वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

16 नवंबर 2024, शनिवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन  एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब  सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त  करता हुआ स्वयं  को सौभाग्यशाली मानता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी  साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर ही करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा।  

तो आइए चलें Tutorial room में जहाँ हमारी शनिवार की कक्षा होती है, कुछ अपनी  कहें, कुछ साथिओं की सुनें  और गुरुसत्ता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

हमारा पूरा विश्वास है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में बहुत ही प्रतिभाशाली युवाशक्तियों का वास है, उन  शक्तियों को जागृत  करने की बड़ी आवश्यकता है और यह जाग्रति केवल प्रोत्साहन एवं प्रेरणा से ही संभव हो सकती है। 

माह के चार “शुक्रवार ” को वीडियो/ऑडियो सेक्शन के  लिए रिज़र्व किया हुआ है। पहले तीन शुक्रवार में प्रस्तुत की जाने वाली वीडियो/ऑडियो हमारे स्वयं के प्रयास की प्रस्तुति होती है जबकि अंतिम शुक्रवार को आदरणीय सुमनलता बहिन जी के सुझाव एवं सभी के समर्थन पर युवासाथिओं के लिए रिज़र्व  किया हुआ है।

इसी तरह माह के पहले तीन शनिवार साथिओं के  सहयोग को समर्पित होते हैं,  “अपने सहकर्मियों की कलम से” शीर्षक के अंतर्गत इन तीन शनिवारों में उन्हीं  का योगदान होता है, इस छोटे से मंच को  और शक्तिशाली बनाने का प्रयास होता है। माह का अंतिम शनिवार पूर्णतया हमारे विचारों के लिए रिज़र्व किया हुआ है। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने अंतिम शनिवार के प्रति आदरणीय सुमनलता बहिन जी के सुझाव को समर्थन देकर  परिवार का सम्मान बढ़ाया है। 

तो आइये देखें कि नवंबर 2024  माह के तीसरे  शनिवार में साथिओं के अमृतकलश में क्या-क्या ज्ञान भरा हुआ है। 

सभी के सहयोग की pointwise चर्चा करने का प्रयास करेंगे। 

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1.सबसे पहला अपडेट आदरणीय पुष्पा बहिन जी का है जो आजकल युगतीर्थ शांतिकुंज में सत्र हेतु तीर्थ सेवन कर रही हैं। परमपूज्य गुरुदेव के चरणों में, अपने मायके में समय बिता पाना कोई छोटी बात नहीं है। यह सौभाग्य उस तथ्य को प्रमाणित कर रहा है जिसे अनेकों बार दोहरा चुके हैं “आप यहाँ पर आये नहीं हैं, बुलाये गए हैं।” बहिन जी ने गंगा आरती एवं सभागार  में साधकों के कुछ क्लिप्स भेज कर अपडेट  किया था। इस सहभागिता एवं सहकारिता के  लिए हम धन्यवाद् करते हैं। 

इसी सन्दर्भ में परिवारजनों से निम्नलिखित जानकारी शेयर कर रहे  हैं जिसे हमने बहिन जी को पोस्ट करते हुए और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए निवेदन किया था। 

“गुरुदेव के साहित्य  में ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के बारे में जानकारी दी गयी है कि संस्थान की  तीसरी मंजिल में एक मास के उच्चस्तरीय गायत्री साधना सत्र चलते हैं। इसमें प्रातः वैदिकी और सायं तान्त्रिकी साधनाओं का अभ्यास कराया जाता है। हर साधक की स्थिति का विश्लेषण विवेचन करके उसके लिये तदनुरूप साधना कराई जाती है और प्रगति का निरन्तर परीक्षण होता रहता है। निष्कर्ष के आधार पर सुधार-परिवर्तन भी होते रहते हैं। साधना क्रम में प्रातःकाल पंचकोशों के अनावरण का और सायंकाल कुण्डलिनी जागरण का अभ्यास कराया जाता है।” 

यह जानकारी गायत्री साधना की सर्वसुलभ विधि” नामक पुस्तक के पृष्ठ 7 पर अंकित हुई है। 

अभी कुछ समय बाद हमारे परमप्रिय अरुण जी भी शांतिकुंज जायेंगें तो उन्हें भी निवेदन करेंगें। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि हमें भी कुछ जानकारी प्राप्त करने की जिज्ञासा हुई थी तो यही उत्तर मिला था कि रिसर्च का अधिकतर कार्य अब यूनिवर्सिटी शिफ्ट हो गया है। अरुण जी को अभी से निवेदन कर रहे हैं कि इस के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए अभी से गांठ बाँध लें। पिछली बार भी उन्होंने 24 गायत्री मंदिरों के चित्र शूट किये थे और आद सुजाता बहिन जी ने “भटका हुआ देवता मंदिर” की उत्कृष्ट वीडियोग्राफी की थी। दोनों साथिओं  का ह्रदय से धन्यवाद् है। 

2.दूसरे  योगदान में हमारी छोटी बहिन (जो हमें बड़े भैया से सम्बोधन करती हैं ), आद राजकुमारी कौरव जी द्वारा भेजी उनके गाँव नारंगी में होने वाले 5 कुंडीय महायज्ञ की दो वीडियोस हैं। कौरव दम्पंती का गुरुकार्य में सहयोग देना एक बहुत ही सराहनीय कार्य है, बधाई हो बहिन जी। 

3.तीसरे योगदान में हमारी छोटी सी नन्हीं मुन्नी पोती काव्या है जो सोने से पहले नियमितता से 3 सेकंड  की गुडनाईट ऑडियो भेज कर ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री  में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है। कल उसने बाल दिवस पर स्कूल में अपनी भागीदारी की एक और ऑडियो भेजी थी। अब तो दादी कुसुम जी भी शुभरात्रि करते ऑडियो भेजती हैं। कल उन्होंने गंगा स्नान की  जानकारी की  ऑडियो भेजी थी। इसी सन्दर्भ में कुसुम बहिन जी की बेटी करिश्मा पांडे जी ने इस छोटे से समर्पित परिवार की प्रशंसा करते मैसेज भेजा था। बहिन जी का,करिश्मा जी का एवं बेटी काव्या का सहकारिता एवं नियमितता के लिए  ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। 

4.चौथे योगदान में हमारी एक और आदरणीय बहिन निशा भारद्वाज जी की बात करेंगें जिसकी जानकारी उन्होंने कल व्हाट्सप्प चैट करके बताई। बहिन जी का मैसेज आया कि आज लड्डू गोपाल जी का जन्म दिन है। हम तो जन्मअष्टमी को ही लड्डू गोपाल जी का जन्म दिन मानते हैं, वोह तो अगस्त में आती है। जिज्ञासावश जब  पूछा  तो उन्होंने लिखा:

भैया जी, जिस दिन लड्डू गोपाल हमारे  घर आते हैं हम उसी दिन जन्म दिवस मनाते हैं। मैने शांतिकुंज में गायत्री माता के मंदिर में माता जी की गोदी में लड्डू गोपाल जी को देखा था, तब ठीक से समझ नहीं आया था लेकिन पिछले साल 14 नवंबर 2023 को ऐसा संयोग हुआ कि सब कुछ अपने आप हो गया  जैसा गुरुदेव चला रहे हैं चल रही हूं oggp से जुड़ना भी गुरुदेव की ही इच्छा थी नहीं तो मैं तो कुछ भी नहीं जानती थी। कभी कभी जीवन में आए  कष्टों को गुरु कृपा मानती हूं तो कभी सोचती हूं कि सबसे बड़ी कृपा तो oggp  में एंट्री देकर की है। कभी कभी हालात मन दुःखी कर देते हैं लेकिन जैसे ही गुरुदेव की फ़ोटो देखती हूं तो अजीब  सा अपनापन नजर आता है। 

हमने बहिन जी को यह बात इस विशेषांक के लिए लिखने को कहा तो  उन्होंने कहा कि मैं इस विशेषांक की  हकदार नहीं हूँ। 

हम कहते हैं कि यह तो सबका अपना ही परिवार है, सबका अपना ही विशेषांक है जहाँ हर कोई बेझिझक, परिवार से सम्बंधित अपना ह्रदय खोल कर रख सकता है। यही तो इस परिवार की Novelty है जो इसे अन्य अनेकों परिवारों से, सोशल मीडिया ग्रूपों से, यूट्यूब चैनलों से अलग बनाता है क्योंकि यह परिवार  परमपूज्य गुरुदेव के  स्नेह, अपनत्व एवं  प्यार से सींचा जा रहा है। 

5.पांचवां योगदान हमारी एक और आद बहिन सुजाता उपाध्याय जी का है जिन्होंने भुवनेश्वर में सम्पन्न हुए पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ की कलश यात्रा के एवं कुछ और चित्र भेजे हैं। जानकर बहुत ही प्रसन्नता हुई कि यह यज्ञ वहां की बहिनों ने ही मिलकर आयोजित किया था। बहुत बहुत बधाई हो  बहिन सुजाता जी। 

6.छठा योगदान हमारे आदरणीय भाई सरविन्द जी का निम्नलिखित उत्कृष्ट कमेंट है,इस कमेंट को शेयर करते हुए हमें पूर्ण विश्वास है कि यदि इस में व्यक्त की गयी भावना तक हम पंहुच पाए तो पढ़ने वाले का कायाकल्प होना निश्चित है। साप्ताहिक विशेषांक के अनेकों उद्देश्यों में से यह (कायाकल्प) एक बहुत ही महत्वपूर्ण उद्देश्य है :   

आज मनुष्य की भागमभाग जिंदगी में किसी के पास सुबह-शाम नियमित,संयमित और व्यवस्थित होकर दिन-रात के संधिकाल में उपासना, साधना व आराधना नियत समय पर करना संभव नहीं है और दिन-रात समय का रोना रोता रहता है लेकिन यह सांसारिक लोगों का बहाना है। अगर 24 घंटे का सही मूल्यांकन किया जाए तो समय की किसी के पास कमी नहीं है, वह कितना भी व्यस्त हो।  जिसने हमको सब कुछ दिया और सर्वगुण संपन्न बनाया लेकिन मनुष्य के पास उसके लिए समय नहीं है,यह कैसी विडंबना है, तभी तो भगवान कहते हैं कि हमने सृष्टि में अनंत जीव-जंतुओं की रचना की लेकिन उनसे कभी परेशान नहीं हुआ और वह अपनी मिली जिम्मेदारियों को बखूबी निभाए जा रहे हैं बिना किसी लोभ-लालच व बहाना के। लेकिन मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसकी संरचना के उपरांत हम बहुत तंग आ गए हैं, क्योंकि यह प्राणी बहुत धोखेबाज निकला और अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर हमें ही  खरीदने का हर संभव प्रयास करता है, हमसे सौदेबाजी के लिए अमादा हो जाता है।  कहता है हे प्रभू हमारा अमुक काम कर दो तो हम आपको मालामाल कर देंगे और नाना प्रकार की मिठाइयों से लाद देंगे। इस लोभी/तुच्छ प्राणी को यह नहीं पता कि भगवान सर्वगुण संपन्न, सर्वशक्तिमान हैं, उन्हीं से सौदेबाजी करना, वाह रे मुर्ख। भगवान किसी उपहार के नहीं, भाव के भूखे हैं। यदि ईश्वर को  निराकार-निर्गुण ब्रह्म समझकर श्रद्धा-विश्वास और समर्पण की दिव्य भावना के साथ  नियमित,  एकाग्रचित होकर  दैनिक उपासना,साधना व आराधना की जाये तो  भौतिक और आध्यात्मिक लाभ ही लाभ होगा  जो कि कटु सत्य है और इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। परम पूज्य गुरुदेव ने अपने दिव्य साहित्य के माध्यम से स्वयं  बताया है कि अन्य उपासना,साधना व आराधना से गायत्री उपासना,साधना व आराधना सर्वश्रेष्ठ और सर्वसुलभ है और इस दिव्य साधना को आधुनिक युग की दौड़धूप में बिना किसी विधि-विधान के गायत्री मंत्र लेखन करके भी संपन्न किया जा सकता है जिसका लाभ दस गुना होता है।

इस सन्दर्भ में हम कह सकते हैं कि खेतीबाड़ी, घर गृहस्थी की व्यस्तता के बावजूद सरविन्द जी के इतने बड़े बड़े कमेंट लिख पाना, अवश्य ही कोई गुरुकृपा होगी। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि हमारी हार्दिक इच्छा के बावजूद अपने साथिओं को कमेंट करने में असमर्थ रहते  हैं। सभी सोशल प्लेटफॉर्मों से, सारे कमेंट पढ़ने की नियमितता तो बनाई हुई है, समयानुसार कुछ एक के रिप्लाई भी कर लेते हैं लेकिन सभी के रिप्लाई न कर पाने की टीस सताती ही रहती है। इस टीस का निवारण हमारी जीवनसंगिनी जी (जीवन साथी जो ठहरीं) पढ़कर सुना देती हैं, जो कोई महत्वपूर्ण कमेंट जिसे हमारे रिप्लाई की  आवश्यकता होती है वोह भी बता देती हैं। यह तो वही बात हो गयी Charity begins at home, बड़े हर्ष की बात है कि इस तरह की सहकारिता अन्य साथी भी कर रहे हैं। 

बेसिक पॉइंट तो यही है कि जब परमपूज्य गुरुदेव ने जुलाई 1940 में “साधकों का पृष्ठ”, पचास के दशक में “गायत्री परिवार” का शुभारम्भ किया था तो हम जैसे अनगढ़ों/नौसिखिओं  को मार्गदर्शन देने के लिए ही किया था। 

आज के विशेषांक का समापन अपने गुरु के चरणों में समर्पित होकर संकल्प लेने का है कि जीवन के अंतिम क्षण तक गुरुकार्य करते रहेंगें। 

जय गुरुदेव 

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कल वाली वीडियो  को केवल 274 कमैंट्स मिले,केवल 5  युगसैनिक ही  24 यां 24 से अधिक कमेंट कर पाए।सभी को हमारी बधाई एवं  धन्यवाद।


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