https://youtu.be/z1qLhVmTbk8?si=5-ROKD3uvOlA3MvQ
परम पूज्य गुरुदेव के सूक्ष्म संरक्षण एवं मार्गदर्शन में रचे गए ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री
हमारी सर्वआदरणीय बहिन सुमनलता जी के प्रस्ताव एवं उस प्रस्ताव का सभी साथिओं द्वारा समर्थन होना ही एक कारण था जिसने पिछले शनिवार को इस स्पेशल सेगमेंट को “अपनों से अपनी बात” का रूप देकर प्रकाशित किया। जिन साथिओं ने “अपनों से अपनी बात” की बैकग्राउंड को मिस कर दिया हो उनके लिए संक्षेप में बताना चाहते हैं कि साथिओं के प्रस्ताव का सम्मान करते हुए प्रत्येक माह का अंतिम शनिवार हमारे(अरुण त्रिखा) लिए सुरक्षित रख दिया गया है। 25 मई को इसका अगला एपिसोड प्रस्तुत किया जायेगा।
आज भी शनिवार का दिन है लेकिन अंतिम नहीं, रेगुलर शनिवार। तो आइए इसे Open forum उत्सव जैसे दिन की भांति मनाएं और साथिओं के साथ सूक्ष्म में रूबरू होवें।
1.हमने यूट्यूब पर नियमितता से प्रशांत सिंह नाम से कॉमेंट होते देखा तो जिज्ञासावश जानने के लिए काउंटर कॉमेंट करके निवेदन किया कि “अपने बारे में कुछ बता दें तो बड़ी कृपा होगी।” जब आदरणीय पूजा सिंह बहिन जी ने क्लियर करके हमारी जिज्ञासा शांत की तो हम बहुत ही गौरवान्वित हुए। हमारे गौरवान्वित होने के पीछे का कारण इस मंच पर ब्रॉडकास्ट होने वाले “मानवीय मूल्यों वाले गुरुमंत्र का पालन” करना था। इस गुरुमंत्र का पालन करके न केवल आदरणीय पूजा सिंह बहिन जी ने बल्कि हमारी वरिष्ठ बहिन सुमनलता जी ने भी हमें सम्मान प्रदान किया है, दोनों बहिनों का हृदय से धन्यवाद करते हैं।
पूजा सिंह बहिन जी ने बताया कि वोह सिंगल मदर हैं और अपने बेटे प्रशांत के नाम से यूट्यूब अकाउंट बनाए हैं। इस सारी चर्चा के बाद तो हमें भी स्मरण हो आया कि बहिन पूजा जी ने पहले भी बताया था। हम क्षमाप्रार्थी हैं कि हमें भूल कैसे गया, शायद मस्तिष्क से सिग्नल आया होगा कि “तुम्हें तो विश्व भर के भाई बहिनों का बायोडाटा स्टोर करके रखना होता है तो कोई बात नहीं एक आधा भूल भी सकता है ।” शायद ब्रेन के कंप्यूटर की हार्ड डिस्क को क्लीन करके मेमोरी फ्री करने की आवश्यकता है।
2.हमारी सर्वप्रिय बेटी संजना द्वारा सुझाई गयी,परम पूज्य गुरुदेव की उत्कृष्ट पुस्तक “मानवीय विद्युत के चमत्कार” पर आधारित प्रकाशित हुए लेखों में 72000 नाड़िओं की बात को रेफर करते हुए हमारी आदरणीय बहिन उमा साहू (यूट्यूब पर वंदेश्वरी साहू) ने अपने ब्रेन टेस्ट की फोटो (जिसमें उनके सिर पर बिजली की तारें लगी थीं) भेजते हुए लिखा कि हम तो आज कंप्यूटर से देख सकते हैं जबकि परम पूज्य गुरुदेव ने कितने ही वर्ष पहले लिख दिया था। गुरुदेव कितने भविष्यवक्ता थे। बहिन जी से करबद्ध निवेदन करते हैं कि आपकी लेखनी से जितना हमें समझ आया है लिख दिया है, अगर कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमाप्रार्थी हैं।
3.हमारी सबकी बेटी आदरणीय डॉ सुमति पाठक (बहिन कुमोदनी जी की बेटी) ने वीडियो से सम्बंधित निम्नलिखित कमेंट भेजा था जिससे बेटी की व्यस्तता का अनुमान लगाया जा सकता है। गुरुदेव ने अवश्य ही बेटी को बुलाकर ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में योगदान देने का कार्य सौंपा है :
मामा जी देर से वीडियो देने के लिए माफ़ी चाहती हूँ ।असल में कॉलेज में इंटरनल और प्रैक्टिकल एग्जाम समानांतर चल रहा है। बेटा का भी ऑनलाइन क्लास रहता है तो फोन भी सुबह से दिन तक व्यस्त रहता है, फिर ड्यूटी और शाम को कोचिंग में मेरी 2 क्लास 2 घंटे की रहती है । रात में घर का काम होता है। बहुत व्यस्त कार्यक्रम चल रहा है इसलिए देर से वीडियो के लिए बहुत खेद है।
- ज्ञानप्रसाद में 30 अप्रैल 2024 “सामूहिक शक्ति का Nuclear explosion” टॉपिक के अंतर्गत गुरुदेव के शिष्य आदरणीय कृष्णमुरारी जी की सत्य घटना प्रकाशित हुई थी। इस लेख के अमृतपान के बाद आदरणीय नीरा त्रिखा जी ने अपने विचार प्रकट किए जो निम्नलिखित हैं:
नीरा जी ने हमारे साथ चर्चा के बाद लिखा है कि गुरुदेव और कृष्णमुरारी जी के सम्बन्ध आपसे मिलते जुलते लगते हैं । आपको भी तो लेखन की प्रेरणा गुरुदेव से ही मिली है, गुरुदेव ने आपके स्वप्न में भी तो आकर 4 पन्ने थमाए थे जिन पर नीली स्याही से कुछ लिखा था, यह चार पन्ने, सप्ताह में प्रकाशित हो रहे 4 ज्ञानप्रसाद लेख की ओर ही तो इशारा कर रहे थे।
जब कृष्ण मुरारी जी ने अपनी ग्रामीण बैकग्राउंड का वर्णन किया तो नीरा जी के आग्रह के कारण हमसे भी रहा नहीं गया।
हमारा बाल्यकाल तो ऐसे गांव में व्यतीत हुआ है जहाँ बिजली तो क्या, मिट्टी का तेल भी बड़ी किफायत के साथ राशन कार्ड पर मिलता था। पीने के पानी के लिए म्युनिसिपैलिटी ने गांव से बाहर 5 किलोमीटर दूर 10 नलके लगा दिए थे जहां से पानी भर कर लाते थे। उस जमाने की antique लालटेन जिसकी सहायता से हमने मैट्रिक तक की शिक्षा न केवल सफलतापूर्वक संपन्न की बल्कि पांचवीं कक्षा से ही Top करने के कारण स्कालरशिप भी प्राप्त किए । इस वातावरण ने और गुरुदेव के शक्तिशाली सूक्ष्म संरक्षण ने ऐसा आत्मविश्वास पैदा कर दिया कि सारी की सारी विद्या स्कालरशिप से ही सम्पन्न हो गयी, अपनी जेब से एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ा। यहाँ देखने वाली बात तो यह है कि गुरुदेव ने हमें ऐसे समय संरक्षण प्रदान किया जब हमें उनके नाम तक का भी ज्ञान नहीं था ,हाँ परिवार में नियमित पूजा पाठ अवश्य होता था।
हम OGGP के सभी साथिओं से करबद्ध निवेदन कर रहे हैं कि नीरा जी के आग्रह पर लिखा गया यह संक्षिप्त विवरण कहीं से भी हमारा अहंकार न समझा जाए, अगर किसी भी शब्द में ऐसी भावना प्रतिबिंबित होती हो तो अनजाने में, अज्ञानता से लिखा गया होगा जिसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं । हमारे जैसे साधारण से Down to earth व्यक्ति का सारा जीवन ऐसी घटनाओं से भरा है जिन्हें देखकर कहा जा सकता है कि ईश्वर स्वयं ही ऊँगली पकड़ कर ले जा रहे हैं ।
5.ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के प्लेटफॉर्म पर “सत्संग” टॉपिक के अंतर्गत प्रकाशित हुए लेखों पर बहिन सुमनलता जी ने निम्नलिखित कमेंट किया था जिसे बहुतों ने पढ़ लिया होगा लेकिन बहुत से ऐसे भी होंगें जिन्होंने नहीं पढ़ा होगा। ऐसे साथिओं के लिए इस स्पेशल सेगमेंट में शेयर करने का उद्देश्य प्रेरणा तो है ही, साथ में उन साथिओं को मार्गदर्शन प्रदान करना भी है जो गुरुकार्य करके गुरु से बदले की आशा कर रहे हैं। इसी तरह का एक कमेंट हमारे पास व्हाट्सप्प पर पोस्ट हुआ जिसकी भावना गुरुदेव के प्रति अहसान जताना दिख रही थी। गुरुदेव से बदला माँगा जा रहा था कि मैंने तो आपका कार्य कर दिया अब आपकी बारी है, आप मेरा कार्य करो, इससेअधिक मेरी कोई समर्था नहीं है।
एक तरफ तो हमारे गुरुदेव हैं जिन्होंने दादा गुरु के कहने पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया और कोई आशा नहीं की, उन पर दादा गुरु के अनुदान स्वयं ही बरसते रहे क्योंकि माता पिता से मांगने की ज़रुरत नहीं होती, उन्हें हर बच्चे की आवश्यकता का आभास होता है। ऐसे साथिओं के लिए हमारा व्यक्तिगत कमेंट तो यही रहेगा कि Give and take का अतिपुरातन सिद्धांत पहले “देने” के लिए कहता है, फिर लेने की बात करता है। किया तो कुछ है नहीं और मांगें इतनी बड़ी बड़ी।यह सिद्धांत Take and give नहीं है, Give and take है और ऐसे ही रहेगा। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में निष्काम दान करने की प्रथा है।
सुमनलता बहिन जी का कमेंट:
सत्संग का लाभ उन्ही को मिलता है जो विनम्र हैं। सत्संग यथार्थ में एक महत्वपूर्ण विषय है। आजकल बहुत से लोग यह कहते सुने जाते हैं कि हमारे यहां सत्संग हो रहा है,हम सत्संग में जा रहे हैं लेकिन वो लोग सत्संग के वास्तविक आनंद से कोसों दूर होते हैं।उनको सत्संग का अर्थ तक पता नहीं होता है।सत्य से कोसों दूर होते हैं ऐसे सत्संगी। उनके लिए सत्संग उसी को मान लिया जाता है, जहां दस बीस लोग इकट्ठा हो गए,फिल्मी धुनों पर जोर-जोर से भजन गा लिए फिर चाय नाश्ता हो गया, बस यही है सत्संग। जहां सत्य का संग नहीं हुआ, जहां आत्मा का परिष्कार नहीं हुआ, जहां कर्म सुधारे नहीं गए ,वो कैसा सत्संग? वहां से बाहर निकले , वही हंसी ठठ्ठा,वो ही अनर्गल प्रलाप, ऐसे सत्संग से तो दूरी ही भली। गुरुदेव के विचारों को पढ़ कर यदि अंतर्मन जागृत नहीं हुआ तो कैसा सत्संग ? हमारी दृष्टि में ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सत्संग जैसा कोई सत्संग नहीं। इस परिवार में गुरुदेव के विचारों को मात्र पढ़ा ही नहीं जाता बल्कि अंतर्मन में उतार कर आत्म-परिष्कार करने का पूरा प्रयास भी किया जाता है। ऐसे सत्संग के आयोजन के लिए आ.भाई साहब का हार्दिक अभिनंदन। इस सत्संग का करंट सभी में दौड़ रहा है। बहुत बहुत आभार।
बहिन जी का एक अन्य कमेंट सेव करके रखा था लेकिन शब्द सीमा के प्रतिबंध कारण और बहिन निशा भारद्वाज जी के कमेंट के साथ सम्बंधित होने के कारण प्रकाशित नहीं हो पाया, अगले सेगमेंट में अवश्य प्रकाशित होगा।
6.हम सदैव अपने साथिओं के योगदान के लिए धन्यवाद् करते हैं लेकिन कई बार इस परिवार को ओर प्रगतिशील बनाने की दृष्टि से निवेदन भी करते हैं, हमें अति गर्व होता है कि हमारे सभी सुझाव एवं निवेदन का बहुत ही सम्मानपूर्वक पालन होता है।
इसी कड़ी में हम निवेदन कर रहे हैं कि यह कभी भी संभव नहीं है कि हर किसी के साथ सदैव परिस्थितियां एक सी रहें। दुःख, सुख, बीमारी, स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेवारियां आदि कई बार परिवार में नियमितता के अनुशासन में खलल डाल सकती हैं, जो कि स्वाभाविक है, प्राकृतिक है। ऐसी स्थिति में हमारा निवेदन है कि एक छोटा सा यूट्यूब कमेंट (न कि व्हाट्सप्प कमेंट) पोस्ट करके परिवार को सूचित कर दें। ऐसा करने से सारे परिवार को सूचना मिल जाएगी क्योंकि व्हाट्सप्प पर सूचना केवल हमें ही पँहुचती है। यहाँ एक और बात स्पष्ट करने वाली है कि सूचना का मैसेज न मिलने के कारण अगर हम आपको मैसेज करते हैं तो इसका कतई यह अर्थ न निकाला जाए कि हमें यूट्यूब पर आपकी सक्रियता एवं कमैंट्स की चिंता है, हम सही मायनों में आपकी चिंता कर रहे होते हैं। अगर ऐसा न हो तो फिर परिवार की परिभाषा की कुछ और होती।
7.हम हर बार निवेदन करते हैं कि स्पेशल सेगमेंट में जिस सहपाठी की बात हो रही होती है उसे कमेंट अवश्य करना चाहिए, धन्यवाद् करना चाहिए। पाठकों को बहुत प्रेरणा मिलेगी क्योंकि सरविन्द जी द्वारा अविष्कार की गयी कमेंट-काउंटर कमेंट की प्रक्रिया के परिणाम हम सब देख ही रहे हैं। - हमारी आदरणीय बहिन पुष्पा सिंह जी ने टाटानगर स्थित गोलपहाड़ी शक्तिपीठ के कार्यक्रम में अपनी भागीदारी शेयर की थी, एक वीडियो भी भेजी थी लेकिन वीडियो में साउंड ठीक न होने के कारण प्रकाशन के लिए असमर्थ हैं, जिसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं।
599 आहुतियां, 12 साधक आज की महायज्ञशाला को सुशोभित कर रहे हैं, बहिन संध्या जी ने इस महायज्ञ में सबसे अधिक 51 आहुतियां प्रदान करके गोल्ड मेडलिस्ट का सम्मान प्राप्त किया है, उन्हें हमारी बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1),रेणु श्रीवास्तव-40,(2)संध्या कुमार-51,(3)सुमनलता-35,(4 )सुजाता उपाध्याय -41 ,(5)नीरा त्रिखा-37,(6 )चंद्रेश बहादुर-37,(7 ) मंजू मिश्रा-25 ,(8) अरुण वर्मा-42,(9 ) सरविन्द पाल-27, (10 )वंदना कुमार-24 ,(11)पूजा सिंह-27,(12) राधा त्रिखा-24
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।