वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

21  सितम्बर  2024, शनिवार का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक 

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन  एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब  सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त  करता हुआ अपने को सौभाग्यशाली मानता है। 

यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी  साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर ही करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा। हम बहुत प्रयास करते हैं कि शनिवार के दिन फ़ोन उपवास करते हुए, एक कुशल सैनिक की भांति अपने अस्त्र-शस्त्र (फ़ोन-लैपटॉप, saved फाइल्स आदि) की  धुलाई- सफाई, oiling करके up-to-date कर दें, क्योंकि सोमवार के ज्ञानप्रसाद के लिए रविवार को ही तो कार्य आरम्भ होना है लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता। ऐसा इसलिए है कि हमारे साथी/सहकर्मी इस परिवार की सबसे बड़ी सम्पति है, उनके साथ बातचीत करना हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात होती है क्योंकि गुरुदेव के सूत्र के अनुसार “सम्पर्क टूटा, सम्बन्ध छूटा” जैसी स्थिति का आना हमारे लिए एवं परिवार के लिए अति दुर्भाग्यपूर्ण होता है।  

तो आइए चलें Tutorial room में जहाँ हमारी शनिवार की कक्षा होती है, कुछ अपनी  कहें, कुछ साथिओं की सुनें  और गुरुसत्ता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

आज की इस विशेष कक्षा का शुभारम्भ ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के यूट्यूब चैनल पर पोस्ट की गयी कुछ चुनिंदा वीडियो शॉर्ट्स के Thumbnails  हैं। यह Thumbnails किसी “अनजान फेसबुक पेज” के हैं जहाँ हमारी वीडियोस/ शॉर्ट्स इत्यादि फेसबुक Reels के अंतर्गत  शेयर  हो रही  हैं। हम सबके के लिए (विशेषकर हमारे तपोनिष्ठ साथिओं के लिए) यह एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है क्योंकि हमारे चैनल पर तो आज तक वीडियो शॉर्ट्स को अधिकतम  21000 व्यूज ही  मिले हैं जबकि कुछ ही दिन पूर्व “अनजान फेसबुक Reels” से बहुत ही प्रभावशाली Number प्राप्त हुए हैं। 

जब हम “अनजान” शब्द प्रयोग कर रहे हैं तो हमारा अभिप्राय Unknown नहीं है।  हमारी जानकारी के अनुसार यह प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ बिहार, मनीष जी का पेज है। 

संलग्न स्लाइड में अगर हम देखें तो अधिकतम 954K से चलकर 97.2K होते हुए 15.5K न्यूनतम  व्यूज हैं। जैसा कि हमारे साथी जानते ही हैं K  का अर्थ 1000 होता है तो उस गणित के अनुसार कुछ ही दिन पूर्व शेयर हुई इन  Reels को  954000, 97200 aur 15500 लोगों ने देख लिया है।

यह  समस्त प्राप्ति परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य साहित्य के कारण ही है क्योंकि वही ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सूत्रधार, संचालक एवं सारथी हैं लेकिन अपने बच्चों को भी गुरुदेव श्रेय अवश्य देते ही हैं। बच्चों का भी तो माता पिता पर अधिकार होता ही है, अच्छा रिजल्ट लाने पर बच्चे भी तो माता पिता की शाबाशी की आशा करते हैं। उस अधिकार से हमारे सभी तपोनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ, नियमित, परिश्रमी, एवं ज्ञानवान साथिओं को हमारी  व्यक्तिगत बधाई एवं शुभकामना। आशा करते हैं कि वोह और अधिक सक्रियता एवं ऊर्जा के साथ  गुरुकार्य में योगदान देकर पुण्य के भागीदार बनेगें एवं अन्य अनेकों को भी प्रेरणा प्रदान करेंगें । 

“इस छोटे से लेकिन समर्पित परिवार का एकमात्र यही लक्ष्य एवं उद्देश्य है।” 

आज शब्द सीमा की ज़ंजीरें कुछ ढीली हुई हैं तो क्यों न हम अपनी  दो समर्पित एवं हमारे दिल के अति करीब बहिनों (सुमनलता जी और रेणु श्रीवास्तव जी ) के विचारों को Repost/Rebroadcast करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। यह दोनों कमेंट यूट्यूब पर पोस्ट हुए थे, कइयों ने पढ़े भी होंगें, लेकिन बहुतों ने मिस भी कर दिए होंगें, बहुतों को याद भी नहीं होंगें। जिस प्रकार “मन तड़पत हरि  दर्शन को” आज सात दशक के बाद भी अमर भजन है, उसी  तरह यह भी कमेंट “गोल्डन कमैंट्स” की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। 

हमारी आदरणीय बहिन कुसुम त्रिपाठी जी ने “आओ गढ़ें  संस्कारवान पीढ़ी” प्रोग्राम के अंतर्गत आरा टाउन के 6 डॉक्टरों  से संपर्क किया एवं जानकारी दी। सभी डॉक्टरों को बहुत ज्यादा खुशी हुई एवं बोलीं कि युगऋषि श्रीराम शर्मा आचार्य जी  का आंदोलन बहुत ही सुंदर और सराहनीय  है। हम लोग अपनी तरफ से  गायत्री परिवार की यथासंभव सहायता  करेंगे।  

जब हम यह पंक्तियाँ लिख रहे थे, बेटी काव्या  का शुभरात्रि वॉइस मैसेज तो आया ही, बहिन जी ने भी अपने शुभरात्रि  संदेश की रिकॉर्डिंग भेजी। बहिन जी का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं और क्षमाप्रार्थी हैं कि व्यस्तता के कारण उनसे फ़ोन करके बात न कर सके। बहिन जी गुरुवर के सन्देश “आओ गढ़ें संस्कार पीढ़ी” का पालन  न केवल बाहिर  बल्कि घर में भी कर रही हैं। काव्या के छोटे नन्हे मुन्ने भाई को भी ऐसे ही संस्कारित कर रही हैं, बहिन जी का नाम “गायत्री दीदी” ऐसे ही नहीं है। बहिन  जी द्वारा भेजी गयी कुछ फोटो भी संलग्न हैं। 

आज हमारी सबसे छोटी भाभी और OGGP की सक्रीय साथी आदरणीय राधा त्रिखा/ राजीव त्रिखा जी बेटे (उनके क्या, हमारे सबके बेटे) आलोक त्रिखा जी का शुभ जन्म दिवस है। बेटे आलोक को परम पूज्य गुरुदेव का, परिवार का  सामूहिक एवं हमारा व्यक्तिगत आशीर्वाद मिले, ऐसी शुभकामना करते हैं। आलोक बेटे को  जीवन में सुख समृद्धि एवं प्रगति का “आलोक” अनवरत मिलता रहे, यही कामना है। 

इन्हीं  शब्दों के साथ शनिवार के  इस विशेष सेगमेंट का समापन होता है लेकिन सोमवार का ज्ञानप्रसाद “ध्यान क्यों करें, कैसे करें ?” का ही एक अलग रूप प्रस्तुत होने  वाला है, हमारा विश्वास  है कि यह “ज्ञानप्रसाद प्रयोग”  अलग होने के साथ-साथ बहुत ही रोचक होने वाला है। 

जय गुरुदेव 

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आदरणीय सुमनलता जी कमेंट:

आज के अति विशिष्ट विशेषांक में सभी सहयोगियों को हमारा भाव भरा अभिवादन 

लंबी प्रतीक्षा के बाद आज हमें अपने मार्गदर्शक आ. त्रिखा भाई साहब के मन की बात सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है। यही मन की बात जिसे सुनने के लिए यह विशेष दिवस निर्धारित किया गया था। आपके मन की बात हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है ,कि हम कहां जा रहे हैं, किधर जाना है। हमें वो समय भी  याद है जब हम ने पहली बार यूट्यूब पर लेख देखा था। एक दिन तो सोचा कि ऐसे ही किसी ने कुछ लिखा होगा ,तो उड़ती हुई नजर से  पढ़ा। अगले दिन फिर से देखा तो थोड़ा पढ़ा, लेकिन सब्सक्राइब नहीं किया। अगले दिन फिर से  देखा तब लगा कि शायद गुरुदेव से संबंधित कुछ आ रहा है,तब पढ़ा और  आदतन कमेंट भी कर दिया। जब भाई साहब का रिप्लाई देखा तो विश्वास ही नहीं हुआ। तीन-चार बार तो सोचा कि यह रिप्लाई हमारे कमेंट के लिए  नहीं होगा लेकिन जब विश्वास पक्का हो गया कि यह हमारे लिए ही है, तो  झट से सब्सक्राइब कर दिया  और प्रतिदिन ढूंढना आरंभ कर दिया क्योंकि हम गायत्री परिवार से तभी जुड़े थे, उस समय हमें गुरुदेव को जानने , समझने एवं उनके साहित्य के बारे में   बहुत कम जानकारी थी।  हमें ऐसे ही किसी प्लेटफार्म की आवश्यकता थी। तब से आजतक  नियमित रूप से जुड़े हैं। “ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार” जो वर्तमान Tag name  है, पहले केवल “ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार” ही हुआ करता था। “गायत्री” शब्द add करने  से अब किसी भी नये सदस्य के मन में कोई भी प्रश्न नहीं उठता, यह Tag name पूर्णतया Self-explanatory है। उस समय से आज तक ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार  सुपर हाइवे पर 1000 किलोमीटर प्रतिघंटा  की स्पीड से दौड़ रहा है,यह है हम सब के परमप्रिय,परम आदरणीय त्रिखा भाई साहब के पूर्ण समर्पण का प्रतिफल। 

गुरुदेव ने कहा है कि हमारे विचारों को चारों ओर फैला दो , यही विचार हैं जो क्रांति उत्पन्न कर नवयुग का निर्माण करेंगे।हम समझते हैं कि इसमें एक सबसे बड़ा योगदान आ. त्रिखा भाई साहब का भी माना जाएगा ,जो अपने देश से दूर रहते हुए भी गुरुकार्य को पूरी श्रद्धा , निष्ठा और ईमानदारी से निभाते हुए हम सब का कायाकल्प कर रहे हैं। बहुत बहुत बहुत आभार आज के विशेषांक में  अपनों से अपनी बात कहने के लिए।

परमपूज्य गुरुदेव आपको असीम शक्ति और संरक्षण प्रदान करें ताकि हमआपके मशाल की रोशनी में सही मार्ग पर आगे बढ़ते रहें ।

आदरणीय रेणु श्रीवास्तव जी का कमेंट : ऊं श्री गुरुसत्तायै नमः। गुरु चरणों में कोटि कोटि नमन। सभी सहयोगियों को सादर नमन। त्रिखा भाईजी को विशेष आदर सहित धन्यवाद करना चाहूंगी जिन्होंने सुमन लता बहन के सुझाव पर माह के अन्तिम शनिवार को अपनी अन्तरात्मा की भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर मिला। लेख के माध्यम से बहुत अनछुए पहलुओं की जानकारी मिलती है जो हम-सभी को प्रेरणा प्रदान करता है। पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा से OGGP के प्रस्तुतकर्ता और जन्मदाता तो त्रिखा भाईजी ही‌ हैं । बरसाती नालों‌ का जल जब बड़े धारा बनकर नदी में प्रवाहित होकर महानदी बन जाती है‌ उसी प्रकार धीरे- धीरे सहयोगी आपस में जुड़ते गए। गुरुदेव कहते हैं “तुम स्वयं नहीं आये‌ बल्कि हमने बुलाया है।”

गुरुदेव पात्रता का चयन कर ही कार्य सौंपते हैं। हम में से कोई भी लेखक नहीं है लेकिन  गुरुदेव की शक्ति पाकर अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करने की क्षमता और आत्म विश्वास का भाव सब में आ गया है। सबके दिलों में गुरुदेव के प्रति श्रद्धा,समर्पण और आत्म विश्वास है। हम कोई महान कार्य नहीं ‌कर रहे लेकिन  वानर सेना की तरह अनुचर बन थोड़ा सहयोग देने का प्रयास करते हैं। 

भाईजी ने लिखा कि अंतिम पड़ाव गुरु  प्राप्ति ही है । हम सब में से बहुतों को गुरु दर्शन का सौभाग्य प्राप्त नहीं  हुआ लेकिन OGGP के माध्यम से जो  ज्ञान प्राप्त कर रहें हैं वह सबके लिए प्रेरणा स्रोत बना, बहुतों का जीवन संवर कर धन्य हुआ और हो रहा है। त्रिखा भाईजी के इस पुनीत कार्य के लिए जितनी सराहना करें कम ही है। हम-सभी का इस मंच की ओर आकर्षित होना भी गुरु प्रेरणा है।कहा जाता है कि बिनु हरि कृपा मिलहि नाहि संता, जो सत्य है।

मैं भी गुरुदेव के साहित्य के अंश पढ़कर ही ज्ञानप्रसाद परिवार  के प्रति आकर्षित हुई। सही माह तो याद नहीं  लेकिन  मुझे लगता है साल 2020 में ही कभी Youtube पर देखती, पढ़कर  आगे बढ़ जाती। पता नही‌ कब subscribe कर दिया तथा कमेंट डालने लगी। भाई जी का काउंटर कमेंट देख उत्साह बढ़ता। धीरे-धीरे सहयोगियों की संख्या में वृद्धि होती गई और अपनत्व बढ़ता गया।अब तो यह हालात हैं कि कमेंट करने में विलंब होने पर ग्लानि महसूस होती है। राम काज किन्हें विना मोहि‌ कहां विश्राम वाली स्थिति है।

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वीडियो सेक्शन में प्रकाशित हुई दिव्य वीडियो को मात्र 398 कमैंट्स मिले, अवश्य ही शुक्र की कैंची चली है। 8 युगसैनिकों (साधकों) ने,  24 से अधिक कमैंट्स, आहुतियां प्रदान करके ज्ञान की इस दिव्य यज्ञशाला का सम्मान बढ़ाया है जिसके लिए सभी को बधाई एवं सामूहिक सहकारिता/सहयोग  के लिए धन्यवाद्। जय गुरुदेव


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