वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

“क्या कहते हैं हमारे सहयोगी ?”, 25 मई 2024 का विशेषांक

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सभी समर्पित साथिओं का इस “नवीन सेगमेंट” में  जिसका शीर्षक “क्या कहते हैं हमारे सहयोगी”,ह्रदय से स्वागत,अभिवादन करते हुए हमें ह्रदय से प्रसन्नता हो रही है। 

हमारे साथी प्रसन्नता का कारण जान कर हमसे भी अधिक प्रसन्न होंगें कि गुरु की शक्ति ने  साधारण से दिखने वाले मनुष्यों को Celebrity की category में लाकर खड़ा कर दिया है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि आने वाले कुछ शनिवारों को हम ऐसे  साथिओं के सिलेक्टेड कमेंट प्रकाशित करने का मन बना चुके हैं जो किसी न किसी दृष्टि से अद्वितीय हैं। किसी मनुष्य की कही हुई बात तभी Quote की जाती है अगर वह बात किसी महापुरुष ने कही हो, किसी विद्वान ने कही हो,किसी अविष्कारक ने कही हो,किसी अनुसंधानकर्ता ने कही हो, किसी नेता ने कही हो यां फिर किसी  प्रभावशाली व्यक्तित्व ने कही हो; हमारे साथिओं के साथ ऐसा कोई भी Tag नहीं लगा हुआ तो फिर हम इन कमैंट्स को प्रकाशन के बाद  एक बार फिर से क्यों पढ़ रहे हैं ? ऐसा इसलिए है कि साधारण से दिखने वाले हमारे साथी अब बिल्कुल भी साधारण नहीं हैं,गुरु की शक्ति ने उन्हें फर्श से उठा कर अर्श पर बिठा दिया है और उनसे वोह भावनाएं उगलवा ली हैं जिन्हें व्यक्त करने के लिए उनकी अंतरात्मा में विचारों का अथाह सागर ठाठें मार रहा था,विचारों की उठती व्याकुल लहरें सागर के किनारों से टकराकर वापिस सागर में चली जाती थीं। 

वरिष्ठ साथिओं की बात तो समझी जा सकती है,उनके पास तो जीवन भर का अनुभव है, छोटी सी बच्ची संजना कैसे इतना सुन्दर लिख लेती है, गुरुदेव ही जानते हैं।         

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सुमनलता एवम विदुषी बहिन जी की गुरुकुल कांगड़ी विश्विद्यालय से सबंधित दुर्लभ जानकारी:

आपने आज गुरुकुल प्रणाली के लिंक को भेज कर हमारी बचपन की यादों को पुनः ताजा कर दिया। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के परिसर की जीवन शैली से हम भलीभांति परिचित हैं। हमने उस प्रकार के दिव्य, संयमित ,और अनुशासनबद्ध वातावरण में ही अपना प्रारंभ का जीवन बिताया था। यहां जिस गुरुकुल का कार्यक्रम दिखाया जा रहा है वो शायद उसी गुरुकुल कांगड़ी से संबद्ध है क्योंकि इस प्रकार के कार्यक्रम हमने अनेक बार वहां देखे हैं।

स्वामी दयानंद सरस्वती जी के समर्पित शिष्य स्वामी श्रद्धानंद जी ने इसे कांगड़ी गांव में आरंभ किया था जो गंगा पार हुआ करता था। बरसात के समय पानी बढ़ जाने के कारण विद्यालय को भी क्षति पहुंचती थी इसलिए उन्होंने हरिद्वार क्षेत्र में जमीन लेकर इसे वहां स्थापित किया जो आज विश्वविद्यालय है । गुरुदेव ने भी देवभूमि हरिद्वार में शान्तिकुञ्ज बनाया है।

गुरुकुल कांगड़ी में पहले केवल छात्रों को ही शिक्षा दी जा रही थी। वोह समय सहशिक्षा का नहीं था। स्वामी श्रद्धानंद जी के स्वर्गगमन पश्चात गुरुकुल का कार्य उनके सुपुत्र इंद्र विद्या वाचस्पति जी ने संभाल लिया। तब देश के कुछ राज्यों में कन्याओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से कन्या गुरुकुल खोले गए। देहरादून, झज्जर(हरियाणा),नरेला दिल्ली आदि के नाम हमें याद है। इन सभी कन्या गुरुकुलों का संचालन गुरुकुल कांगड़ी से ही होता था। केवल स्नातकोत्तर परीक्षा ही गुरुकुल कांगड़ी में सामूहिक रूप से होती थी।अब तो वहां भी सहशिक्षा आरंभ हो गई है। गुरुकुल का नाम आते ही पूरा समय एक फिल्म की भांति आंखों के सामने घूम जाता है। इस वीडियो में जो संगोष्ठी दिखाई जा रही है ,ऐसी संगोष्ठियां  हमें अपने आरंभिक जीवन की याद दिलाती हैं। वहां जब दीक्षांत समारोह होता था तो वोह  चार दिन तक चलता था,तब इसे जलसा कहते थे। विडिओ में दिखाए जा रहे कार्यक्रम निरंतर  होते रहते थे।

गुरुकुल की इतनी स्मृतियाँ  हैं कि लिखना आरंभ करें तो एक पुस्तक लिखी जा सकती है। 

विदुषी बंता:

आज “गुरुकुल विद्यालय” की वीडियो लिंक से हम परिचित हुए। गुरुकुल कांगड़ी विश्व विद्यालय देश का ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना  महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के महान शिष्य स्वामी श्रद्धानंद जी ने अपना सब कुछ बेच कर की थी। गुरु परम्परा को जीवित रखते हुए इस गुरुकुल में वैदिक पठन पाठन के साथ सभी विषय पढ़ाये जाते हैं हमें भी इस गुरुकुल को जानने का अवसर प्राप्त हुआ था। हरिद्वार स्थित इस आश्रम के बारे में परम पूज्य गुरुदेव ने भी अपने लेखों में स्वामी श्रद्धानंद जी की भूरी-भूरी प्रशंसा की है।

आज इन वीडियो को देख कर व वेदों में विज्ञान, मीमांसा शब्द की व्याख्या सुन कर नवीन शब्दावली का ज्ञान का मिला। बेटी स्नेहा गुप्ता व उनके बेटे का हार्दिक धन्यवाद करते हैं जिनके कारण हमें गुरुकुल विद्यालय की जानकारी मिली। निम्नलिखित लिंक को क्लिक करके साथी 11 मार्च 2023 का विवरण फिर से पढ़ सकते हैं।  

https://archive.org/details/20230311_20230311_2243

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संजना बेटी के  ज्ञान से भरपूर तीन कॉमेंट:

पहला कॉमेंट:

“सफलता आपके कारण हैं,आप सफलता के कारण नहीं हैं” 

क्या अद्भुत लाईन है। आज जीवन प्रबंधन की कक्षा में आदरणीय चिन्मय सर ने भी यही बताया कि अगर परम पूज्य गुरुदेव जी और विवेकानंद जी जैसी महान आत्माओं को बनाकर भगवान का काम खत्म हो जाता तब वो हमें क्यूं बनाते! इसलिए हमें अपने अंदर के परमात्मा को उजागर करना  चाहिए “Every divine soul has a unique potential which can’t be copied” आज आदरणीय चिन्मय सर की क्लास और ज्ञानप्रसाद का  विषय एक ही हैं जिससे पता चलता है कि सभी आत्माएं आपस में कितनी आत्मीयता से जुड़ी हैं। धन्य हैं परमात्मा,उनकी बनाई व्यवस्था एवं हर एक चीज़। आज निम्नलिखित पंक्तियाँ  हमें बहुत ही अच्छी लगीं : 

“अगर संकल्प रूपी बीज को आत्मविश्वास की भूमि में सकारात्मक सोच के साथ रोपा जाए और श्रम की बूंदों से सींचा जाए तो जो परिणाम प्राप्त होते हैं वह सच में अविश्वसनीय ही होते हैं”।

हम बहुत ही सौभाग्यशाली हैं कि इन वचनों का पाठन कर पा रहे हैं ,श्रवण कर पा रहे हैं। हर अंधेरी रात के बाद स्वर्णिम आशा की किरणों के साथ प्रतिदिन सूर्योदय होता है । अमृततुल्य ज्ञानप्रसाद हमारे मन को झंकृत करने अवश्य आता है। जब परमात्मा की व्यवस्था हर पल हमें जागृत करना चाहती है तो हम इस साझेदारी में क्यूं चूकें?

दूसरा कॉमेंट: 

अपना आपा जिस स्तर का होता है संसार का स्वरूप भी वैसा ही दिखता है, इसे आज हमने अनुभव किया। सचमुच आत्मिक शांति के लिए कठिन तप साधना करनी ही पड़ेगी। इस अशांति ने हमें जितना  परेशान किया है हम ही जानते हैं। हमारा अंतिम लक्ष्य अपने आप को जीतना ही होना चाहिए जिसको पाने के बाद कुछ भी शेष नहीं रह जाता। 

तीसरा कमेंट:

सच बताएं तो जहां अध्यात्म है, आत्मा के  भोजन की dishes की प्रचुरता वहीँ दिखेगी, प्रकाश ही दिखेगा वोह  अलग बात है कि हम अपनी आंख बंद करके बस सिर धुनते व रोते रहते हैं। आत्मदर्शन केवल  सुनने,पढ़ने से प्राप्त नहीं होगा। यह समझना बहुत ही जरूरी है क्योंकि जीवन की अधिकतर समस्याएं कर्मकांडों में बंध जाने के कारण  होती है। हम आपस में ही एक दूसरे से चुभते-लड़ते-रहते, अपने मन की तुच्छता से अपने जीवन को भी अन्आकर्षक बनाए रहते हैं।  इससे उपर उठकर आत्मा की सूक्ष्मता, विशालता, उच्चता व सुंदरता को नहीं देख पाते,। यज्ञ धूम्र की लपटें सदैव यही तो संदेश दिया करतीं हैं कि चाहें कितनी भी परिस्थितियां प्रतिकूल हो जाएं,फिर भी हमें उपर उठकर हर क्षण प्रगति और विकास के लिए तत्पर रहना चाहिए। जो चीजें अपने बस की नहीं है उन्हें ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए। 

बेटी संजना ने निम्नलिखित  संकल्प लिया है: 

“मनुष्य के मूल्यांकन की कसौटी उसकी सफलताओं, योग्यताओं और विभूतिओं को नहीं बल्कि उसके सद्विचारों और सत्कर्मों को मानेगें।” 

हमें विश्वास है कि पहले लिए गए नियमितता के संकल्प की तरह इस संकल्प का भी पूरी श्रद्धा से पालन अवश्य हो जाएगा क्योंकि हम सब बेटी की संकल्प शक्ति से भलीभांति परिचित हैं।   

कमैंट्स की अदृश्य शक्ति का उदाहरण संजना ने अपनी अनुभूति में लिखा था। बिकाश शर्मा भी कमैंट्स से ही जुड़े थे , निशा भारद्वाज, संध्या  जी  एवं और भी बहुतों  ने  कमैंट्स को ही जुडने का श्रेय दिया था

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ज्ञानरथ परिवार के प्रति रेणु श्रीवास्तव जी का कॉमेंट: 

प्रत्येक शनिवार के  स्पेशल सेगमेंट “अपने सहयोगियों के कलम से” में सहयोगियों के दिलों  उठने वाली भावनायें, अनुभूतियाँ व्यक्त की जाती  हैं जो किसी व्यक्ति विशेष का न होकर सब तक पहुँचता है। जिस प्रकार किसी कार्य को करने के लिये हम हाथ का सहारा लेते है जिसमें पांच अंगुलियाँ सहायक होती है  उसी प्रकार OGGP के सहयोगी इस ग्रुप के आधार स्तम्भ हैं। सहयोगियों के कमेंट, काउन्टर कमेंट मनोबल बढाने का कार्य करते हैं। कॉमेंट-काउंटर कॉमेंट की प्रक्रिया हम सब को एक दिव्य सत्संग का आभास देती है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का संचालन करने वाली अलौकिक सूक्ष्म सत्ता तो हमारे गुरुदेव ही हैं लेकिन माध्यम त्रिखा भाई जी हैं जो गुरुदेव की प्रेरणाशक्ति और मार्गदर्शन में सभी साथिओं को  एक सूत्र में माला की तरह पिरोये हुए हैं। हम सब भाई साहिब के मार्गदर्शन का अनुसरण करते हुई दिन रात इसी प्रयास में लगे रहते हैं कि गुरुदेव का साहित्य  अधिक से अधिक लोगों के दिलों  दिमाग तक पहुँचे तथा हमारे जैसे अनेकों लाभान्वित हों। 

यह बहुत ही सराहनीय कार्य है जिसे हम सब समर्पित होकर निभा रहे हैं। त्रिखा भाई साहिब विषय का चयन करके ,कई पुस्तकों से matter collect करके, compile करने के बाद सरल शब्दों में  सोमवार से गुरुवार तक 4 ज्ञानप्रसाद लेख प्रस्तुत करते हैं,यह कोई सरल  कार्य नहीं है। भाई साहिब की जिम्मेवारी मात्र नियत समय पर यूट्यूब  पर post करना ही नहीं है । पोस्ट होने के बाद सभी के कमेंट को पढकर, काउन्टर कमेंट करना भी उन्होंने अपनी जिम्मेवारी बना रखी है,जिसके लिये भाई साहिब धन्यवाद के पात्र हैं। गुरुदेव के प्रति  अटूट श्रद्धा एवं समर्पण का  इससे बड़ा उदाहरण और क्या मिलेगा। यह भी एक प्रकार का तप ही हैं।

अगले शनिवार को कुछ ऐसे ही और साथिओं की अंतरात्मा को टटोलने का सौभाग्य प्राप्त होगा।

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548 आहुतियां,8 साधकों,सभी बहिनों ने आज की महायज्ञशाला पर अपना अधिपत्य जमा लिया है, हृदय से बधाई हो । आज कुमोदनी बहिन जी ने 108 आहुतियां प्रदान करके गोल्ड मेडलिस्ट का सम्मान प्राप्त किया है, उन्हें हमारी बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्। (1)रेणु श्रीवास्तव-36,(2)संध्या कुमार-35 ,(3)सुमनलता-34,(4 )सुजाता उपाध्याय-43,(5)नीरा त्रिखा-28,(6) वंदना कुमार-32,(7)राधा त्रिखा-31,(8) कुमोदनी गौराहा-108 


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