ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त करता हुआ अपने को सौभाग्यशाली मानता है।
यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर ही करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा। हम बहुत प्रयास करते हैं कि शनिवार के दिन फ़ोन उपवास करते हुए, एक कुशल सैनिक की भांति अपने अस्त्र-शस्त्र (फ़ोन-लैपटॉप, saved फाइल्स आदि) को up-to-date कर दें, क्योंकि सोमवार के ज्ञानप्रसाद के लिए रविवार को ही तो कार्य आरम्भ होना है लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता। ऐसा इसलिए है कि हमारे साथी/सहकर्मी इस परिवार की “सबसे बड़ी सम्पति” है, उनके साथ बातचीत करना हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात होती है क्योंकि गुरुदेव के सूत्र के अनुसार “सम्पर्क टूटा, सम्बन्ध छूटा” जैसी स्थिति का आना हमारे लिए एवं परिवार के लिए अति दुर्भाग्यपूर्ण होता है।
तो आइए चलें Tutorial room में जहाँ हमारी शनिवार की कक्षा होती है, कुछ अपनी कहें, कुछ साथिओं की सुनें और गुरुसत्ता का आशीर्वाद प्राप्त करें।
पिछले शनिवार को “माह के चार शनिवार के विशेषांक” के फॉर्मेट की बात की थी, आज फिर वहीँ से चर्चा का शुभारम्भ करना चाहते हैं कि यदि किसी ने इस जानकारी को मिस कर दिया हो तो उन्हें एक और अवसर मिल जाए।
हमारा पूरा विश्वास है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में बहुत ही प्रतिभाशाली युवशक्तियों का वास है, उन शक्तियों को जागृत करने की बड़ी आवश्यकता है और यह जाग्रति केवल प्रोत्साहन एवं प्रेरणा से ही संभव हो सकती है। पिछले सप्ताह की भांति, आज एक बार फिर युवा साथिओं को जागने एवं योगदान के लिए आग्रह है।
माह के चार शनिवार के विशेषांकों को इस धारणा से बनाया हुआ है कि पहले तीन विशेषांक पूरी तरह से साथिओं ( जिनमें हम भी आते हैं) के लिए रिज़र्व हों और “अंतिम शनिवार का विशेषांक” केवल हमारे व्यक्तिगत विचारों, भावनाओं, जीवन अनुभवों आदि से ही सम्बंधित विषयों के लिए ही रिज़र्व हो। पहले तीन विशेषांक, ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की प्रगति, improvement , साथिओं का योगदान, उनसे प्राप्त होने वाला मार्गदर्शन, प्रोत्साहन, प्रेरणा एवं अन्य किसी भी गतिविधि (जिसका ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री से सम्बन्ध हो) को समर्पित होते हैं, इन तीनों विशेषांक में हमारी व्यक्तिगत बातों की चर्चा नहीं की जाती क्योंकि यह विशेषांक हमारे प्राणप्रिय एवं आदरणीय साथिओं के लिए ही होता है, हमारे लिए (Exclusively हमारे ही लिए) अंतिम शनिवार तो होता ही है।
तो आइए चलें आज के योगदान की ओर।
आदरणीय आदरणीय रेणु श्रीवास्तव जी, आदरणीय अंजू गुप्ता जी, और राजेश जी के योगदान के लिए हम आभारी हैं।
छोटे-छोटे योगदान ही बड़े वट-वृक्ष बनने में सहायक होते हैं क्योंकि “साथी हाथ बढ़ाना” वाला गीत हमेशा हमारे हृदयों में गुंजित रहता है, “एक अकेला थक जाए, मिल कर हाथ बढ़ाना” वाला सिद्धांत बिलकुल सार्थक होता दिखता है। हम सदैव बड़ी ही बारीकी से साथिओं के छोटे से छोटे योगदान को देखते रहते हैं, कमेंट करके,उनके प्रति आभार व्यक्त करने की असमर्थता के लिए क्षमाप्रार्थी हैं।
1.आदरणीय रेणु बहिन जी ने सूचित करके सप्तमी के भजन कीर्तन की सूचना भेजी है। भाग लेने वाली सभी बहिनों को परिवार की एवं हमारी व्यक्तिगत बधाई एवं गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त हो। इस पावन अवसर पर गुरुदेव द्वारा रचित 51 पुस्तकें वितरित की गयीं।
2.परम पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित मसूरी इंटरनेशनल स्कूल की हमारी नियमित व्हाट्सप्प साथी आदरणीय अंजू गुप्ता बहिन जी ने आज प्रातः 7:00 बजे स्कूल द्वारा कराए जा रहे हवन की जानकारी भेजी है। 11:00 बजे World Hindu Foundation के ग्लोबल चेयरमैन स्वामी विज्ञानानंद जी का उद्बोधन है। साथिओं से अनुरोथ है कि इस Live streaming का अवश्य लाभ उठाएं। सारी जानकारी संलग्न पोस्टर में दी गयी है। बहिन जी का परिवार की ओर से एवं हमारा व्यक्तिगत आभार है।
यहाँ बहिन जी की एक सराहनीय विशेषता शेयर करना चाहते हैं कि हमारे संदेशों का रिस्पांस “सन्देश की स्पीड” से तेज़ होता है। हम तो स्वयं को प्रश्न करने के लिए मज़बूर हो जाते हैं कि यह कैसे हो सकता है कि अभी तो सन्देश डिलीवर होने के लिए रास्ते में हो होगा और रिप्लाई आ भी गया ,वाह कैसी है यह टेक्नोलॉजी। आभार-आभार एवं आभार
3.आज के विशेषांक की अंतिम जानकारी ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के उन साथिओं के लिए बहुत ही गर्व का विषय है जो बिहार प्रदेश से सम्बंधित हैं। हम सभी जानते हैं कि हमारे परिवार के अति सक्रीय साथी बिहार प्रदेश के ही हैं, उनका योगदान अति सराहनीय है।
प्रस्तुत जानकारी लंदन (UK) से हमारे सक्रीय साथी आदरणीय राजेश जी ने भेजी है जिसके लिए हम उनका ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं।
9 अक्टूबर 2024 को ETV बिहार में प्रकाशित इस न्यूज़ आइटम को हमारे साथी नीचे दिए लिंक को क्लिक करके विस्तार से पढ़ सकते हैं लेकिन हम इस गौरवमय जानकारी का सारांश बताना भी उचित समझते हैं।
हो सकता है गोपालगंज की इस जानकारी से बहुत से साथी परिचित भी हों।
बिहार के गोपालगंज में राहुल कुमार नाम के युवा शिक्षक बच्चों के जीवन में नई रोशनी फैला रहे हैं। पिछले कई वर्षों से बच्चों को न केवल निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार भी दे रहे हैं। इनके प्रयासों से बच्चों में नैतिक मूल्य, सामाजिक व्यवहार और अच्छे चरित्र का विकास हो रहा है।
राहुल कुमार विजयीपुर प्रखंड के रामपुर गांव के रहने वाले हैं। वह समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले योद्धा तैयार कर रहे हैं, जो समाज को साफ-सुथरा और आपसी भाईचारे से चल सकें । राहुल ने स्नातक तक पढ़ाई की है। पिता श्रीराम कृष्ण प्रसाद विदेश में कार पेंटर का काम करते है। दो भाइयो में बड़े राहुल आज बच्चों के भविष्य की चिंता कर रहे हैं।
गोपालगंज शहर के रामनाथ शर्मा मार्ग स्थित गायत्री मंदिर परिसर में पिछले दो वर्षो से बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार दे रहे हैं। यह युवा शिक्षक बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के मूल्यों का महत्व भी सिखाते हैं, बच्चों को ईमानदारी, सच्चाई, कर्तव्यनिष्ठा, सहयोग और सम्मान जैसे गुणों के बारे में बताते हैं। इनके प्रयास से बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास, सामाजिक व्यवहार में सुधार, अच्छे चरित्र का निर्माण, आत्मविश्वास और नेतृत्व के गुणों का विकास हो रहा है। इन बच्चों ने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है और जिले का नाम रोशन किया है। राहुल कुमार ने कहा कि एक व्यक्ति के छोटे से प्रयास से भी समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
यहां बाल संस्कारशाला है जो परम पूज्य गुरुदेवजी का एक अभियान था। यहां नि:शुल्क बच्चों को पढ़ाया जाता है। पिछले 2 साल से पढ़ाया जा रहा है। स्कूल में शिक्षा मिल जाती है लेकिन संस्कार यहां मिलता है जो बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। यहां बच्चों को यह भी सिखाया जाता है कि देश को कैसे सुरक्षित रखना है।
राहुल बताते हैं कि उन्होंने चार साल पूर्व पटना में रहकर पढ़ाई की थी। इसी बीच कंकड़बाग में आयोजित प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ के कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला था। इसके बाद प्रतिज्ञा ली कि मुझे भी समाज में व्याप्त गंदगी और बुराइयों को साफ करने में अपना कुछ समय देना चाहिए। तब से ही उन्होंने ने मन में सोच कर युवाओं और छात्र छात्राओं को समझाना शुरू किया। शुरु में कई लोग उनकी बातों को मजाक में उड़ा देते थे लेकिन उन्होंने अपना प्रयास नहीं छोड़ा।
दो वर्ष पूर्व गायत्री मंदिर परिसर में निः शुल्क बाल संस्कार शाला की शुरुआत की गई। राहुल द्वारा छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देना शुरू हुआ। इस संस्कार शाला में करीब 40 बच्चे पढ़ाई करते हैं। बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करना और बच्चों को धर्म, संस्कृति और समाज सेवा के बारे में सिखाया जाता है।
बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया जाता है। योग, ध्यान और खेलकूद जैसी गतिविधियां बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रखने के साथ-साथ मानसिक तनाव से मुक्त रखने में भी मदद करता है। बाल संस्कारशाला में बच्चों को विभिन्न विषयों पर ज्ञान दिया जाता है। उन्हें पढ़ने, लिखने और गणित जैसे बुनियादी कौशल सिखाए जाते हैं।
राहुल बताते हैं कि उनका उद्देश्य है कि जो बच्चे पढ़ने के इच्छुक हैं तथा बेहतर शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं उनको सामाजिक सहयोग से शिक्षित बनाना है। बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ देश की सभ्यता और संस्कृति के प्रति जागरूकता लाना है। वर्तमान समय में विद्यार्थियों को स्कूल, कॉलेज एवं ट्यूशन में बेहतर शिक्षा मिल रही है लेकिन संस्कार नहीं मिल पा रहे है।
बच्चों को बाल संस्कार शाला अच्छी शिक्षा देने की कोशिश कर रहा है। आजकल के बच्चे राह भटक जा रहे हैं। नशे की गिरफ्त में जा रहे हैं। ऐसे बच्चों को यदि अच्छे माहौल में शिक्षा के साथ संस्कार देने का भी कार्य किया जाए तो उनका भविष्य और भी बेहतर होगा।
सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्
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कल प्रकाशित हुई वीडियो को मात्र 341 कमैंट्स ही मिले, 9 युगसैनिकों (साधकों) ने, 24 से अधिक आहुतियां (कमैंट्स) प्रदान करके ज्ञान की इस दिव्य यज्ञशाला का सम्मान बढ़ाया है जिसके लिए सभी को बधाई एवं सामूहिक सहकारिता/सहयोग के लिए धन्यवाद्। जय गुरुदेव


