19 फ़रवरी 2025,बुधवार के दिन, सभी की मंगलकामना के साथ लिखी जा रही यह पंक्तियाँ ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के प्रत्येक साथी के लिए एक अद्भुत प्रेरणा का स्रोत हो सकती हैं क्योंकि आज हमें इस परिवार के उस Teenager के विचार जानने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है जिसका नाम है मिस्टर आयुष पाल। अनेकों फाइलों में उलझे रहने के कारण बेटे आयुष की संक्षिप्त सी अनुभूति का हमें तब तक स्मरण नहीं रहा जब तक आद. सरविन्द जी ने व्हाट्सप्प पर मैसेज नहीं किया। जहाँ हम दोनों (पिता-पुत्र) से क्षमाप्रार्थी हैं वहीँ हम इस दुविधा में हैं कि इस परिवार के योगदान का किन शब्दों से आभार व्यक्त करें।
आइये पहले बेटे आयुष के विचार देख लें फिर उसके परिवार की बात करते हैं :
आयुष पाल की अनुभूति :
जब से हम परम पूज्य गुरुदेव की शरण में आए हैं और गायत्री महामंत्र का जाप करने लगे हैं हमारे अंतःकरण में अद्भुत चमत्कार सा हुआ है। इस चमत्कार से हमारी सोच ही बदल गई और नकारात्मक विचार मिटकर सकारात्मक होने लगे हैं। किसी भी दोस्त की गंदी बात व गंदी हरकत अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती है, उसे समझाने का प्रयास करते हैं,अगर नहीं समझता है तो उससे दूरी बना लेते हैं। यह सब परम पूज्य गुरुदेव की दिव्य कृपा दृष्टि व आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सामुहिक आशीर्वाद व शुभकामनाओं का ही प्रतिफल है । इसका लाभ, अनुदान-वरदान के रूप में हमारे कैरियर में मिल रहा है और हम आगे बढ़ रहे हैं।
हमारे साथ जो कुछ भी हो रहा है,उसमें आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का बहुत बड़ा योगदान है। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हम इतना परिष्कृत व पवित्र हो जाएंगे।
हम प्रतिदिन लगभग सुबह 4:00 बजे जग जाते हैं और परम पूज्य गुरुदेव का स्मरण करते धरती माता को चरण स्पर्श करते हुए बिस्तर छोड़कर कुछ अभ्यास करते हैं। तत्पश्चात नित्य-क्रिया करते हैं और इसके तुरंत बाद स्नान कर परम पूज्य गुरुदेव की शरण में आ जाते हैं । OGGP के मंच से प्रकाशित होने वाले हर लेख का अमृतपान कर, उपासना, साधना व आराधना करते हैं, फिर मंत्र लेखन करते हैं। उसके बाद नाश्ता करके और परम पूज्य गुरुदेव से आशीर्वाद लेकर एकेडमी चले जाते हैं।
यही हमारी दैनिक दिनचर्या है। परम पूज्य गुरुदेव साक्षात महाकाल हैं और जिनके सिर पर महाकाल का हाथ होता है,उसका कोई काम रुकता नहीं है ऐसा हमारा अटूट विश्वास है। इसी विश्वास और समर्पण के साथ हम निस्वार्थ भाव से, अमूल्य समय निकालकर, गुरुवर के चरणों में समयदान कर रहे हैं। हमें उनका सूक्ष्म संरक्षण व दिव्य सानिध्य अनवरत प्राप्त हो रहा है। सचमुच परम पूज्य गुरुदेव की शरण में आने वाला कभी कमजोर और निराश नहीं हो सकता है, बस पात्रता विकसित करने की जरूरत है।
आज हमें हर पल,हर जगह परम पूज्य गुरुदेव ही नजर आते हैं। हम कह सकते हैं कि जिसने भी परम पूज्य गुरुदेव को अपने अंतःकरण में उतार लिया तो समझो कि उसका जीवन ही धन्य हो गया। परम पूज्य गुरुदेव का दिव्य साहित्य पढ़ने का सौभाग्य हमें आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में मिला, जिसका हम नियमित पयपान करते हैं और हमें अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने में इस दिव्य परिवार का बहुत बड़ा सहयोग है जिसे हम कभी नहीं भूल सकते हैं।
अगर यह दिव्य परिवार न होता तो आज हम स्टेट प्लेयर न बन पाते, क्योंकि सबसे बड़ा प्रोत्साहन हमें इस दिव्य परिवार से ही मिला है, नहीं तो हम जहाँ थे, वहीं पड़े होते। इसके लिए हम परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य चरणों में शत-शत नमन वंदन करते हुए आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं जिनके आशीर्वाद व शुभकामनाओं से हम प्रगति पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। हम इस दिव्य प्लेटफार्म की रचना के लिए आदरणीय अरुण चाचा जी के अथक प्रयास को नमन वंदन करते हैं।
आप सबका आशीर्वाद मिलता रहे, इसी कामना के साथ हम अपनी बात समाप्त करते हैं। हमारे लिखने में कोई त्रुटि हुई हो तो हमें अपना नन्हां सा बेटा समझकर क्षमा कर दें, महान कृपा होगी।
धन्यवाद, जय गुरुदेव
सरविन्द पाल परिवार का सम्मानित किये जाना :
तो साथिओ, यह बात हुई हमारे सबके बेटे आयुष के ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के प्रति विचारों की; अब बात करते हैं उनके पिता आद सरविन्द जी की, उनकी निष्ठा एवं समर्पण की, परिवार के सदस्यों को प्रेरित करने की शक्ति की।
2 फ़रवरी 2025 को पूज्यवर के आध्यात्मिक जन्म दिवस को समर्पित “विशेष शृंखला” का शुभारम्भ हुआ। हमारे निवेदन का सम्मान करते हुए संकल्पित एवं सम्मानित साथियों ने कुल 16 लेख प्रस्तुत किए। वीडियो सेक्शन, शॉर्ट वीडियो सेक्शन, कॉमेंट्स सेक्शन आदि, सभी में अधिकतर साथियों ने जी-जान से भागीदारी दिखाकर गुरुदेव के आशीर्वाद प्राप्त किए।
प्रस्तुत किये गए 16 लेखों में से, सात लेख केवल एक ही परिवार, आद सरविन्द जी के परिवार द्वारा ही प्रस्तुत किये गए यानि इस दिव्य कार्य में 44% योगदान इसी परिवार का रहा।
इस अद्भुत योगदान के लिए ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार द्वारा Certificate of Appreciation प्रदान किया जाना एक गर्व एवं सौभाग्य का क्षण हैं। हम सब सरविन्द पाल परिवार को बधाई देते हैं एवं कामना करते हैं कि परिवार के पांचों सदस्यों को गुरुवर का अनवरत संरक्षण मिलता रहे।
जब हम सरविन्द पाल परिवार को सम्मानित कर रहे हैं तो निम्नलिखित साथिओं को कैसे छोड़ सकते हैं जिन्होंने समयदान, ज्ञानदान, श्रमदान करके , हमारे निवेदन का सम्मान किया। बहुत बहुत धन्यवाद्:
सरविंद पाल,अरुण वर्मा,अनुराधा पाल,पिंकी पाल,पुष्पा सिंह,सुजाता उपाध्याय,संध्या कुमार,प्रेरणा कुमारी, मीरा पाल ,राधा त्रिखा राजकुमारी कौरव,अरुण त्रिखा एवं आयुष पाल।
गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना कोई ऐसी वैसी प्रक्रिया नहीं है। इसके लिए गुरुदेव पात्रता का मूल्यांकन अवश्य करते हैं। जो साथी अभी भी विस्तृत एवं लेख संबंधित कॉमेंट करने से झिझक रहे हैं, उन्हें एक बार फिर से विचार करना उचित होगा। परिवार के तीनों समर्पित बच्चे पिंकी, अनुराधा एवं आयुष, पूरी तरह से संकल्पित हैं; इस Statement में रत्तीभर भी संदेह नहीं है। जिस नियमितता से वोह अपनी भागीदारी निभा रहे हैं, कितना अच्छा हो अगर वोह विस्तृत कॉमेंट करने की ओर भी विचार करें। गुरुवर के अनुदान उन्हें स्वतः ही मिलेंगे। हमें विश्वास है कि आदरणीय सरविंद पाल जी इनका मार्गदर्शन कर सकते हैं। विस्तृत एवं लेख से सम्बंधित कमेंट करने को एवं दूसरों के कमेंट पढ़कर काउंटर कमेंट करने के पीछे छिपे गुप्तज्ञान को, गूंगे के गुड़ की भांति अनुभव ही किया जा सकता हैं, इस प्रक्रिया की शक्ति को लिख कर बता पाना लगभग असम्भव ही है। कमैंट्स की शक्ति, संपर्क शक्ति, भावना शक्ति का हमारे साथिओं ने अनेकों बार अनुभव किया है।
यही है गुरु शक्ति के स्थानांतरण का प्रोसेस।
आगे की रणनीति:
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के अनेकों संकल्पों में एक ही ध्वनि चरितार्थ होती है और वोह ध्वनि है, “क्या हम सही मायनों में अपनेआप को गुरुवर के चरणों को समर्पित कर पाए हैं?” साथिओं द्वारा हमारे सभी प्रयासों को पर्याप्त सम्मान मिलना गुरुवर के प्रति समर्पण का मूल्यांकन है, लेकिन सर्वश्रेष्ठ मूल्यांकन तो वसंत पर्व पर ही होता है जब परिजन गुरुवर के चरणों में अपनी अनुभूतियाँ समर्पित करके अपने गुरु के विशेष अनुदान प्राप्त करते हैं।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से 2021 की वसंत पंचमी से आरम्भ हुई “अनुभूति विशेषांक श्रृंखला” का सिलसिला आज 2025 में भी अनवरत चल रहा है।
हमारे साथी जानते हैं कि वर्ष 1926 की वसंत पंचमी का दिन परम पूज्य गुरुदेव के जीवन का एक अति विशिष्ट दिन था। यही वोह दिन था जब परम पूज्य गुरुदेव के हिमालयवासी गुरु (जिन्हें हम सब दादा गुरु के नाम से सम्बोधन करते हैं) के साथ,आंवलखेड़ा गाँव,(आगरा) स्थित हवेली की कोठरी में, दिव्य साक्षात्कार हुआ था, उनके तीन जन्मों की कथा एक फ़िल्म की भांति दिखाई गयी थी। उसी दिन से,आज लगभग 100 वर्ष (2026 में 100 वर्ष) बाद भी पूज्यवर ने इस दिन को अपना आध्यात्मिक जन्म दिन घोषित करते हुए,अपने सभी क्रियाकलापों को वसंत पंचमी के दिन ही आरम्भ करने का संकल्प लिया और उसे पूर्ण भी किया।
हम बच्चों के लिए भी यह दिन बहुत बड़ा सौभाग्य लेकर आता है। हम इन दिनों में गुरुवर के आध्यात्मिक जन्म दिवस से सम्बंधित इतने लेख पढ़ जाते हैं, सेव करके अपने पास रख लेते हैं कि बताना कठिन है।
इसी कड़ी में अप्रैल 1990 की अखंड ज्योति बहुत ही महत्वपूर्ण है। 1990 का वर्ष गुरुदेव के महाप्रयाण का वर्ष था। अखंड ज्योति के इस अंक में प्रकाशित हुए लेख, जिसका शीर्षक था “इस बार का वसंत पर्व एवं उसकी उपलब्धियां” ने हमें ऐसा जकड़ा कि क्या कहें। इस मुख्य लेख के अंतर्गत 19 विशेष लेख माला में ऐसा-ऐसा ज्ञान समाहित है कि किसको छोड़ें, किसको लिखें, निर्णय करना कठिन हो जाता है।
तो साथिओ, इसी असमंजस भरी स्थिति का निराकरण एवं गुरुवर को और निकट से जान पाना ही आने वाले दिनों की रणनीति है। हम इस सारे कंटेंट में से कितना समझ पायेंगें, माँ सरस्वती हमारी लेखनी को कितना चला पायेगी, अपने साथिओं के अंतःकरण में कहाँ तक परम पूज्य गुरुदेव को स्थापित कर पायेंगें, उनके अंतःकरण से कैसे-कैसे उत्कृष्ट विचार उभरेंगें, उनके विचार कितनों को, कहाँ तक प्रभावित कर पायेंगें, इसका मूल्यांकन आने वाला समय ही बता पायेगा। गुरुवर के आशीर्वाद से जैसी-जैसी स्थिति बनती जाएगी, परिवार के समक्ष लाते जायेंगें।
अंतःकरण में उठ रहे इन्हीं विचारों से आज के ज्ञानप्रसाद लेख का समापन होता है।
जय गुरुदेव, ह्रदय से धन्यवाद्
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कल के ज्ञानप्रसाद लेख को 467 कमेंटस मिले, 12 संकल्पधारी साथिओं ने 24 से अधिक आहुतियां प्रदान की हैं। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद करते हैं।
