वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

प्राणाग्नि के जखीरे पर आधारित लेख श्रृंखला का 12वां लेख-क्या मानव स्वतः ही जल कर भस्म हो सकता है ?

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की गुरुकुल स्थित पावन यज्ञशाला में ज्ञानयज्ञ की आहुतियां देने के लिए परम पूज्य गुरुदेव के हम सब समर्पित बच्चे आज सोमवार  को गुरुचरणों में समर्पित हो रहे  हैं। माँ गायत्री एवं गुरुदेव  से  निवेदन करते हैं कि हमें विवेक का दान दें। वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी माँ  सरस्वती से निवेदन करते हैं कि अपने बच्चे को इतना योग्य बना दो एवं उसके सिर पर हाथ धरो माँ  ताकि उसकी लेखनी  सदैव चलती रहे।

आज के ज्ञानप्रसाद लेख में दो अलग-अलग विषयों पर चर्चा की गयी है। पहला विषय तो मानव शरीर के अंदर व्याप्त Electric current से सम्बंधित है। इस विषय पर पिछले  वर्ष भी चर्चा हुई थी इसलिए संक्षेप में ही लिखा गया है। एक बहुत ही संक्षिप्त सी वीडियो के द्वारा प्रैक्टिकल करके मानव शरीर की ऊर्जा की वोल्टेज जानने का प्रयास किया गया है। दूसरा विषय मानव शरीर में व्याप्त अग्नि से सम्बंधित है। चर्चा की गयी है कि क्या यह अग्नि मानव को जलाकर भस्म करने में सक्षम है ? इस Controversial विषय को समझ कर, कई रिपोर्ट्स को कई दिन पढ़ने के बाद इस धारणा के साथ प्रकाशित किया है कि हमारे साथी आसानी से समझ पाएं। 

इसी विश्वास के साथ आज के आध्यात्मिक ज्ञानप्रसाद के अमृतपान का शुभारम्भ करते हैं। 

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पिछले वर्ष अप्रैल-मई 2024 में ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से गुरुदेव की मात्र 66 पन्नों की अद्भुत रचना “मानवी विद्युत के चमत्कार” पर आधारित लेख श्रृंखला में 25 लेख प्रस्तुत किये गए थे। लगभग प्रत्येक Angle से मानव शरीर में व्याप्त विद्युत को समझने का प्रयास किया गया था जिसमें अनेकों यूट्यूब वीडियोस, गूगल में उपलब्ध लेख, यहाँ तक कि गुरुदेव की ही रचना से इस विद्युत को समझने के लिए 9 अद्भुत प्रैक्टिकल भी प्रकाशित किये गए थे। इतना कुछ प्रकाशित होने पर यही तसल्ली कर के मानवी विदूयत के चैप्टर का समापन कर देना चाहिए लेकिन ऐसा संभव  नहीं है क्योंकि ज्ञान अनंत है, इसका अंत उसी दिन होगा जिस दिन Human life का अंत होगा। नित नई जानकारी, नए-नए आविष्कार, नई खोज सदैव रिसर्च को जीवित रखती है। यही कारण है कि परम पूज्य गुरुदेव की रचना “काया में समाया प्राणाग्नि का ज़खीरा” पर आधारित लेख श्रृंखला में 11 लेख लिखने के बावजूद यही लग रहा है कि अभी भी बहुत कुछ जानने को बाकि है।

वर्तमान पुस्तक “काया में समाया प्राणाग्नि का ज़खीरा” जिसका पांचवां चैप्टर आज के लेख का आधार है, में भी मानवीय शरीर में व्याप्त बिजली से सम्बंधित लगभग  20 उदाहरण उपलब्ध हैं। इन उदाहरणों को देख कर लगता है कि यह लेख पिछले वर्ष प्रकाशित हुए लेखों से काफी मिलते जुलते हैं इसलिए उनको रिपीट करना अनुचित होगा। अधिकतर उदाहरण  विदेशी लोगों से समबन्धित हैं केवल दो ही ऐसे हैं जो भारत में घटित हैं, इसलिए आज के लेख में केवल उन्हीं दो का  वर्णन किया जा रहा है। 

पहली घटना बिहार के भागलपुर जिले में 1982 के सूर्य ग्रहण के अवसर पर घटी थी।एक युवक अपने घर के आंगन में मौन बैठा था। बारम्बार घर वालों के पूछने पर उसने बताया कि आज उसके जीवन का अन्तिम दिन है। घर के सदस्यों ने उसके कथन की ओर ध्यान नहीं दिया। थोड़ी देर तक वह सूर्य की ओर मुंह किए ताकता रहा। अचानक उसके शरीर से अग्नि की नीली ज्वालाएं फूटने लगीं। घर के सदस्यों ने शरीर पर पानी फेंका तथा कंबल से ढक दिया लेकिन  शरीर उस तीव्र ज्वाला में बुरी तरह झुलस गया। आग तो बुझ गयी पर युवक को  बचाया न जा सका। अस्पताल पहुंचने पर उसने दम तोड़ दिया।

दूसरी घटना के अनुसार 1907 में भारतवर्ष के दीनापुर, जिले के मनेर गांव से एक जली हुई महिला का शव ले जाते हुए दो व्यक्तियों को पुलिस वालों ने पकड़ लिया। महिला का शव जिला मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत किया गया। कपड़े के अन्दर शरीर से तब भी लपटें निकल रही थीं। महिला के कमरे का निरीक्षण किया गया। वहां बाहरी आग लगने के कोई चिह्न नहीं मिले।

दोनों घटनायें बताती हैं कि “मानवी सत्ता” केवल  रासायनिक पदार्थों की ही नहीं बनी है, उसमें “प्राण ऊर्जा,प्राणाग्नि” की प्रचण्डता भी विद्यमान है। इस विद्युत भण्डार का बहुत ही छोटा सा भाग शरीर के दैनिक निर्वाह के काम आता है एवं बड़ा भाग प्रसुप्त (Dormant) स्थिति में निरर्थक पड़ा रहता है। इस प्रसुप्त प्राणाग्नि के ऐसे असंख्य उपयोग हो सकते हैं जिनके सहारे मनुष्य अब की अपेक्षा कहीं अधिक समर्थ सिद्ध हो सकता है। 

हमारे साथिओं को स्मरण होगा कि पिछले वर्ष मानवी विद्युत पर आधारित लेखों में हमने वीडियो दिखा कर बिना ऑपरेशन किये Cordless Heart Pacemaker की बात की थी। Catheter की सहायता से यह पेसमेकर ह्रदय के एक भाग में पंहुचा दिया जाता है जहाँ, बिना चार्ज आदि के झंझट के, उसे मानवी शरीर से ही बिजली मिलती रहती है।  

वैज्ञानिकों का मत है कि मानवी शरीर में 25 से 30 वोल्ट  तक के  विद्युत बल्ब जला सकने योग्य बिजली की मात्रा लगभग प्रत्येक शरीर में न्यूनाधिक अनुपात  में पायी जाती है। हाथों, आंखों  और हृदय में इसकी सक्रियता कुछ अधिक सघन होती है। हमारे साथिओं ने अवशय ही नोप्टिस किया होगा कि ट्रांजिस्टर के एण्टीना को हाथ की ऊँगली लगने से आवाज तेज हो उठती है। उंगलियां हटाने पर आवाज पहले जैसी हो जाती है। त्राटक साधना( एक प्रकार की साधना) में  आंखों की विद्युत-शक्ति को ही इक्क्ठा करके उपयोगी बनाया जाता है। हिप्नोटिज्म में भी इसी विद्युत शक्ति को प्रखर और वशीभूत बनाने की साधना की जाती है।

बिजली के बल्ब जगाने को प्रतक्ष्य देखने के लिए हमने अपने साथिओं के लिए एक बहुत ही सरल हिंदी भाषा की वीडियो ढूंढी है जिसका लिंक नीचे दिया गया है। मात्र 6 मिंट की यह वीडियो बहुत ही रोचक है। इंग्लिश में ऐसी अनेकों वीडियो उपलब्ध हैं : 

मानवी बिजली से बल्ब  को जगमग करने  के विषय को यहीं पर छोड़ते हुए अगले महत्वपूर्ण विषय को समझने का प्रयास करते हैं जिस पर पिछले कई वर्षों से रिसर्च हो रही है लेकिन अभी भी Controversy बनी हुई है। विज्ञान और अध्यात्म का युद्ध तो वर्षों से चल रहा है, कोई नहीं जानता, कि इस युद्ध का अंत होगा भी कि नहीं क्योंकि ईश्वरीय शक्तियों को समझ पाना कोई सरल कार्य नहीं है। यही कारण है कि परम पूज्य गुरुदेव ने भी कई तथ्यों पर पर्दा डाले रखने को ही उचित समझा। 

ऊपर वर्णन की गयी दो घटनाएं एवं विश्व भर में प्रकाशित अनेकों घटनाएं जिनमें मानव शरीर अपनेआप ही जल कर समाप्त हो जाता है उसे Spontaneous human combustion स्पांटेनियस ह्यूमन कम्बशन अर्थात स्वतः दहन कहा गया है। यह  एक ऐसा विषय है जिस पर इतनी रिसर्च हो रही है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर, अपने साथिओं की बैकग्राउंड देखते हुए, बड़ी सावधानी से प्रकाशित होना ही उचित होगा। इस विषय पर अपनी जिज्ञासा को शांत करने की दृष्टि से ,पिछले कुछ दिनों में हमने अनेकों रिसर्च रिपोर्ट्स का अध्ययन किया लेकिन कोई भी निर्यणायक परिणाम उपलब्ध नहीं है।    

स्पांटेनियस ह्यूमन कम्बशन अथवा अनायास ही अपने आप जलने की यह प्रक्रिया पिछले दसियों वर्षों से वैज्ञानिकों को उलझन में डाले हुए है। इस रहस्यमयी आग की उत्पत्ति के कारणों को जानने के लिए विभिन्न प्रयोगों और अब तक इस तरह की घटी सैकड़ों घटनाओं में से करीब 100 घटनाओं का अध्ययन करने के बाद भी वैज्ञानिक यह पता नहीं लगा पाये हैं कि यह रहस्यमयी आग किस प्रकार और किन कारणों से उत्पन्न होती है एवं इस आग का स्रोत क्या है। अपनेआप ही  शरीर में आग उत्पन्न होना और उस आग में जलकर शरीर का भस्मीभूत हो जाना ऐसा विचित्र रहस्य है कि सामान्य अग्निकाण्डों से उसकी तुलना नहीं की जा सकती। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है कि जिस किसी व्यक्ति के साथ इस प्रकार की घटना घटती है, उसे इसका कोई भी लक्षण नहीं दिखता। अचानक हार्ट अटैक की तरह बिना किसी पूर्व सूचना के अग्नि विस्फोट होता है और जो व्यक्ति इस रहस्यमयी अग्नि का शिकार होता है उसे सम्भवतः इसकी कोई यातना/कष्ट आदि भी अनुभव नहीं होती।

आज तक  जितनी भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं उसे लोगों ने बिना कोई प्रमाण मांगे स्वीकारा है और मानव शरीर में व्यापत अग्नि के साथ जोड़ा है। 

हमारी रिसर्च के अनुसार सबसे लेटेस्ट 2011 की रिपोर्ट है जिसमें आयरलैंड के 76 वर्षीय Michael Faherty अपने घर में ही 2010 में जल कर भस्म हो गए थे। 26 सितम्बर 2011 को NBC News पर प्रकाशित विस्तृत रिपोर्ट में Coroner ने अपना निर्णय देते हुए कहा था कि यह मृत्यु Spontaneous human combustion का केस है। अमेरिका में Coroner उस ऑफिसर को कहा जाता है जो अप्राकृतिक कारणों (Unnatural causes) से होने वाली मृत्यु की जांच करते हैं। 

The coroner, Ciaran McLoughlin, reported: “This fire was thoroughly investigated and I’m left with the conclusion that this fits into the category of spontaneous human combustion, for which there is no adequate explanation.”

इस रिपोर्ट को 23 दिसंबर 2022 को आजतक न्यूज़ चैनल  ने भी प्रकाशित किया जिसमें यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिलेड के पैथालॉजिस्ट रॉजर बायर्ड कहते हैं कि अचानक इस तरह आग लगना अस्मभव है। 

NBC News की  रिपोर्ट पर कोर्ट की मोहर लगने के बावजूद अनेकों प्रश्न उठाए जा रहे हैं जिनमें से जलने का कारण,मृतक के आस पास का वातावरण, घर में उस समय कौन-कौन था, क्या मृतक शराब पी  रहा था, क्या मृतक Fireplace के पास बैठकर शराब पी  रहा था, क्या मृतक Inflammble कपड़े पहने हुए था, क्या मृतक जिस Reclining chair पर बैठा था उसमें कोई Inflammable मेटेरियल लगा हुआ था। 

NBC  News की रिपोर्ट के अंत में यही लिखा हुआ है कि अचानक स्वयं ही मानव में आग लगना इतना कॉमन नहीं है,इसलिए इसके Logical explanation को ढूंढने की आवश्यकता है। 

जो भी हो हमें इन Controversial रिपोर्ट्स को देखकर इस तथ्य को नकारने की आवश्यकता नहीं है कि काया में सचमुच ही प्राणाग्नि का ज़खीरा समाया हुआ है। वर्तमान लेख श्रृंखला इसी महत्वपूर्ण तथ्य को लेकर आगे बढ़ रही है। 

आज के लेख का अंत करने से पहले हम इस विषय पर अपने व्यक्तिगत विचार रखने की आज्ञा लेते हैं, जिन्हें स्वीकार करना/अस्वीकार करना पाठकों की अपनी स्वतंत्रता है। 

जब ऐसी धारणा है कि खुद ब खुद आग भड़क नहीं सकती तो ब्रिटिश कोलंबिया में हर वर्ष Forest fires को कौन स्टार्ट करता है, बाल्यकाल में कार्बन पेपर पर Magnifying glass द्वारा सूर्य की किरणें केंद्रित करके आग लगने के लिए कौन सी माचिस की आवश्यकता पड़ती थी। 

इसलिए बेहतर होगा कि साधना की शक्ति को पहचाना जाये, अन्धविश्वास को छोड़कर, बिना किसी किन्तु-परन्तु के ईश्वरीय शक्ति को नमन किया जाये, स्वीकारा जाये, उसे समझने का प्रयास किया जाये। 

जय गुरुदेव        

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शनिवार के स्पेशल सेगमेंट को 633 कमैंट्स मिले एवं 14 साथिओं ने 24 आहुति संकल्प पूरा किया है। सभी समर्पित साधकों का धन्यवाद, गुरुकृपा बनी रहे। 


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