24 सितम्बर 2024 का ज्ञानप्रसाद -स्वरचित
अगर कोई आपसे पूछे कि “ध्यान” करने के कौन-कौन से लाभ हैं तो उसे इस स्वरचित लेख की कॉपी थमा दीजिए। आज के लेख में Medical benefits के इलावा अनेकों लाभ की चर्चा है। अखंड ज्योति के लेखों पर आधारित लेख शृंखला कल से फिर आरम्भ हो रही है।
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जीवन में किये जाने वाले प्रत्येक कार्य की भांति “ध्यान” भी बहुत ही आवश्यक है। यह बिल्कुल ही गलत धारणा है कि ध्यान करने वाले कोई संत, महात्मा टाइप के प्राणी होते हैं ,जो नार्मल दुनिया से बहुत दूर चले गए होते हैं, जिन्हें दुनिया से कोई लगाव नहीं रहता,उनके जीवन में कोई मौज मस्ती ,एंजॉयमेंट नहीं होती एवं वोह बहुत ही नीरस प्राणी होते हैं।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सारे कार्य करिए लेकिन 24 घंटे में से मात्र 10-15 मिंट स्वयं को जानने, समझने के लिए भी निकालिए, अपने लिए स्वार्थी हो जाइए, फिर देखिए आपकी पर्सनालिटी में कैसा कायाकल्प होता जाएगा। मनुष्य को सारी दुनिया की चिंता है लेकिन स्वयं के बारे में बिल्कुल अनजान है, इससे बड़ी मूर्खता क्या होगी। बहुत बार कह चुके हैं कि “ध्यान” आत्मा की खुराक है; जिस प्रकार भौतिक शरीर के लिए नियमितता से भांति-भांति के व्यंजन खाते हैं , कभी थोड़ी सी नियमितता से “आत्मा के भोजन” का भी ख्याल रखें।
“ध्यान” के समर्थन में तो बार-बार बहुत कुछ कहा जा चुका लेकिन अगर किसी को इस “रामबाण” के प्रति प्रेरित करना है तो उसका सबसे महत्वपूर्ण counter-question होगा कि “मैं ध्यान क्यों करूँ ?”
वर्तमान में चल रही लेख श्रृंखला के शीर्षक के दो भाग हैं, पहला-ध्यान क्यों करें ? और दूसरा- ध्यान कैसे करें ? हम सभी जानते हैं कि आने वाली कईं गुरुकक्षाओं में ऐसे अनेकों प्रश्नों के सटीक उत्तर मिलने वाले हैं लेकिन बेसिक प्रश्न “ध्यान क्यों करें ?” का उत्तर यहीं पर प्राप्त कर लेना उचित होगा। हमारा विश्वास है कि उद्देश्य समझ लेने से लेख शृंखला और अधिक रोचक और सरल प्रतीत होगी।
आज के लेख में “ध्यान” करने के लाभों की पूरी लिस्ट देखकर ऐसा आभास होता है कि इसके बिना गुज़ारा ही नहीं है। स्वयं को जानने का अर्थ भगवान को जानना ही है क्योंकि हम उन्हीं का तो अंश हैं, जब वोह हमारे साथ हैं तो कोई भी समस्या कैसे रह सकती है।
“ध्यान” करने से “आत्मविश्वास” आता है ,निर्णय लेने की शक्ति का विकास होता है,करुणा का प्रादुर्भाव होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मनुष्य स्वयं को जान पाता है अर्थात वह जान पाता है कि “मैं क्या हूं ?” ध्यान (meditation) करते समय आप कुछ समय के लिए बाहर की दुनिया से पूरी तरह से कट जाते हैं और अपने अंदर की दुनिया (मन) को गहराई से अनुभव कर पाते हैं । ध्यान करने के कुछ समय बाद जब मन पूरी तरह से शांत हो जाएगा तब आपको अपने बारे में भी सोचने की इच्छा उठने लगेगी, थोड़ा “आत्मज्ञान” होने लगेगा, अपना true-self आपको दिखने लगेगा, अपनी सच्चाई समझ आने लगेगी, वही सच्चाई जिसे आप समाज के बीच में उलझ कर न जानने की अंजान कोशिश करते आ रहे थे।
हम तो विश्वास से यहाँ तक कह सकते हैं कि अगर कोई व्यक्ति उग्रवाद/आतंकवाद की हिंसात्मक मानसिकता से ग्रसित है,वोह भी कम से कम 30 दिन रोज़ आधे घण्टे अच्छे से “ध्यान” करने पर हिंसा त्याग कर सामान्य नागरिक का जीवन जीने लगेगा।
तनाव को दूर करने के लिए “ध्यान” बहुत ही प्रभावशाली प्रक्रिया है । तनाव तो कोई अच्छा गाना सुन कर भी कम हो सकता है । ध्यान करने से सिर्फ मानसिक तनाव ही कम नहीं होता बल्कि एक ऐसा एकांत अनुभव होता है जिससे अधिकतर लोग अपने पूरे जीवन वंचित रह जाते हैं।
“मन” सब कुछ जानना चाहता है, बस “स्वयं” को जानने की कोशिश नहीं करना चाहता, क्योंकि उसे पता है कि वोह अपने अंदर कितनी कमियां, कितने दोष छिपाए बैठा है। मनुष्य इन कमियों से मुँह मोड़ना चाहता है, वोह तो “Take it easy, “who cares”, “eat,drink and be merry” वाली स्थिति में ही यह अनमोल जीवन व्यतीत करना चाहता है क्योंकि अगर इन सब कमियों/दोषों से सामना हो गया तो शायद वोह खुद से भी आंखें नहीं मिला पाएगा। अरे मुर्ख जिस “मन” में यह सब छिपा कर बैठा है, वहीं तुम्हारा पिता, परम पिता परमात्मा का वास है। तुम स्वयं को तो बुद्धू बना सकते हो, भगवान को नहीं।
तो बहुत ही सरल मार्ग है: ध्यान करिए और कुछ अलग और अद्भुत महसूस करिए।
“ध्यान” के स्वास्थ्य लाभ निम्न प्रकार हैं, जिन्हें वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा प्रमाणित किया गया है:
1. “ध्यान” से Stress कम होता है:
Stress कम करने के लिए लोग सबसे अधिक “ध्यान” पर ही विश्वास करते हैं। एक अध्ययन जिसमें 3,500 से अधिक वयस्क भी शामिल थे, से पता चला है कि “ध्यान” करने से Stress में कमी आयी है। एक रिसर्च से यह भी पता चला है कि “ध्यान” करने से Stress संबंधित स्थितियों जैसे “अनियमित मलत्याग” के कारण होने वाली चिड़चिड़ाहट, किसी चोट या दुर्घटना के कारण Stress होना और फाइब्रोमाएल्जिया (Fibromyalgia- माँसपेशियों और हड्डियों का दर्द) आदि में भी सुधार होता है।
2. “ध्यान” से बात-बात पर चिंता करना कम हो जाता है:
Stress जितना कम होगा चिंता उतनी ही कम होगी। “ध्यान” करने से चिंता के कारण होने वाले रोगों जैसे कि फोबिया (किसी चीज़ का डर), सामाजिक चिंता (समाज वाले क्या कहेंगे), वहम पैदा करने वाले विचार, जुनूनी व्यवहार और दिमाग में खलबली मचा देने वाली बातें आदि को भी ठीक करने में मदद मिलती है। कई अध्ययनों के अनुसार, विभिन्न प्रकार की “ध्यान” की तकनीकों को अपनाने से चिंता कम करने में फायदा होता है। “ध्यान” करने से ऑफिस में काम के अधिक दबाव के कारण होने वाली चिंता को भी नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।
3. “ध्यान” भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ाता है:
कुछ प्रकार के “ध्यान” करने से मनुष्य का स्वयं के प्रति दृष्टिकोण बदलता है और जीवन के प्रति दृष्टिकोण भी सकारात्मक होता है। “ध्यान” के दो अध्ययनों के अनुसार, इससे 4,600 वयस्कों में तनाव कम हुआ है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार, जो लोग “ध्यान” करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो नहीं करते हैं, उनके मस्तिष्क की गतिविधियां उनके नियंत्रण में होती हैं अर्थात उनका अपने दिमाग पर नियंत्रण होता है। जो लोग “ध्यान” करते थे उनकी सोच में बदलाव दिखाई देता है वो अब पहले से अधिक सकारात्मक सोचने लगे हैं।
4. “ध्यान” स्व-जागरूकता बढ़ाता है:
“ध्यान” से आपको स्वयं को समझने (Self-introspection) में मदद मिलती है जिससे आप अपनी परेशानियों और विपरीत परिस्थितियों में खुद पर कण्ट्रोल कर सकते हैं। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की गुरुकक्षा में स्वयं को जानने के विषय पर लगभग एक महींना चर्चा होती रही थी। यह चर्चा परम पूज्य द्वारा रचित उनकी प्रथम पुस्तक “मैं क्या हूँ ?” पर आधारित थी। यह सभी लेख हमारी वेबसाइट पर सुरक्षित हैं जिन्हें कभी भी revise किया जा सकता है। https://life2health.org/ उदाहरण के लिए, ध्यान के द्वारा स्वयं के आंकलन (Self inquiry) की सहायता मिलतीहै और उसकी मदद से खुद को आसपास के लोगों से जोड़ा जा सकता है।
5. “ध्यान” एकाग्रता बढ़ाता है :
केंद्रित “ ध्यान” एकाग्रता बढ़ाने में मदद कर सकता है। ध्यान केंद्रित करने में जिस शक्ति और धैर्य की ज़रूरत होती है, यह उसे बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में आठ हफ़्तों के बाद “ध्यान” के प्रभावों को देखा गया और यह पाया कि इसमें हिस्सा लेने वाले लोगों की ध्यान करने की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। यहां तक कि अब थोड़े समय के लिए “ध्यान” करने से भी उनको फायदा हो सकता है। एक और अध्ययन में पाया भी गया कि अब हफ्ते में चार दिन ध्यान का अभ्यास करने से भी “ध्यान” का फायदा मिलता है।
6. “ध्यान” भूलने की समस्या को कम करता है:
एकाग्रता में सुधार करने के लिए आपको नियमित और साफ़ मन से “ध्यान” करना होगा। इससे अधिक उम्र में भूलने वाली समस्या जिसे डिमेंशिया (Dementia,मनोभ्रम) कहते हैं, से छुटकारा मिलता है। अध्ययनों के मुताबिक, कई प्रकार की “ध्यान” तकनीकों से वृद्ध लोगों में भी एकाग्रता, यादाश्त और दिमाग की तेज़ी में बढ़ोतरी पायी गयी है।
7. “ध्यान” दयालु बनाता है:
कुछ प्रकार के “ध्यान” विशेष रूप से सकारात्मक विचारों तथा स्वयं और दूसरों के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रियाओं को बढ़ाते हैं। मेटा (Metta), एक प्रकार का ध्यान है जिसे प्रेम और परोपकार “ध्यान” (loving-kindness meditation) के रूप में भी जाना जाता है,मनुष्य में दया भाव बढ़ाता है। इसका अभ्यास करने से, दूसरों के प्रति दया और क्षमा की भावना विकसित होती है।
8. “ध्यान” बुरी आदतों को छोड़ने में मदद करता है:
“ध्यान” के माध्यम से मनुष्य का मानसिक अनुशासन बढ़ता है। जिससे स्वयं पर नियंत्रण (आत्म-नियंत्रण), Self-control बढ़ता है और समस्या का कारण जानने में भी आसानी होती है। इस कण्ट्रोल के बाद दूसरी चीज़ों पर निर्भर रहने की आदत ख़त्म हो जाती है। “ध्यान” इच्छाशक्ति बढ़ाने, भावनाओं और लालसा को नियंत्रित करने और बुरी आदतों के कारणों को समझने में मदद करता है।
9. “ध्यान” नींद में सुधार करता है:
लगभग भारत की आधी आबादी अनिद्रा की समस्या से ग्रस्त है। अध्ययनों के अनुसार, “ध्यान” करने वाले लोगों को सही समय पर और गहरी नींद आती है जबकि न करने वाले अधिकतर लोग उनकी तुलना में नींद न आने की बीमारी या सोते समय बीच में बार-बार नींद टूटने से परेशान रहते हैं।
10. “ध्यान” किसी भी प्रकार के शारीरिक दर्द को कम करता है:
दर्द का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है और यह तनावपूर्ण परिस्थितियों में और बढ़ जाता है।एक अध्ययन से यह पता चला है कि समान प्रकार के दर्द का अनुभव करने वाले लोग जिनमें से कुछ “ध्यान” करते थे, उनमें दर्द सहने की अधिक क्षमता होती थी और यहां तक कि दर्द कम भी हो जाता था। वास्तव में आप जैसा सोचते हैं वैसा ही होता है। अगर आप किसी समस्या के बारे में ज्यादा सोचेंगे तो वो और अधिक महसूस होगी और वहां से “ध्यान” हटा लेंगे तो कुछ क्षण के लिए उसे भूलने पर उसका अनुभव ही नहीं होगा।
11. “ध्यान” ब्लड प्रेशर कम करने में सहायता करता है:
“ध्यान” करने से हृदय पर पड़ने वाला दबाव कम होता है। जिससे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। 996 लोगों पर प्रयोग करने पर यह पाया गया कि जब वे एक “मौन मंत्र” पर ध्यान केंद्रित करके उसे बार-बार दोहराते हैं तो उससे औसतन पांच प्रतिशत तक ब्लड प्रेशर कम होता है। कुछ स्थितियों में, Nervous system के संकेतों को नियंत्रित करके ध्यान करने से भी ब्लड प्रेशर कम होता है क्योंकि Nervous system का सीधा संबंध रक्त वाहिकाओं और हृदय से होता है।
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कल वाले लेख को 609 कमैंट्स मिले,15 युगसैनिकों (साधकों) ने, 24 से अधिक कमैंट्स, आहुतियां प्रदान करके ज्ञान की इस दिव्य यज्ञशाला का सम्मान बढ़ाया है जिसके लिए सभी को बधाई एवं सामूहिक सहकारिता/सहयोग के लिए धन्यवाद्। जय गुरुदेव