26 नवंबर 2024, मंगलवार का ज्ञानप्रसाद
आज का ज्ञानप्रसाद लेख माह के अंतिम शनिवार को प्रकाशित होने वाले विशेषांक का कुछ अंश लिए हुए है। ह्रदय में उठ रही भावनाओं को दिसंबर माह के अंतिम शनिवार तक पोस्टपोन करना कुछ अनुचित लग रहा है, वैसे भी नाभि पर आधारित चल रही लेख श्रृंखला कल तक समाप्त होने वाली तो है नहीं तो फिर साथिओं के कमैंट्स से झलक रही भावनाएं और उन भावनाओं से उठ रही हमारे अंतःकरण की भावनाओं का गला क्यों दबाया जाये
कल यानि बुधवार 27 नवंबर को होने वाली सर्जरी का समाचार पाते ही हमारे ह्रदय से जुड़े, हमारी अंतरात्मा में विराजमान, हमारे भावनात्मक तंतुओं से जुड़े हमारे साथिओं, भाई-बहिनों के कमैंट्स ने हमारे ह्रदय को ऐसा छुआ है कि हमें ज्ञानप्रसाद के नियत प्रारूप में थोड़ा सा बदलाव लाना पड़ा, आशा करते हैं कि हमारे साथी इस बदलाव के लिए हमें ख़ुशी- ख़ुशी क्षमा कर देंगें। इच्छा तो यही थी कि एक-एक साथी का नाम लिखा जा सकता, उसका कमेंट यथावत ही लिखा जाता, लेकिन इतना विस्तारपूर्वक विवरण देने के लिए समय एवं शब्द सीमा की बेड़ियों को तोड़ पाना हमारे लिए लगभग असंभव ही दिख रहा है।
हमारे साथिओं ने अपनी भावनाएं क्या-क्या कुछ लिखकर,ऐसी-ऐसी भावनात्मक शब्दावली प्रयोग करके व्यक्त की हैं कि हम उनके चरणों में नतमस्तक हुए बिना रह ही नहीं सकते। आदरणीय अरुण वर्मा जी जैसे अनेकों साथी ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की अपनत्व से भरी भावना एवं प्रथा को प्रकट कर चुके हैं, अब तो सही मायनों में विश्वास करना आसान होना चाहिए कि ऐसा यूनिक परिवार किसी सौभाग्यशाली को ही नसीब होता है। हम सब सच में बहुत ही सौभाग्यशाली हैं और इस सौभाग्य के पीछे एकमात्र Driving force हमारा दरवेश,फ़क़ीर गुरु, परम पूज्य गुरुदेव ही हैं। गुरुदेव का एक-एक कृत्य हम सबको अनवरत एक ऐसी प्रेरणा/शिक्षा देता आ रहा है जिसे कहीं और से प्राप्त कर पाना असंभव है। उन्हीं के शब्दों में एक बार फिर से लिख रहे हैं:
“अगर कोई कहे कि मेरा गुरु तुम्हारे गुरु से अधिक ज्ञानी है तो मान लेना, अगर कोई कहे कि मेरा गुरु तुम्हारे गुरु से अधिक शक्तिशाली है तो मान लेना, अगर कोई कहे कि मेरा गुरु तुम्हारे गुरु से बड़ा सिद्ध पुरुष है तो भी मान लेना लेकिन अगर कोई कहे कि मेरा गुरु तुम्हारे गुरु से अधिक प्यार करने वाला है तो कभी मत मानना।”
यही प्यार हमारे साथिओं के हृदयों में परिभाषित हो रहा है, धन्यवाद्, धन्यवाद् एवं धन्यवाद्।
अरुण जी का निम्नलिखित कमेंट बहुत कुछ कह रहा है, आशा करते हैं अनेकों को प्रेरणा प्रदान कर सकता है :
“जैसे एक अनाथ बच्चा अपने मां बाप से बिछुड़ जाता है और दर-दर भटकते रहता है कोई सहारा देने वाला नहीं होता है। ठीक वैसा ही हालात मेरे साथ था। मैं आध्यात्मिक गुरु सत्ता के चरणों का दास तो बन गया था पर मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं गुरुदेव के आध्यात्मिक ज्ञान को कैसे प्राप्त कर सकूं, कोई मार्ग दिखाने वाला व्यक्ति नहीं था, मैं यूट्यूब के सहारे गुरुदेव का वीडियो प्रवचन सुनते रहता था उसी दरम्यान बड़े भैया के लेख का दर्शन हुआ, लेख पढ़ा और कुछ अपने विचार व्यक्त किए। भैया जी का रिप्लाई आया मन गदगद हो गया, और आज जो कुछ भी थोड़ा बहुत आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हुआ है वह इन्हीं की देन है, मैं अपने गुरु सत्ता से प्रार्थना करता हूं कि ऐसे हाथ पकड़कर चलाने वाले बड़े भैया जी के घुटने का सर्जरी बुधवार को होनी सुनिश्चित हुई है उनका ख्याल रखना और आप उनको इतनी शक्ति देना कि उनको तनिक भी परेशानी न हो और जल्द से जल्द इस जख्म को ठीक कर देना ताकि भैया आपके विचारों का भंडार हम सभी के समक्ष प्रस्तुत कर सकें। प्रभु आपका बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं। जो कुछ भी गलत लिखा गया होगा उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं।
आदरणीय चंद्रेश भाई साहिब की भावना ऐसे स्तर की थी कि उन्होंने उसे यूट्यूब पर तो पोस्ट किया ही, साथ ही साथ व्हाट्सप्प पर भी भेजकर हमारा भावनात्मक सम्मान किया, भाई साहिब का धन्यवाद् करने के लिए हमारे पास शब्दों का दुर्भिक्ष पड़ गया है, क्षमाप्रार्थी हैं। भाई साहिब की बात बिल्कुल सत्य है कि हमारे 37000 शुभचिंतकों की शक्ति और उससे भी बढ़कर हमारे गुरु का सुरक्षा चक्र अनवरत दिन-रात 24 घण्टे हमारे ऊपर कार्यरत है। भाई साहिब की यह बात भी सत्य है कि पिछली सर्जरी से पीड़ा आदि का अनुभव काम आएगा। यहाँ एक बात बताना चाहेंगें कि हमारी सहन शक्ति, will power और Positivity ऐसे स्तर की है कि पिछली बार के हमारे हॉस्पिटल सहयोगी सुनकर बहुत अचंभित हुए थे कि हम हॉस्पिटल में पिकनिक के लिए आये हैं। This is the way one should take things positively. Negativity lowers down the morale, will power and healing process.
37000 सहयोगियों की बात हमारी सबकी आदरणीय बहिन सुमनलता जी ने भी लिखी थी लेकिन बहिन जी इतना अवश्य कहना चाहेंगें कि सभी सहयोगी सम्मानीय हैं लेकिन सिर पर हाथ फेरने वाला कोई-कोई ही होता है। बहुत बहुत धन्यवाद् बहिन जी।
आदरणीय रेणु श्रीवास्तव जी ने तो हमारे लिए एक माला महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का आग्रह करके परिवार की गरिमा को उच्च स्तर पर पंहुचाने का कार्य किया है। बहुत बहुत धन्यवाद् बहिन जी
लगभग सभी नियमित साथिओं की ओर से ऐसे कमैंट्स पोस्ट हुए हैं। जहाँ यह कमेंट हमें आत्मबल प्रदान करने में सहायक होंगें वहीँ अनेकों नए साथिओं को हमारे परिवार का परिचय भी देगें, तो विज्ञापन तो स्वयं ही हो जायेगा। गुरुदेव के शब्द फिर से दोहरा रहे हैं: “कार्य जितना भी कुशल हो, विज्ञापन की आवश्यकता तो पड़ती ही है। महत्व इस बात का है कि विज्ञापन कैसे किया जाये”
इसी भावनात्मक विवरण के साथ गुरु चरणों में समर्पित होकर, गुरुकुल की आज की आध्यात्मिक गुरुकक्षा का स्थान (गुरुचरण) हमें पुकार रहा है।
ज्ञानप्रसाद सच में बहुत ही संक्षिप्त है लेकिन है कल वाले ज्ञानप्रसाद से आगे का भाग।
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नाभि केंद्र के प्रति आरम्भ हुई कल की बात एक तथ्य को प्रमाणित करती है कि “नाभि एक सक्रिय केन्द्र” है जो अपनी उपयोगिता की अवधि में अपनी सामर्थ्य से भ्रूण के विकास में सहयोग देती है। यहाँ यह भी बात समझने वाली है कि इस केंद्र की सक्रियता जन्म के बाद भी निष्क्रिय नहीं हो जाती। इस केन्द्र का सशक्त होना स्वस्थ शरीर का चिन्ह है।
नाभि केन्द्र ब्राह्मी चेतना का न्यूक्लियस है। अनंत अंतरिक्ष से आवश्यक शक्तियों को आकर्षित करना और उन्हें धारण कर शरीर के समस्त अंगों में प्रवाहित करना योगविज्ञान के अनुसार इसी का कार्य है। शरीर विज्ञानी इसे भले ही उतना उपयोगी न समझे लेकिन “योगविज्ञान” की दृष्टि में नाभि की उपयोगिता सारी जिंदगी यथावत् बनी रहती है। इसके चुम्बकत्व को “साधना प्रणालियों” से जगाया जा सके तो अपनी प्रखर आकर्षक क्षमता के सहारे वह इतना कुछ अनुदान उपहार दे सकने में समर्थ हो सकती है जो स्थूल पदार्थों की तुलना में हज़ारों गुना अधिक उपयोगी है।
मेडिकल साइंस की दृष्टि से नाभि के इर्द-गिर्द नौ अति महत्वपूर्ण जीवनरूपी ग्रंथियाँ (Glands) हैं। यह Glands आटोमेटिक नर्वस सिस्टम के वोह केन्द्र हैं जो शरीर की समस्त गतिविधियों जैसे कि रक्त प्रवाह, Thyroid, पाचन में सहायक एंजाइम व अन्य रसों का नियमन-संचालन करते हैं। नये शरीर का निर्माण करने वाली प्रजनन प्रणाली भी इन्हीं केन्द्रों द्वारा नियंत्रण करती है। मनुष्य का शरीर जो हाड़-माँस का एक पुतला जैसा दिखता है, अन्नमयकोश के अधीन तो अवश्य है लेकिन स्वयं-कोश नहीं है। नाभि केंद्र में मानव शरीर के कुछ ऐसे अविज्ञात रहस्य समाए हुए हैं जिनको समझने के लिए नाभिचक्र को समझना बहुत ही आवश्यक है।
स्थूल शरीर में स्थित नाभि के पीछे नाभिचक्र (Solar plexus) वह केन्द्र बिंदु है जहाँ से सारी प्रमुख धाराएँ शरीर के विभिन्न अंगों को जाती है। यही कारण है कि नाभिचक्र को “जंक्शन स्टेशन” की उपमा भी दी जा सकती है। रोज़मर्रा के जीवन में जंक्शन बहुत ही “प्रचलित शब्द” है जहाँ से अनेकों रेलवे लाइनें विभिन्न दिशाओं में जाती हैं। इसी स्टेटमेंट को ऐसे भी कहा जा सकता है कि अलग-अलग स्थानों से, अलग-अलग समय पर चल रही रेलवे लाइनें इस एक स्टेशन पर आकर मिलती हैं। इंग्लिश शब्द जंक्शन का हिंदी अनुवाद जुड़ाव, मिलन आदि होता है। दो नदियों के मिलन को भी जंक्शन कहा जा सकता है। यहीं पर हम बाइसिकल के पहिये की Spokes का उदाहरण भी दे सकते हैं। यह उदाहरण देने की प्रेरणा, हमारे दो साथी आद चंद्रेश जी और आद सरविन्द जी के कमैंट्स ने दी, जिसके लिए उनका ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं।
निम्नलिखित विवरण का अगर नाभिचक्र से सन्दर्भ में अध्ययन किया जाये तो शायद अनुचित न हो:
Bike spokes किसी भी साइकिल के पहिये का एक महत्वपूर्ण यूनिट हैं। ये पतली, धातु की तारें घूमते समय पहिये की स्थिरता और मजबूती सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह Spokes पहिये के मध्य भाग “हब (Hub) को रिम (Rim) से जोड़ते हैं, शक्ति प्रदान करते हैं जो समान रूप से साइकिल को वितरित होती है। Spoke का एक प्रमुख कार्य पहिये में तनाव बनाए रखना है। पहिये की स्थिरता और प्रदर्शन के लिए तनाव महत्वपूर्ण है। जब Spoke को ठीक से तनाव दिया जाता है, तो वे एक बैलेंस बनाते हैं जो पहिये को सवारी करते समय आने वाले बलों का सामना करने की अनुमति देता है। सवारी करने वाले का वज़न, सड़क की स्थिति जैसे अनेकों कारणों को भी ध्यान में रखना पड़ता है, नियमित रूप से समायोजित करने की आवश्यकता होती है। स्पोक को तेल देना एक आवश्यक रख रखाव ( Maintenance) कार्य है। Spoke nipple पर तेल देने से जंग को रोकने और घर्षण को कम करने में मदद मिलती है। एक अच्छी तरह से Lubricated spoke न केवल लंबे समय तक चलेगा बल्कि एक चिकनी और अधिक कुशल सवारी में भी योगदान देगा।
कुल मिलाकर, देखें तो Bike spokes, पहिए की Performance and stability के लिए अभिन्न अंग हैं। उचित Maintenance से एक सहज, विश्वसनीय सवारी सुनिश्चित की जा सकती है । चाहे आप एक साधारण सवार हों या पेशेवर साइकिल चालक, Bike spokes के बारे में सब कुछ समझना आपकी साइकिल के प्रदर्शन और दीर्घायु बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
तो देखा आपने, जिस प्रकार बाइक की Hub और Spokes एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, ठीक उसी प्रकार नाभिचक्र की धाराएं मानव शरीर को Maintain करती हैं।
आज के लिए बस इतना ही, कल इससे आगे का पाठ पढ़ा जायेगा। जय गुरुदेव
नोट: साथिओं को स्मरण होगा कि शरीर के सात चक्रों पर हमने विस्तृत लेख श्रृंखला का अध्ययन किया था, उसी समय हमने इसे 26 पन्नों की पुस्तक के रूप में भी प्रकाशित किया था, उसका लिंक इधर दे रहे हैं
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कल वाले लेख को 431 कमैंट्स मिले, 9 युगसैनिक 24 यां 24 से अधिक कमेंट कर पाए।सभी को हमारी बधाई एवं धन्यवाद।