8 अप्रैल 2024 का ज्ञानप्रसाद
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से हम परम पूज्य गुरुदेव की अद्भुत रचना “मानवीय विद्युत के चमत्कार” को आधार मानकर जिस लेख श्रृंखला का अमृतपान कर रहे हैं, आज उस श्रृंखला का आठवां ज्ञानप्रसाद लेख अपने समर्पित साथिओं के समक्ष प्रस्तुत है।
2011 में प्रकाशित हुई 66 पन्नों की इस दिव्य पुस्तक के दूसरे एडिशन में परम पूज्य गुरुदेव हम जैसे नौसिखिओं,अनुभवहीन शिष्यों को मनुष्य शरीर की बिजली एवं उस बिजली से सम्पन्न होने वाले कार्यों से परिचित करा रहे है। गुरुदेव बताते हैं कि जिस प्रकार “स्वास्थ्य विज्ञान, Health science” जानना हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार उसे अपनी सबसे मूल्यवान वस्तु “शारीरिक बिजली, Bodily electricity” के बारे में जानना चाहिए। गुरुदेव कहते हैं कि कितने दुःख की बात है कि हम में से बहुत से सुशिक्षित लोग भी इस “महत्त्वपूर्ण विज्ञान” की मोटी-मोटी बातों से परिचित नहीं हैं। इस अज्ञानता का परिणाम यह होता है कि इस महत्वपूर्ण जानकारी के अभाव में मनुष्य गलत मार्गों को अपनाकर जीवनभर दुःख उठाता रहता है।
हमारे विचार में इस विस्तृत एवं जटिल विषय को समझना सरल तो नहीं है लेकिन जितना भी समझ आ जाए लाभदायक ही होगा।
आज का ज्ञानप्रसाद लेख ज़रा लीक से हटकर है। आज विस्तृत लेख के बजाए तीन छोटी- छोटी वीडियोस ज्ञानप्रसाद का हिस्सा बन रही हैं। हम जानते हैं कि हमारा शरीर एक चलता फिरता बिजली घर है जिसमें अथाह बिजली का उत्पादन हो रहा है। प्रश्न उठता है कि इस बिजली का प्रयोग हम बल्ब जलाने, मोबाइल फ़ोन चार्ज करने जैसे कार्यों के लिए कर सकते हैं। इन वीडियोस में इसी प्रश्न का उत्तर मिलने की सम्भावना है।
विज्ञान के क्षेत्र में हुए विकास के बारे में इतनी प्रगति हो चुकी है कि 1969 में नासा ने जिस कंप्यूटर से मानव को चाँद की सतह पर उतारा था, आज का स्मार्टफोन उस कंप्यूटर से अधिक शक्तिशाली है।
जिस पुस्तक को आधार बना कर हम यह लेख श्रृंखला आपके समक्ष ला रहे हैं,उसके अध्ययन से पता चलता है कि परम पूज्य गुरुदेव कितने बड़े वैज्ञानिक थे/हैं। आज के लेख को लीक से हटकर प्रस्तुत करने का कारण ही यही है कि इस पुस्तक में जितना ज्ञान प्रस्तुत किया गया है, उसे समझने के लिए अनेकों अलग-अलग रिफरेन्स अध्ययन करने आवश्यक हैं। ऐसा करने में confuse होना स्वाभाविक है और उस confusion में से अपने साथिओं के लिए सरल सा, Easy-to-understand,कंटेंट निकाल पाना हमारे लिए चुनौती बन जाता है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के समर्पित साथिओं द्वारा हमारे परिश्रम का मूल्यांकन भी हमारे लिए एक चुनौती ही होता है। यही कारण है कि प्रत्येक लेख बार-बार हथोड़े की मार सह कर, परिष्कृत होकर ही साथिओं के समक्ष पहुँचता है, अगर फिर भी कोई त्रुटि रह जाती है तो वह यां तो अनजानवश होती है यां अज्ञानता के कारण होती है जिसके लिए हमारे साथी हमें क्षमा कर देंगें, ऐसा हमारा विश्वास है।
तो आइए स्वच्छ अंतःकरण से, विश्वशांति का कामना के साथ गुरूकक्षा की और प्रस्थान करें।
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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आज के लेख में लेख में दी गयी 3 वीडियोस में, सबसे बड़ी वीडियो लगभग सात मिंट की है, जो हिंदी भाषा में है। यह वीडियो “हमारा शरीर एक चलता-फिरता बिजली घर है” तथ्य को प्रमाणित कर रही है। लेख में तो इस तथ्य की बेसिक जानकारी हमें प्राप्त हुई थी, लेकिन वीडियो देखने से इस विषय में अतिरिक्त रोचकता आएगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
बेसिक विज्ञान के विद्यार्थी इस बात से परिचित होंगें कि विदूयत और चुंबकत्व (Electricity and magnetism) का चोली दामन का साथ है। जहाँ इलेक्ट्रिसिटी की बात होती है मैग्नेटिस्म साथ ही होता है। हाई स्कूल की आरंभिक कक्षाओं में Electricity and magnetism का एक ही इक्क्ठा चैप्टर होता है। इस वीडियो में भी कुछ ऐसा ही दर्शाया गया है।
दूसरी दो वीडियोस सरल अंग्रेजी भाषा में हैं जिन्हें समझना कोई कठिन नहीं है। हमारे कुछ ऐसे साथी अवश्य होंगें जिन्हें यह दो वीडियोस की इंग्लिश समझ पाने में कठिनाई अनुभव हो, उनके लिए हमारा यही सुझाव है कि मात्र देखने से ही बहुत कुछ समझ आ जाएगा।
इसी लेख श्रृंखला के किसी आरंभिक लेख में हमने लिखा था कि मानव शरीर में 2000 वाट तक की बिजली का उत्पादन हो सकता है। यह उत्पादन इतना बड़ा है कि 100 वाट के 10 बल्ब रोशन किए जा सकते हैं। मानव शरीर से पैदा होने वाली बिजली एक अति विस्तृत सब्जेक्ट Bioelectricity, Biomagnetism, Bio-electro-magnetism के अंतर्गत पढाया जा रहा है, शोध हो रहा है, और उस शोध से प्राप्त हुए परिणामों को मानव विकास के लिए प्रयोग किया जा रहा है।
मानव शरीर की हरकतों (Movements) से अथाह बिजली का उत्पादन हो रहा है। एक बार सांस लेने में 0.83 वाट बिजली का उत्पादन होता है। बाजू की हरकत करने में 60 वाट बिजली का उत्पादन होता है । मानव दिल एक वर्ष में 40 मिलियन (4 करोड़) बार धड़कता है,इस धड़कन से इतनी बिजली पैदा हो जाती है जिससे cell phone, hearing aids,एवम न जाने कौन-कौन से Electronic gadgets चार्ज किए जा सकते हैं। MIT अमेरिका का एक रिसर्च इंस्टिट्यूट है। इस इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक,वर्षों से शोध कर रहे थे कि मानव शरीर में उत्पादित हो रही बिजली को दैनिक जीवन में कैसे प्रयोग किया जाए। इन वैज्ञानिकों के शोध का ही परिणाम है कि आज wireless, cordless,leadless पेसमेकर उपलब्ध है। इस आधुनिक पेसमेकर की विशेषता है कि यह ह्रदय की धड़कन से ही चार्ज हो सकता है और बहुत ही छोटे साइज का है, दवाई के एक कैप्सूल जितना। पुराने पेसमेकर की बैटरी बदलने के लिए ऑपरेशन करना पड़ता है जबकि नए वाले में ऐसा कुछ नहीं है। wireless, cordless ,leadless होने के कारण बिजली की तारों के झंझट से भी छुटकारा है। इस पेसमेकर को दिल में रखने के लिए भी ऑपरेशन आदि की कोई आवश्यकता नहीं है, रोगी की जांघ में से एक पतली सी कैथेटर (नली) के द्वारा दिल तक पंहुचा जाता है।
नीचे दिए गए दो वीडियो लिंक्स से विश्व के प्रथम wireless, cordless ,leadless पेसमेकर के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है
https://youtu.be/LceCqidBmKM?si=-daG821AGGPAhZay (4:31 मिनट)
https://youtu.be/I7Z694irJSU?si=Ub-sLT4qI050lOw4 (1:31 मिनट)
आज के ज्ञानप्रसाद लेख का यहीं पर समापन होता है, प्रस्तुत है आज की संकल्प सूची।
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आज 12 युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। अति सम्मानीय रेणु बहिन जी को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्। संकल्प सूची आज फिर से गति पकड़ चुकी है।(1)संध्या कुमार-39,(2)सुमनलता-28,(3) नीरा त्रिखा-27 ,(4 ) सुजाता उपाध्याय-43 ,(5)चंद्रेश बहादुर-44 ,(6)सरविन्द कुमार-33 ,(7) रेणु श्रीवास्तव-53 (8 )राधा त्रिखा-31,(9 )पूनम कुमारी-30,(10 ) मंजू मिश्रा-33,(11) निशा भारद्वाज-31,(12) अरुण वर्मा-45
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।