वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

9 नवंबर 2024, शनिवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक 

9 नवंबर, शनिवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन  एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब  सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त  करता हुआ स्वयं  को सौभाग्यशाली मानता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी  साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर ही करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा।  

तो आइए चलें Tutorial room में जहाँ हमारी शनिवार की कक्षा होती है, कुछ अपनी  कहें, कुछ साथिओं की सुनें  और गुरुसत्ता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

हमारा पूरा विश्वास है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में बहुत ही प्रतिभाशाली युवाशक्तियों का वास है, उन  शक्तियों को जागृत  करने की बड़ी आवश्यकता है और यह जाग्रति केवल प्रोत्साहन एवं प्रेरणा से ही संभव हो सकती है। 

माह के चार “शुक्रवार ” को वीडियो/ऑडियो सेक्शन के  लिए रिज़र्व किया हुआ है। पहले तीन शुक्रवार में प्रस्तुत की जाने वाली वीडियो/ऑडियो हमारे स्वयं के प्रयास की प्रस्तुति होती है जबकि अंतिम शुक्रवार को आदरणीय सुमनलता बहिन जी के सुझाव एवं सभी के समर्थन पर युवासाथिओं के लिए रिज़र्व  किया हुआ है।

इसी तरह माह के पहले तीन शनिवार साथिओं से सहयोग को समर्पित होते हैं,  “अपने सहकर्मियों की कलम से” शीर्षक के अंतर्गत इन तीन शनिवारों में उन्हीं  का योगदान होता है, इस छोटे से मंच को  और शक्तिशाली बनाने का प्रयास होता है। माह का अंतिम शनिवार पूर्णतया हमारे विचारों के लिए रिज़र्व किया हुआ है। सभी साथिओं का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने अंतिम शनिवार के प्रति आदरणीय सुमनलता बहिन जी के सुझाव को समर्थन देकर  परिवार का सम्मान बढ़ाया है। 

तो आइये देखें कि नवंबर 2024  माह के दुसरे शनिवार में साथिओं के अमृतकलश में क्या क्या ज्ञान भरा हुआ है। 

आज के विशेषांक में  साथिओं के योगदान के साथ-साथ दो  महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा किये जाने की योजना है। 

तो आइये पहले योगदान की ही बात कर लें : 

सबसे बड़ा योगदान हमारे सबके चहेते एवं परमप्रिय भाई साहिब आदरणीय अरुण वर्मा जी का है। दिवाली और धनतेरस में व्यस्त रहने के बावजूद अरुण जी ने OGGP परिवार में जो सक्रियता और यथासंभव नियमितता  दिखाई है उसके लिए केवल धन्यवाद् कह कर काम नहीं चलेगा। गुरुदेव से सामूहिक, एकजुट होकर  प्रार्थना करनी होगी कि हमारे भाई साहिब को इतनी शक्ति प्रदान करें कि अग्रणी श्रेणी के यह  सहकर्मी शिखर पर जाते हुए अनेकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकें, गुरुकार्य में सहयोग दे सकें। 

कईं  बार अरुण जी हमसे बात कर चुके हैं कि गुरुकार्य के प्रति कोई भी सुनना नहीं चाहता। हम आगे भी कह चुके हैं, आज भी कह रहे हैं और आगे भी कहते रहेंगें “हमारे गुरुवर कोई ऐसी वैसी आधुनिक युग की प्रपंचकारी शक्ति नहीं हैं कि भीड़ इक्क्ठी करने के लिए किसी को भी इस दिव्य परिवार  में एंट्री दे दें, जिसे वोह योग्य समझेंगें उसे कान पकड़ कर ले आयेंगें, स्वागत करेंगें और अपना कार्य करवा लेंगें।” यह अटल विश्वास न केवल हमारा व्यक्तिगत है बल्कि सभी साक्षात् देख ही रहे हैं। 

अरुण जी एवं आदरणीय मंजू मिश्रा बहिन जी  ने छठ पूजा के क्लिप्स शेयर किये  हैं, मधुर संगीत के साथ इस पर्व का महत्व भी देखने को मिल रहा  है। उचित रहेगा कि कमैंट्स के माध्यम से इस पर्व की अधिक से अधिक जानकारी प्रदान कराई जाये और यह पर्व केवल किसी एक क्षेत्र का न रहकर विश्व स्तर पर भी  प्रचलित हो। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि हमारा अधिकतर जीवन भारत में ही गुज़रा है लेकिन इस पर्व की जानकारी हमें  ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार से  ही मिली है, अभी भी केवल नाम वगैरह ही पता चला है, मन में कई जिज्ञासा भरे प्रश्न उठ रहे हैं ,आशा करते हैं कि अरुण जी एवं मंजू जी इसमें अपना योगदान देंगें, हमें प्रतीक्षा रहेगी। 

इसी ड्राइव लिंक में हमारे चिरंजीव बेटे बिकाश शर्मा के जन्म दिन का भी वर्णन है, हमने तो फ़ोन करके बेटे को शुभकामना दे दी थी, अब  परिवार की सामूहिक बधाई दे रहे हैं।

हमारे नियमित एवं  आदरणीय चंद्रेश भाई साहिब  ने ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आमंत्रण शेयर किया है, बहुत बहुत धन्यवाद् भाई साहिब।

यह तो हुआ गूगल ड्राइव  में दिख रहा योगदान लेकिन सरविन्द भाई साहिब का योगदान और समर्पण उनके विस्तृत, ज्ञानवर्धक एवं भावनात्मक कमैंट्स में हम सब देखते ही रहते हैं। अभी दो दिन पूर्व जब उन्होंने धान की फसल सम्बंधित अपनी व्यस्तता व्यक्त की तो हमारी आँखें खुली की खुली रह गयीं कि कैसी परिस्थिति में व्यस्त होने के बावजूद भी भाई साहिब ज्ञानरथ परिवार के प्रति समर्पित हैं, न केवल नियमित हैं बल्कि नियत भी हैं, उनके कमेंट का समय लगभग नियत ही है। “गुरुदेव हमसे अपना कार्य करवा ही लेंगें”, यह उसी का एक साक्षात् उदाहरण है। रात दो बजे खेत में काम करना, सोना कब, आराम कब करना आदि कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर हमें कमैंट्स से ही मिल रहे हैं। इसीलिए हम  “कमैंट्स की शक्ति” को नमन करते हैं। इसी शक्ति ने हमें इस बात से भी अवगत कराया कि  हमारी आदरणीय  बहिन निशा भारद्वाज भी 20 दिन पूर्व सरविन्द भाई साहिब जैसा कार्य कर रही थीं। बेटी पिंकी को अपने पापा की परिश्रम प्रवृति पर बहुत ही गर्व है, हमने पापा के  प्रति उसकी एक वीडियो भी देखी है। 

सभी को हमारा नमन है एवं साथिओं से आशा है कि इस परिवार को सही मायनों में  “परिवार” बनाने में कार्यरत रहेंगें। सभी साथिओं की सक्रियता एवं कर्त्तव्यपरायणता को नतमस्तक हैं। 

जब हम यह पंक्तियाँ लिख रहे हैं तो सरविन्द जी का मैसेज आया जिसमें गायत्री शक्तिपीठ किदवई नगर कानपुर में सुबह लगी आग की दुःखद सूचना का वर्णन था। आग पर  काबू पा   लिया गया था और किसी जान का नुकसान नहीं हुआ, हाँ प्रिंटर, CCTV मॉनिटर आदि का नुक्सान अवश्य हुआ। हमने उसी समय गूगल पर सर्च किया तो यह समाचार फ़्लैश हो रहा था। जानकारी शेयर करने के लिए भाई साहिब का बहुत बहुत धन्यवाद् करते हैं।        

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योगदान के बाद जिन विषयों की बात की जाने वाली है उनमें से “पहला महत्वपूर्ण विषय” हमारे साथिओं के कमैंट्स से सम्बंधित है। यह विषय इतना महत्वपूर्ण कि हम अनुभव कर सकते हैं कि इतने परिश्रम और भावना से लिखा गया, विस्तृत कमेंट जब यूट्यूब पर पोस्ट तो होता है लेकिन दिखाई नहीं देता, तो प्रस्तोता के दिल पर क्या गुज़रती है। जब भी ऐसी स्थिति आन पड़ती  है तो हम यथासंभव प्रयास करते हैं और जो कुछ भी जानकारी मिलती है उसे परिवार में शेयर करने का प्रयास करते हैं। 

आज आदरणीय संध्या बहिन जी का कमेंट न दिखने का मैसेज जब व्हाट्सप्प पर मिला तो हमने वही प्रैक्टिकल किया जो हमने कुछ दिन पूर्व नीरा जी के कमेंट के लिए किया था। किसी ऐसे सहकर्मी के काउंटर कमेंट में अपना कमेंट कॉपी/पेस्ट करना सार्थक हो सकता है क्योंकि समस्या तो आपके फ़ोन में,फ़ोन के हार्डवेयर में, अपडेट में, Cache क्लियर करने में है,लेकिन अगर उसका फ़ोन भी slow है, उसने भी निम्नलिखित स्टेप्स का पालन नहीं किया है तो शायद समस्या वहीँ की वहीँ खड़ी  रहेगी। यह कुछ एक समस्याएं हैं जिनका निवारण करना बहुत ही आवश्यक है। अन्य भी कईं प्रोब्लेम्स हो सकती हैं। 

कुछ एक स्टेप्स नीचे लिख रहे हैं जिन्हें  करने से  निवारण हो सके, इनमें कुछ तो साथी  पहले ही कर रहे हैं : 

1.सबसे पहले कुछ मेमोरी फ्री करनी चाहिए, बड़ी-बड़ी वीडियो डिलीट करनी चाहिए। 

2.सेटिंग्स में जाकर देखना चाहिए कि कितनी मेमोरी use हो रही है। 

3.कुछ unwanted apps/program चल रहे हैं उन्हें बंद करना चाहिए। 

4.फ़ोन को restart करना चाहिए। 

5.फ़ोन के सॉफ्टवेयर को regularly अपडेट करना चाहिए, update और install के notification आते रहते हैं, उन्हें इग्नोर करने से फ़ोन ठीक से काम नहीं करता। 

6.Settings में जाकर Cache क्लियर करना चाहिए, refresh करना चाहिए। 

सम्भावना है कि ऐसा करने से कुछ हद तक समस्या का निवारण हो सकता है।

इसके इलावा भी अन्य कईं समस्याएं हो सकती हैं। 

हम गुरुदेव के युगसैनिक हैं और हर एक सैनिक का कर्तव्य बनता है कि वोह अपने अस्त्र शस्त्र ठीक ठाक अवस्था में  रखे।

दूसरा विषय “ज्ञानप्रसाद लेखों” से सम्बंधित है: 

परम पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित साहित्य इतना विशाल है कि क्या कहा जाये। उस विशाल साहित्य में से रोचक एवं ज्ञानवर्धक कंटेंट चुनकर लाना, स्वादिष्ट भोजन की भांति सम्मानपूर्वक परोसना, और सुनिश्चित करना कि पेट की भूख की तरह आत्मा तृप्त हुई कि  नहीं, हमारे लिए बड़ा ही दैनिक चुनौतीपूर्ण कृत्य होता है। हमारे कृत्यों का सबसे प्रथम मूल्यांकन हमारी आदरणीय नीरा जी द्वारा होता है। अगर उन्हें ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की दैनिक “सर्वप्रथम पाठक” कह कर सम्मानित किया जाये तो शायद गलत न हो। प्रतिदिन का लेख पढ़ने, समझने और कमेंट लिखने के लिए उन्हें लगभग 5-6 घंटे का समय लग जाता है। 

गुरुवार को पोस्ट किये गए ज्ञानप्रसाद लेख के सम्बन्ध में जब उनकी तरफ से हमें निम्नलिखित कमेंट मिला तो हमारे मन में विचार आया कि लेख में व्यक्त किये गए  Conflicting विचारों का निवारण कैसे हो : 

“लेख में दर्शाये गए सभी पॉइंट तो ठीक है लेकिन अमल करना बहुत ही कठिन है। एकांत सेवन से हम क्या प्राप्त करना चाहते हैं ?”

नीरा जी ने ऐसे कुछ प्रश्न शाम को इवनिंग वाक करते समय कर रहे थे। हम यही  कह रहे थे कि घर जाकर लेख को देखकर ही कुछ कहने में समर्थ हो पाएंगे। घर आकर हम दोनों ने लगभग आधा घंटा “एकांत सेवन” पर चर्चा की,  जो भी निष्कर्ष निकला वोह कमैंट्स के रूप में सभी के समक्ष प्रकाशित हो चुका है।  

साथिओं को स्मरण होगा कि सोने से पहले हमने भी “एकांत सेवन” वाले लेख पर एक जनरल कमेंट किया था क्योंकि अगर ऐसा न करते तो नीरा जी जैसा Confusion अनेकों और भी अनुभव करते और “जय गुरुदेव” लिख कर ही पल्ला झाड़ लेते। 

ज्ञानप्रसाद लेखों से हम प्राप्त क्या करना चाहते हैं ? बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है। 

अगर एकांत सेवन वाले लेख का ही उदाहरण लेकर कहें तो गुरुदेव हमें अकेले अनुभव कराकर उन दुगुणों से, दुर्व्यसनों से दूर लेकर जाना चाहते हैं जो हमारे समाज में दुखों का कारण बने हुए हैं। अगर कोई अपना है ही नहीं तो मोह किस बात का ? अमल करना कठिन है लेकिन असंभव नहीं, दलदल में धंसना आसान है, निकलना बहुत ही कठिन। 

आज के विशेषांक का समापन इसी सन्देश से कर रहे हैं कि गुरु के ज्ञान का सही Crux समझने से जो अनुदान प्राप्त होते हैं उन्हें केवल गूंगे के गुड़ की भांति अनुभव ही किया जा सकता है। 

जय गुरुदेव।

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कल पोस्ट हुई  वीडियो को 472  कमैंट्स मिले  एवं 11  युगसैनिकों के माध्यम से ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की अनूठी एवं  दिव्य यज्ञशाला की शोभा को कायम रखा गया  है। सभी को हमारी बधाई एवं  धन्यवाद।


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