूट्यूब पर पोस्ट किया है ,हमने रिप्लाई भी किया था लेकिन केवल प्रेरणा बेटी ने ही इस कमेंट का  रिप्लाई किया है। यही कारण है कि हम दूसरों के कमेंट पढ़ने को निवेदन करते रहते हैं : 

आज माह का आखिरी शुक्रवार था , जो युवा सहयोगियों के  आडियो वीडियो के लिए सुरक्षित है किन्तु आज किसी भी युवा सहयोगी ने अपनी प्रस्तुति नहीं दी। संजना , प्रेरणा , सुमति पाठक तीनों बेटियों के अतिरिक्त अन्य युवा वर्ग  निष्क्रिय क्यों है। हम आदरणीय सरविंद कुमार भाई साहब से अनुरोध करते हैं कि आप भी अपने तीनों बच्चों को प्रोत्साहित करें । जब कि पिंकी बेटी तो एक कलाकार है । माह में एक ही दिन प्रस्तुति देनी है । गुरु के खेत में बोया हुआ कोई  भी बीज निष्फल नहीं जाता। सभी आगे आएं और मिशन के प्रसार में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करायें।यह हमारा ही विचार है और निवेदन भी।  

आइये अब आगे चलें। 

परम पूज्य गुरुदेव ने बार-बार कहा है कि विचार क्रांति एक क्रांति है,एक आंदोलन है,एक रिवोल्यूशन है। इसके लिए ऑनलाइन ज्ञानरथ  गायत्री परिवार के अधिकतर साथी, अपनी परिस्थितियों के वशीभूत, जिससे जितना  बन पाता है, उतना समयदान कर ही रहे हैं । हम अपने समर्पित साथिओं को बार-बार आग्रह करते रहते हैं, कई बार स्वयं को धिक्कार भी देते हैं कि हमारे साथियों की और भी तो अनेकों जिम्मेदारियां हैं । हमारे लिए ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार Topmost priority है, कोई जरूरी नहीं कि औरों के लिए भी ऐसा ही हो। लेकिन जब हमें गुरुदेव से जुड़कर अपरिमित लाभ,अनुदान मिल रहे हैं तो हम कैसे सहन कर सकते हैं कि हमारे परिवार का कोई भी सदस्य इस लाभ से वंचित रह जाए। अनेकों साथियों से बातचीत करके पता चलता है कि शायद ही कोई ऐसा साथी होगा जिसका गला परिस्थितिओं ने दबोच कर न रखा हो । इस छोटे से परिवार की सबसे बड़ी और प्रशंसनीय विशेषता यही है कि इसमें शामिल प्रत्येक साथी के पास और  कुछ हो न हो, वह हर दिशा से निर्धन हो, लेकिन श्रद्धा, समर्पण,त्याग की दृष्टि से वह बहुत ही धनी है, सम्पन्न है। इस तथ्य को अनेकों बार टेस्ट किया जा चुका है। 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर  जो कुछ भी प्रकाशित हो रहा है, सारे का सारा कंटेंट परम पूज्य गुरुदेव द्वारा ही रचित है,उनका ही कॉपीराइट है। गुरुदेव ने लिखा तो है कि हमारा साहित्य सबके लिए उपलब्ध है,इसके व्यापक प्रचार के लिए  कॉपीराइट से स्वतंत्र है,लेकिन इस पर अपना अधिपत्य जमाना सबसे बड़ी मूर्खता होगी। इसमें हम जैसे तुच्छ और Down to earth व्यक्ति का अपना कुछ भी नहीं है। हम तो केवल एक low level के डाकिए से बढ़कर और कुछ भी नहीं कर रहे हैं । एक चपरासी से बढ़कर(जिसे उसका बॉस फाइल को किसी दफ्तर में देकर आने को कहता है),कुछ भी नहीं हैं। उस चपरासी को, उस डाकिए को अपना कर्तव्य निष्ठापूर्वक करने पर  जो प्रसन्नता की अनुभूति होती है, वही अनुभूति हमें सारा दिन, सारी रात ऊर्जावान बनाए रखती है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हम अनेकों बार देख चुके हैं, घुटने की सर्जरी उनमें से लेटेस्ट है। हर समय “पावन बना दो हे देव सविता”, “जिसके सिर पर तू स्वामी, वोह दुःख कैसा पावे” के शब्द अंतःकरण में झंकृत होते रहते हैं। 

तो यदि  हम इतना कुछ साक्षात अनुभव कर रहे हैं तो हमारे परिवारजन इससे वंचित कैसे रह जाएं?, हम कैसे सहन कर पाएं। इसी उद्देश्य में हम सदैव प्रयास रहते हैं । हमारे सभी प्रयास, सभी निवेदन इसी दिशा में हैं। ऐसा नहीं है कि हमारे निवेदन को हर कोई साथी नकार रहा है, ऐसा कह रहा है कि “इसने तो कहते ही रहना है, हमने ज्ञानरथ परिवार के लिए सारी दुनिया से सन्यास तो नहीं ले लेना है।” अगर ऐसा होता तो 1.1 मिलियन व्यूज मिलने संभव न हो पाता। 

तो साथिओ है न एक बीज से हज़ारों बीज प्राप्त होने का उदाहरण बिलकुल स्पष्ट।     

साथियों हम सबको एक  तथ्य गांठ बांध लेना चाहिए कि गुरुदेव द्वारा रचित दिव्य कंटेंट में Magnetic power है, एक अदृश्य चुंबकीय शक्ति है, जिसका अनुभव गूंगे के गुड़ जैसा है। अनेकों साथी अपने कॉमेंट्स के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए बताते हैं कि आज उन्हें ऐसा अनुभव हुआ, वैसा अनुभव हुआ आदि। हमारे पास गुरुदेव जैसी दिव्य शक्ति तो है नहीं लेकिन जब भी आपके कॉमेंट पढ़ते हैं तो ऐसा अनुभव होता है कि आप हमारे सामने ही बैठे हैं। सूक्ष्म की शक्ति इतनी प्रबल है कि हजारों मील दूर बैठे भी,अदृश्य साथियों को भावनाएं हम तक पहुंच जाती हैं। अभी दो दिन पूर्व ही आदरणीय चंद्रेश जी ने हमारी तुलना महाभारत के संजय से कर दी और बहिन सुमनलता जी उनका समर्थन भी कर दिया। हम जैसे साधारण से व्यक्ति के लिए ऐसा लिखना असाधारण नहीं तो और क्या है ? बहिन जी तो हमारे लिए कितने ही विशेषण प्रयोग कर चुकी हैं : 

संस्थापक, गुरु स्वरूप, गुरु जी, अन्वेषक,प्रधानाध्यापक, शिष्य शिरोमणि, मनीषी, संयोजक, प्रकाशक, सेलिब्रिटी, अध्यक्ष, व्यवस्थापक,निर्माता, निर्देशक, कमेंटेटर, संजय ज्ञानदाता, लेखक, प्रस्तोता, समन्वयक,जीवनदानी, निष्काम कर्मयोगी, ,मनस्वी, लेखक, शिक्षक,प्राचार्य,ज्ञानमंदिर के पुरोहित। 

ऐसे विशेषण देख कर  एक ही भय खाने को दौड़ता है कि कहीं गर्व में आकर हम कुछ अनर्थ न कर दें, हमें अटूट विश्वास है कि साधारण से दिखने वाले हमारे गुरुदेव कभी भी क्षमा नहीं करेंगें।     

कई बार स्वयं को प्रश्न करते हैं कि हम कॉमेंट्स करने के लिए  बार-बार आग्रह क्यों करते हैं? हमें क्या प्राप्त होता है? इसका उत्तर परम पूज्य गुरुदेव ने “परिवार” को परिभाषित करते हुए समझाया है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में “परिवार” शब्द केवल नाम का ही नहीं है, यह सहकारिता का प्रतीक है। मिलियन viewers सहकारिता से ही मिले हैं, यही है जनशक्ति।  “संयुक्त परिवार प्रथा” तो लगभग लुप्त हुई दिखती है,न्यूक्लियर परिवारों का प्रचलन इतना आम हो चुका है कि क्या कहा जाए। ऐसी स्थिति में ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार एक अविश्वसनीय उदाहरण है जिसे प्रज्ञा मंडलों में, इस  परिवार के दूसरे आयोजनों में स्पष्ट देखा जा सकता है। 

तो साथिओ कमेंट करके अवश्य बताना कि हम आपकी कठिन कसौटी पर कितना उतर पाए हैं, कहीं हम फिज़ूल में ही आपके अमूल्य समय का दुरूपयोग तो नहीं कर गए। 

समापन, जय गुरुदेव 

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कल वाली वीडियो को केवल 247 दर्शकों ने ही देखा एवं 4 साथिओं ने ही संकल्प पूर्ण किया।   


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