वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

“क्या कहते हैं हमारे सहयोगी ?”,8  जून  2024 का विशेषांक

https://youtu.be/nF6PqsTP0ZQ?si=MS_Uh... (हमारा साहित्य लोगों को पढ़ाइए)

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सभी समर्पित साथिओं का इस “नवीन सेगमेंट” में  जिसका शीर्षक “क्या कहते हैं हमारे सहयोगी”,ह्रदय से स्वागत,अभिवादन करते हुए हमें ह्रदय से प्रसन्नता हो रही है। 

हमारे साथी प्रसन्नता का कारण जान कर हमसे भी अधिक प्रसन्न होंगें कि गुरु की शक्ति ने  साधारण से दिखने वाले मनुष्यों को Celebrity की category में लाकर खड़ा कर दिया है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि आने वाले कुछ शनिवारों को हम ऐसे ही साथिओं के सिलेक्टेड कमेंट प्रकाशित करने का मन बना चुके हैं जो किसी न किसी दृष्टि से अद्वितीय हैं। किसी मनुष्य की कही हुई बात तभी Quote की जाती है अगर वह बात किसी महापुरुष ने कही हो, किसी विद्वान ने कही हो,किसी अविष्कारक ने कही हो, किसी अनुसंधानकर्ता ने कही हो, किसी नेता ने कही हो यां फिर किसी  प्रभावशाली व्यक्तित्व ने कही हो; हमारे साथिओं के साथ ऐसा कोई भी Tag नहीं लगा हुआ है तो फिर हम इन कमैंट्स को प्रकाशन के बाद  एक बार फिर से क्यों पढ़ रहे हैं ? ऐसा इसलिए है कि साधारण से दिखने वाले हमारे साथी अब बिल्कुल भी साधारण नहीं हैं,गुरु की शक्ति ने उन्हें फर्श से उठा कर अर्श पर बिठा दिया है और उनसे वोह भावनाएं उगलवा ली हैं जिन्हें व्यक्त करने के लिए उनकी अंतरात्मा में विचारों का अथाह सागर ठाठें मार रहा था,विचारों की उठती व्याकुल लहरें सागर के किनारों से टकराकर वापिस सागर में चली जाती थीं। 

वरिष्ठ साथिओं की बात तो समझी जा सकती है,उनके पास तो जीवन भर का अनुभव है लेकिन  छोटी सी बच्ची संजना कैसे इतना सुन्दर लिख लेती है, गुरुदेव ही जानते हैं।

आज हम अपने अगले सेलिब्रिटी साथिओं  के कमेंट आपके समक्ष रखें, उससे पहले कुछ शुभ सूचनाएँ एवं अपने दिल की बातें कह लें क्या?

1.हमारी सबकी बेटी, परिवार की बेटी,आदरणीय अरुण वर्मा जी की बेटी सुश्री कात्यायनी वर्मा ने बैंगलोर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से  B.Tech Computer Science में टॉप टेन की  लिस्ट  में आठवां स्थान प्राप्त  करके एक कीर्तिमान स्थापित किया है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की ओर से सभी की सामूहिक एवं हमारी  व्यक्तिगत बधाई स्वीकार हो। गुरुवर से प्रार्थना है कि बेटी को ऐसे ही प्रगति के पथ पर अग्रसर कराते रहें।

यहाँ पर तो गुरुवर के अमृत शब्दों की रेकॉर्डिंग  स्मरण हो रही है जिनसे हमअपनी दैनिक साधना का शुभारम्भ करते हैं, “ अगर आप हमारी बात मानते हैं तो आपके बच्चे इब्राहिम लिंकन बन सकते हैं, जॉर्ज वशिंगटन बन सकते हैं, और न जाने क्या कुछ बन सकते हैं।” अरुण जी का स्वयं को माँ गायत्री के चरणों में समर्पित होना ही बेटी को यह शक्ति प्रदान किये जा रहा है और उनके साथ जो जो कुछ हो रहा है, सभी के समक्ष प्रतक्ष्य घटित हो रहा  है, अगर अब भी किसी को कोई शंका है तो फिर कुछ भी नहीं किया जा सकता। 

2.आज हमारी समर्पित बहिन आदरणीय सुधा शर्मा जी  की वैवाहिक वर्षगांठ है, बहिन जी एवं आदरणीय अवध कृष्णा भाई साहिब को परिवार की और से हार्दिक शुभकामना। 

3.हमारी समर्पित बहिन आदरणीय कुसुम त्रिपाठी जी (काव्या fame) बेटी करिश्मा का 7 जून को जन्म दिवस है, बेटी करिश्मा को हम सबकी बधाई। बहिन कुसुम जी ने बेटी को  ऑनलाइन सब कुछ अच्छे से करवा दिया था। नटखट बेटी काव्या (जो पिक्चर में दिख रही है ) आज कल करिश्मा जी के पास छुट्टियां मनाने बनारस गयी हुई है। 

4. “मैं क्या हूँ ?” पुस्तक पर आधारित लेख शृंखला को समझने में साथिओं से मिल रहे सहयोग के लिए हम  सभी को नतमस्तक हैं। इतना जटिल सब्जेक्ट अकेले में समझने वाला नहीं है। एक दो दिन में इस दिव्य पुस्तक के अंतिम चैप्टर के साथ समापन हो जायेगा, हमारा विश्वास है कि ज्ञानरथ परिवार में सामूहिक अमृतपान के बाद हर कोई अपनी साधना में “शरीर और आत्मा की अनुभूति” एक  नए अनुभव से कर रहा होगा। आदरणीय सुमनलता जी की समूह शक्ति वाली बात 100% फिट बैठ रही है। इसी तरह हमारा उत्साहवर्धन करते रहिए, बड़ी कृपा होगी। 

आइए अब सिनेमा हाल में बैठ कर आज के विशेषांक का आनंद उठाएं। 

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1.आदरणीय सुमनलता जी का कमेंट:

परम गुरुसत्ता को नमन वंदन। सभी आत्मीय परिजनों को प्रणाम।

पूज्यवर के बाल्यकाल से संबंधित फिल्म चित्रण के दूसरे भाग का आनंदावलोकन OGGP के दर्शक पाठकों को अभिभूत कर रहा है। एक ऐसा चित्रण जो बच्चों  में संस्कारों की नींव डाल सकता है। 

अपने गुरु के द्वारा “ग” अक्षर लिखवाते ही भविष्य निर्धारित कर लिया “गायत्री”। सारा जीवन उसी को समर्पित कर दिया। 

भक्ति की कथा तो पहले ही हृदय को स्पर्श कर चुकी थी। साधारण से दिखने वाले हमारे गुरुदेव, जिनके जन्म के समय ही विलक्षण संयोग हुए थे वो साधारण कैसे हो सकते थे। 

आप इन दृश्यों के चित्रण को,इन कड़ियों को आगे बढ़ाना जारी रख सकते हैं, इन सुखद क्षणों का जितना आनंद मिले कम ही होगा। 

गुरुदेव कहते हैं कि समूह में शक्ति होती है जो अकेले संभव नहीं है। समूह में आनंद भी कई गुणा बढ़ जाता है, तो हमें लगता है कि आपकी  चित्रण शैली और हम सबका एक साथ पढ़ना ,उत्साह और आनंद को दोगुना कर रहा है, जैसे किसी भी सिनेमा हाल में,जब वो खचाखच भरा हो, फिल्म देखने का आनंद कुछ और ही  होता है। फिल्म एक ही होती है, देखने वाले अनेक, लेकिन आनंद सभी को मिलता है। वही यहाँ  हो रहा है, गुरुदेव के आरंभिक काल की फिल्मों का हिट शो, इसके निर्माता निर्देशक को हमारा सलाम।                 

2.गुरुसत्ता का क्या संकेत था? – आदरणीय सुमनलता जी :

हमें अपना एक स्वप्न स्मरण हो आया। सन् 2020 में दिसंबर माह में जब हम अपने पुत्र के साथ देहरादून गए तो पहली रात को हमें स्वप्न आया कि हम लोग किसी आश्रम में हैं,वहाँ  गुरुदेव हम आश्रमवासियों को बुला कर कहते हैं कि हमें तो अब अज्ञातवास के लिए हिमालय जाना होगा, यहाँ  माताजी आप सब का ध्यान रखेंगी और गुरुदेव चले जाते हैं। माता जी, जिनका स्वरूप एकदम गायत्री माता जैसा है, सबके पास आकर उनकी कुशलक्षेम पूछती है। जब देखती हैं कि सब लोग ठीक है, किसी को कोई भी समस्या नहीं है तो वो कहती हैं कि बच्चों मैं अपनी कुटिया  में जा रही हूं, जिसको भी कोई ज़रूरत  हो,मुझे आवाज लगा देना ,मैं आ जाऊंगी। 

प्रातःकाल हो गया था, इसके बाद हमारी आँख खुल गई। जब भी शांतिकुंज में तीर्थसेवन यां  गुरुदेव की बात पढ़ने, सुनने को मिलती है तो  हमें ये स्वप्न स्मरण हो आता है। समझ नहीं आया कि अचानक से इस प्रकार का स्वप्न आना, गुरुसत्ता का क्या संकेत था? 

3.आदरणीय अरुण वर्मा जी का कमेंट: 

परम आदरणीय अरुण भैया जी के चरणों में नतमस्तक कोटि कोटि प्रणाम।  आज के  ज्ञानप्रसाद में  बहुत ही रोचक एवं मन मष्तिष्क को आकर्षित करने वाली अनुभूति व्यक्त किया गयी  है। 

कल जो लेख प्रस्तुत किया जाएगा उसका दिव्य सारांश बहुत ही सुंदर शब्दों में व्यक्त किया गया है, बिल्कुल वैसे ही जैसे फिल्म रिलीज़ होने से पहले फ़िल्म का ट्रेलर दिखाया जाता है।  ठीक उसी तरह परम आदरणीय अरुण भैया जी ने यह दिव्य ऊर्जावान ट्रेलर दिखाया है। इस ट्रेलर को देखकर  हमारे मन मष्तिष्क में लेखों को पढ़ने के प्रति भूंचाल मच उठा है, जिज्ञासा और श्रद्धा की  बाढ़ बाह चुकी है।मात्र रोचक सारांश को ही पढ़कर, इस ऊर्जामयी लेख श्रृंखला के लिए इतनी जबरदस्त लालसा उजागर हो रही है जिसका शब्दों में वर्णन करना संभव ही नहीं है।  हनुमान तो हैं नहीं कि अपने अंदर उठ  रही जिज्ञासा को दिल चीरकर दिखा सकें। हमें विश्वास है कि सभी साथिओं को भी यही अनुभूति हो रही होगी।  कल का इंतजार बहुत ही बेसब्री से रहेगा।  परम आदरणीय अरुण भैया जी को किन शब्दों से धन्यवाद समर्पित करें, उनके लिए धन्यवाद शब्द बहुत छोटा पड़  रहा है। आप हमारे मार्गदर्शक सत्ता हैं।  हमने तो गुरुदेव को  देखा नहीं लेकिन  इतना अनुभव जरूर करते हैं  कि जब उनके शिष्य इतने दयालु और श्रद्धावान हैं तो गुरुदेव कितने महान होंगें । हमें  ऐसे महान गुरु के शिष्य होने का गर्व है, आपको बारंबार नमन है 

4.अनजान साथी का कमेंट:

गुरुदेव का एक सूत्र है- “समझदारी, जिम्मेदारी, बहादुरी।” यह एक टेबलेट है।  प्रश्न उठता है ये टेबलेट कहा से लाए, कैसे खाएं, कैसे पचाए। किसी ने इसका बड़ा ही सुन्दर जवाब दिया था।  ज्ञान के भण्डार से भरपूर किसी भी श्रेष्ठ पुस्तकालय में जाओ, गहराई से अध्ययन करो,  फिर उसी के अनुरूप जीवन का रीति अपनाओ, तो धरती पर स्वर्ग का अवतरण, मनुष्य में देवत्व का उदय होने से कोई रोक नहीं सकता। लेकिन क्या कहा जाए 

“कोई साहित्य का अध्ययन करता है तो पढ़ने के बाद उस पर चिंतन नहीं करता,कोई चिन्तन करता है तो किसी कारण अपने  जीवन की  रीति नीति उसके अनुरूप नहीं बना पाता, कोई बना भी लेता है तो इतना विरोध सहना पड़ता है कि सब धरा का धरा ही रह जाता है।  

यही कारण है मानव समाज पतन के गर्त में गिरता  जा रहा है।  

जय गुरुदेव शत शत नमन

5.एक और अनजान साथी का कमेंट – स्वामी दयानन्द जी के प्रति जानकारी : 

स्वामी जी जीवनभर मानवता के  प्रचार में लगे रहे।आर्य समाज की स्थापना की एवं लोगों को धर्म के प्रति जाग्रत किया। बालक श्रीराम के मन में पिता जी से प्रश्न आया कि यह अकेले कैसे संभव हो सका, पिता ने जिज्ञासा शान्त करते हुए  कहा कि जब मन में संकल्प और साहस हो तो असम्भव भी  संभव हो जाता  है। स्वामी दयानन्द ने उन लोगों को जाग्रत किया जो जगह-जगह, जात-पात,छूआछूत,श्राद्ध,बाल विवाह आदि कुरीतियों के प्रति,धर्म के नाम पर ढकोसले करते थे। अन्त में उनके खिलाफ षडयंत्र कर जोधपुर (राजस्थान में) रसोइये  द्वारा भोजन में जहर मिला  दिया गया। उन्हें जब पता चला तो रसोइये  को यह कहकर वहां से भगा दिया कि जब लोगों को पता चलेगा तो तुम्हें मार डालेंगे। स्वामी जी ने वहां से 220 कि.मी. से भी दूर, सड़क मार्ग से चलकर अजमेर में जाकर,यह कहकर प्राण त्यागा कि “पापियों की धरती पर मुझे शरीर नहीं त्यागना है।”

धन्य हैं ऐसे महापुरुष और धन्य हैं हमारे गुरु की बाल लीला।चरणों में कोटि-कोटि नमन। ऐसे महापुरुष विरले ही पैदा होते हैं।

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619 कमैंट्स और 11  युगसैनिकों से आज की  24 आहुति संकल्प सूची सुशोभित हो रही  है।आज का गोल्ड मैडल आदरणीय संध्या जी और सरविन्द जी  को जाता है।दोनों  को  गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।     

(1),रेणु श्रीवास्तव-35,(2)नीरा त्रिखा-28,(3)सुमनलता-40,(4)सुजाता उपाध्याय-37,(5) चंद्रेश बहादुर-35,(6)मंजू मिश्रा-25,(7)सरविन्द पाल-30,29 =59,(8)वंदना कुमार-34,(9) संध्या कुमार-57,(10)राधा त्रिखा-34,(11)पूजा सिंह-24 ,        

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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