वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

प्राणाग्नि के जखीरे पर आधारित लेख श्रृंखला का सातवां   लेख-पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जीवनीशक्ति अधिक होती है। 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की गुरुकुल स्थित पावन यज्ञशाला में ज्ञानयज्ञ की आहुतियां देने के लिए परम पूज्य गुरुदेव के  हम सब समर्पित बच्चे आज गुरुवार  को गुरुचरणों में समर्पित हो रहे  हैं, निवेदन करते हैं कि हमें विवेक का दान दें। वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी माँ  सरस्वती से निवेदन करते हैं कि अपने बच्चे को इतना योग्य बना दो एवं उसके सिर पर हाथ धरो माँ  ताकि उसकी लेखनी  सदैव चलती रहे।

कल एक बार फिर से शब्द सीमा की निष्ठुर बेड़ियों ने  हमारी लेखनी को ऐसा झटका दिया  कि हमें एक अतिरोचक विषय को Abruptly रोकना पड़ा। 

जीवनी शक्ति, Life power, Life field आदि की बात चलते-चलते बीच में ही रोकनी पड़ी।  उसी चर्चा को आज वहीँ से आरम्भ कर रहे हैं जहाँ कल छोड़ा था। 

मानव मस्तिष्क में लगभग 86 बिलियन न्यूरॉन्स हैं जो ज्ञान प्राप्त करने और उसे आगे वितरित करने का कार्य करते हैं। प्रत्येक न्यूरॉन  यानि Nerve cell एक छोटा डायनमो है जो विज्ञान की भाषा में कहा जाये तो बिजली पैदा करने वाला जनरेटर होता है। यहाँ समझा जा सकता है कि “अध्यात्मवादिओं ने प्राणशक्ति को अणुशक्ति से भी बढ़कर क्यों कहा है।” आने वाले लेखों में इस विषय पर चर्चा की योजना है। 

आज के लेख में विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय को दर्शाती News 18  में प्रकाशित 2023 की जानकारी शेयर की गयी है जो बता रही है कि जिस बात को हम परम पूज्य गुरुदेव द्वारा दिए गए अध्यात्म द्वारा समझने का प्रयास कर रहे हैं उसे हारवर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रिसर्च द्वारा Certify कर दिया है। गुरुदेव की वाणी साक्षात् प्रमाणित हो रही है, अभी तो इस शताब्दी के 75 वर्ष बचे हुए हैं, समझा जा सकता है आने वाले दिन कैसे होंगें। 

तो आइये, इन्हीं शब्दों के साथ अपने गुरु के दिव्य चरणों में समर्पित हो जाएँ। 

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मूर्धन्य वैज्ञानिक डॉ. मेटुची वैनबर्ग ने अपने अनुसंधान निष्कर्ष में कहा है कि मानवी काया  में “विद्युत शक्ति रूपी खजाने” छिपे हैं। इनकी प्रकट क्षमता की जानकारी मांसपेशियों के Contraction और Expansion  से उत्पन्न इलेक्ट्रिक waves  से होती है। इस संदर्भ में अंग्रेज वैज्ञानिक वाल्टर ने भी बहुत खोजें कीं और उन खोजों का लाभ चिकित्सा जगत को प्रदान किया है।

Nervous system  के विशेषज्ञों  अनुसार “प्रत्येक न्यूरान (Neuron) एक छोटा डायनेमो है।” हमारे मस्तिष्क में कितने ही Neurons हैं जो लगभग  20 वाट इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न कर सकते हैं। इस इलेक्ट्रिसिटी से मानव  शरीर की समस्त गतिविधियां संचालित होती हैं। हमारे ह्रदय  में विद्यमान इस बिजली के  प्रयोग से ह्रदय में ECG, मांसपेशियों में  EMG तथा मस्तिष्क में  EEG रिकॉर्ड करने के लिए प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानवी काया एक उच्चस्तरीय परमाणु बिजलीघर (Atomic  power plant )  है। इससे प्राण विद्युत तरंगों का निरन्तर कम या अधिक मात्रा में transmission  होता रहता है।

Yale university  के सुप्रसिद्ध चिकित्सा शास्त्री हेराल्ड बर्र ने अपने शोध निष्कर्ष में बताया है कि प्रत्येक जीवधारी अपने-अपने स्तर के अनुरूप कम या अधिक इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न करता है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में इस इलेक्ट्रिसिटी की  मात्रा “अधिक” होती है। यही कारण है कि पुरूषों की तुलना में महिलाओं की सहन शक्ति, पारिवारिक सम्बन्ध शक्ति, Adjusting capability अधिक होती है। अक्सर कहा जाता है कि नारी त्याग की मूर्ति है, उसे ईश्वर ने ऐसा ही बनाया है। इन्हीं विशेषताओं के कारण नारी सदैव पूजनीय है। यह तो हो गयी ईश्वर द्वारा Create किये गए प्राणी(नारी) की बात लेकिन यहाँ तो विज्ञान भी उसे Certify कर रहा है। परम पूज्य गुरुदेव द्वारा प्रचारित एवं प्रकाशित  Scientific spirituality (वैज्ञानिक अध्यात्मवाद) का इससे  सार्थक उदाहरण कहाँ मिल पायेगा। 

वैज्ञानिकों ने इस मानवीय इलेक्ट्रिकल एनर्जी  को  ‘‘लाइफ फील्ड’’ के नाम से सम्बोधित किया है। उनके अनुसार व्यक्तित्व के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति का अलग-अलग “लाइफ फील्ड” होता है। Life processes  से संबंधित होने के कारण Life field में  परिवर्तन होता रहता है। आवेश, घृणा, ईर्ष्या की स्थिति में मनुष्य शरीर से बिजली की सर्वाधिक क्षति होती है, इसलिए उचित रहेगा कि जीवनी इलेक्ट्रिसिटी के संवर्धन के लिए आवेश, घृणा, ईष्या आदि बुरी आदतों  से दूर रहा जाए।  

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के पुरुषों से पूर्व-क्षमाप्रार्थी होते हुए नारिओं से सम्बंधित मिले निष्कर्ष को इस परिवार में भी Apply करें तो यही प्रमाणित होता है कि नारी त्याग की मूर्त है एवं हमारी महिलाएं इस परिवार में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अपनी सम्मानीय बहिनों के प्रति यह शब्द लखने में हमें कतई संकोच नहीं है, इन पंक्तियों का लेखक स्वयं एक पुरुष है। 

आइये आगे बढ़ें और News 18 समाचार पत्र में 28 मार्च 2023 को प्रकाशित एक रिपोर्ट को  देख लें जो वर्तमान विषय से ही सम्बंधित दिख रही है। हारवर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार “पुरुषों से ज्यादा क्यों जीती  हैं महिलाएं और क्यों कम होती हैं बीमारियां, हारवर्ड  ने ढ़ूंढ लिया जवाब, जान लेंगे तो फायदे में रहेंगे” शीर्षक के अंतर्गत बहुत ही उत्तम जानकारी प्रदान की गयी है। 

बेशक पुरुष अधिक  तेज दौड़ता हो, खेल के मैदान में ज्यादा फुर्तिला हो, ज्यादा वजन उठाता हो लेकिन स्वास्थ्य  के मामले में पुरुष महिलाओं से बहुत ही कमजोर होता है। हारवर्ड  यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसके लिए निम्नलिखित कई कारणों  को जिम्मेदार माना है: 

Why Do Women Live Longer than Men: पुरुषों की लंबाई महिलाओं से अधिक होती है।  पुरुष के Muscles  भी महिलाओं से ज्यादा होते हैं।  पुरुष महिलाओं की तुलना में ज्यादा तेज दौड़ सकता है, ज्यादा भार उठा सकता है, खेल के मैदान में भी ज्यादा फुर्ती दिखा सकता है लेकिन जब बात मेडिकल क्षेत्र  की आती है तो हर मामले में पुरुष कमजोर होते हैं।  

यही कारण है कि पुरुषों को वीकर जेंडर माना जाता है।  पिछले सौ सालों में लोगों की डाइट में बढ़ोतरी हुई है, बीमारियों से लड़ने की दवाइयां आ गई है, तंबाकू का सेवन घटा है, इन सबसे औसतम उम्र में जरूरी वृद्धि हुई  है लेकिन आज भी पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा स्वस्थ  रहती हैं और ज्यादा दिनों तक जीवित रहती हैं। अमेरिका में महिलाओं की औसतन आयु पुरुषों से 6 वर्ष ज़्यादा है। 

आखिर इन सबका क्या कारण है ?

हारवर्ड  मेडिकल ने अपने एक अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि इसके कई कारण है और इसमें विज्ञान एवं प्रकृति  का बहुत बड़ा योगदान है।  यह पूरे जीवन भर की बात है। महिला जन्म लेते ही हेल्थ के मामले में मेल बेबी (Male baby) से ताकतवर होती  है, हालांकि ऐसा क्यों होता है, इसका शत-प्रतिशत उत्तर  किसी के पास नहीं है लेकिन हारवर्ड  के विश्लेषण में कुछ कारण  बताए गए हैं जो महिलाओं को मजबूत जेंडर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। 

यह कारण निम्नलिखित हैं : 

1.जीन (Genetic effect) -हारवर्ड  मेडिकल की वेबसाइट के मुताबिक भ्रूण के विकास से ही महिला और पुरुष अलग हो जाता है, हालांकि दोनों में 23 क्रोमोजोम Pairs  होते हैं, 22 pairs  तो दोनों लिंग में समान होते हैं लेकिन 23वां जोड़ा अलग-अलग हो जाता है।  पुरुषों में 23वें जोड़े में एक एक्स (X) और एक वाई (Y) क्रोमोजोम होता है जबकि महिलाओं के 23वें जोड़े में दोनों क्रोमोजम (X) ही होते हैं। Y क्रोमोजोम की शक्ति X  क्रोमोजोम से एक तिहाई कम होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि पुरुषों में कुछ Y क्रोमोजोम का बीमारियों से सम्बन्ध  होता है और यही कारण है कि पुरुषों में  जीवन भर मौत का जोखिम महिलाओं  से कहीं ज्यादा रहता है। 

2. हार्मोन ( Hormonal effect)-पुरुष जिस “टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन” को अपनी मर्दानगी का प्रतीक मानते हैं, वहीं टेस्टोस्टेरॉन समय से पहले हार्ट के Muscles  को छलनी करने लगता है और कई तरह की Heart disease  को जन्म देता है।  दूसरी ओर महिलाओं में स्त्रीत्व को प्रोत्साहित करने वाले “एस्ट्रोजन हार्मोन” ह्रदय  की रक्षा करने में कमाल का काम करता है. अब आप समझ गए होंगे कि महिलाओं में ह्रदय से संबंधित बीमारियां इतनी कम क्यों होती है। 

यहाँ हम यह लिखने में बिल्कुल भी  संकोच नहीं कर सकते कि महिलाओं को ह्रदय की सबसे बड़ी बीमारी यही है कि उनका ह्रदय बड़ा ही कोमल और संवेदनशील होता है, इस कमाल के  लिए ईश्वर का जितना भी धन्यवाद् करें कम  ही रहेगा। 

3.प्रजनन अंग-पुरुष में प्रोस्टेट ग्लैंड कई परेशानियों को जन्म देता है, हालांकि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, यूटेरस कैंसर के मामले को देखकर आपको लग रहा होगा कि इस मामले में पुरुष ज्यादा सुरक्षित हैं लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है।  पुरुषों को अन्य कई मामलों में ज्यादा कैंसर होता है। 

4.मेटाबोलिज्म-दिलचस्प बात यह है कि हार्ट को सुरक्षित रखने वाला गुड कोलेस्ट्रॉल महिलाओं में ज्यादा होता है।  महिलाओं में गुड कोलेस्ट्रॉल 60.3 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर होता है जबकि पुरुषों में यह सिर्फ 48.5 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर होता है।  इससे हार्ट से संबंधित बीमारियों का जोखिम तो कम हो ही जाता है,  मोटापा और अन्य बीमारियों का जोखिम भी  कम रहता है। यह सारे फैक्टर्स  मेटाबोलिज्म को सक्रीय रखने में सहायता करते हैं। 

5.सामाजिक-व्यावहारिक फेक्टर-इसके अलावा कई सामाजिक फेक्टर भी रहते हैं  जिनके कारण महिलाएं पुरुषों से ज़्यादा मजबूत होती है।  महिलाओं को Work stress कम होता है एवं  महिलाएं ज्यादा सोशल होती हैं। आजकल तो सोशल  नेटवर्किंग का युग है, इस क्षेत्र में भी महिलाएं बाज़ी मार रही  हैं।ज्यादा हिंसा और आक्रामकता महिलाओं का गुण नहीं है।  महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम सिगरेट, शराब, तंबाकू का सेवन करती हैं।  ज्यादातर मामलों में महिलाओं की डाइट पुरुषों की तुलना में हेल्दी होती है।  महिलाएं घर का काम ज्यादा करती है जिसके कारण उनकी फिजिकल एक्सरसाइज भी ज्यादा हो जाती है। ऐसे कई कारण है जिनकी बदौलत महिलाएं पुरुषों की तुलना में मेडिकली मजबूत होती हैं।

इस रोचक चर्चा का  यहीं पर समापन होता है, अगला आध्यात्मिक ज्ञानप्रसाद लेख सोमवार को प्रस्तुत किया जायेगा। 

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एक बार फिर कल वाले लेख पर बहुत ही कम साथी कमेंट-काउंटर कमेंट कर पाए। यूट्यूब ने उन साथिओं की समस्या को कहाँ समझा होगा जिन्होंने बड़े परिश्रम से इतने उत्कृष्ट कमेंट पोस्ट किये और काल प्रकोप के वशीभूत अनेकों की हत्या हो गयी। व्हाट्सप्प पर मिल रहे संदेशों से दिख रहा है कि हमारे साथी इस स्थिति से अति विचलित हैं।   

कल वाले लेख   को मात्र 335  कमेंटस ही  मिले,केवल 7  संकल्पधारी  साथिओं ने ही 24 से अधिक आहुतियां प्रदान की हैं। सभी का धन्यवाद् करते हैं । 


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