12 मार्च 2025 का ज्ञानप्रसाद-सोर्स: काया में समाया प्राणग्नि का जखीरा
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की गुरुकुल स्थित पावन यज्ञशाला में ज्ञानयज्ञ की आहुतियां देने के लिए परम पूज्य गुरुदेव के हम सब समर्पित बच्चे आज बुधवार को गुरुचरणों में समर्पित हो रहे हैं, निवेदन करते हैं कि हमें विवेक का दान दें। वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी माँ सरस्वती से निवेदन करते हैं कि अपने बच्चे को इतना योग्य बना दो एवं उसके सिर पर हाथ धरो माँ ताकि उसकी लेखनी सदैव चलती रहे।
आज के ज्ञानप्रसाद लेख का शुभारम्भ हमारे बाल्यकाल की घातक घटना से जीवनदान मिलने के पीछे सरल विज्ञान से हो रहा है लेकिन इस जीवनदान के पीछे ईश्वरीय कृपा को कभी भी Under estimate नहीं किया जा सकता। लेख के आरम्भ में जिस बेसिक विज्ञान का वर्णन किया गया है उसी के सहारे अगले भाग में दिए गए जीवनी शक्ति के तथ्य को समझा जा सकता है। मानव शरीर में व्याप्त Life energy को समझने के लिए कुछ टेक्निकल terms को बताया गया है लेकिन उन्हें भी सरल करने के लिए यथासंभव प्रयास किया है।
कल हम इसी चर्चा को आगे बढ़ायेंगें जो बहुत ही रोचक होने वाली है।
आइये चलें गुरुचरणों में समर्पित हो जाएँ।
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कल वाले लेख में हमने अपनी बाल्यकाल की मृत्यु तुल्य घटना का वर्णन किया था, इस संदर्भ में अनेकों साथिओं ने भावनात्मक कमेंट करके हमारे अंतःकरण में जिस ऊर्जा का संचार किया है उसे शब्दों में वर्णित करना लगभग असंभव ही है। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं
शब्द सीमा एवं अपने साथियों की समय सीमा की दो-तरफा बेड़ियों ने हमारे साथ हुई इलेक्ट्रिक शॉक की घटना के निवारण में छिपे सरल विज्ञान को बताने का अवसर ही नहीं दिया।
आज के लेख का शुभारम्भ इसी प्रयास हेतु इतनी सरलता से कर रहे हैं कि किसी को भी समझने में कठिनाई न हो। अगर हमारे साथिओं को यह बेसिक साइंस समझ आ जाती है तो ह्यूमन इलेक्ट्रिसिटी घर-घर की कहानी बन सकती है, कईं बीमारियां ठीक करने में सहायता मिल सकती, ह्यूमन इलेक्ट्रिसिटी हमारे लिए ईश्वरीय वरदान साबित हो सकती है।
Grounding (ग्राउंडिंग), Earthing (अर्थिंग) का ज्ञान:
हमारे शरीर को बिजली की तार से हैंड पंप से कनेक्ट करने के प्रोसेस को ही ग्राउंडिंग/अर्थिंग कहते हैं। अगर बिजली की करंट का शॉक हल्का होता तो धरती पर नंगे पाँव रखने से ही बिजली धरती में चली जाती लेकिन शरीर का रंग नीला पड़ जाने से दिख रहा था कि यह एक्सीडेंट घातक भी हो सकता है, प्राण पखेरू भी उड़ा सकता है।
ग्राउडिंग का सबसे सरल और प्रचलित उदाहरण हम अपने घर में प्रयोग होने वाले किसी भी इलेक्ट्रिक प्लग को देख कर कह सकते हैं। प्रत्येक इलेक्ट्रिक प्लग के अंदर तीन Colour coded तारें होती हैं जिनके अधिकतर रंग हरा, लाल और काला/सफ़ेद होते हैं। हरे रंग की तार हमेशा ही ग्राउंडिंग /अर्थिंग के लिए प्रयोग होती है जिससे करंट की स्थिति में बिजली धरती में प्रवाहित हो जाती है और भयानक जानलेवा घटना से बचाव हो जाता है। हरे को छोड़ कर बाकि की दो तारों में बिजली दौड़ रही होती है जो सर्किट पूरा करती है। इसी तरह का सिस्टम घर के Main switch board में भी होता है। जहाँ एक नंगी तार का सिरा लोहे के स्विच बोर्ड से कनेक्ट किया होता है ताकि ओवरलोड, शार्ट सर्किट जैसी स्थिति में Excess बिजली धरती में प्रवाहित हो जाये और आग जैसी बड़ी घटना से बचाव हो जाये। कई बार देखा गया है कि बादलों से गरज़ने वाली बिजली जब बिल्डिंग पर गिरती है तो काफी हानि होती है। ऐसी हानि से बचाव के लिए, हमारे साथिओं ने देखा होगा कि घर की बाहिर दीवार में छत से लेकर ज़मीन तक एक तार सी लगाई गयी होती है जिसे Earth wire कहते हैं। बिजली कड़कने की स्थिति में घर पर पड़ने के बजाये, इस तार के रास्ते यह ज़मीन में प्रवाहित हो जाती है और घर नुक्सान से बच जाता है।
तो साथिओ हमने घर के प्लग से लेकर,मैन स्विच बोर्ड और छत से ज़मीन तक लगी तार के तीन उदाहरण देकर ग्राउंडिंग/अर्थिंग के वैज्ञानिक सिद्धांत को समझने का प्रयास किया है। उपरोक्त इलेक्ट्रिसिटी के इलावा हमारे साथिओं ने कभी न कभी अँधेरे में कपडे बदलते समय, सिंथेटिक कपड़ों में से निकलती चमकदार बिजली अवश्य देखी होगी, इसी को Static electricity कहते हैं। हमारे शरीर में स्वाभाविक रूप से कपड़ों के साथ रगड़ के माध्यम से इलेक्ट्रिक करंट उत्पन्न होती रहती है। ग्राउंडिंग न होने के कारण ही हमें हल्का सा झटका लगता है। अगर हमारे और धरती के बीच कोई Metallic conductor हो तो यह झटका नहीं लगेगा यां कम लगेगा। अक्सर देखा गया है कि यदि हम कपडे बदलते समय धरती पर नंगे पैर खड़े हैं यां कोई लोहे की ( सोने/चांदी की नहीं ) अंगूठी/ब्रेसलेट आदि पहना है तो करंट कम लगती है। लोहा ग्राउंडिंग का ही काम करता है। मानवी शरीर में रगड़ से निकलने वाली यह करंट आम तौर पर बहुत छोटी होती है, जिसे नैनोएम्पियर (nA) में मापा जाता है।
कुछ अध्ययनों से ग्राउंडिंग के मेडिकल लाभ होने का भी पता चला है। ऐसी स्टडी में रोगी का धरती माँ के साथ किसी लोहे जैसी धातु से कनेक्शन बनाया जाता है। धरती में जल होने के कारण शरीर में से Excess करंट धरती में प्रवाहित हो जाती है। Sea beach की रेत पर सैर करने से Sleeplessness, Inflammation, High blood pressure आदि के उपचार में ग्राउंडिंग के कुछ प्रमाण तो मिलते हैं लेकिन इसके बारे में निर्णायक तरीके से कहने के लिए अभी और रिसर्च की आवश्यकता है।
तो साथिओ हमें जीवनदान देने के पीछे का वैज्ञानिक पक्ष तो यही था लेकिन ईश्वरीय शक्ति का उससे भी बड़ा योगदान था, शायद पूर्वजन्मों के कुछ सुकर्म ही होंगें जिनके कारण आज हमें परम पूज्य गुरुदेव के विराट साहित्य की रिसर्च करके ज्ञानार्जन एवं घर घर ज्ञानदान का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
अब ग्राउंडिंग के विषय को यहीं पर छोड़ते हुए आगे बढ़ते हैं।
“काया में समाया प्राणाग्नि का ज़खीरा” शीर्षक की जिस पुस्तक पर वर्तमान लेख श्रृंखला आधारित है, के चौथे चैप्टर का शीर्षक है: मानवी काया : एक उच्चस्तरीय विद्युत्भाण्डागार
हमने जब इस शीर्षक को ध्यान से देखा तो एकदम पिछले वर्ष 25 मार्च को प्रकाशित हुए लेख की ओर गया। उस लेख का शीर्षक था “मनुष्य शरीर एक अच्छा खासा बिजली घर” दोनों लेखों को देखने पर यही निष्कर्ष निकला कि दोनों का कंटेंट अलग है और यदि कुछ कंटेंट रिपीट भी हो जाता है कोई बदहज़मी होने वाली नहीं है।
तो यहीं से मानवी काया : एक उच्चस्तरीय विद्युत्भाण्डागार लेख का शुभारम्भ करते हैं।
हम सब इस तथ्य से भलीभांति परिचित हैं कि किसी भी उपकरण/यंत्र को चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, वोह ऊर्जा Wind energy,coal energy,Petrol energy, Hydro energy आदि हो सकती है। इन्हीं में से एक एनर्जी Electrical Energy है जिससे हमारे न जाने कितने ही उपकरण चलते हैं सबसे महत्वपूर्ण तो वोह उपकरण है जिस पर आप इस समय इस ज्ञान का अमृतपान कर रहे हैं, यानि आपका फ़ोन। आज के युग में इससे महत्वपूर्ण उपकरण शायद ही कोई हो, हर कोई अपने अपने विवेक के अनुसार इस महत्वपूर्ण उपकरण का प्रयोग कर रहा है। इसकी महत्ता तो उस समय पता चलती है जब किसी कारणवश यह खराब हो जाता है, रिचार्ज नहीं होता है, चार्ज नहीं होता है, ऐसा लगता है जीवन थम सा गया है । खैर यह तो अपनी अपनी धारणा है। हो सकता हम गलत ही हों जिसके लिए पूर्व क्षमाप्रार्थी हैं।
लेकिन प्रायः बहुत कम लोग ही जानते हैं कि “मानवी शरीर एक शक्तिशाली यंत्र है” और उसके सही संचालन में जिस ऊर्जा की आवश्यकता होती है वह एक प्रकार की खास बिजली ही है। अध्यात्म की भाषा में इस बिजली को ‘‘प्राण’’ कहते हैं।
जिस प्रकार आग पैदा करने के लिए लकड़ी, कैरोसिन जैसे ईंधन की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह “प्राण” भी एक अग्नि है जिसे ज्वलन्त रखने के लिए ईंधन की आवश्यकता पड़ती है। प्राण रूपी शरीराग्नि को ज्वलन्त रखने के लिए जिस ईंधन की आवश्यकता होती है उसे “आहार” कहते हैं। प्राणियों में संव्याप्त इस ऊर्जा को वैज्ञानिकों ने ‘‘जैवविद्युत (Bioelectricity)’’ नाम दिया है। शरीर के पोषण एवं मस्तिष्क की अधिकतर हलचलें अच्छा भोजन आदि खाने से पूरी हो जाती हैं, अच्छे भोजन से रक्त,मांस का भी उत्पादन होता है लेकिन अनेकों ऐसी गतिविधियां ऐसी हैं जिनके लिए शरीर में व्याप्त इलेक्ट्रिसिटी प्रवाह की आवश्यकता होती है। इसी को अध्यात्मवेताओं ने “जीवन तत्व (Life element)” का नाम दिया है जो रोम-रोम में व्याप्त है। इस Life element में चेतना और संवेदना के दोनों तत्व विद्यमान हैं। विचारशीलता उसका विशेष गुण है। इस Life element की मात्रा जिसमें जितनी अधिक होगी वह उतना ही ओजस्वी, तेजस्वी और मनस्वी होगा। प्रतिभाशाली, प्रगतिशील, शूरवीर, साहसी लोगों में इसी क्षमता की बहुलता होती है। काय कलेवर में इसकी न्यूनता होने पर विभिन्न प्रकार के रोग शीघ्र को आ दबोचते हैं। मनःसंस्थान में इसकी कमी होने से अनेक प्रकार के “मनोरोग” परिलक्षित होने लगते हैं। Life element उस भौतिक बिजली से सर्वथा भिन्न है जो हमारे घर के उपकरणों को चलाने के लिए प्रयुक्त होती है। Life energy का सामान्य उपयोग शरीर को गतिशील तथा मन, मस्तिष्क को सक्रिय रखने में होता है। असामान्य पक्ष मनोबल, संकल्पबल, आत्मबल के रूप में परिलक्षित होता है जिसके सहारे असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी पूरे होते देखे जाते हैं। ‘‘ट्रांसफार्मेशन आफ एनर्जी’’ सिद्धान्त के अनुसार ह्यूमन इलेक्ट्रिसिटी सूक्ष्मीभूत होकर “प्राण ऊर्जा” और “आत्मिक ऊर्जा” के रूप में इक्क्ठी होती है और एक दुसरे में Convert हो सकती है। इस ट्रांसफार्मेशन के लिए ही मनुष्य को अपने प्राण पर रिसर्च करनी पड़ती है और प्राण साधना का सहारा लेना पड़ता है।
नोबुल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक हाजकिन हक्सले और एक्लीस ने मानव शरीर में ज्ञान के धागों (Knowledge fibers) की खोज की है। इनकी रिसर्च के अनुसार ज्ञान के यह धागे एक प्रकार के इलेक्ट्रिक करंट के तार हैं जिनमें निरंतर बिजली दौड़ती रहती है। पूरे शरीर में इन धागों को समेटकर एक लाइन में रखा जाय तो उनकी लम्बाई एक लाख मील से भी अधिक बैठेगी। इस प्रकार मानव शरीर जैसे इतने बड़े तंत्र को विभिन्न कार्यों में गतिशील रखने के लिए कितनी अधिक बिजली की आवश्यकता पड़ेगी, यह अति विचारणीय विषय है।
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एक बार फिर कल वाले लेख पर बहुत ही कम साथी कमेंट-काउंटर कमेंट कर पाए। यूट्यूब ने उन साथिओं की समस्या को कहाँ समझा होगा जिन्होंने बड़े परिश्रम से इतने उत्कृष्ट कमेंट पोस्ट किये और काल प्रकोप के वशीभूत अनेकों की हत्या हो गयी।
कल वाले लेख को मात्र 324 कमेंटस ही मिले,केवल 5 संकल्पधारी साथिओं ने ही 24 से अधिक आहुतियां प्रदान की हैं। सभी का धन्यवाद् करते हैं ।