परम पूज्य गुरुदेव के सूक्ष्म संरक्षण एवं मार्गदर्शन में रचे गए ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा Open forum दिन होता है जब अध्ययन को एक तरफ रख दिया जाता है और बात की जाती है सप्ताह के पांच दिन की शिक्षा की, जिसका आधार साथिओं के कमैंट्स और काउंटर कमैंट्स होते हैं, बात की जाती है साथिओं की गतिविधियों की, बात की जाती है इस छोटे से किन्तु समर्पित परिवार के सदस्यों के दुःख-सुख की, बात की जाती है आने वाले दिनों की रूपरेखा यां फिर गायत्री परिवार से सम्बंधित कोई भी विषय जिसे परिवारजन उचित समझें, इसीलिए इस विशेषांक को Open forum की संज्ञा दी गयी है।
तो आइए निम्लिखित शब्दों में ऐसे ही वातावरण को pointwise picturize करने का प्रयास करें :
1.हमारे साथी इस बात से पूरी तरह सहमत होंगें कि दैनिक ज्ञानप्रसाद, दैनिक शार्ट वीडियो साप्ताहिक वीडियो, साप्ताहिक स्पेशल सेगमेंट के इतने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद हम अधिक से अधिक कमेंट पढ़ कर रिप्लाई करने का प्रयास करते हैं और जो भी महत्वपूर्ण कमेंट होता है उसे सेव करके रख लेते हैं और समय आने पर परिवार के मंच पर प्रस्तुत करते हैं। आज हम दो निम्नलिखित कमेंट आपके समक्ष रख रहे हैं, हमने तो रिप्लाई कर ही दिया था, आपके विचार जानने की जिज्ञासा है :
त्रिभुवन सिंह जी लिखते है: मैं 1983 से प्रज्ञा अवतार से जुड़ा हूँ। गुरु जी का कहना है कि इस सृष्टि में एक नियम चलता है “बोओ और काटो का सिद्धांत” ,जिसे कोई देवी देवता या गुरु मिटा नहीं सकता। मैं नहीं मानता, सिर्फ डर के नाते भगवान को मानता हूँ।
दीप उपाध्याय नामक एक परिजन ने भी ईश्वर एवं कर्मफल के बारे में शंका जताई थी। हमने तब भी लिखा था आज फिर से लिख रहे हैं कि गुरुदेव के साहित्य की सहायता से अगर हम नास्तिकवाद और अध्यात्मवाद का फर्क बताने में कुछ हद तक ही सही, सफल हो पाएं तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। यह प्रतक्ष्यवाद, भौतिकवाद, तर्कवाद आदि की ही देन है कि आज का मानव कर्मफल को तो क्या, ईश्वर के अस्तित्व को ही मानने से इंकार कर रहा है।
हमारी सफलता केवल हम सबके परिश्रम पर ही आधारित है। योगेश जी बार-बार लिखते हैं कि आप अमृत पिला रहे हो, साथ ही वोह गुरुदेव को quote करते हुए लिखते हैं कि गुरु साहित्य का अमृतपान करवाना 75 % गुरुकार्य है,यज्ञ,अनुष्ठान, माला फेरना आदि मात्र 25 % ही है। गुरु साहित्य चाहे किसी भी माध्यम से हो, (वीडियो, ऑडियो, लेख, शुभरात्रि सन्देश, कमेंट, काउंटर कमेंट) उसे समझना,औरों को समझाना ,अंतरात्मा में उतारना ही सही मायनों में अमृतपान है, अमृत (Elixir) एक ऐसे Ingredient के लिए प्रयोग किया जाता है जो मृत्यु को भी टाल सकता है। अगर इस स्तर का ज्ञान समझ आया होता त्रिभुवन सिंह और दीप उपाध्याय जैसे अनेकों लोग ऐसे कमेंट न लिखते।
2. हमारी सबकी आदरणीय एवं लोकप्रिय बहिन सुमनलता जी का निम्नलिखित कमेंट परिवार में शेयर करने योग्य है। बहिन जी “ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार” के बारे में लिख रही हैं,उनकी भावनाएं बहुत ही सम्मानीय हैं। आदरणीय योगेश शर्मा जी पिछले कई वर्षों से मोबाइल ज्ञानरथ चला रहे हैं, यह ज्ञानरथ बेशक एक स्थिर वैन है लेकिन योगेश जी की श्रद्धा से ओतप्रोत है।
बहिन जी लिखती हैं :
हम आभारी हैं कि आपने, गुरुदेव के ज्ञानरथ को ऑनलाइन चलाने के एक “उपयोगी विचार” को जन्म दिया। सामान्यतः तो ज्ञानरथ को स्थान विशेष पर खड़ा कर गुरुदेव के साहित्य का वितरण किया जाता है। जहाँ हम स्वयं जाकर साहित्य लाते हैं और फिर अपनी सुविधानुसार उसका अध्ययन करते हैं लेकिन OGGP का ज्ञानरथ प्रतिदिन हमारे पास आता है, और हमें उसको अध्ययन के लिए प्रेरित करता है। इतना ही नहीं, हमें उसके संबंध में अपने विचार प्रकट करने की भी सुविधा है जहाँ हम अपनी शंकाओं का समाधान भी आपसे प्राप्त करते हैं। हमें तो ऐसा लगता है कि मोबाइल ज्ञानरथ की तुलना में ऑनलाइन ज्ञानरथ अधिक ज्ञान प्रसार कर रहा है। युगऋषि के साहित्य से अनेकों को लाभान्वित कर रहा है। इसीलिए हम आपको ऑनलाइन ज्ञानरथ का “जन्मदाता” मानते हैं। ऐसा आविष्कार अन्य किसी ने नहीं किया। यह आपके विज्ञान की देन है।
सुमनलता जी के कमेंट पर अनेकों साथिओं ने कमेंट किये लेकिन हम सबकी बेटी संजना ने इस कमेंट का समर्थन करते हुए यहाँ तक लिख दिया कि हम स्वयं एवं हमारा परिवार ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के अपनत्व का साक्षात् प्रमाण हैं। अगर किसी को भी हमारे कहने के प्रति कोई शंका है तो अपने आसपास यां स्वयं के परिवारजन ढूँढ लें जो इस परिवार की तुलना में अधिक प्यार देते हों और निष्काम भाव से देते हों।
3.अपनत्व की भावना से ओतप्रोत आदरणीय सुमन लता बहन जी – प्रस्तुत करता सरविन्द कुमार पाल :
हम बहुत ही श्रद्धा व आदर के साथ अवगत कर रहे हैं कि हमें आनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई कि हम सबकी समर्पित सहकर्मी आदरणीय सुमन लता बहन जी युगतीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार का तीर्थसेवन कर रही हैं तो नैतिकता के आधार पर हमने whats app के माध्यम से आदरणीय बहन जी से अनुरोध किया कि
“अपने अनुज सरविन्द कुमार पाल के जीवन की भलाई के लिए परम पूज्य गुरुदेव से एक लिखित अनुरोध कर देना ताकि हम सब विचलित न हों और भटकें नहीं।”
भाई साहिब लिखते हैं कि हम अनुरोध करने के लिए विलंब हो गए थे और बहन जी शांतिकुंज से अपने घर दिल्ली आ चुकी थीं l
यहाँ देखने वाली बात यह है कि हमारी विनती बहिन जी तक पंहुची भी नहीं लेकिन उन्होंने फिर भी परम पूज्य गुरुदेव के दिव्य दरबार में हमारे लिए, हमारे परिवार के लिए और विशेषकर आप सबके बेटे आयुष कुमार पाल के उज्ज्वल भविष्य के लिए, गुरुदेव से प्रार्थना कर दी l
यह जानकर हमें बहुत ही खुशी हुई और आँखों में खुशी के आँसू आ गए कि सचमुच में हम सबकी आदरणीय बहन जी किसी भी दिव्य शक्तियों से कम नहीं हैं और साझात देवी का रूप हैं, जिनके अंतःकरण में श्रद्धा व समर्पण की कोई कमी नहीं है। बहिन जी अपनत्व की भावना से ओतप्रोत हैं l अक्सर कहा जाता है कि अंतःकरण की आवाज, ईश्वर की आवाज होती है जो सदैव सत्य साबित होती है और कभी निष्फल नहीं जाती है।
हमारे अनुरोध के रिप्लाई में आदरणीय बहन जी के कर-कमलों द्वारा लिखे गए निम्नलिखित शब्द अंतःकरण की ही भावना व्यक्त कर रहे हैं :
भाई साहब हम 30 तारीख को वापस आ गए थे। हमने समाधि स्थल पर गुरुदेव को नमन करते हुए उनसे प्रार्थना की थी कि हमारे ज्ञानरथ के कुछ सहकर्मी भी शांतिकुंज आने की तीव्र अभिलाषा रखते हैं, लेकिन आ नहीं पा रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि बेटी सब आएंगे, लेकिन तब, जब उनका उचित अवसर होगा। उस समय हमारे मन में आपका और निशा बहिन जी का ही नाम आया था। आप प्रतीक्षा कीजिए,वो आपको अवश्य बुलाएंगे।आपके लिए तो कह रहे थे कि वो जहाँ पर हैं ,अभी उन्हें वहीं पर बहुत काम करने हैं।
आप आयुष की चिंता मत कीजिए। अपने संस्कारों और गुरुदेव पर विश्वास रखिये,वो एक होनहार बच्चा है,उसका ध्यान कभी विचलित नहीं होगा। जो बेटा इतनी कम आयु में गुरुदेव से जुड़ गया है, वो अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकेगा।आप विचार कीजिए,वो तो आपके पदचिन्हों पर ही चल रहा है।आप भी तो किशोर वय से गुरुदेव से जुड़े थे। गुरुदेव की कृपा से वह भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा। यह हमारा विश्वास कहता है, उसकी ज्ञानरथ में धैर्य पूर्वक नियमित सहभागिता को देख कर।
निशा जी के शांतिकुंज जाने की बात हमने स्पेशल सेगमेंट में mention की थी। सुमनलता जी ने सरविन्द जी द्वारा वर्णन की गयी बात हूबहू यूट्यूब पर कमेंट करके गुरुदेव की शक्ति से सभी की अवगत कराया था बहिन जी ने गुरुदेव की शक्ति में अटूट विश्वास के कारण निशा जी को कमेंट करके लिखा था कि हमने आपकी मनोव्यथा गुरुदेव तक पंहुचा दी है। गुरुदेव ने आश्वासन दिया है कि वो आपको शीघ्र बुलाएंगे। हमारी वार्ता तो गुरुदेव के साथ उसी भाषा में होती है,जिसे कान नहीं, मन सुनता है।वो जो कहते हैं हम मानते हैं।वो हमें जो कहते हैं, पूरा भी होता है। हमें अपने गुरुदेव पर पूरा विश्वास है, कोई करें न करें।
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के साथिओं को मालूम होगा कि निशा जी को गुरुदेव ने तुरंत ही बुला लिया।
शायद यही है, अंतरात्मा की वाणी की शक्ति !
निशा बहिन जी द्वारा ह्रदय के पुष्पों से संजोई गयी “शांतिकुंज कविता” हमारे साथिओं ने शुभरात्रि सन्देश में अवश्य देखी होगी, आज फिर शेयर कर रहे हैं ,अगर किसी कारणवश मिस हो गयी हो, इस सौभाग्यपूर्ण अवसर का आनंद प्राप्त कर लें।
निशा बहिन जी की कविता ने ऐसा रंग लाया कि सभी चकित रह गए, यह अंतर्मन की वाणी है जिसे ईश्वर शीघ्र अति शीघ्र सुनते हैं। कुछ इसी तरह द्रौपदी चीरहरण के समय भगवान कृष्ण ने कहा था। द्रौपदी ने जब भगवान् को बुलाया तो वोह दौड़े आये थे, जब द्रौपदी ने कहा कि आपने इतनी देर क्यों लगा दी तो उन्होंने कहा था,
“तुमने तो बुलाया ही नहीं था ,ज्यों ही मुझे बुलाया हम दौड़े चले आये।”
4.हमारे साथी जानते हैं कि मसूरी इंटरनेशनल स्कूल परम पूज्य गुरुदेव की रचना है। जिस प्रकार परम पूज्य गुरुदेव ने शुक्ला बाबा को कहा था “जा आँख बना” और मस्तीचक स्थित अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल का जन्म हुआ था, ठीक उसी तरह आदरणीय रावल जी नामक एक विदेशी को गुरुदेव ने कहा था, ”जा कन्या विद्यालय बना” और मसूरी इंटरनेशनल स्कूल का जन्म हुआ था। सीमित साधनों से आरम्भ हुआ बिहार मस्तीचक स्थित अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल कुछ समय पहले ही World famous Centre of Excellence का उद्घाटन हुआ है। यह है हमारे गुरुदेव की शक्ति।
मसूरी इंटरनेशनल स्कूल की वोह ऐतिहासिक वीडियो जिसे हम कभी भी भूल नहीं सकते यहाँ पर फिर से शेयर की जा रही है।
मसूरी इंटरनेशनल स्कूल की आदरणीय बहिन अंजू गुप्ता जी ने व्हाट्सप्प पर निम्नलिखित जानकरी शेयर की है जिसे हम अपने साथिओं के साथ शेयर करने में गर्व महसूस करते हैं। बहिन जी ने शांतिकुंज की यज्ञशाला में इसी स्कूल की बेटियों द्वारा यज्ञ करती एक पिक्चर भी शेयर की है। हम बहिन अंजू जी का ह्रदय से धन्यवाद् करते हैं।
5.आज के स्पेशल सेगमेंट का समापन हम आदरणीय ओम प्रकाश पांडे जी के स्वास्थ्य अपडेट के साथ कर रहे हैं। इन पंक्तियों को लिखते समय तक प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार पांडे भाई साहिब को एंजियोग्राफी के लिए वार्ड में शिफ्ट किया गया है। 9 अप्रैल 2024, 4:28 PM को साधना बहिन जी की पहली फ़ोन काल से लेकर अब तक इतना कुछ घटित हो चुका है कि compile करना कठिन सा लग रहा है। हमें जो जो जानकारी मिलती रही, हम अविलम्ब परिवार में शेयर करते रहे। परिवार के सभी साथिओं ने जो सहयोग दिया है, शब्दों से उनका धन्यवाद् नहीं किया जा सकता क्योंकि यह भावनाओं का खेल है।
समय आने पर विस्तृत विवरण लिखने का प्रयास करेंगें।
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आज मात्र 9 युगसैनिकों ने ही 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। अति सम्मानीय संध्या जी को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1),रेणु श्रीवास्तव-32,(2)संध्या कुमार-35,(3)सुमनलता-31,(4 )सुजाता उपाध्याय -33 ,(5)साधना सिंह-26,(6)नीरा त्रिखा-24,(8)चंद्रेश बहादुर-27,मंजू मिश्रा-25, विदुषी बंता-24
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


