वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

22 फ़रवरी  2025 ,शनिवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक

पिछले शनिवार को “वीकेंड विशेष सेगमेंट” एक वीडियो के रूप में प्रस्तुत किया गया था, हमारे इस नवीन प्रयास की भी प्रशंसा हुई थी जिसके लिए हम  ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। आदरणीय सुमनलता बहिन जी ने हमारे विज्ञान के विद्यार्थी होने का भी ज़िक्र किया था, उनका स्पेशल धन्यवाद् करते हैं। 

आज के विशेषांक में दोनों प्रकार के योगदान प्राप्त होने के कारण, वीडियो और Text  दोनों ही सम्माहित हैं। 

वीडियो का कुछ भाग तो हमारे साथी शांतिकुंज से प्रकाशित होने वाली वीडियो पत्रिका “युगप्रवाह”  के अंतर्गत पहले  भी देख चुके हैं, आज उसमें आदरणीय राकेश शर्मा जी का योगदान शामिल किया गया। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में योगदान के लिए हम राकेश जी का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। 

टेक्स्ट सेक्शन में हम दो महत्वपूर्ण बातें  कर रहे हैं। पहली बात तो हमारी सबकी प्रिय बेटी पिंकी का योगदान है जिसे बेटी ने कुछ दिन पूर्व ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर शेयर किया था। इस कमेंट को बहुतों ने देखा भी होगा, कमेंट भी किये होंगें लेकिन बहुत से ऐसे भी होंगें जिन्होंने यह कमेंट मिस भी कर दिया होगा। हमने बेटी को उसी समय लिख दिया था कि  वीकेंड में शेयर करेंगें। तो इस  विस्तृत कमेंट में बेटी अपने दिव्य विचारों से परिचित करा रही है जो एक अनुभूति की भांति ही है। बेटी का दो बातों के लिए धन्यवाद् करते हैं: 

एक, हमारा सुझाव मानकर विस्तृत कमेंट करके हमारा सम्मान करने के लिए और दूसरा यह अनुभूति लिखने के लिए।

पिंकी पाल की अनुभूति : 

परम आदरणीय अरुण चाचा जी आपको मेरा भाव भरा सादर प्रणाम जिसे आप अपनी बेटी का प्यार समझ कर स्वीकार करें आपकी महान  कृपा होगी, मैं सदैव आपकी आभारी रहूंगी।  ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार से जुड़कर मेरे परिवार ने सौभाग्य प्राप्त किया है।  2021 के पहले हमारे घर में कुछ न कुछ प्रॉब्लम बनी ही रहती थी, समझ में ही नहीं आता था कि इस प्रॉब्लम से कैसे निकला जाए।  जब भी कहीं अकेले बैठो तो मन में बहुत प्रकार की बातें भी आती कि ऐसा क्या किया जाए जिससे घर की परेशानियां दूर हो जाएँ।  एक तरफ पापा के पास परेशानियां भी बहुत ज्यादा थी और दूसरी तरफ हम दोनों भाई बहन बहुत बड़े-बड़े सपने भी सजाए बैठे थे।  कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि हमारे सपने कैसे पूरे होंगे।  भाई को क्रिकेट का शौक था और मुझे डॉक्टर और एक्टर बनने का, पर क्या करूं एक्टिंग के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। तभी मैंने सोचा था कि मैं डॉक्टर बनूंगी 12वीं  कंप्लीट होने के बाद मैंने सोचा कि मैं  डॉक्टरी की तैयारी करूं पर पापा के पास बहुत प्रॉब्लम थी वह डॉक्टरी की तैयारी कैसे करवाते।  फिर मैंने सोचा कि छोड़ो शायद यह  सब मेरे नसीब में नहीं है पर मेरे भाई आयुष का सपना था क्रिकेटर बनना, वह हमेशा मोबाइल लेकर बस सर्च करके देखा करता था कहां कौन सी एकेडमी है, कौन सी एकेडमी में कैसी प्रेक्टिस होती है। हम दोनों भाई बहनों ने अपनी औकात से बाहर सपने देख रखे थे। पापा हमेशा आयुष को मना करते थे कि नहीं क्रिकेट नहीं खेलना है पढ़ाई में मन लगाओ आगे चलकर कोई सरकारी जॉब की तैयारी कर लेना। आयुष ने भी ठान लिया था कि मैं खेलूंगा तो क्रिकेट ही वरना कुछ भी नहीं करूंगा। फिर एक बार हम लोगों ने पापा से बात की।   ठीक है पापा आप उसकी तैयारी करवाइए जो भी होगा देखा जाएगा।  पापा ने भी कहा कि  चलो ठीक है और फिर हम दोनों भाई बहन 19 जुलाई, 2022  को कानपुर आ गए और 20 जुलाई से आयुष ने Barra 8 K-D-M Academy ज्वाइन कर ली। वह अपनी मेहनत और लगन से अपने कार्य की तरफ बढ़ता रहा।  उसके बाद मेरे मन में आया कि मैं भी एक्टिंग करूं। मैंने एक बार पापा से कहा तो पापा ने मना कर दिया फिर एक दिन मेरे पापा के मामा जी आए मेरे रूम पर पापा भी साथ में थे उन्होंने पूछा कि आपकी क्या करने की इच्छा है ? मैंने उनको अपनी एक्टिंग के बारे में बताया उन्होंने कहा कि तुम्हारी इच्छा है तो तुम करो।  मैंने कहा कि पापा ने मना किया है।  बाबा ने पापा से कहा कि जो उसकी इच्छा है करने दो।  पापा बोले कि ठीक है करो पर मुझे एक्टिंग के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी।  जिस मकान में मैं रहती थी वहीं पर बनारस के एक भैया भी रहते थे मैंने उनसे पूछा उन्होंने एक्टिंग के बारे में बताया जैसा-जैसा उन्होंने बताया वैसे ही मैंने  करना शुरू कर दिया।  आज गुरुदेव के आशीर्वाद और आप सभी के प्यार से हम दोनों भाई बहन यहां तक पहुंचे हैं।  

हमें पूर्ण विश्वास है कि आगे भी सफलता का मार्ग हमें गुरुदेव ही दिखाएंगे।  हमारी मेहनत,  गुरुदेव का आशीर्वाद एवं आप सभी के  प्यार को  धन्यवाद,चाचा जी। जय गुरुदेव जय मातादी सादर प्रणाम 

इसी आशा व विश्वास के साथ मैं अपनी लेखनी को विराम देती  हूं अगर मेरे लिखने में कोई त्रुटि हुई हो तो मुझे क्षमा करें आपकी बेटी पिंकी पाल। 

दूसरी बात हमारे आदरणीय एवं वरिष्ठ सहकर्मी डॉ ओ पी शर्मा जी के बारे में है। 17 फ़रवरी को लगभग रात के दो बजे डॉ साहिब की  वीडियो कॉल आयी और साथ में एक पुस्तक की पीडीऍफ़ कॉपी भी भेजी हुई थी। हम तो उस समय सो रहे थे, जब सुबह उठे तो देखा, मन प्रसन्न हो गया कि डॉ साहिब ने  “सत्य का बोध” शीर्षक से  एक और पुस्तक लिखी है और हमें इस योग्य समझा कि हम इसे परिवार में शेयर करें। दुःख भी हुआ कि डॉ साहिब की  वीडियो कॉल मिस हो गयी। कुछ ही मिनटों में मैसेज तो भेज ही दिया, सोचा कि  बाद में इत्मीनान से फ़ोन करेंगें, लेकिन डॉ साहब ने स्वयं ही फिर से वीडियो कॉल करके हमें  वोह ख़ुशी प्रदान की जिसका शब्दों में वर्णन करना कठिन है। 20 मिंट ऐसी बातें  होती रहीं जैसे किसी परिवार के वरिष्ठ मेंबर से हो रही हों। वीडियो के बाद उन्होंने निम्नलिखित मैसेज भी भेजा जिसे परिवार में शेयर करना अपना कर्तव्य समझते हैं :

 नमस्कार भाई साहब आपकी और आदरणीय बहन जी की फोटो आदरणीय चिन्मय  भैया जी के साथ बहुत अच्छी आई हुई है इसके लिए बधाई है।  परम पूज्य गुरुदेव ने देव संस्कृति पुरुष के रूप में विश्व के सामने एक उदाहरण रखा है और हम सबको उन्हीं के बताए मार्ग पर चलने से ही कल्याण संभव है। इसी भावना से “सत्य का बोध” अनुभूति के रूप में प्रस्तुत हुई है।  आज आपसे वार्ता हुई, बहुत अच्छा लगा।  गुरुदेव जी की कृपा आपके परिवार पर बनी रहेगी, भविष्य बहुत उज्ज्वल है। 

हमारा सौभाग्य है कि हमें उन देवमानवों से मिलने का अवसर मिल रहा है जिनका गुरुदेव से बहुत निकट का सम्बन्ध रहा है, गुरुदेव के अंग अवयव हैं। हमारा तो विश्वास है कि परम पूज्य गुरुदेव ने ऐसे देवमानवों को अपनी शक्ति का स्थानांतरण अवश्य किया होगा। 

पुस्तक की बात करें तो 56 पन्नों की छोटी सी पुस्तक में डॉ साहिब ने ऐसा दुर्लभ ज्ञान प्रदान किया है कि  क्या कहा जाये। अभी तो हमने सरसरी सी दृष्टि ही दौड़ाई थी,  ऐसा लग रहा था कि हर पृष्ठ पर फेविकोल लगा हुआ है, आगे जाया ही नहीं जा रहा था। जब भी गुरुदेव का आदेश प्राप्त होगा परिवार में इस पुस्तक पर आधारित लेखों की पुष्पमाला को अर्पण करने का प्रयास करेंगें। 

जय गुरुदेव         

सभी को मालूम है कि हमारे परिवार में शनिवार का दिन  एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब  सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त  करता हुआ अपने को सौभाग्यशाली मानता है। 

यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी  साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर ही करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा। हम बहुत प्रयास करते हैं कि शनिवार के दिन फ़ोन उपवास करते हुए, एक कुशल सैनिक की भांति अपने अस्त्र-शस्त्र (फ़ोन-लैपटॉप, saved फाइल्स आदि) को  up-to-date कर दें, क्योंकि सोमवार के ज्ञानप्रसाद के लिए रविवार को ही तो कार्य आरम्भ होना है लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता। ऐसा इसलिए है कि हमारे साथी/सहकर्मी इस परिवार की “सबसे बड़ी सम्पति” है, उनके साथ बातचीत करना हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात होती है क्योंकि गुरुदेव के सूत्र के अनुसार “सम्पर्क टूटा, सम्बन्ध छूटा” जैसी स्थिति का आना हमारे लिए एवं परिवार के लिए अति दुर्भाग्यपूर्ण होता है।

“संपर्क टूटा, सम्बन्ध छूटा” वाला सिद्धांत अपने परिवार में इतना शक्तिशाली और प्रेरणादायक है कि अगर कहा जाए कि इसी सिद्धांत ने हम सब को जोड़े रखा है तो कोई अतिश्योक्ति न हो। अपने सभी साथिओं से निवेदन करते हैं कि इस सिद्धांत का पूरी श्रद्धा के साथ पालन करना ही हमारा परम कर्तव्य है । हम उन सभी साथिओं के आभारी हैं जो हमें पल-पल की गतिविधियों से अवगत कराते रहते हैं,आखिर यही तो परिवार-भावना है, यह परिवार केवल कहने मात्र परिवार नहीं है, सच में परिवार है जिसमें खून के रिश्तों से भी अधिक अपनत्व का पालन किया जाता है। ऐसी भावना  केवल हम नहीं, हमारे अनेकों साथी बार-बार व्यक्त कर चुके हैं। 

आज के लिए बस इतना ही, यहीं पर समापन करने की आज्ञा लेते हैं। 

जय गुरुदेव, सभी के मंगल की कामना करते हुए ह्रदय से धन्यवाद्।   

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कल के ज्ञानप्रसाद लेख को 625   कमेंटस मिले, 18  संकल्पधारी  साथिओं ने 24 से अधिक आहुतियां प्रदान की हैं। सभी साथिओं का इस अद्भुत सहयोग  के लिए ह्रदय से धन्यवाद  करते हैं ,आज फिर एक कीर्तिमान स्थापित हुआ है। सभी का धन्यवाद्। कमैंट्स संख्या, कमैंट्स क्वालिटी, साथिओं की गणना ही इस परिवार की रीढ़ की हड्डी है।


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