हमारी सबकी आदरणीय एवं सर्वप्रिय बहिन सुमनलता जी द्वारा माह का अंतिम शनिवार हमारी “मन की बात” के लिए रिज़र्व करना,सच में हमारे लिए बहुत ही सम्मान की बात है जिसके लिए बहिन जी का धन्यवाद् करते हैं। माह के बाकि तीन शनिवार पूर्णतया परिवार के साथिओं के लिए रिज़र्व किये हुए हैं।
27अप्रैल 2024 शनिवार को “हमारे लिए रिज़र्व” किये गए सेगमेंट का प्रथम अंक प्रकाशित किया गया था और 26 अक्टूबर 2024 से परिस्थितियां ऐसी बनती चली गयीं कि उसके बाद आज 29 मार्च,2025 को एक बार फिर इस “विशेष विशेषांक” के प्रकाशन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
प्रारम्भ करने से पहले ही कहना चाहेंगें कि हम कोई लेखक तो है नहीं, रिसर्च पेपर और थीसिस आदि लिखने/लिखवाने की बात अलग है; जब ज्ञानप्रसाद लिखने की बात आती है तो भावना और ह्रदय की बात आगे आ खड़ी होती है।
आगे बढ़ने से पहले आदरणीय सरविन्द जी,आदरणीय संध्या बहिन जी समेत सभी साथिओं से क्षमा याचना करते हैं कि उनके योगदान अगले शनिवार 5 अप्रैल तक के लिए पोस्टपोन कर दिए हैं नहीं तो बहिन संध्या जी फिर से शिकायत करेंगीं कि मार्च माह का अंतिम शनिवार भी साथिओं को ही समर्पित कर दिया।
हर बार की भांति आज भी इस अति विशिष्ट सेगमेंट को लिखने से पहले ह्रदय पटल पर विचारों की सुनामी बाढ़ जिस प्रकार ठाठें मार रही है उसे Summarize करके, कम से कम शब्दों में, अंतःकरण की भूख को तृप्त करने के लिए एक रोचक सी रेसिपी से उत्कृष्ट भोजन परोसना हमारे लिए एक बहुत बड़ी समस्या/चुनौती बन रही है। अगर हम कहें कि यह चुनौती केवल हमारे लिए ही नहीं बल्कि हमारे ह्रदय में विराजमान प्रत्येक परिवारजन के लिए भी होती है तो शायद अनुचित न हो। अगर ऐसा न होता तो 28 सितम्बर 2024 वाले अंक के लिए 3500 शब्दों के विस्तृत कमेंट पोस्ट न हुए होते। उस समय 11 साथिओं के कमेंट केवल विस्तृत ही न होकर, ह्रदय की गहराईओं से निकली रक्तरंजित बूंदे थीं, ऐसी बूँदें जो किसी भी भावनाशील मनुष्य के नेत्रों से अश्रुधारा की बाढ़ ला दें। ऐसी Two-sided भावनाएं ही इस नन्हें से, छोटे से परिवार को “एक यूनिक परिवार” के विशेषण से सुशोभित करने का सामर्थ्य रखती हैं।हमने इन कमैंट्स को अपने ह्रदय में संजोकर, एक अलग फाइल में ऐसे सेव करके रखा हुआ है जैसे कोई मूल्यवान आभूषणों को संभाल कर रखता है। परिवार के मंच पर बार-बार ऐसे अमूल्य कंटेंट को शेयर करने का केवल एक ही उद्देश्य होता है: सभी को पता चले कि OGGP कैसे साथिओं का जमावड़ा है। गुरुवर की भांति विज्ञापन तो हम कभी करते नहीं हैं लेकिन हमारे साथी,उनकी भावनाएं, अपनत्व एवं प्यार ही इस परिवार के Open posters हैं। गुरुवर, माता जी के साथ घर-घर जाकर अखंड ज्योति वितरित करते रहे थे जो आज करोड़ों दिलों पर अपना अधिपत्य बनाये हुए है। हम दोनों भी/सभी गुरुदेव के सन्देश के लिए वही प्रक्रिया का प्रयोग कर रहे हैं क्योंकि यह Tried/tested/and certified technique है। गुरुवर की इसी प्रक्रिया ने हम सबको फर्श से उठाकर अर्श पर बिठा दिया है, सभी अपनेआप को सेलिब्रिटी कहते नहीं थकते, इसके लिए सभी साथिओं को हमारी भावभीनी बधाई।
आज का विशेषांक अधिकतर कमैंट्स और काउंटर कमैंट्स के इर्द गिर्द ही घूम रहा है। एक-एक शब्द बड़ी ही सावधानी से, सोच-सोच कर, चुन-चुन कर लिखा गया है ताकि किसी की भी अंतरात्मा को ठेस न पंहुचे। फिर भी अगर अनजाने में कुछ लिखा गया हो तो क्षमा याचना करते हैं, आखिर परिवार में ही तो बात हो रही है।
काउंटर कमेंट पढ़ने और करने का निवेदन :
परम पूज्य गुरुदेव ने अनेकों बार लिखा है कि अखंड ज्योति, छपे कागजों को बेचने का व्यापार करने के उद्देश्य से नहीं निकाली गई है। इसका अपना एक उद्देश्य है,इसमें प्रकाशित किये लेखों को पढ़ना एवं औरों को पढ़ाना हमारा कर्तव्य है। यह सारी बातें ज्ञानप्रसाद लेखों पर, दिव्य संदेशों पर, शार्ट वीडियोस पर, कमैंट्स पर, काउंटर कमैंट्स पर एवं फुल वीडियोस पर लागू होती हैं।
गुरुदेव के ही शब्दों में हम सभी, सम्राटों के सम्राट, सच्चिदानन्द परमात्मा के उत्तराधिकारी, राजकुमार हैं एवं हमारी शक्ति महान है। अभी-अभी समापन हुई लेख श्रृंखला ने इस तथ्य को Certify किया है। परमात्मा के सभी गुण हम सब में समाहित हैं तो फिर हम अपनेआप को भेड़ क्यों समझ रहे हैं। जिस प्रकार एक सिंह का बच्चा भेड़ों में रहकर अपने को भेड़ समझने लगा था वही दशा माया के संसर्ग से मनुष्य की हुई पड़ी है।
इस दिव्य परिवार का मिशन है कि हर सिंह अपने वास्तविक स्वरूप को पहचाने क्योंकि उसका कार्य उस दर्पण के समान है जिसमें अपना रूप देखकर सौंदर्यवान देहधारी प्रसन्नता प्राप्त करते हैं। मनुष्य अपने में देवत्व का दर्शन करे और वह वस्तु जिसकी तलाश में युगों से मारा-मारा फिर रहा है अपने अन्दर प्राप्त करे।
इसी कामना से ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का अवतरण हुआ है। हमारे लिये, हमारे गुरु की भक्ति ही सच्ची भक्ति है एवं वह साथी जो इसमें जी जान से,नियमितता से समयदान, विवेकदान, ज्ञानदान, श्रमदान आदि कर रहे हैं वोह हमारे एवं गुरुवर के ह्रदय में एक विशेष स्थान बनाये हुए हैं। हज़ारों मील दूर रहते हुए भी वोह सहकर्मी हमारे इतने करीब हैं कि हम दोनों (मैं और नीरा जी) उनके बारे में ऐसे बातें करते रहते हैं जैसे वोह हमारे परिवार के अहम् सदस्य हों। सैंकड़ों यूट्यूब चैनल,व्हाट्सप्प ग्रुप, फेसबुक, इंस्टाग्राम ग्रुप आदि आते जाते रहते हैं लेकिन जिस श्रद्धा और समर्पण से इस परिवार के सदस्य गुरुदेव के विचारों को घर-घर तक ले जाकर,लोगों के दिलों में स्थापित करने का कार्य कर रहा है, बहुत ही सराहनीय है।
“इसका एकमात्र कारण निस्वार्थ भाव से, त्याग की भावना से, लेने के बजाये देने की प्रवृति से, विश्व के प्रत्येक परिवार में ज्ञान के आलोक द्वारा सुख-शांति,प्रगति,प्रेरणा, प्रोत्साहन की भावना है ”
धरती पर स्वर्ग का अवतरण केवल बातों से,उद्घोष से, भीड़ इक्क्ठी करके तो हो नहीं पायेगा, इसके लिए गुरुदेव का सपना लोगों के दिलों में उतारना होगा,हमें साथिओं की अंतरात्मा को झकझोड़ना होगा।
हमारे साथी चाहे हमें सुने यां न सुने, हमें Outrightly नकार दें, हमें गुरुदेव के वाक्य,संदेश बार-बार दोहराते ही रहना है। वर्षों से हम कमेंट-काउंटर कमेंट की शक्ति को बार-बार दोहराते आ रहे हैं लेकिन बहुत से अभी भी ऐसे हैं जिनके कान पर जूं तक नहीं रेंगती, उन्होंने “मैं न मानू” की ज़िद लगायी हुई है। एक तरफ तो अरुण जी जैसे साथी हैं जो नौकरी भी कर रहे हैं, गुरुवर का कार्य भी कर रहे हैं,परिवार भी संभाल रहे हैं और ट्रैन में यात्रा करते हुए/जॉब से समय निकाल कर भी कमेंट कर देते हैं। दूसरी तरफ वोह साथी हैं जो उन लोगों को भी असम्मान देने से घबराते नहीं हैं जो उन्हें लगातार,अनवरत, निरंतर एक नहीं, दो नहीं कई-कई काउंटर कमेंट किये जा रहे हैं, इतना बताने में भी शिष्टाचार नहीं दिखाते कि कमेंट करने में समस्या क्या है, शायद वार्तालाप से कोई समाधान निकल ही पाए।
बड़े दुःखी मन से,हम कहने का साहस कर रहे हैं कि इन साथिओं ने तो अशिष्टाचार की सारी हदें ही पार कर दी हैं। क्या यही मानवी मूल्य हैं जिनका हम ढिंढोरा पीटते रहते हैं।
जिस समाजिक परिवार (माता-पिता, भाई-बहिन, बेटा-बेटी आदि) में हम निवास कर रहे हैं उसमें भी Reciprocate की प्रथा है। एक तरफ़ा बात तो उधर भी नहीं चलती, उधर भी लोग एक बार, दो बार देखते हैं फिर किनारा कर लेते हैं। यह कोई सभ्यता तो न हुई न। इसे निष्ठुरता की पराकाष्ठा न कहें तो क्या कहें। एक साथी आपको 10/10 काउंटर कॉमेंट कर रहा है और आप हैं कि एक का भी रिप्लाई नहीं कर रहे। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के बच्चों की तो बात समझी जा सकती है लेकिन जो वरिष्ठ साथी,पारिवारिक/जॉब की ज़िम्मेवारिओं से निवृत हो चुके है, उनसे ऐसा अमानवीय व्यवहार सच में अविश्वसनीय है।
ऐसा केवल इसलिए हो रहा है कि ऐसे साथी कॉमेंट-काउंटर कॉमेंट की अदृश्य शक्ति से अंजान हैं। यह गुरुवर से संपर्क करने का सबसे सरल और Effective साधन है। इस तथ्य के साक्षात प्रमाण हमारे परिवारजन अनेकों बार देख चुके हैं।
ऐसी परिस्थितिओं के बावजूद हम तो रुकने वाले हैं नहीं, अंतिम श्वास तक आपके पीछे ही पड़े रहेंगें क्योंकि यही तो हमारी Tagline है, यही तो हमने गुरु को वचन दिया है। ऐसा न करने पर गुरुदेव (जो हमारे टेबल पर विराजमान हैं) हमारे कान खींचते है। हमारे साथी जानते हैं कि हमारे निवेदन में रत्ती भर भी निजी स्वार्थ नहीं है, अगर कोई स्वार्थ है भी तो वह केवल अपने साथियों की सुख शांति का है।
कमैंट्स से ही सम्बंधित नीरा जी के स्वास्थ्य को लेकर एक अजीब सी स्थिति थी। अगर साथिओं ने काउंटर कमेंट पढ़े होते तो ऐसी स्थिति आने की कोई सम्भावना न रहती । हमने हॉस्पिटल जाने से पहले ही सारा विवरण लिख दिया था ताकि ज्ञानरथ परिवार के किसी भी साथी को कोई असुविधा, अस्तव्यस्तता न हो लेकिन उसका कोई प्रभाव देखने को न मिला। अनेकों साथिओं ने हमें व्हाट्सप्प पर कमैंट्स करके जानने का प्रयास किया (जो अवश्य ही परिवार की भावना को सार्थक करता है ), हमने सभी को यूट्यूब के अपडेट देखने के लिए कहा लेकिन कोई असर न दिखा।
इसी तरह की सिचुएशन एक बार फिर आयी जब संलग्न वीडियो के ओनर ने कमैंट्स Disable किये हुए थे और हमारे साथी कमेंट करने में असमर्थ थे। आद सरविन्द जी का धन्यवाद् करते हैं जिन्होंनें सबसे पहले इस बात से अवगत कराया। हमने उनका मैसेज मिलते ही वीडियो रिमूव कर दी और चेक करने की दृष्टि से एक कमेंट भी कर दिया कि अब सब कुछ ठीक है। इस स्थिति में भी अनेकों साथी इतने Panic हो गए कि वर्णन करना कठिन है।
हम समझ सकते हैं कि हमारे समर्पित साथिओं को आँख खुलते ही सबसे पहले ज्ञानप्रसाद का अमृतपान करने की दिव्य आदत पड़ चुकी है, हम सुनिश्चित करते हैं कि ऐसी कोई भी स्थिति न बने जिससे हमारे ज्ञानरथ परिवारजनों को कठिनाई हो लेकिन कई बार स्थिति हमारे कण्ट्रोल से बाहिर होती है।
इस तरह की Unexpected Situations के लिए निवेदन करते हैं कि व्हाट्सप्प के बजाये यूट्यूब पर ही संपर्क किया जाना उचित होगा। ऐसा निवेदन हम इसलिए कर रहे हैं कि भारत और कनाडा के टाइम में साढ़े 10 घंटे का अंतर् है, जब भारत में सुबह के आठ बजते हैं तो कनाडा में रात के साढ़े 10 बजते हैं। वैसे तो हम सारी रात ही दो तीन बार उठ कर फ़ोन देखते रहते हैं लेकिन Prefer करते हैं कि इस सिचुएशन को अवॉयड ही करें।
आज के इस विशेषांक का समापन निम्नलिखित पंक्तियों से करते हैं:
इन पंक्तियों को लिखते समय ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के अधिकतर उदार साथी शरीर सहित हमारे निकट नहीं बैठे हैं लेकिन उनकी अत्यंत पवित्र और उच्च भावनाओं को हम अपने चारों ओर मँडराते देख रहे हैं। इतना बहुमूल्य पुरस्कार पाकर हम स्वयं को धन्य मान रहे हैं और वह धन्य ध्वनि हमारे मानस तन्तुओं में झंकृत होकर प्रतिध्वनि के रूप में OGGP के लिये शुभकामना करने वाले समस्त सदस्यों के लिये प्रेरित हो रही है। यही हमारा विनम्र धन्यवाद, प्रेम और आशीर्वाद है पाठक इसे स्वीकार करें।
जय गुरुदेव
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कल पोस्ट हुई वीडियो को मात्र 229 कमेंट ही मिले और 4 साथी ही संकल्प पूर्ण कर पाए।