22 अप्रैल, 2024 का ज्ञानप्रसाद
हमारी सर्वप्रिय बेटी संजना ने परम पूज्य गुरुदेव की अद्भुत रचना “मानवीय विद्युत के चमत्कार” का रेफरेन्स दिया और गुरुदेव ने हमसे आज तक 14 लेख लिखवा दिए, आज इसी श्रृंखला का 15वां लेख प्रस्तुत है।
गुरुकक्षा में आज के लेख के अमृतपान के लिए प्रस्थान करें,उससे पहले अपने साथिओं के साथ शेयर करना चाहेंगें कि गुरुवार को हमने घोषणा तो कर दी थी कि सोमवार को स्त्री-पुरुष के आकर्षण सम्बन्धी लेख प्रस्तुत करेंगें, लेकिन जब पुस्तक के उस चैप्टर पढ़ना शुरू किया तो 5 पन्नों के चैप्टर में से कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि कहाँ से आरम्भ करें। इतना जटिल और विस्तृत विषय, तरह-तरह की बैकग्राउंड वाले पाठक, हमारा अपना स्वयं का ज्ञान, ऑनलाइन/ऑफलाइन इतना कुछ उपलब्ध कि एक ही लेख में सब कुछ Squeeze कर पाना एक बहुत ही चुनौती भरा कार्य लग रहा था, लेकिन उस गुरु का धन्यवाद् करते हैं जिसने सब कुछ ऐसे ऊँगली पकड़ कर लिखवा लिया कि शायद किसी को समझने में कोई असुविधा हो। पूरे पांच दिन हमने क्या कुछ पढ़ डाला,समझ डाला और लिख डाला स्वयं को ही विश्वास नहीं हो रहा।
तो आप इस लेख को पढ़िए और हमारा उत्साहवर्धन कीजिये।
आज प्रज्ञागीत के स्थान पर आदरणीय पांडे जी के लिए एक शार्ट वीडियो (मात्र 1 मिंट की) संलग्न की है जिसे देखकर अवश्य ही साहस बढ़ेगा और गुरुदेव के प्रति हम सबकी श्रद्धा और परिपक्व होगी। हम सबकी दुआएं पांडे जी के साथ है।
आज हमारी बहिन सुधा शर्मा जी की बेटी अंशु शर्मा और जितेश शर्मा जी की दूसरी मैरिज एनिवर्सरी है, परिवार की हार्दिक शुभकामना।
जिस प्रकार यह कहा जा सकता है कि स्त्री एक इंसान है; वह पुरुष से बेहतर, समझदार, मजबूत, अधिक बुद्धिमान, अधिक रचनात्मक या अधिक जिम्मेदार नहीं है, उसी तरह यह भी कहना उचित होगा कि वह किसी से कम भी नहीं है अर्थात पुरुष और नारी दोनों समान हैं। दोनों में से किसी को भी बड़ा यां नीचा दिखाना कोई समझदारी नहीं हैं। बॉलीवुड की अनेकों मसाला फिल्में इस विषय पर चर्चा तो कर ही चुकी हैं, Fox searchlight द्वारा रिलीज़ हुई 2017 की Battle of Sexes मूवी भी इसी चर्चा में रही।
आज के लेख का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या सच में पुरुष और स्त्रियां बराबर (Equal) हैं और एक समान (Same) हैं ? यां एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न एवं एक दूसरे के विपरीत हैं ?
अक्सर ऐसा भी कहा जाता है कि Men and women are opposite sexes अर्थात पुरुष और स्त्री एक दूसरे के विपरीत हैं । Men and women are not born equal अर्थात वोह तो बराबर पैदा ही नहीं हुए हैं।
हाल की शोध से पता चलता है कि पुरुषों और महिलाओं के दिमाग अलग-अलग तरह से काम करते हैं, दोनों की Programming ही अलग है। बेसिक बायोलॉजी के ज्ञान से पता चलता है कि मानव मस्तिष्क में दो गोलार्ध (lobes) होते हैं, संलग्न चित्र में दिखाया गया है।
पुरुष के मस्तिष्क में आगे से पीछे की ओर वायरिंग होती है जबकि महिलाओं के मस्तिष्क में बाएं से दाएं वायरिंग होती है। हमारे पाठकों को जिज्ञासा हो रही होगी कि हम किस वायरिंग की बात कर रहे हैं। तो हम स्मरण कराना चाहते हैं कि मानवीय विद्युत विषय पर हमने देखा था कि मानव शरीर एक बिजली घर है और इसका पावर सेंटर मस्तिष्क है।
अगर मस्तिष्क में वायरिंग है, करंट है, ऊर्जा है तो चुम्बकत्व यानि Magnetism भी होगा।
चुम्बकत्व को समझने के लिए हमें अपने स्कूल की फिजिक्स की प्रयोगशाला में चलना पड़ेगा।
पुराने दिनों की बात है जब हमने पहली बार चुंबक (चित्र) नौंवीं कक्षा में देखा था जब फिजिक्स की लेबोरेटरी में हमारे अध्यापक चुंबक के बेसिक प्रैक्टिकल करा रहे थे। आज के समय में तो यह प्रैक्टिकल बहुत ही छोटी कक्षाओं में सिखा दिए जाते हैं। जिन आदरणीय टीचर के बारे में हम यहां लिख रहे हैं वोह हमारे स्वर्गीय पिता जी ही थे जो उसी स्कूल में हेडमास्टर थे। उस समय पता चला था कि चुंबक के दो सिरे होते हैं जिन्हें ध्रुव (Poles) कहते है। एक सिरे को उत्तरी ध्रुव (North pole) और दूसरे को दक्षिणी ध्रुव ( South pole ) कहते हैं। चित्र में N और S इन्ही poles को दर्शा रहे हैं। यह ध्रुव ग्लोब के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की तरह ही होते हैं। हमारे साथी ग्लोब देखने से जानते हैं कि कनाडा उत्तरी ध्रुव में है और ऑस्ट्रेलिया दक्षिणी ध्रुव में है। चुंबक और ध्रुव का उदाहरण देने का उद्देश्य यही है कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया एक दूसरे के विपरीत हैं। जब कनाडा में रात के 10 बजते हैं तो ऑस्ट्रेलिया में दोपहर के 12 बजते हैं। जब कनाडा में गर्मी की ऋतु होती है तो ऑस्ट्रेलिया में शरद ऋतु होती है।
ईश्वर ने जब सृष्टि की रचना की तो लगभग सभी को एक दूसरे का विपरीत बनाया: दिन/रात, गर्मी/सर्दी, गोरा/काला, गर्म/ ठंडा, स्त्री/पुरुष आदि।
लेख के शुरू में हमने लिखा था कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के विपरीत हैं, क्या सच में वोह एक दूसरे से विपरीत हैं,नहीं वोह विपरीत नहीं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं। Opposite sex जरूर हैं लेकिन पूरक हैं और विपरीतता ही एक दूसरे को पूरक बनाती है। क्या सूर्यास्त के बिना सूर्योदय हो सकता है, क्या ग्रीष्म ऋतू के बिना शरद ऋतू आ सकती है, क्या भूख लगने के बिना खाना खाया जा सकता है,कदापि नहीं।
तो एक प्रश्न का उत्तर तो क्लियर है कि opposite sex कहे जाने के बावजूद स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं।
हमारा अगला प्रश्न है कि अगर मानव मस्तिष्क (अलग-अलग वायरिंग के कारण) महिलाओं और पुरुषों में अलग-अलग तरीके से कार्य करता है तो क्या उनकी ऊर्जा एवं ऊर्जा की विशेषता भी अलग है ?
तो आइए महिलाओं और पुरुषों की ऊर्जा का पता लगाएं और देखें कि दोनों में तनाव, संघर्ष के कारण अक्सर हो रही गलतियों से कैसे निपटा जाए। इसके लिए हमें पुरुषोचित( Masculine ) और स्त्रियोचित(Feminine) गुणों को जानना होगा।
पुरुषोचित गुणों में सबसे महत्वपूर्ण गुण उनकी स्वतंत्रता(Freedom), विश्लेषणात्मक (Analytical) सोच और प्रतिस्पर्धात्मकता (Competitiveness) शामिल है। स्त्रियोचित गुणों में परस्पर निर्भरता (Inter dependence), भाव संवेदना, अंतर्मन का ज्ञान, पालन पोषण और सहयोग शामिल हैं।
अक्सर पुरुष चाहते हैं कि उनकी स्वतंत्रता में कोई खलल न डाले, वोह जो भी बात करें एक आज्ञाकारी दास की भांति सब पालन करें,बात का पता हो न हो, अपनी नाक अवश्य घुसानी है और हर किसी क्षेत्र में कम्पीट करके आगे निकलने की उनकी आदत ही बन जाती है। जिस किसी पुरुष में यह आदतें नहीं है, उसे समाज भी Womanish( स्त्री जैसा) कहकर मज़ाक करता है। दूसरी तरफ समाज के अनुसार स्त्री का कार्य पालन पोषण करना, सहना, सहयोग, अपनी इच्छाओं का बलिदान आदि समझे जाते हैं, जो महिलाएं इन गुणों का पालन नहीं करतीं उन्हें Mannish (पुरुषों जैसी ) कहकर मज़ाक उड़ाया जाता है।
यह तो हुई दो extremes की बात, दो Poles की बात, North और South poles की बात, पूर्व और पश्चिम की बात।
लेकिन आजकल जब “The World is one” का नारा दिया जा रहा है तो यह सब गलत ही दिखता है।
ऐसा क्यों हुआ है? “The World is one”, सारा विश्व एक क्यों हुआ है, कैसे हुआ है ? एक दूसरे की साझेदारी से , एक दूसरे के सहयोग से।
स्त्री-पुरुष के संबंधों में भी जब दोनों साझेदार अपनी मूल ऊर्जा से, अपने उत्तरदायित्वों से
विमुख हो जाते हैं, तो सम्बन्ध प्रभावित होते हैं। जब एक दूसरे के साथ निकटता में कमी आती है तो लड़ाई-झगड़ा,हताशा, अवसाद और न जाने क्या कुछ हो जाता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य अपने पुरुषत्व का विज्ञापन करने की दृष्टि से क्रोध,हताशा व्यक्त करता है और स्त्री अपने साथी (जीवन साथी) से समर्थन, सुरक्षा, सहयोग,सहनशीलता जैसे गुणों में कमी दर्शाती है। दोनों partners जिन्हें हम तो Life partners ही कहेंगें, एक दूसरे से इतने दूर हो जाते हैं कि घोर शत्रु ही बन बैठते हैं। दोनों अपने-अपने अहम् से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि यह भी भूल जाते हैं की हम लाइफ पार्टनर्स हैं, ऐसे पार्टनर्स जिनसे लाइफ चल रही है।
लेकिन करें क्या, ईश्वर ने स्त्री-पुरुष ( पूरक होने के बावजूद) दोनों को अलग ही तो बनाया है। दोनों के शरीर की ज़रूरतें, उनके लिंग के आधार पर अलग हैं। अगर हम ईश्वर के न्याय का पालन करते हैं तो हमें रूढ़िवादी कहा जाता है, अगर इसको नकारते हैं तो सर्वनाश दिखता है।
आज के युग की सबसे बड़ी समस्या तनाव और संघर्ष से भिड़ने की समस्या है। अक्सर देखा गया है कि एकांतसेवी होने के कारण, पुरुष अक्सर अकेले ही समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास करते हैं,पुरुष अक्सर कहते सुने गए हैं, “मुझे अकेला छोड़ दो” जबकि स्त्रियां समस्या की परिवार में, समाज में चर्चा करके समाधान ढूढ़ने का प्रयास करती हैं और अधिकतर सहानुभूतिपूर्ण/ समर्थन चाहती हैं। पुरुष अपनी गलतिओं को स्वयं ही सुधारने का प्रयास करते हैं जबकि महिलाएं खेद और प्रायश्चित व्यक्त करती हैं।
ईश्वर का किन-किन शब्दों में धन्यवाद् करें कि उन्होंने स्त्री और पुरुष की बायोलॉजिकल आवश्यकताएँ पूर्ण करने के लिए हमारे शरीर में ही आटोमेटिक सिस्टम बनाया हुआ है। अज्ञानतावश दोनों ही (स्त्री ,पुरुष) मस्तिष्क में पैदा होने वाले होर्मोनेस को डॉक्टरों के पास ढूंढते हैं। यह तो वही बात हुई कस्तूरी कुंडल में बसे, मृग ढूंढें वन माहि। पुरुषों के पुरुषत्व वाले गुण उसके मस्तिष्क में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन के कारण होते हैं और स्त्रीयों में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन स्त्रीत्व प्रदान करता है।
जिन्हें विज्ञान का ज्ञान नहीं है उनके लिए मात्र इतना ही जान लेना काफी होगा कि Testosterone (टेस्टोस्टेरोन) और Estrogen (एस्ट्रोजेन) अनेकों रसायनों की भांति दो रसायन हैं जो मानव मस्तिष्क में स्वयं ही बनते रहते हैं।
हमारे साथिओं ने अक्सर फिल्मों और रियल लाइफ में देखा होगा कि मात्र स्त्री के स्पर्श से ही रोगी प्रगाढ़ बेहोशी (Coma) से जागृत हो जाता है। मानव शरीर के अंदर दौड़ रहे चुंबकत्व और इलेक्ट्रिक करंट ही इन सुप्त रसायनों को जाग्रत करते हैं।
तो क्या विचार है ? मानव शरीर ईश्वर की उत्कृष्ट एवं उच्त्तम कलाकृति हुई न ?
स्त्री पुरुष दोनों को ईश्वर ने ऐसी बायोलॉजिकल बनावट दी है कि दोनों ही एक दूसरे के गुण ( स्त्रीत्व और पुरुषत्व) को पहचान सकते हैं, दोनों को पता चल जाता है कि यह समस्या असल में है यां ड्रामेबाज़ी हो रही है। अगर सही अर्थों में स्थिति की पहचान हो जाये तो अलग हो रहे Couple वास्तव में आंदोलन की जगह संबंध, प्यार, समझ और समर्पण के लिए वापस आ जाएंगे।
यही है सही अर्थों में स्वर्गीय जीवन।
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आज 17 युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। आज का गोल्ड मैडल संध्या जी को जा रहा है,बहुत बहुत बधाई संध्या जी ।सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद् ।
(1)संध्या कुमार-51 ,24,(2)सुमनलता-26 ,(3)वंदना कुमार-32 ,(4 )चंद्रेश बहादुर-55 ,(5 ) सरविन्द पाल-38,(6)रेणु श्रीवास्तव-34,(7)अनुराधा पाल-26,(8) सुजाता उपाध्याय-36 ,(9) नीरा त्रिखा-28 ,(10) अरुण वर्मा-28,(11) प्रशांत सिंह-30 ,(12)आयुष पाल-28,(13)मीरा पाल-27 ,(14)साधना सिंह-27 ,(15) पिंकी पाल-30,(16) पुष्पा सिंह-28,(17)प्रेरणा कुमारी-21
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।