वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

विचारों की बिजली ही विचार क्रांति का बीज है 

15  अप्रैल 2024 का ज्ञानप्रसाद

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से हम परम पूज्य गुरुदेव की अद्भुत रचना “मानवीय विद्युत के चमत्कार” को आधार मानकर जिस  लेख श्रृंखला का  अमृतपान कर रहे हैं आज  उस  शृंखला का 11वां  लेख   प्रस्तुत है।  

2011 में प्रकाशित हुई 66 पन्नों की इस दिव्य पुस्तक के दूसरे  एडिशन  में परम पूज्य गुरुदेव हम जैसे नौसिखिओं,अनुभवहीन शिष्यों को मनुष्य शरीर की बिजली एवं उस बिजली से सम्पन्न होने वाले कार्यों से परिचित करा रहे  है। Bodily electricity के बारे में अज्ञानता के अभाव में मनुष्य गलत मार्गों को अपनाकर जीवनभर दुःख उठाता रहता है।

मानवीय विद्युत् के बारे में हम पिछले कईं दिनों से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ज्ञानार्जन का प्रयास कर रहे हैं। यह एक ऐसा जटिल विषय है जिसे साधारण मनुष्य (Layman ) के अंतर्मन में उतार पाना कोई आसान कार्य नहीं है। हम भांति-भांति के प्रयासों (वीडियो आदि) से  इस विषय को समझने के यथासंभव प्रयास कर रहे हैं। 

आज के लेख में गुरुदेव की शिक्षा का मुख्य लक्ष्य “विचार क्रांति Thought revolution” को विचारों की बिजली के साथ कनेक्ट करने का प्रयास किया है। विचार क्या होते हैं, उनका वैज्ञानिक बेसिस क्या है, एक ही प्रकार के विचार कैसे परस्पर  खिंचे चले आते हैं,  भगवान् एक ही विचारधारा के मनुष्यों को  कैसे एक दूसरे के साथ जोड़ते हुए एक छोटे से परिवार ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार एवं एक विशाल अखिल विश्व गायत्री परिवार को जन्म देते हैं। 

तो आइए सप्ताह के प्रथम दिन सोमवार को गुरुकक्षा में गुरुचरणों में समर्पित होकर आज के ज्ञानप्रसाद का अमृतपान करें। 

आज के लेख के साथ संलग्न किया गया प्रज्ञा गीत हमारी सबकी परम आदरणीय बहिन सुमनलता जी के कमेंट को सार्थक कर रहा है। बहिन जी का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं। 

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हमारी मानसिक विद्युत में से प्रतिक्षण जो लहरें उठती रहती हैं, उन्हें “विचार” नाम से पुकारते हैं। विचार केवल एक शब्द नहीं है, वरन् एक मूर्तिमान पदार्थ है, जिसे वैज्ञानिक यंत्रों की सहायता से प्रत्यक्ष देखा जाने लगा है। 

आज विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि जिस प्रकार ECG (Electrocardiography) से ह्रदय के अंदर हो रही हलचल एवं विकारों का निरीक्षण किया  जाता है, EEG (Electroencephalograph)  से मस्तिष्क का निरीक्षण किया जाता है, उसी तरह Thoughtography से  मनुष्य के  मन में उठ रहे विचारों का अध्ययन किया जा सकता है।     इस तकनीक से एक पोलरॉइड कैमरे की सहायता से मन में उठ रहे विचारों की ठीक उसी तरह फिल्म बनाई जा सकती है जैसे कभी साधारण कैमरे से फोटो ली जाती थी। Polaroid कैमरा वही कैमरा होता है जिसमें से फोटो स्वयं ही बन कर निकल आती है, उसे लेबोरेटरी में ले जाकर develope और प्रिंट करने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है  कि विचारों के उठने और जागृत होने का समय बहुत ही संक्षिप्त होता है, इंस्टेंट होता है। 

आइये ज़रा देख लें कि विचार( सकारात्मक एवं नकारात्मक) क्या होते हैं ? 

मनुष्य के मस्तिष्क में उठने वाली अभिव्यक्ति को ही दुसरे शब्दों में विचार कहा गया है। जो विचार प्रकाशन के लिए ठाठें मार रहे हों उन्हें ही अभिव्यक्ति कहा गया है। मन में उठ रहे विचार और कुछ नहीं मस्तिष्क की विद्युत् तरंगें (Electric currents) ही हैं। मनुष्य के मस्तिष्क में से हर घड़ी विचार निकल कर बाहर की ओर उड़ते रहते हैं, उन उड़ते विचारों की तस्वीर ठीक वैसी ही Picturise की गयी है, जैसी  मनुष्य की कल्पना होती  हो ।

हम में से लगभग सभी ने सरोवर के पानी में उठती लहरें देखी होंगी। इन लहरों को ध्यान पूर्वक देखने से नोटिस किया होगा कि यह चाहे किसी भी जगह से उठी हों, समाप्त वहीं जाकर होंगी जहाँ पर पानी का अंत होगा यानि सरोवर का किनारा। सरोवर का किनारा, पानी का अंत चाहे कितनी भी दूर क्यों न हो लहरें  बराबर बहती रहेंगी और जब किनारे पर पहुँच जाएँगी तो “पृथ्वी की आकर्षण शक्ति” लहरों के  वेग को अपने अंदर खींच लेती है । यही वोह स्टेज है जहाँ लहरों का अंत हो जाता है और पानी शांत हो जाता है।

पानी की लहरों की तरह ही  मन में उठने वाले विचारों का अंत भी तभी हो पाता  है जब कोई किनारा आकर अपनी आकर्षण शक्ति प्रदान करता है। यहाँ एक और तथ्य वर्णन करने योग्य है : सरोवर में उठ रही पानी की लहरों में अगर कोई पत्थर फेंकता है तो पानी की छींटें बाहर खड़े मनुष्य के ऊपर पड़ती है। ठीक उसी तरह जब मनुष्य के मस्तिष्क में विचारों का युद्ध चल रहा होता है तो कोई बाहरी शक्ति (किसी दूसरे की सलाह, मार्गदर्शन) विचारों में एक उबाल सा पैदा करता है। विचार कर रहे मनुष्य को अगर सलाह पसंद नहीं आती तो उस उबाल की  छींटें रोष की शक्ल में  सलाहकार के ऊपर अवश्य ही पड़ते हैं।    

जैसा पहले ही  वर्णन किया है, विचार “मानसिक विद्युत” की लहरें हैं और यह विश्व ब्रह्मांड में व्याप्त आकाश (ईथर) तत्त्व में उठती हैं। आकाश अनंत है,यानि उसका कोई अंत नहीं है। यही कारण है कि आकाश तत्व में उठ रही मानसिक विद्युत् की लहरें जिन्हें हम विचारों की लहरें कहते हैं, उनका कोई अंत नहीं है, विचार की यह लहरें निरंतर बहती ही रहती है । 

विचार भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं, मुख्यता तो केवल दो ही प्रकार के होते हैं; सकारात्मक एवं नकारात्मक। इस  भिन्नता के कारण विचारों के रंग रूप में भी अंतर आ जाता है। यही कारण है कि ब्रह्माण्ड में व्याप्त, सदैव गतिशील,विचार  मिल-जुलकर एक नहीं हो जाते बल्कि अलग-अलग बने रहते हैं। हाँ एक जैसे विचार दूर-दूर से इकट्ठे होकर घने होते रहते हैं, जैसे अलग-अलग स्थानों की  भाप एक जगह जमा होते-होते बादल बन जाती है।  

Law of attraction क्या है ?

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार  Like-minded साथिओं का एक जमावड़ा है। इस जमावड़े में सभी साथी एक ही विचारधारा के हैं एवं एक ही उद्देश्य के लिए कार्यरत हैं, यानि उनमें Law of attraction, चुम्बक का नियम काम कर रहा है। जिन साथिओं की  विचारधारा इस परिवार के साथ मेल नहीं खाती, वह एकदम repel कर जाते हैं और भाग खड़े होते हैं। यह बहुत ही साधारण सा,बेसिक लेवल का विज्ञान तो  है ही, लेकिन परम पूज्य गुरुदेव की दिव्य दृष्टि, यानि सौभाग्य किसी किसी को ही प्रदान हो पाता है और वही सौभाग्यशाली इस परिवार में प्रवेश पा  सकते हैं।         

इसका अर्थ यह निकलता है कि  Law of attraction भी Like attracts like के सिद्धांत पर ही आधारित है। सात्विक लोग सात्विक के साथ उठना/बैठना पसंद  करते हैं, आतंकवादिओं का आतंकवादिओं के साथ ही मेल-मिलाप होता है, पीने-पिलाने वाले अपनी  तरह के साथी ढूंढ ही लेते हैं यां उनके पास चुम्बक की भांति खिंचे चले आते हैं। Law of attraction पर विश्वास न करने वालों ने इसे Pseudoscience कहा है।    

19 वीं शताब्दी में अमेरिका से आरम्भ हुई “New thought movement” ने  Law of attraction को जन्म दिया जो उसी प्राकृतिक सिद्धांत का पालन करता जिसके  अनुसार पानी के लहरें चलती है। इस चर्चा में केवल सरोवर के पानी की बात ही हो रही है, सागर के पानी में उठ रही लहरों का अलग विज्ञान है जिसे किसी और लेख में वर्णन करना उचित होगा।  

हालाँकि Law of attraction का विरोध करने वाले भी अनेकों हैं लेकिन आज के युग में यह Law इतना लोकप्रिय हो चुका  है कि इसे “Law of Love” का नाम दिया गया है।  20वीं सदी में इस विषय में दिलचस्पी बढ़ी और इसके बारे में कई पुस्तकें  लिखी गईं, जिनमें से दो अब तक की सबसे अधिक  बिकने वाली पुस्तकें  हैं; Napoleon Hill  द्वारा Think and  grow rich  (1937) और Norman Vincent Peale द्वारा The power of positive thinking  (1952) 

2006 में Law of attraction  की अवधारणा का फिल्मांकन “The secret”  (2006) मूवी  की रिलीज के साथ नए सिरे से हुआ और इस अवधारणा को  प्रचार मिला, जिसे बाद में उसी वर्ष, उसी शीर्षक की एक पुस्तक के रूप में विकसित किया गया। फ़िल्म और किताब को व्यापक मीडिया कवरेज मिला और  इसके बाद 2010 में “The power”  नामक sequel आया, जो Law of  attraction  को Law of love  बताता है। 

आधुनिक version में Law of attraction/love  को एक “अभिव्यक्ति” के रूप में जाना जाता है। इस version के  अनुसार मनुष्य की इच्छाओं की पूर्ति के लिए Self-help की आवश्यकता के साथ-साथ, सकारात्मक सोच/विचार और ब्रह्माण्ड की अदृश्य शक्ति से अनुरोध करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि मनुष्य अक्सर ऊपर (ब्रह्माण्ड) हाथ उठा कर कहता है, सब ऊपर वाले की कृपा है, जबकि ऊपर तो नीला आकाश ही है,और कुछ नहीं।       

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर अभिव्यक्ति शब्द लगभग प्रतिदिन ही प्रयोग किया जाता है। हमारा पूर्ण विश्वास है कि लगभग सभी साथी इस शब्द से भलीभांति परिचित हैं लेकिन अनेकों ऐसे भी होंगें  जिन्हें इस शब्द का सही अर्थ न मालूम हो तो उनके लिए इतना ही कहना काफी होगा कि अभिव्यक्ति का अर्थ “विचारों का  प्रकाशन” होता  है। 

मनोवैज्ञानिकों ने किसी तथ्य/बात को express/explain करने के लिए अभिव्यक्ति को मुख्य साधन माना है। इसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों  को प्रकाशित करता है  तथा अपनी भावनाओं को लिखित रूप देता है।

इस लेख श्रृंखला में बार-बार दोहराया  जा रहा है कि Electricity और Magnetism का चोली दामन का साथ है, दोनों एक दूसरे से बंधे हुए हैं। यही कारण है कि  विचार एक-दूसरे को खींचते रहते हैं। मनुष्य जैसा विचार करता है, मस्तिष्क में उसी टाइप  की आकर्षण शक्ति पैदा होती है और मस्तिष्क आकाश में उड़ने वाले उसी प्रकार के विचारों को पकड़कर अपने अंदर खींच लेता है। इसका कारण है कि उस प्रकार का विचार कभी अनेकों  व्यक्तियों ने किया होगा और उनका अनुभव जो ब्रह्माण्ड में  उड़ता फिर रहा था, किसी को  मिल गया और उसने उसे ग्रहण कर लिया। 

परोपकार और भलाई के विचार करने से वैसे ही विचारों का जमाव होता है और हृदय बड़ी शांति तथा शीतलता अनुभव करता है। इसके विपरीत क्रोध, घृणा, पाप, कपट के विचार मन को बैचेन बना  देते हैं। 

इसलिए “मनुष्य जो बात सोचता है  उसके संबंध में बहुत सी नई बातें मालूम कर लेता है।” अगर हम इस स्टेटमेंट को आज के लेख के बारे में स्वयं के लिए apply  करें तो शायद अतिश्योक्ति न हो। हमने तो दो दिन पहले से ही निर्णय कर लिया था कि परम पूज्य गुरुदेव की रचना “मानवीय विद्युत के चमत्कार” के पांचवें चैप्टर पर ज्ञानप्रसाद compile  करना है लेकिन ज्यों ज्यों पढ़ते गए, समझते गए, नए-नए विचार करवटें लेते रहे और हम गूगल की सहायता से बहुत कुछ नया सीख गए जिसमें से कुछ थोड़ा सा अपने साथिओं के समक्ष प्रस्तुत करने में समर्थ हो पाए। 

कल वाला लेख इससे भी रोचक और ज्ञानवर्धक होने वाला है। 

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आज 13  युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। अरुण जी ने आज बड़े दिनों के बाद गोल्ड मैडल की गद्दी प्राप्त की है, बहुत बहुत बधाई अरुण जी । सभी का योगदान के लिए धन्यवाद् । 

(1)संध्या कुमार-39 ,(2)सुमनलता-42,(3)सुजाता उपाध्याय-28 ,(4 )चंद्रेश बहादुर-39 ,(5 )अनुराधा पाल-28,(6) सरविन्द पाल-31,(7)रेणु श्रीवास्तव-37,(8)नीरा त्रिखा-28 ,(9) अरुण वर्मा-56,(10)मंजू मिश्रा-28,(11)प्रशांत सिंह-24,(12)पुष्पा सिंह-27,(13) वंदना कुमार-24             

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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