वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

17 अगस्त 2024,शनिवार  का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक

https://youtu.be/zWNG4L6MOVk?si=BOMIBcYZBErLxtGZ ( साथी हाथ बढ़ाना )

“कमैंट्स/संकल्प सूची  का उद्देश्य”, आज के विशेषांक का महत्वपूर्ण  विषय है।  साथिओं से  करबद्ध निवेदन है कि इस विषय पर कमेंट्स के माध्यम से हमारा सहयोग करें ताकि हम विश्व के समक्ष एक आदर्श परिवार का मॉडल प्रस्तुत कर सकें। विश्व को बता दें कि मानवीय मूल्यों की सूची मात्र एक सूची ही नहीं है, इसका पूरी तरह पालन  होता है।

गाँव वाले कह रहे थे : अरुण तूने तो कमाल कर दिया:  

आज के विशेषांक का समापन हमारे समर्पित साथी अरुण जी की अनुभूति  के साथ होता है, जिसके लिए हम ह्रदय से आभारी हैं। वीडियो तो पहले शेयर कर चुके हैं आज केवल 3 stills  ही शेयर कर रहे हैं।  

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परम पूज्य गुरुदेव ने “संपर्क” पर इतना बल दिया है कि शायद ही कोई ऐसा परिजन होगा जो इस बात से परिचित न हो। इस मंच पर बार-कहा गया है: “जहाँ सम्पर्क समाप्त वहाँ सम्बन्ध समाप्त” आज के युग में यही तो हो रहा है, इसी मंच पर अनेकों बार कमेंट हो चुका  है कि इतना तो अपने सगे परिवारजन भी हमारा ख्याल नहीं रखते जितना ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री  परिवार रखता है। 

परम पूज्य गुरुदेव ने अखंड ज्योति में “अपनों से अपनी बात” कॉलम संपर्क और सम्बन्ध की दृष्टि से ही आरम्भ किया था। गुरुदेव के इसी चिंतन ने “पत्र पाथेय” जैसी पुस्तकों को जन्म दिया। पत्र पाथेय जैसी अनेकों पब्लिकेशन से संबंधों का, भाव संवेदनाओं का, दुःख सुख का, परिवार की भावना का प्रकटीकरण होता है। 

अटूट सम्बन्ध गुरुदेव के विचारों के प्रचार-प्रसार में बहुत बड़ी भूमिका सिद्ध हो सकते हैं। एक बार संबंध बन गए, सभी अपना पर्सनल काम समझ कर, जी जान से उसे सफल बनाने में जुट जायेंगें, जैसा आजकल हमारे परिवार में हो रहा है। किसी  को कहने की आवश्यकता ही नहीं है, हर कोई अपनी ज़िम्मेदारी समझकर स्वयं ही अपना कार्य कर रहा है, सभी का ह्रदय से आभार है। हमारा विश्वास है कि जिस प्रकार 10-12 सहकर्मी, नियमितता एवं श्रद्धा से भागीदारी दिखा रहे है,अन्य भी प्रेरणा ले सकते हैं।  सुख शांति किसे अच्छी नहीं लगती ? गुरुकार्य करके जो आत्मिक शांति का आभास होता है,उसका अनुभव तो गूंगे के गुड़ की भांति है। सुख शांति प्राप्त करने की दिशा में ही तो यह सब प्रयास हो रहे हैं।    

कल ही डॉक्टर ओ पी शर्मा जी से बात हो रही थी, हमारी सराहना करते हुए बता रहे थे कि पूज्य गुरुदेव कहते थे बेटे मैंने तो केवल रुपए में से चार आने का ही कार्य किया है, बाकी के 12 आने तो आपको ही करने हैं। कह रहे थे,अरुण जी आपने पुस्तक में से लेख लिख कर, घर-घर पँहुचा कर 12 आने का कार्य किया है। डॉ साहिब की कितनी महानता है कि सारे का सारा श्रेय हम जैसे साधारण से मानव को और हमारे छोटे से परिवार को दिए जाते हैं। 

गुरुदेव ने तो बार-बार कहा है “हमें आपको श्रेय देना है।” श्रेय किस बात का ? विश्व शांति का सन्देश देकर, गुरुदेव कैसे सहन कर सकते हैं कि उनका कोई भी बच्चा दुःख दुविधा में हो। 

कमैंट्स के माध्यम से यही हमारा कर्तव्य है, उद्देश्य है। आज  “जय गुरुदेव” जैसे कमैंट्स से निकल कर, आगे निकलने का समय है, सुख-शांति के प्रसार का समय है। 

हम प्रतिदिन जब साधना में बैठते हैं तो गुरुवाणी से ही आरम्भ करते हैं जिसमें  गुरुवर  कह रहे हैं : 

“आप हमारा साहित्य अपने बच्चों को पढायेंगें तो वोह  कुछ भी बन सकते हैं” और वर्किंग टेबल पर तो गुरुदेव सारा दिन ही कान खींचते रहते हैं। गुरुदेव के अनुदान मुफ्त में तो मिलते नहीं हैं, पात्रता तो सिद्ध करनी ही पड़ेगी। 

तो यही है सार्थक,प्रभावशाली कमैंट्स का उद्देश्य : संपर्क, सम्बन्ध, भाव-संवेदना, विश्व-शांति, विश्व-पीड़ा आदि

अंत में एक बात कहना उचित समझते हैं कि ज़रा गुरुदेव के उस  चित्र को भी देख लें जिस पर  886K अंकित हुआ है। 886K का अर्थ है लगभग 9 लाख व्यूज। बिना किसी विज्ञापन के, किसी अन्य चैनल पर वीडियो शेयर होना स्वयं ही बता रहा है कि हमारे सारे प्रयास मात्र गिनती बढ़ाने के पीछे नहीं हैं, अगर हम अच्छा कार्य करेंगें तो चुम्बक स्वयं ही कार्य करेगा।                              

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हमारे आदरणीय भाई अरुण वर्मा  जी की अनुभूति :  

परम पूज्य गुरुदेव भगवान से मिली प्रेरणा, जिसके अनुदान का मैं स्वयं साक्षी हूँ, परिवार में शेयर करना चाहता हूँ: 

गुरु किस रूप में, किस तरह अपने बच्चों को संरक्षण प्रदान करते हैं, यह हमें “पांच कुंडीय  गायत्री महायज्ञ” के आयोजन से  पता चल गया। हमने अपनी  आंखों से देखा है कि गुरुकृपा कैसे बरसती है  

बात उस समय की है जब हमने  गुरुदेव की प्रेरणा से अपने गांव में पांच कुंडीय  गायत्री यज्ञ कराने का संकल्प लिया था। आज से एक साल पहले, 23 जुलाई 2023 को शांतिकुंज हरिद्वार जाकर, अपना संकल्प पत्र गुरुदेव के चरणों में रख दिया था। कोई तारीख फिक्स नहीं थी लेकिन गुरुकृपा से ही संयोग बना कि 21 जुलाई 2024, गुरुपूर्णिमा वाले दिन यज्ञस्थली का भूमि पूजन हुआ और 28 से 31 जुलाई 2024 को  4  दिवसीय पांच कुंडीय  गायत्री महायज्ञ प्रारंभ हो गया।

यज्ञ आरंभ करने के समय हमारे पास धन की कोई भी  व्यवस्था नहीं थी। टेंट वाले को 3500 रूपये का एडवांस भी पत्नी के पैसे से दिया। बाद में हमें तनख्वाह मिली तो बैंड वाले को  एडवांस  दिया। समय बीतता गया, वह क्षण  भी आ गया जब प्रचार के लिए गायत्री परिवार के लोग आ गये। चंदा भी कटने लगा लेकिन चंदे  के रूप में 51,101, रुपए ही आ रहे थे। सभी सोच में पड़ गये कि ऐसे कैसे काम चलेगा। हमने अपने दो क्रेडिट कार्ड से 70000 रूपये निकाल कर रख लिए तकि कोई दिक्कत न आए। 

यज्ञ आरंभ होने में  मात्र 4-5  दिन ही बचे होंगें कि हमारे  बचपन के एक हमजोली चाचा जी अपने साथ लेकर कुछ लोगों के पास चलने लगे। उनके प्रभाव के  कारण जहाँ भी गये लोग यही कह रहे थे कि आप जो कह दीजिये हो जायेगा और वैसा ही हुआ भी।

यज्ञ के शुभारंभ तक करीब डेढ़ लाख रूपये जमा हो गए थे। चाचा जी कह रहे थे कि कलश यात्रा के लिए बहिनें कहां से आएंगी। 250 कलश मंगवा लिया थे। गुरुकृपा ऐसी हुई कि कलश यात्रा के लिए  देखते ही देखते लगभग 200 महिलाएं पंहुच गई और भव्य कलश शोभायात्रा निकाली गई।

अब बात आती है पंडाल को भरने की। हमने तो यही सोचा था कि अगर कोई अधिक लोग न भी आएं तो कलश यात्रा वाली 200 बहनें तो जरूर आएंगी। गुरुदेव का साक्षात चमत्कार देखने को मिल रहा था, ऐसा चमत्कार हुआ कि पूरा पंडाल ही भर गया। रात 10 बजे तक कोई भी घर जाने  का नाम तक नहीं ले रहा था। गर्मी चरम पर होने के बावजूद, सभी धैर्य पूर्वक प्रवचन सुनते रहे।शरबत आदि की पूरी व्यवस्था की थी। आरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ और सभी लोग शांतिपूर्वक घर चले गए। आसपास के गांव से आए लोगों को ऑटोरिक्शा से छोड़ने की व्यवस्था भी थी।

दीपयज्ञ में इतनी भीड़ हो गई  कि हम गुरुदेव से यही प्रार्थना कर रहे थे कि जिस तरह से आपने पंडाल को भरने का काम किया है उसी तरह आप सभी परिजनों के  बैठने की व्यवस्था भी बना दीजिये। गुरुदेव ने हमारी प्रार्थना सुनी और ऐसा हुआ कि रसीद काउंटर  को हटाकर गद्दा बिछाने की नौबत आ गई, लेकिन गुरुदेव का चमत्कार ऐसा हुआ कि इतने लोग आए कि  पंडाल में बैठते चले गए और काउंटर वाला स्थान खाली का  खाली ही रह गया।

लोगों ने  बिना मांगे ही चंदा देना शुरू कर दिया था। अंतिम समय तक लोग सहयोग राशि देते रहे। करीब ढाई लाख से उपर खर्च हो गया, तनिक भी परेशानी नहीं हुई। हमें तो लग ही नहीं रहा था कि यह यज्ञ हमारे द्वारा किया जा रहा है ।

गुरुदेव के चमत्कार से सभी लोग दंग रह गये, किसी ने भी सोचा नहीं  था कि इतना शानदार प्रोग्राम हो सकता है, गांव वालों ने तो यहाँ तक कह दिया कि अरूण तुमने तो इतिहास रच दिया।

यह सब गुरुदेव भगवान की ही शक्ति का कमाल है। तीनों दिन मैं गुरुदेव के पास ही सोता था। जहाँ पर मंच बना था उसी पर सोता था, एक भी मच्छर नहीं काटा। 

यज्ञ में प्रवचन देने वाले पंडित जी ने जो बातें बोलीं सब  सही साबित हो रही थीं।

यज्ञ से पहले 27 जुलाई को मौसम बहुत खराब हो गया, लेकिन गुरुदेव की कृपा ऐसी बरसी कि चार दिन बिल्कुल बारिश नहीं हुई। पंडित जी बोल रहे थे कि जैसे ही पूर्णाहुति होगा बारिश होगी और सच में ऐसा ही हुआ। पंडित जी मंच से नीचे उतरे तो बारिश शुरू हो गई, रात भर बारिश होती रही। सभी लोग बहुत खुश हुए। गुरुदेव के चमत्कार की चर्चा होने लगी।

करीब 30-40 लोगों ने  गुरुदीक्षा ली, 15-20 लोगों ने विद्या संस्कार कराए एवम यज्ञ सफल हुआ।

यज्ञ में गुरुदेव की शक्ति का साक्षात दर्शन हुआ। इसी उत्साह और गुरु प्रेरणा से 2026 में 24 कुंडीय  गायत्री महायज्ञ का घोषणा हो चुकी है। अब जोर शोर से उसकी तैयारी करनी होगी, दीक्षित हुए सभी भाई/बहिनों को जगाना होगा और उनको गुरुदेव की शक्ति के बारे में अवगत कराना होगा।

परम पूज्य गुरुदेव की असीम कृपा दृष्टि आप सभी पर सदैव बनी रहे, जय गुरुदेव, जय माता दी,जय माँ गायत्री

भगवान के कामों में जो भी पैसा नि:स्वार्थ भाव से लगाता है, भगवान उसे कई गुना बढ़ाकर दे देता है। इस यज्ञ के दौरान हमने यह भी  प्रत्यक्ष देखा है, हमारे पास पैसा नहीं था हमने क्रेडिट कार्ड से 70000 रुपए निकाले। सारा पैसा यज्ञ में लगा दिया इसका परिणाम यह हुआ कि हमारी बड़ी वाली बेटी (कात्यायनी वर्मा) को  कंपनी में 10 लाख रुपए का पैकेज का ऑफर हुआ है। हमने मात्र 70000 रुपए गुरुदेव के काम में लगाया और उन्होंने  कई गुना करके भेज दिया। 

कलश यात्रा के दिन भोजन प्रसाद में अमृतासन्न  (खिचड़ी) बना था, चार बड़े  टब खत्म हो गए, एक अंतिम टब बचा था उसमें से भी आधा खत्म हो गया, फिर भी करीब 100 लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया, आधा टब बचा का बचा ही रह गया। यह बात हमारे छोटे भाई ने बताया कि भैया ऐसा हुआ है, उसे भी गुरुदेव पर पूरा विश्वास हो गया है।

यह सब पूज्य गुरुदेव भगवान की लीला ही कह सकते हैं, सभी ने अपने सामर्थ्य से बढ़कर सहयोग राशि दिया, पूज्य गुरुदेव सभी पर अपनी कृपा बनाये रखें, जय गुरुदेव

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हर शुक्रवार की भांति आज भी यूट्यूब की समस्या बनी रही,उसके बारे कुछ न ही  कहना उचित होगा।  


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