वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस को समर्पित “विशेष श्रृंखला” का आठवां  लेख -प्रस्तुतकर्ता OGGP की समर्पित बहिनें आद.मीरा पाल और राधा त्रिखा    

https://youtu.be/iy3xp1lQ6Sg?si=xrOsEL1tQVSgYAz7

आज प्रस्तुत किये गए प्रज्ञा गीत में नायक दिलीप कुमार,नायिका मधुबाला,निर्देशक मेहबूब खान, संगीतकार नौशाद, गीतकार शकील सभी मुस्लिम जाति के थे, लेकिन बात मंदिर की हो रही है। सात दशक पूर्व रिलीज़ हुई सुपरहिट मूवी “अमर” को आज भी उसी श्रद्धा से देखा जाता है।  

13 फ़रवरी 2025,गुरुवार के दिन, सभी की मंगलकामना के साथ लिखी जा रही यह पंक्तियाँ ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के किसी भी साथी को ऊर्जावान किये बिना नहीं रह सकतीं, आद.मीरा पाल और राधा त्रिखा जी ने हमारे निवेदन को स्वीकार किया जिसके लिए हम ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं। 

“अनुभूति विशेषांक श्रृंखला” में आज की प्रस्तुति में आदरणीय मीरा पाल और राधा त्रिखा जी अपनी अनुभूतियों का वर्णन का रही हैं। आद.मीरा पाल जी की अनुभूति उनके जीवनसाथी आद. सरविन्द पल जी द्वारा लिखी गयी है, इसीलिए भाई साहिब अपनेआप को मीरा जी का निजी सचिव मानते हैं। नित्य साधना से मीरा जी के शरीर में बिजली का प्रवाह होना,  अविश्वसनीय लगता है; इसीलिए  तो इस अनुभूति को  आश्चर्यजनक, अविश्वसनीय किन्तु सत्य का विशेषण दिया गया है। गुरुसत्ता, माँ गायत्री, कुलदेवी ब्रजेश्वरी देवी (जो भी नाम हों), विश्वास और श्रद्धा सर्वोपरि है, राधा जी की अनुभूति से प्रमाणित हो रहा है।    

वर्ष 1926 की वसंत पंचमी का दिन परम पूज्य गुरुदेव के जीवन का एक अति विशिष्ट  दिन था। यही वोह दिन था जब परम पूज्य गुरुदेव के हिमालयवासी गुरु (जिन्हें हम सब दादा गुरु के नाम से सम्बोधन करते हैं) के साथ,आंवलखेड़ा गाँव,(आगरा) स्थित हवेली की कोठरी में, दिव्य साक्षात्कार हुआ था, उनके तीन जन्मों की कथा एक फ़िल्म की भांति दिखाई गयी थी। उसी दिन से,आज लगभग 100 वर्ष (2026 में 100 वर्ष) बाद भी पूज्यवर ने इस दिन को अपना  आध्यात्मिक जन्म दिन घोषित करते हुए,अपने सभी क्रियाकलापों को वसंत पंचमी के दिन ही आरम्भ करने का संकल्प लिया और उसे पूर्ण भी किया।  

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के अनेकों संकल्पों में एक ही ध्वनि चरितार्थ होती है और वोह ध्वनि है, “क्या हम सही मायनों में अपनेआप को  गुरुवर के चरणों को समर्पित कर पाए हैं?”  साथिओं द्वारा हमारे सभी प्रयासों को पर्याप्त सम्मान मिलना गुरुवर के प्रति समर्पण का मूल्यांकन है, लेकिन सर्वश्रेष्ठ मूल्यांकन तो वसंत पर्व पर ही होता है जब परिजन गुरुवर के चरणों में अपनी अनुभूतियाँ समर्पित करके अपने गुरु के विशेष अनुदान प्राप्त करते हैं।

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार  के मंच से 2021 की वसंत पंचमी से आरम्भ हुई  “अनुभूति विशेषांक श्रृंखला” का सिलसिला आज  2025 में भी अनवरत चल रहा  है।

उसी प्रथा और संकल्प का पालन करते हुए,हमारी सम्मानीय बहिनें आदरणीय मीरा पाल और राधा त्रिखा, गुरुचरणों में अपनी अनुभूतियाँ प्रस्तुत करके दिव्य गुरु-अनुदान प्राप्त कर रही हैं।

आइए देखें वोह क्या कह रही हैं।

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आश्चर्यजनक अविश्वसनीय किन्तु  सत्य घटना: परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर हमारी सहधर्मिणी मीरा पाल की अनुभूति : 

हमारी सहधर्मिणी मीरा पाल की आज की ताज़ी दिव्य अनुभूति को हम सरविन्द कुमार पाल परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस के उपलक्ष्य में “ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार” नामक दिव्य परिवार के माध्यम से परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य चरणों में समर्पित कर रहे हैं। यह अनुभूति आश्चर्यजनक, अविश्वसनीय किन्तु सत्य घटना है। 

आज हमारी धर्मपत्नी मीरा पाल के मोबाइल फोन का सिम कार्ड Jio  से Airtel  में पोर्ट कराना था जिसके लिए हम सूरज कुमार को सुबह बोलकर अपने व्यवसाय हेतु फील्ड चले गए थे।  जिस घटना का यहाँ वर्णन किया जा रहा है, दोपहर 12:00 बजे के करीब की है।  मीरा पाल घर के कार्यों से निवृत्त होकर उपासना, साधना व आराधना कर रहीं थीं और उपासना समाप्त होने ही वाली थी कि उसी समय सिम कार्ड पोर्ट करने सूरज कुमार नाम का लड़का हमारे घर आया और मीरा पाल से बोला कि आंटी जी आपका मोबाइल फोन कहाँ रखा है? वह हमें दे दो।  तब तक उपासना का समापन हो चुका था तो मीरा पाल जब  अपना मोबाइल फोन उठाकर उस लड़के को देने लगीं तो उसकी एक उंगली लड़के को छू गई। मीरा पल की ऊँगली छूते  ही लड़के को बहुत जोर से करंट लगा और वह तिलमिला गया एवं मोबाइल फोन छूटकर जमीन पर  गिर गया। सूरज कुमार  आश्चर्य में पड़ गया कि यह सब क्या हो रहा है और करेंट कहाँ से आ गया।  मीरा पाल भी आश्चर्य में पड़ गईं कि यह क्या हो रहा है। दोनों में से कोई भी समझ नहीं पाया  कि यह सब कैसे हुआ। 

जब हम घर वापस आए तो मीरा पाल ने खुद इस अद्भुत व आश्चर्यजनक घटना से हमें अवगत कराया। हम भी आश्चर्य में पड़ गए कि यह कैसा अद्भुत चमत्कार है, हमने स्वयं को प्रश्न किया, यह  क्या हो रहा है?  

कुछ देर बाद अचानक अंतःकरण से आवाज आई कि यह उपासना,साधना व आराधना का सकारात्मक प्रभाव है। बारीकी से मूल्यांकन किया तो सही सिद्ध हुआ, क्योंकि इस दिव्य परिवार में इस तरह के करेंट से संबंधित दिव्य लेख प्रकाशित हो चुके हैं। मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ है कि पत्नी को स्पर्श करने पर करेंट लगा हो। यह घटना उपासना के तत्काल बाद की है तो शरीर में विद्युत का होना स्वाभाविक व सुनिश्चित है। 

इस  अद्भुत व आश्चर्यजनक घटना से अवगत होने के बाद हमारा अंतःकरण प्रफुल्लित हो गया और आँखों में खुशी के आँसू आ गए कि परम पूज्य गुरुदेव की दिव्य कृपा दृष्टि हमारे परिवार पर अनवरत बरस रही है। तभी तो धीरे-धीरे सभी परिवारजनों का अंतःकरण परिष्कृत व पवित्र हो रहा है, परम पूज्य गुरुदेव के प्रति श्रद्धा-विश्वास और समर्पण की दिव्य भावना जागृत हो रही है। 

मीरा पाल निस्वार्थ भाव से प्रतिदिन नियमिततापूर्वक, नियत समय व नियत स्थान पर बैठकर परम पूज्य गुरुदेव,परम वंदनीय माता जी, आद्यिशक्ति जगत जननी माँ गायत्री की दिव्य उपासना, साधना व आराधना कर रहीं है और बच्चों को भी प्रेरित कर उचित मार्गदर्शन कर मनोबल बढ़ाने का परमार्थ परायण कार्य करके पुरुषार्थ कमाने का बहुत ही सराहनीय व प्रसंशनीय कार्य कर रही है। पशु-पक्षियों को प्रतिदिन खिलाना-पिलाना अपना कर्त्तव्य धर्म समझती हैं और सारा दिन बहुत ही भक्तिभाव से यह पुनीत कार्य निर्विघ्न संपन्न करती है। मीरा पाल की जितनी प्रसंशा की जाए कम है और वह सभी के साथ अच्छा व्यवहार करती हैं जो हम दूसरों से चाहते हैं। वह एक बहुत ही कुशल गृहणी हैं और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करती हैं। हमारी अर्धांगिनी मीरा पाल से हमें कोई शिकायत नहीं है, वह पूरे परिवार का कुशल नेतृत्व करती हैं अतः हमें उन पर गर्व है। यह सब “ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार” नामक दिव्य परिवार की ही देन है। 

मीरा पाल की दिव्य अनुभूति व स्वभाव के विषय में हम सरविन्द कुमार पाल स्वयं लिख रहे हैं क्योंकि मीरा पाल पढ़ी-लिखी नहीं हैं, थोड़ी बहुत हिंदी पढ़ लेती हैं लेकिन लिख नहीं पाती हैं। इसलिए  अपनी धर्मपत्नी के निजी सचिव हम हैं, इसके लिए हम आप सबसे क्षमाप्रार्थी हैं। हम परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि भगवान हमारी जैसी पत्नी सबको दें। 

धन्यवाद, जय गुरुदेव 

माँ गायत्री, परम पूज्य गुरुदेव,वंदनीय माता जी का ह्रदय से आभार। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सभी परिवारजनों को मेरा प्रणाम। 

मैं, राधा त्रिखा,ऑनलाइन ज्ञानरथ  गायत्री परिवार की सहकर्मी, माँ गायत्री, परम पूज्य गुरुदेव एवं वंदनीय माता जी की सूक्ष्म उपस्थिति को साक्षी मान कर, स्नेहपूर्वक शत् शत् नमन करती हूँ l आपने अपनी बेटी को अपने संरक्षण में लेकर जो पात्रता प्रदान की है  इसके लिए आभार व्यक्त करने हेतु मेरे पास शब्दों की कमी महसूस हो रही है। 

शिक्षा में अध्ययन आता है कि “सफल जीवन” वह कहलाता है जिसमें जीवन की सभी मुश्किलें आसान हों या पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएं। माँ गायत्री, पूज्य गुरुदेव और माताजी के संपर्क आने से लेकर आज तक मैने जीवन के हर पल में आपको अपने पास ही महसूस किया है । 

वंदनीय माता जी से दीक्षित होने के उपरांत मेरे पूर्ण समर्पण के उपरांत बेटे आलोक और बेटी ऋतम्भरा ने भी हर पल गुरुसत्ता को ही अपना आराध्य माना तथा 2022 में गुरुवर की दिव्य जन्मभूमि आंवलखेड़ा शक्तिपीठ में दीक्षा ग्रहण की। इस दिव्य भूमि की माटी को  मस्तक पर धारण करते शत शत नमन है एवं हम सब स्वयं को भाग्यशाली मानते हैं।  

दिसंबर 2023  में बेटी ऋतम्भरा  का पाणिग्रहण संस्कार (विवाह) पूर्णतय: योग्य बालक शुभम बडू  के साथ सम्पन्न हुआ। इसके उपरांत बेटे आलोक का रिश्ता मथुरा की लड़की नेहा अवस्थी के संग पक्का हुआ और विवाह हमारी कुलदेवी माँ बृजेश्वरी और माँ गायत्री की अपार कृपा से प्रसन्नतापूर्वक 25  नवंबर 2024 को निर्विग्न संपन्न हुआ। 

यहाँ पर निर्विग्न शब्द का बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि ऐसे आयोजनों में, भांति भांति के लोगों के साथ विग्न पढ़ने की आशंका शीश उठाये खड़ी रहती है, लेकिन गुरुसत्ता के आशीर्वाद ने ऐसे किसी भी विग्न को पास फटकने नहीं दिया। माँ गायत्री, परम पूज्य गुरुदेव एवं परम वंदनीय माता जी को हमारे समस्त परिवार को सुरक्षा चक्र प्रदान करते हुए,एवं दिव्य कार्य को निर्विग्न सम्पन्न कराने के लिए शत शत नमन करती हूँ   

मेरे परिवार में सभी कहते है कि विवाह जैसे  मुश्किल कार्य इतनी आसानी से पूर्ण नहीं होते लेकिन  मैं अपने परिवार समेत कह सकती हूं कि यह सब माँ गायत्री व गुरुवर-माता जी के प्रेम का ही फल है। 

एक बात अवश्य याद आती है कि जब कभी मंदिर, आश्रम या किसी स्थान पर आते जाते हैं तो देखते है कि हर कोई  अपने दुःखों  व कर्मों से आहत है व उनसे छुटकारा पाना चाहता है। आज मैं  ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार  के सभी भाई बहनों  से साझा करती हूँ कि  जीवन के हर मोड़ पर परम पूज्य गुरुदेव, वंदनीय माताजी का हम सभी बच्चों के प्रति लगाव, स्नेह, ममता व प्यार की मात्रा/गति की गहराई को देखकर लगता ही नहीं कि हम किसी मुसीबत में हैं और न ही हमें कभी लगा कि किसी कार्य विशेष के लिए कुछ कहने यां मांगने की आवश्यकता महसूस हुई हो। सिर्फ एक ही बात होठों से निकलती है कि पूज्य गुरुदेव हमें ऊर्जा/शक्ति प्रदान करना ताकि हम अपने  कर्तव्य की पूर्ति कर सकें । इसलिए हम निश्चिंत होकर उपासना, साधना एवं आराधना का मार्ग पकड़ कर निरंतर चलते हुए जा रहे हैं, साथ ही साथ गुरुदेव सावधान भी किये जा रहे हैं। हम स्थिर होकर मानसिक संतुलन की यात्रा पर अग्रसर हुए जाते हैं, आगे ही आगे बढ़ते  जाते हैं।

धन्यवाद्,जय गुरुदेव

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कल  वाले लेख को 400  कमेंटस मिले, 8  संकल्पधारी  साथिओं 24 से अधिक आहुतियां प्रदान की हैं। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद  करते हैं।


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