वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

23 नवंबर 2024, शनिवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन  एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब  सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त  करता हुआ स्वयं  को सौभाग्यशाली मानता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी  साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर ही करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा।  

माह के चार “शुक्रवार ” को वीडियो/ऑडियो सेक्शन के  लिए रिज़र्व किया हुआ है। पहले तीन शुक्रवार में प्रस्तुत की जाने वाली वीडियो/ऑडियो हमारे स्वयं के प्रयास की प्रस्तुति होती है जबकि अंतिम शुक्रवार को युवासाथिओं के लिए रिज़र्व  किया हुआ है।

इसी तरह माह के पहले तीन शनिवार साथिओं के  सहयोग को समर्पित होते हैं,  “अपने सहकर्मियों की कलम से” शीर्षक के अंतर्गत इन तीन शनिवारों में उन्हीं  का योगदान होता है। माह का अंतिम शनिवार पूर्णतया हमारे विचारों के लिए रिज़र्व किया हुआ है। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने अंतिम शनिवार के प्रति आद सुमनलता बहिन जी के सुझाव को समर्थन देकर  परिवार का सम्मान बढ़ाया है।

तो आइए चलें Tutorial room में जहाँ हमारी शनिवार की कक्षा होती है, कुछ अपनी  कहें, कुछ साथिओं की सुनें  और गुरुसत्ता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

आज के विशेषांक में आदरणीय अरुण जी, पुष्पा जी, सुमनलता जी, सुजाता जी एवं  मृतुन्जय भाई साहिब का योगदान है, सभी का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। 

सबसे पहले साथिओं के साथ अपनी भावना शेयर कर रहे हैं कि यह जानकार/ देखकर बहुत ही प्रसन्नता होती है कि प्रत्येक साथी इस नन्हें से, छोटे से किन्तु समर्पित परिवार को अपना ही समझकर आगे बढ़ाने में योगदान दे रहा है, एक अद्भुत Sense of belongingness प्रतक्ष्य दिख रही है जो कि बहुत ही सराहनीय है। इस सन्दर्भ में फिर से दोहराना चाहते हैं कि साथिओं ने हमारे लिए कमेंट लिखने का कार्य तो लगभग खत्म ही करा दिया है। अग्रिम पंक्ति के सैनिक इस कार्य में बहुत ही अहम् भूमिका निभा रहे हैं। उनके रिप्लाई अनेकों लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान कर रहे हैं। जब हम अनेकों प्रकार के कार्यों में व्यस्त होते हैं तो  नीरा जी हमें महत्वपूर्ण कमैंट्स सुनाकर अवगत करती  रहती हैं। कल तो सुमनलता जी का रिप्लाई ( जिसे हमें देना चाहिए था) भी उन्होंने ही दिया, जब “तूफ़ान और दिया” मूवी की बात हो रही थी।

हमारे अधिकतर साथी कमैंट्स के महत्व से भलीभांति परिचित हैं लेकिन फिर भी परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य शब्दों में ही बताना चाहते हैं : 

“बेटे आपका कार्य जितना भी बड़ा एवं महत्वपूर्ण क्यों न हो, जब तक उसका विज्ञापन नहीं होगा यह धरा का धरा ही रह जायेगा।” 

हमारे साथी जानते हैं कि “कोरी विज्ञापनबाज़ी” को गुरुदेव ने हमेशा ही कड़े शब्दों में  नकारा है लेकिन गुरुदेव के विचारों का प्रचार-प्रसार तो करना ही है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का “कमैंट्स वाला  टूल”   बहुत ही प्रभावशाली “विज्ञापन टूल” सार्थक सिद्ध  हुआ है। अपनत्व से परिपूर्ण कमैंट्स को पढ़-पढ़ कर ही अनजान साथी प्रभावित हो रहे हैं।  इसका भी श्रेय  आदरणीय सरविन्द भाई साहिब   को ही जाता है, यह भी उनकी ही खोज है।  

कमैंट्स की शक्ति का मूल्यांकन आये दिन हुए जा रहा है।  जब भी अग्रिम पंक्ति का कोई युगसैनिक किसी कारणवश ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर उपस्थित होने में असमर्थ होता है तो कमैंट्स संख्या और 24 आहुतियों वाली विभूतियों की संख्या में गिरावट आ जाती है। ऐसी स्थिति में “साथी हाथ बढ़ाना” वाला सिद्धांत तो कार्य करता ही है,सभी यथासंभव सहायता करते हैं  लेकिन उन साथिओं के समय की भी कोई सीमा होती है ,असीमित शक्ति/समय/शब्दावली आदि तो उनके पास भी नहीं होता है, कमैंट्स संख्या बढ़ाने के लिए “जय  गुरुदेव” लिखने के लिए भी तो समय की आवश्यकता होती है। 

अभी-अभी गुरुदेव की एक वीडियो शार्ट देख रहे थे जिसमें  गुरुदेव हमारे ज्ञानरथ के लिए ही कह रहे हैं कि मुझे (यानि मेरे साहित्य को, विचारों को ) ज्ञानरथ में बिठाकर गाँव-गाँव में, गली-गली में, घर-घर में घुमा दो तो इससे बड़ी भक्ति कोई नहीं है, आप श्रवण कुमार जैसा सम्मान प्राप्त कर लोगे।  आप यज्ञ  करते हैं, मन्त्र लेखन करते हैं, अनुष्ठान करते हैं -सब अपने लिए करते हैं, थोड़ा सा मेरा काम भी तो कर दो, मेरे शरीर (सम्पूर्ण विश्व) का भी तो कुछ पोषण कर दो। विश्व में पनप चुकी विषाक्तता को विचारों की  अमृतघूंटी पिला दो।

शुक्रवार को आने वाली कमैंट्स से सम्बंधित समस्या का यूट्यूब ने संज्ञान तो लिया है लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला क्योंकि चैनल में सब कुछ ठीक है। इसी सन्दर्भ में हम लगातार देखते आ रहे हैं कि full videos की तुलना में short videos को अधिक व्यूज मिल रहे हैं। हमारे विचार में यह समय के साथ बदलती विचारधारा का प्रभाव है। हम तो 60 सेकंड्स (शार्ट वीडियोस की अनुमत अवधि) की अवधि को भी बहुत कम मानते हैं  लेकिन लोग 5 सेकण्ड्स में ही कुछ भी अपलोड करके लाखों व्यूज बटोर रहे हैं। हमारा उद्देश्य व्यूज बटोरना  न होकर गुरु को घर-घर पंहुचाना  है। कितने दुःख की बात है कि पोद्दार जी जैसे दिव्य  व्यक्तित्व की वीडियो को एक वर्ष में केवल 1000 दर्शकों ने ही देखा। ऐसी विभूतियों को इग्नोर करने के कारण ही तो संसार का विनाश हुए जा रहा है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए एक और विषय स्मरण हो  रहा है: हमारे सभी साथी भलीभांति जानते हैं कि हमारी Tagline (ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार) स्वयं ही बता रही है कि हमारे सारे प्रयास गुरुदेव से ही सम्बंधित हैं। हमारा व्यक्तिगत अनुभव है कि  अगर हम जीवन के बचे खुचे दिनों में पूरी तरह स्वध्याय करते हुए केवल अखंड ज्योति ही (यहाँ तक कि “अपनों  से अपनी बात” सेक्शन) समझ लें/ जान लें, तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। 

साथिओं से करबद्ध क्षमा चाहते हैं कि आज हमने युगसैनिकों के योगदान से पहले कुछ जनरल बातों पर चर्चा की है, अगर कोई भी त्रुटि हो गयी हो तो क्षमाप्रार्थी हैं।              

तो आइये देखें कि नवंबर 2024  माह के चौथे   शनिवार में साथिओं के अमृतकलश में क्या-क्या ज्ञान भरा हुआ है। 

सभी साथिओं  के सहयोग की pointwise चर्चा करने का प्रयास करेंगे। 

1.सबसे पहले हमारे संकल्पित साथी आदरणीय अरुण वर्मा जी की वीडियो के बारे में उन्हीं  के शब्दों में निम्नलिखित शेयर कर रहे हैं : 

भैया जी, जो वीडियो आपको भेजी थीं यह हमारा नवीन प्रयास का है,जो हर महीने एक दिन शनिवार को हवन यज्ञ का कार्यक्रम संपन्न किया जाता है,इस बार गायत्री शक्तिपीठ दानापुर के पंडित जी हवन यज्ञ कराने गये थे,इस बार तो बहुत कम आदमी आये थे कारण यह था कि दो परिवार में सुतक लगा हुआ था, नहीं तो तीस चालीस आदमी का भीड़ रहता है और बड़े ही उत्साह से लोग इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं, गुरुदेव की असीम कृपा है जो पूज्य गुरुदेव के विचारों को जन जन तक पहूंचाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है, जनवरी 2025 में एक और नवीन प्रयास का शुभारंभ करने का संकल्प लिया जा सकता है और वो भी शांति कुंज में ही पूज्य गुरुदेव के चरणों में यह संदेश नौ दिवसीय साधना के समय किया जायेगा। विशेष आपका आशीर्वाद अति अनिवार्य है,परम पूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि आप और आपके परिवार पर सदैव बनी रहे सभी स्वस्थ रहे जय गुरुदेव 

2.हमारी आदरणीय पुष्पा बहिन जी युगतीर्थ शांतिकुंज,तपोभूमि मथुरा, DSVV, गंगा दर्शन का सौभाग्य प्राप्त  कर अब  वापिस घर आ चुकी हैं ,बहिन जी को गुरु के सानिध्य में समय बिताने का सौभाग्य मिला इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है।  

आदरणीय डॉ त्रिखा भाई साहब जी कोटि-कोटि प्रणाम। 

यह पंक्तियाँ लिखते समय ही बहिन जी की यात्रा का  विवरण प्राप्त हुआ है, उसे निम्नलिखित शेयर कर रहे हैं:  

मैं अपने ज्ञानरथ गायत्री परिवार ग्रुप के विशेष सेगमेंट ” अपने सहकर्मियों के कलम से ” के लिए बहुत ही संक्षिप्त में अपनी इस बार के शांतिकुंज हरिद्वार और तपोभूमि मथुरा की यात्रा का अनुभव लिख रही हूं : 

गुरुदेव माता जी की कृपा से मैं फिर से शांतिकुंज हरिद्वार न-नुकुर करते हुए पहुंच ही गयी।  अपने सरायकेला खरसावां के 135  गुरु भाई बहनों के साथ 3  महीने पहले ही टिकट हो गया था।  जाने का मकसद अखंड दीप ज्योति कलशयात्रा और 2026  में अखंड दीप एवं वंदनीय माता जी के शताब्दी वर्ष के पूरे होने के उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रम को सफल बनाने का तीन दिवसीय सत्र में शामिल होना था।

अखंड ज्योति पत्रिका का विस्तार घर-घर में हो इसके लिए भी कैसे काम करना है, कैसे लोगों तक अपनी बात पहुचानी है इन सभी बातों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया था जिसमें बहुत कुछ समझने को मिला। इस  तीन दिवसीय सत्र का उद्घाटन परम-पूज्य गुरुदेव जी के सुपुत्र मृत्युंजय भाई साहब के कर-कमलों से दीप प्रज्वलित करने के साथ हुआ। बहुत सुखद अनुभूति होती रही, लगता था  जैसे गुरुदेव जी ही सभी बातों को समझा रहे हैं ।

13-14-15 नवंबर  तीन दिनों का सत्र पूरा करने के बाद हम सभी लोग फिर तपोभूमि मथुरा 16  को आ गये, दो दिन यहां भी रूके और यहां भी हवन पूजन में भाग लेने के बाद, खाना खा पीकर सभी लोग जिसे जहां घूमना फिरना था घूमे। मेरी तबियत लास्ट दिन थोड़ी 

गड़बड़ हो गई थी।  थकावट के कारण फीवर हो गया 18  को हम लोग वापसी के लिए निकल लिए और 19 की  रात आठ बजे टाटानगर आ गई।  अपने पूरे ग्रुप के साथ गुरुदेव जी की कृपा से सब कुछ बहुत ही अच्छा रहा।   शैल जीजी से भी एक दिन मिलने का मौका मिला। 

बड़े गौरव की बात है कि झारखंड प्रांत  से पहली बार शांतिकुंज में हमारे जिले सरायकेला  का विशिष्ट शिविर का आयोजन किया गया।इस शिविर के बाद ज्योति कलश रथ यात्रा शिविर में भी हमारे जिले से 7 परिजनों ने भागीदारी लिया। इस सम्बन्ध में कुछ ड्राइव लिंक शेयर कर रहे हैं: 

3.गुरुदेव की सेना की अग्रिम पंक्ति की एक और महिला सैनिक आद सुमनलता बहिन जी दिल्ली में हो रहे 251 कुंडीय यज्ञ में यथासंभव भाग ले रही हैं। बहुत बहुत बधाई बहिन जी। जो लोग दिल्ली पहुँचने में असमर्थ रहे उनके लिए यह यूट्यूब वीडियो  https://youtu.be/xrR5-9W9kAc?si=I9cdv_OSoRXuZ1D6 सहायक हो सकता है। बहिन जी की 7 सेकंड्स की वीडियो का ड्राइव लिंक भी शेयर कर रहे हैं। 

4 आदरणीय संध्या बहिन जी ने वीडियो पर बहुत ही सुन्दर कमेंट करके Comparison किया है। बहुत बहुत धन्यवाद्। 

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कल वाली वीडियो  को केवल 429  कमैंट्स मिले,8 युगसैनिक 24 यां 24 से अधिक कमेंट कर पाए।सभी को हमारी बधाई एवं धन्यवाद।


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