17 फ़रवरी 2025,सोमवार को लिखी जा रही यह पंक्तियाँ इनमें छिपे ज्ञान के कारण किसी को भी ऊर्जावान किये बिना नहीं रह सकतीं। आद.अरुण जी ने हमारे निवेदन को स्वीकार किया और उनके कमेंट से उठ रहे हमारे विचारों को अनुभूति रूप में प्रस्तुत किया, जिसके लिए हम उनका ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं।
आदरणीय संध्या बहिन जी ने बहुत ही सुन्दर शब्दों में फरवरी 1950 की अखंड ज्योति में प्रकाशित दो पन्नों के लेख का सारांश प्रस्तुत करके ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार पर बहुत बड़ा उपकार किया है। आदरणीय राजकुमारी बहिन जी( जो हमें बड़े भैया कह कर संबोधन करती हैं) गुरुदेव की शक्ति दर्शाती बहुत ही संक्षिप्त सी अनुभूति शेयर की है । दोनों बहिनों का आभार व्यक्त करते हैं।
परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस को समर्पित इस विशेष शृंखला का समापन हम अपनी व्यक्तिगत अनुभूति से करने की योजना तो बनाये हुए हैं, लेकिन होगा वही जो गुरुवर को मान्य होगा। शब्द सीमा की ज़ंजीरें हमें अपनी अनुभूति के बारे में भूमिका बनाने की आज्ञा नहीं देंगीं इसलिए हम आज ही लिख रहे हैं कि पात्रता की शक्ति (जिसका हम राग गाते रहते हैं ), उसका साक्षात् प्राकट्य हमने प्रतक्ष्य देखा है।
आइए देखें हमारे तीनों साथी क्या कह रहे हैं।
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अरुण वर्मा:
भैया जी, आपने निवेदन किया, हमें अच्छा नहीं लग रहा है,आप हमें आदेश दे सकते हैं, निवेदन शब्द हमारे लिए शोभनीय नहीं है। मैं आपका छोटा भाई हूं।
भैया जी, दीदी के बारे में जो कुछ भी लिखा जाये कम ही रहेगा । मैं नहीं जानता कि उनके द्वारा किये गये सत्कर्मों का पुण्य कितना है लेकिन इतना विश्वास के साथ कह सकता हूं कि दीदी का किया गया हर कर्म सत्कर्म बन जाता है। दीदी का आशीर्वाद सदैव फलित होता है, हमारे लिए उनके शब्द सदैव सक्रिय साबित हुए हैं। आज के समय में वादे करने वाले तो बहुत मिल जाते हैं लेकिन समय आने पर कहीं कोई नज़र नहीं आता,निराशा के अन्धकार में अकेले ही ठोकरें खानी पड़ती हैं । अक्सर लोग कहते सुने जाते हैं कि समय आने पर हम तुम्हारे लिए जान भी दे सकते हैं लेकिन यह कोरी ढींगे ही होती हैं। आज के समय की भयावह स्थिति में, शंकाओं के समय में, साथ देने वाली बात तो एक फैशन ही बनकर रह गयी है। ऐसे समाज में दीदी जैसे विचारवान, श्रद्धावान और सहायता प्रदान करने वाले कोई लोग विशेष प्रवृति के ही होते हैं। हम तो सोचते थे कि ईश्वर ने इस प्रकृति और प्रवृति के मनुष्यों का उत्पादन ही बंद कर दिया है लेकिन आदरणीय सुमनलता दीदी ने हमारे इस नकारात्मक विचार को एक दम नकार के रख दिया है।
“ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सभी सहकर्मी बहिन जी के उच्च विचारों से भलीभांति परिचित हैं एवं Unconditional 75000 रुपए देकर हमारी आर्थिक सहायता का भी सभी को पता है।”
दीदी ने उस समय हमारी आर्थिक सहायता की जब सारे रास्ते बंद दिखाई दे रहे थे। साथिओं की तो बात ही क्या करें,बैंक ने भी ऋण देने से इंकार कर दिया था। आदरणीय अरुण भैया ने ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर इस समस्या को शेयर करने के लिए कहा, उन्होंनें कहा कि शायद गुरुदेव किसी देवदूत को भेज दें। दीदी ने हमारे कमेंट को पढ़ा और बिना किसी सोच विचार के हमें ऋण देने का निर्णय ले लिया। हमें दीदी का व्हाट्सप्प मैसेज आया, क्षण भर के लिए तो विश्वास ही नहीं हुआ। हमने अपनी पत्नी को मैसेज पढ़ाया तो वह भी हक्का बक्का रह गयी। हमारी पत्नी बोली कि इतना पैसा लौटाएगा कैसे? तब हमने कहा कि हमने 5000 रुपए प्रतिमाह देने को कहा है। पत्नी बोली कि तब तो बहुत समय लग जायेगा, इतने दिन तक दीदी बर्दाश्त करेंगी क्या? हमने कहा कि दीदी हमारे कहने पर ही तैयार हुई हैं। तो दीदी, हुए न गुरुदेव द्वारा भेजे हुए देवदूत !!!!
यहाँ एक बात बताने योग्य है कि जब भी कोई पर्व/त्यौहार आदि आता तो दीदी का मैसेज आ जाता था कि आप अपना काम करके ही पैसा दीजियेगा,कोई जल्दी नहीं है। बैंकों की स्थिति के साथ कितना Contrast है, वहां तो Late payment पर भारी चार्जेज का कानून चलता है।
आधुनिक युग में अधिकांश लोग निराशावादी हैं, पिता बेटे पर विश्वास नहीं करता, बेटा पिता पर विश्वास नहीं करता,ऐसी परिस्थिति में कोसों दूर बैठी अनजान आत्मा का सामने आना, जिसके हृदय में प्यार-सहकार कूट-कूट कर भरा हो, किसी चमत्कार से कम नहीं है। आज के इस घोर कलयुग में ऐसी घटना “साक्षात् सतयुग का उदाहरण” नहीं तो और क्या है !!!!
विरले ही सही ऐसे अनेकों उदाहरण इस सत्य के साक्षी हैं कि
“कलयुग का शीघ्र ही अंत होने वाला है और सतयुग प्रवेश कर चुका है।”
परम पूज्य गुरुदेव द्वारा संचालित ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के इस दिव्य मंच पर वर्णन की जा रही यह कथा कोई मनघंड़त कहानी न होकर एक ऐसी कहानी है जो बिलकुल ही अविश्वसनीय,आश्चर्यजनक तो है किन्तु 100 % सत्य है।
इस कहानी का विस्तृत विवरण पहले भी इस मंच पर प्रकाशित हो चुका है लेकिन चलते-चलते यह बताना अपना कर्तव्य समझते हैं कि दीदी ने हमसे केवल 70000 रुपए ही वापिस लिए हैं, न कि 75000 रुपए। दीदी ने आदरणीय अरुण भैया जी को सूचित किया था कि मैंने सभी पैसा लौटा दिया है। दीदी ने बाकी के 5000 रुपए लेने से यह कहकर इंकार कर दिया है कि यह धनराशि बाल संस्कारशाला के लिए खर्च कर दें। हमने 1100 रुपए गायत्री शक्तिपीठ दानापुर के निर्माण कार्य में लगा दिया है और बाकी की धनराशि से बच्चों के लिए कुछ टूल्स खरीदने का विचार है। गायत्री चेतना केंद्र, महिला मंडल,बाल संस्कारशाला नाम से “एक साइन बोर्ड” भी बनाना है जिससे जानकारी हो जाये कि यहां कुछ विशेष कार्यक्रम होता है। यह कार्य दीदी के पैसे से ही करने का विचार है ताकि दीदी की याद सदैव इस बैनर में सम्माहित रहे जिससे हमें सदैव प्रेरणा मिलती रहे।
अप्रैल 2025 से एक और निकटवर्ती गांव में भी महीने में एक दिन हवन यज्ञ का कार्यक्रम शुरू करने की योजना है। बातचीत चल रही है,आगे जैसी गुरुदेव की आज्ञा। हम तो मात्र रंगमंच की कठपुतलियां ही हैं, डोर तो उन्हीं के हाथ में है।
जय गुरुदेव
आदरणीय अरुण वर्मा जी के इस चमत्कार का समापन करते हुए साथिओं को स्मरण कराना उचित समझते हैं कि इसी तरह का चमत्कार “आदरणीय योगेश शर्मा के मोबाइल ज्ञानरथ” के लिए तब हुआ था जब डेनमार्क निवासी सरस्वती राम जी ने एक लाख रुपए की राशि स्वयं एवं 50000 रुपए अपने साथी से दिलवाये थे।
परम पूज्य गुरुदेव ने चमत्कार को सदैव नकारा है लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि जिनकी पात्रता विकसित होती है उनके लिए भगवान दौड़े आते हैं। अपनी अल्पबुद्धि से हम तो इतना ही कह सकते हैं, “God helps those who help themselves” , योगेश जी को डेढ़ लाख की सहायता तो मिली लेकिन वोह अपने स्वयं के साढ़े तीन लाख रुपए लगा चुके थे।
संध्या कुमार- “सतकर्मों से दुर्भाग्य भी बदल सकता है”
परमपूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्मदिन के पावन अवसर पर “एक और” श्रद्धा सुमन अर्पित करने का प्रयास कर रहीं हूँl
अक्सर देखने/सुनने में आता है कि मैंने तो कोई गलत काम नहीं किया, फिर भी मेरे जीवन में कोई न कोई कष्ट बना ही रहता है, मुझे लगता है पूर्वजन्म के किसी दुष्कर्म का फल मुझे मिल रहा है, इस जन्म में तो मैं अपना दायित्व निष्ठा से पूरे कर रहा हूँ। वही मनुष्य किसी अन्य को परिवार में, ऑफिस में, समाज में गलत कार्य करने के बावजूद मज़ा करते हुए देख कुढ़ता रहता है। वह सोचता है कि यदि वर्तमान में गलत कार्य कर के भी कोई मज़ा कर रहा है तो अवश्य ही यह उसके पूर्वजन्म के सद्कर्मों का प्रतिफल है। लेकिन यह सत्य है कि वर्तमान के गलत कर्म के फल से वह बच नहीं सकता,अभी नहीं तो कभी न कभी उसे दुष्कर्म का फल भुगतना ही होगा।
सबसे उत्तम शिक्षा यही है कि अपने कर्म का सुधार करना श्रेयस्कर है। मनुष्य को मात्र स्वयं या स्वयं के परिवार के प्रति दायित्व निभा कर अपने दायित्व की इतिश्री मान लेना अनुचित है क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा जन्म लेते ही वह परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व का अंग बन जाता है एवं इनके सहयोग से ही जीवन निर्वाह करता है। अत: उसे इन्हें उन्नत करने हेतु अवश्य कार्य करने चाहिए। यह मनुष्य का सद्कर्म ही होगा जो जाने-अनजाने उसके द्वारा किये गए दुष्कर्म का दुष्परिणाम भी कम होगा I
अखण्ड ज्योति फरवरी 1950 के पृष्ठ 19 पर वर्णित है कि “सतकर्मों से दुर्भाग्य भी बदल सकता है” गुरुवर कहते हैँ कि स्मरण रखिए “वर्तमान ही प्रधान है l” पिछले जन्म में आप भले या बुरे कैसे भी काम करते रहे हों, यदि आप वर्तमान में अच्छे काम करते हैँ तो पूर्वजन्मों के संचित पाप कम हो जाएंगे। यदि उनका कुछ दुष्परिणाम हुआ भी तो बहुत ही साधारण, स्वल्प कष्ट देने वाला होगा I शिवि,दधीचि,हरिशचंद्र,प्रहलाद,ध्रुव,पाण्डव आदि को पूर्वकर्मों के अनुसार ही कष्ट सहने पड़े। सुकर्मी व्यक्तियों के बड़े-बड़े पूर्वकर्म स्वल्प दुःख देकर सरल रीती से भुगत जाते हैँ लेकिन जो वर्तमान में कुमार्गगामि हैँ, उनके पूर्वकृत सुकर्म तो हीनविर्य हो जाएंगे और जो संचित पापकर्म है,वे सीचित होकर परिपुष्ट और पलवित होंगे,जिससे दुःखदायि पापफलों की श्रंखला अधिकाधिक भयंकर होती जाएगी l
हमें चाहिए कि सद्व्विचारों को आश्रय दें और सुकर्मों को अपनायें। यह प्रणाली हमारे बुरे भूतकाल को भी श्रेष्ठ भविष्य में परिवर्तित कर सकती है l
युगदृष्टा, दूरदृष्टा परमपूज्य गुरूदेव ने स्पष्टता से समझा दिया है कि जीवन में सद्कर्म को ही अपनाते हुये जीवन परिष्कृत करते हुए जीवन लक्ष्य प्राप्त करना श्रेयस्कर होता है l
जय गुरूदेव
राज कुमारी कौरव:
ऊं श्री गुरु सत्तायै नमः आदरणीय बड़े भैया प्रणाम
परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर गुरुचरणों में हृदय के भाव समर्पित है। इसी वर्ष नर्मदा जयंती के शुभ अवसर पर मैं और मेरे पति बाइक से नर्मदा जी दीपदान करने गए थे। लौटते समय मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे कोई हमारी गाड़ी को पीछे से पकड़े हुए हैं। मैंने पीछे मुड़कर देखा, कोई नहीं दिखा। मैंने सोचा मेरा वहम है। गुरुदेव का स्मरण किया, 5 किलोमीटर ही चले थे तभी एक गाड़ी वाले ने हमारी गाड़ी को ओवरटेक किया। हमारी गाड़ी गिरते-गिरते बची, ब्रिज का काम चल रहा था, नीचे गहराई थी पूज्य गुरुदेव ने भयानक एक्सीडेंट से बचा लिया।
पूज्य गुरुदेव आप हमेशा हमारे साथ रहते हैं। हमें इतनी शक्ति, इतनी ऊर्जा दें जिससे आपके बताए मार्ग पर चल सकें जब से ज्ञानरथ से जुड़े हैं ऐसा मार्गदर्शन मिल रहा है कि गुरुदेव से रिश्ता प्रगाढ़ होता चला जा रहा है। दिन-रात गुरु सत्ता का स्मरण चलता रहता है। परम पूज्य गुरुदेव वंदनीय माताजी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम
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शनिवार के स्पेशल सेगमेंट को नए कलेवर में प्रस्तुत करने के लिए सराहना के लिए धन्यवाद्। वीडियो को 424 कमेंटस मिले, 6 संकल्पधारी साथिओं 24 से अधिक आहुतियां प्रदान की हैं। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद करते हैं।