वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

3 अगस्त 2024  का “अपने सहकर्मियों की कलम से” का साप्ताहिक विशेषांक

 प्रत्येक शनिवार का दिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम सब  सप्ताह भर की कठिन पढाई के बाद थोड़ा Relaxed अनुभव करते हैं और अपने साथिओं के साथ रूबरू होते हैं, उनकी गतिविधिओं को जानते हैं। हर कोई उत्साहित होकर अपना योगदान देकर गुरुकार्य का भागीदार बनता है एवं अपनी पात्रता के अनुसार गुरु के अनुदान प्राप्त  करता हुआ अपनेआप को सौभाग्यशाली मानता है। 

यह एक ऐसा दिन होता है जब (हमारे समेत) लगभग सभी  साथी कमेंट करने का महत्वपूर्ण कार्य भी थोड़ा Relax होकर करते हैं, आखिर वीकेंड और छुट्टी जैसा वातावरण जो ठहरा। हम बहुत प्रयास करते हैं कि शनिवार के दिन फ़ोन उपवास करते हुए, एक कुशल सैनिक की भांति अपने अस्त्र-शस्त्र (फ़ोन-लैपटॉप, saved फाइल्स आदि) की  धुलाई-सफाई, oiling करके up-to-date कर दें, क्योंकि सोमवार के ज्ञानप्रसाद के लिए रविवार को ही तो कार्य आरम्भ होना है लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता। ऐसा इसलिए है कि हमारे साथी/सहकर्मी इस परिवार की सबसे बड़ी सम्पति है, उनके साथ बातचीत करना हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात होती है। 

पिछला शनिवार, जुलाई माह का अंतिम शनिवार था, आदरणीय सुमनलता बहिन जी के सुझाव पर यह  शनिवार हमारे लिए रिज़र्व होने के कारण आज के शानिवार का वर्कलोड कुछ अधिक है, प्रयास करेंगें कि  सीमित शब्दों में ही सभी के योगदान का वर्णन कर पाएं। अनेकों प्रकार के सुझाव हैं, योगदान हैं ,वीडियोस हैं, यूट्यूब चैनल हैं (इस से सम्बंधित हमारे विचार भी हैं जिनसे आदरणीय चंद्रेश जी को अपने चैनल के लिए लाभ हो ), हमारी वरिष्ठ महिला सैनिक आदरणीय रेणु श्रीवास्तव जी के सेलिब्रिटी बनने सम्बंधित एक टीवी न्यूज़ आइटम भी है। 

तो आइए सबसे पहले सुझावों की ही बात कर लें। 

1.संध्या जी ने संकल्प सूची के बारे में लिखा है कि  आजकल संकल्प सूची बहुत सिकुड़ रही है,एक विचार मन में आया वह आपके सामने रख रही हूँ, आपको उचित लगे तभी  अपनाएँ वर्ना कोई बात नहीं है :  

जो परिजन 24 आहुति संकल्प पूर्ण करें उनका नाम दीजिये, संख्या नहीं लिखें, और gold medal भी मत कीजिए, बस इतने परिजनों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किये है तथा नाम दे दें I

2.दूसरा सुझाव ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर पूर्व प्रसारित/पूर्व प्रकाशित वीडियोस और लेखों को Republish और Rebroadcast करने के लिए है।

3.तीसरा सुझाव आदरणीय अनिल मिश्रा जी ने कल वाले “दैनिक दिव्य सन्देश” के अमृतपान के बाद दिया है। उनके अनुसार लाल बैकग्राउंड के ऊपर सफ़ेद लेखनी लिखने के बजाए ब्लैक एंड  वाइट अच्छा है। हमें तो कोई प्रॉब्लम नहीं है लेकिन लगभग 500 सन्देशों को Reformat करना, फिर से बनाना कोई  सरल कार्य नहीं है।

कृपया अपने सुझाव देकर हमारा मार्गदर्शन करें क्योंकि यह परिवार हम सबका है और सभी के समर्पित सहयोग से ही हम यहाँ तक पहुँच पाए हैं। 

आइए सुझावों के बाद साथिओं की सक्रियता का वर्णन करें। 

1.सबसे प्रथम जानकारी जानकरी हमारी आदरणीय वरिष्ठ बहिन ,रेणु श्रीवास्तव जी से सम्बंधित है जहाँ बहिन जी निम्नलिखित जानकारी दे रही हैं : 

जय गुरुदेव, सादर नमन भाई जी।आज मैंने  लखनऊ के  आयुर्वेदिक कॉलेज में गुरुदेव का वांग्मय स्थापित किया  तथा विद्यार्थियों को   गुरुदेव के साहित्य दिया। टीवी पर इस समाचार को देख कर जब हमने बहिन जी को लिखा कि बहिन जी आप Celebrity बन गयी हैं, परिवार के लिए यह गौरव की बात है तो बहिन जी ने बहुत ही सरलता से लिखा : आपने तो इस तुच्छ दासी को Celebrity बना दिया। हमारे साथी निम्नलिखित लिंक में बहिन जी को देख सकते हैं :                          https://youtu.be/9C3yeIDIY8E?si=B7YXL9b4saaepAsF

2.दूसरा योगदान हमारी सबकी प्रिय बेटी संजना के छोटे भाई शुभम से सम्बंधित है। शुभम ने  “Gayatri Yoga and health” के नाम से यूट्यूब चैनल आरम्भ किया है। बेटी संजना ने इस चैनल के बारे में निम्नलिखित भाव व्यक्त किया हैं : 

मेरे छोटे भाई शुभम ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय में योग विषय में चल रहे थेरेपी को आगे बढ़ाते हुए विभिन्न समस्याओं पर काम करने को सोचते हुए इस चैनल के द्वारा एक छोटा सा प्रयास शुरू किया है जिसके लिए परिवार के आशीर्वाद व मार्गदर्शन की आवश्यकता है। चैनल को विजिट करने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक किया जा सकता है। 

यहाँ पर हम आदरणीय चंद्रेश जी के यूट्यूब चैनल के सम्बन्ध में अपने विचार रखे बिना नहीं रह सकते। भाई साहिब ने अपने चैनल के सब्सक्राइबर्स को लेकर चिंता व्यक्त की थी ,हमने उसी दिन कमेंट करके अपने विचार रखे थे, शायद उन्होंने देखे  नहीं।  

यूट्यूब चैनल यां किसी अन्य सोशल मीडिया साइट की प्रगति के लिए हमारा अनुभव यही कहता है कि यह एक बहुत ही जटिल सी प्रक्रिया है जिसे समझ पाना हम जैसे लोगों के बस की बात नहीं है । जिसे हम प्रतक्ष्य देख रहे हैं, उससे कितने ही अधिक parameters उसमें अपना role अदा  कर रहे हैं। आजकल टेक्नोलॉजी का युग है, कौन किसे/कैसे कण्ट्रोल कर रहा है, समझना बहुत कठिन है।    

3.आशीष हेडा हमारे बहुत ही समर्पित बेटे हैं। पिछली बार उनके साथ हुई फ़ोन कॉल का  ज़िक्र किया था। बेटे ने परिवार में सक्रियता के लिए हमारे आग्रह को स्वीकार करते हुए निम्नलिखित योगदान दिया है, बेटे के  बहुत आभारी है :   

आज हमारे एक व्यापारी के परिवार में एक व्यक्ति के देवलोक गमन के पश्चात तिये की बैठक थी। मैं भी उनके इस शोक में सम्मिलित होने गया । चूँकि में इस शहर में केवल नौकरी कर रहा हूँ इसलिए ज्यादा किसी से जान-पहचान नही है केवल जिनसे व्यापारिक संबंध है उनसे ही परिचय है अतः शोकाकुल परिवार के अलावा बैठक में अन्य 200-300 लोगों के बीच मैं अकेला और अनजान सा बैठा था।

कुछ आंशिक आध्यात्मिक प्रवृत्ति के कारण मन मे आनंदित था और अनजानी भीड़ में प्रभु/गुरुदेव का स्मरण कर रहा था। उस माहौल में यह विचार आया कि इस प्रकार की बैठक हो या विवाह समारोह या और कोई अन्य आयोजन उन सबमे शामिल होने वाले लोग मुख्यतः आयोजक के अलावा और अपने कुछ अन्य परिचितों के अलावा सबको नही जानते और ऐसा सबके साथ होता है, तो फिर हम अखिल ब्राह्मण में स्वल्प सीमित से दायरे के कुटुम्बियों में अपने अहंकार का प्रदर्शन करने में अपना बहुमूल्य समय नही गंवाते?

वहाँ हरि कीर्तन में मैं तो आनंद के साथ बैठ था (स्मृति में गुरुदेव के चरणों में) और अधिकतर लोग अपने-अपने गुट बनाकर  उस माहौल में जहाँ सिर्फ भगवत चिंतन होना चाहिये वहाँ भी वही  बातें करते रहे जो दिन भर करते हैं।

मुझे किसी से राग-द्वेष नहीं, परंतु यदि हम अध्यात्म को जीवन में उतारे तो हमें हर जगह आनंद की अनुभूति रहेगी।

शोक संतप्त परिवार का दुःख उनके स्वयं के अलावा और कोई नही जान सकता परंतु हमे अपना कर्तव्य जान लेना अति आवश्यक है।

लेखन में कोई त्रुटि हो तो कृपया मुझे सुधारें ।

आपने कहा था लिखो तो यह विचार आया सो लिख दिया। सही गलत आपश्री और गुरुदेव जाने।

प्रणाम

4.हमारे आदरणीय साथी अनिल मिश्रा जी ने निम्नलिखित अपडेट से परिवार को सूचित किया है : 

अनिल मिश्रा जी का अपनी सर्विस के प्रति अपडेट : 

भैया जी,आपने आज का अंक हमारे लिए विशेष माना, तो मैंने पढ़ लिया, हृदय की गहराईयों से  आपके प्रति एवं आपके कार्य  के प्रति प्रेम  रहता है,लगाव एवंं स्नेह  भी बना ही रहता है क्योंकि आप गुरुदेव के मणि-मुक्तकों को माला में पिरोकर नित्य  गुरुचरणों में अर्पित करते रहते हैंं।  गायत्री को परिवार का रूप देने की वजह वह गहरा आत्मीय प्रेेम उभारना, निभाना ही उद्देश्य है, जो आप स्वचालित  automatically   कर रहे हैं। 

हफ्ते-दस दिन हुए हैं कि हमारे मित्र महोदय ने हमें सिक्योरिटी के कार्यक्षेत्र को छुड़वा  दिया है, और आफिस मैनेजमेंट का कार्य सौंप दिया है। उनको पीड़ा हो रही थी कि इतना पढ़ा लिखा आदमी जीविका के चक्र में यहाँ कहाँ फंसा हुआ है। सो अब मैं पढ़ने लिखने के लिए स्वतंत्र हूँ। मेरे ऊपर यह गुरुदेव की ही कृपा हुई है। 

इन्हीं योगदान एवं updates के बाद हम भी कुछ कहने की आज्ञा मांगते हैं:  

अ) अक्सर हम कहते आये हैं कि इस परिवार से हम सब एक दूसरे  के ज्ञान से लाभ उठा रहे हैं। इसका प्रतक्ष्य उदाहरण आदरणीय सुमनलता बहिन जी द्वारा ॐ अखंडानंद बोधाय शिष्य संताप हारिणे।सच्चिदानंद रूपाय श्रीराम गुरवे नमः।। लिखा जाना और चिरंजीव आशीष जी द्वारा ध्यान मूलं गुरु मूर्ति पूजा मूलं गुरु पदम्। मंत्र मूलं गुरु वाक्यं मोक्ष मूलं गुरु कृपा लिखा जाना हमें ज्ञान प्रदान करा गया। जिज्ञासा उठी, गूगल सर्च का सहारा लिया और जिज्ञासा का निवारण हुआ। ज्ञान की गंगा बहाने के लिए दोनों साथिओं का धन्यवाद्। 

आ) वंदनीय माता जी की एक वीडियो देख रहे थे जिसमें माता जी बता रही थीं कि युग परिवर्तन होकर रहेगा, 2026 से इसके लक्षण दिखने आरम्भ हो जायेंगें। वसुधैव कुटुंबकम, God is one, संसार में केवल एक ही धर्म होगा, मानवता का धर्म आदि यह ऊँची ऊँची बातें साधारण मनुष्य की समझ से बाहिर है लेकिन इन विचारों पर, अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर हुए हमले ने मोहर लगा दी और गुरुदेव की वाणी को सत्य करके दिखा दिया। हमले के बाद हमने ट्रम्प का प्रथम  इंटरव्यू देखा, वोह बात कर रहे थे  भगवान की, मानवता आदि की। स्वामी विवेकानंद ने बहुत वर्ष पूर्व ही इस जाग्रति के भारत से उठने की घोषणा कर दी थी। आदरणीय चिन्मय जी देश विदेश में जाकर इस जाग्रति का सन्देश ही दे रहे हैं। परम पूज्य गुरुदेव ने यज्ञ/सत्र आदि के माध्यम से लोगों को एक मंच पर लाकर दिव्य सन्देश देने की प्रथा चलाई। OGGP उसी का प्रारूप है।  

उतावले लोगों को समझ लेना  चाहिए कि  युग परिवर्तन कोई 10/20 यां 100/200 वर्षों में होने वाला कार्य नहीं है ,द्वापर, त्रेता, सतयुग आदि युगों में कितने वर्षों का अंतर् था, स्वयं ही उत्तर दे रहा है। अगर मनुष्य स्वार्थी होकर यह सोचना शुरू कर दे कि मेरा जीवन तो अधिक से अधिक 100 वर्ष का हो सकता है और मेरे जीवन में यह बदलाव आने वाला नहीं है तो यह सोच गलत है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्रत्येक साथी मानवीय मूल्यों का सख्ती से पालन का रहा है, उच्चस्तरीय संस्कारों को फैला रहा है क्योंकि यही हैं मानवता के सूत्र, युग परिवर्तन के सूत्र। इन्हीं मूल्यों का पालन करते हुए आदरणीय अरुण वर्मा जी ने गिलहरी, वानर सेना जैसी  शक्ति का प्रतक्ष्य दर्शन किया। 

हम सभी को आने वाले स्वर्ण युग का बाहें खोल कर स्वागत करना चाहिए। 

जय गुरुदेव

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अरुण जी की वीडियो   के अमृतपान से 250 टोटल कमैंट्स, 31  मेन कमेंटस पोस्ट हुए हैं। हमारी स्मरणशक्ति के अनुसार यह नंबर आज तक के सबसे Low नंबर है। सुजाता जी  32  आहुतियां प्रदान करके गोल्ड मेडल प्राप्त कर रही  हैं ,उन्हें  बधाई एवं  सभी साथिओं का योगदान के लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं।  


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