वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

OGGP के मंच से “अपने सहकर्मियों की कलम से” 6 अप्रैल,2024 का साप्ताहिक विशेषांक-  आचार्य श्रीराम पुस्तकालय 

परम पूज्य गुरुदेव के सूक्ष्म संरक्षण एवं मार्गदर्शन में रचे गए ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा Open forum   दिन होता है जब अध्ययन को एक तरफ रख दिया जाता है और बात की जाती है सप्ताह के पांच दिन की शिक्षा की, जिसका आधार साथिओं के कमैंट्स और काउंटर कमैंट्स होते हैं, बात की जाती है साथिओं की गतिविधियों की, बात की जाती है इस छोटे से किन्तु समर्पित परिवार के सदस्यों के दुःख-सुख की, बात की जाती है आने वाले दिनों की रूपरेखा यां फिर गायत्री परिवार से सम्बंधित कोई भी विषय जिसे सभी परिवारजन उचित समझें, इसीलिए इस विशेषांक को Open forum की संज्ञा दी गयी है। 

तो आइए निम्लिखित शब्दों में ऐसे ही वातावरण को pointwise picturize करने का प्रयास करें :

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1..आज के स्पेशल सेगमेंट का सबसे महत्वपूर्ण विषय हमारे वरिष्ठ एवं सबके आदरणीय डॉ चंद्रेश बहादुर सिंह जी की रिटायरमेंट से सम्बंधित है। इससे सम्बंधित प्रकाशित न्यूज़ आइटम परिवार में शेयर करते हमें अति प्रसन्नता हो रही है। हमारे कनाडा समयानुसार आज सुबह ही उपलब्ध हुई इस न्यूज़ आइटम में सब कुछ वर्णन है लेकिन हम अपनी व्यक्तिगत एवं परिवार की शुभकामना देते हुए कहेंगें कि भाई साहिब आपको बधाई हो, आप जीवन के स्वर्णकाल में प्रवेश कर रहे हैं। यह स्वर्णकाल आपका बाँहें फैलाकर स्वागत कर रहा है है। कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा प्रयोग किये गए “निष्काम कर्मयोगी” विशेषण से हम पूर्णतया सहमत हैं। 

हर किसी व्यक्ति के लिए स्वर्णकाल की परिभाषा अपनी ही प्रवृति के अनुसार होती है, लेकिन भाई साहिब के लिए सेवानिवृति  के बाद वाले  समय को  स्वर्णकाल कहना हमारे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है। यही एक ऐसा समय है जब हम जो कुछ चाहें कर सकते हैं, जिसके लिए सारा जीवन तरसते रहे थे, अब वोह समय आ गया है कि समाज के प्रति कुछ योगदान दे सकें। हम तो कहेंगें कि भाई साहिब का सौभाग्य है कि उन्हें  OGGP परिवार पहले से ही मिला हुआ है जहाँ वह जो कुछ भी चाहें,जितना भी चाहें, बिना किसी रोकटोक के, समयदान, ज्ञानदान, श्रमदान आदि से अपने जीवन के इस स्वर्णकाल को गुरुकार्य में समर्पित होकर उत्तम लाभ ले सकते हैं। 

भाई साहिब जी के गले में फूल मालाएं देखकर आशा की जा सकती है कि गुरुदेव के अनमोल विचारों का पालन हो रहा है। धूमधाम एवं  फिज़ूलखर्ची के आज के युग में ऐसे अवसरों को भी एक विवाह समारोह बनाया जा रहा है, फूल मालाओं के स्थान पर नोट मालाएं अर्पित की जा रही हैं, दीप यज्ञ के स्थान पर भव्य पार्टियां,महंगे गिफ्ट्स आदि का प्रचलन गुरुदेव की शिक्षा के विरुद्ध है जिसका विरोध करना हमारा परम कर्तव्य है। 

अंत में इतना ही कहेंगें 

“आदरणीय चंद्रेश भाई साहिब का स्वर्णकाल की नवीन ऊर्जा, ज्ञान एवं शक्ति के साथ ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में एक बार फिर से स्वागत है। गुरुदेव से आग्रह करते हैं कि भाई साहिब पर अपनी अनुकम्पा की भरपूर वर्षा करें ताकि सभी लाभान्वित हो पाएं”

2.गायत्री परिवार द्वारा कारवास एवं बंधी  मनुष्यों के प्रति सक्रियता से हर कोई परिचित है। समय समय पर कारावासों में अनेकों कार्यक्रमआयोजन किये गए है जिनमें गुरुदेव के साहित्य का वितरण एवं जनसाधारण को गुरुदेव की शक्ति से परिचित कराने के लिए प्रयास किया जाता रहा है। हमारे साथी हमारे ही चैनल पर जयपुर(राजस्थान),भोपाल (मध्य प्रदेश) एवं सागर (मध्य प्रदेश)के कारागृहों में गायत्री परिवार द्वारा किये गए आयोजनों को देख सकते हैं। जेलों के सन्दर्भ में अपनी वेबसाइट पर हमने जून 2021 में जयपुर सेंट्रल जेल में गायत्री मंदिर की स्थापना से सम्बंधित लेख लिखे थे। इन लेखों में हमारी बहिन आदरणीय शशि संजय शर्मा जी का पूर्णतया योगदान था जिसके लिए हम उनके आभारी हैं। इसके साथ ही हम आदरणीय अनिल मिश्रा जी के  भी  आभारी हैं जिनके प्रयास से बहिन जी से सम्पर्क स्थापित  कर पाए। 

इसी दिशा में अग्रसर गायत्री परिवार का नवीनतम प्रयास आज के स्पेशल सेगमेंट में संक्षेप में, निम्नलिखित शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं। इस प्रयास के पूरे विवरण के लिए एक वीडियो लिंक भी दिया गया है : 

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जेलों के ज्ञानयज्ञ (ज्ञान भंडारे) में भागीदार बनें जेलों में गायत्री परिवार 

जेलों के ज्ञानयज्ञ( ज्ञान भंडारे) में कोई भी भागीदार हो सकता है।  बंदी साधना अभियान के अंतर्गत गायत्री परिवार द्वारा जेलों के भीतर “आचार्य श्रीराम शर्मा पुस्तकालय” की स्थापना का क्रम चल रहा है जिसमें ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सहकर्मी अपने  परिजनों की स्मृति में, जन्मदिवस, विवाह दिवस, मुंडन, विवाह संस्कार, दिवंगतों की श्राद्ध आदि अवसरों पर इस अद्भुत पुस्तकालय के लिए अलमारी / साहित्य आदि सहयोग कर सकते हैं। इसके लिए आपको कोई रूपया पैसा या अंशदान नहीं देना है बल्कि अपने सौजन्य से लोहे की अलमारी या युगसाहित्य (अथवा दोनों) की व्यवस्था करनी है। बंदी साधना अभियान की टीम जो इस पुस्तकालय की मैनेजमेंट संभाले हुए है, आपको स्वयं संपर्क करेगी और लाने ले जाने का सारा इंतेज़ाम स्वयं करेगी। 

3.अपनत्व एवं सहकारिता की प्रतिमूर्त हम सबकी आदरणीय बहिन सुमनलता जी के साथ पिछले सप्ताह  पूरे 52 मिनट वाइस कॉल हुई, ह्रदय प्रसन्न हो गया। इतनी बातें करने के बाद भी मन तो नहीं कर रहा था कि फ़ोन बंद किया जाए लेकिन इंडिया में रात हो रही थी। बहिन जी ने कॉल समाप्त   करते कहा हमने आपका इतना  बहुमूल्य समय नष्ट कर दिया। इसका उत्तर देते हुए हमने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव ने हमें जो छोटा सा ज्ञानरथ चलाने का बिज़नेस खोल कर दिया है यह फ़ोन कॉल उस बिज़नेस के लिए इन्वेस्टमेंट है। सभी साथी इस बिज़नेस के शेयर होल्डर हैं और शेयर होल्डर का फ़ोन अर्थात बिज़नेस को आगे लेकर जाने की Stratgey है, 52 मिंट यही तो होता रहा था।  

उसी दिन, बहिन  जी के तुरंत बाद काव्या बेटी का नियमित समय पर भेजे जाने वाला शुभरात्रि वॉइस मैसेज आया, समय के आभाव के कारण हम कभी-कभी तो रिप्लाई वॉइस मैसेज भेज देते थे लेकिन आज मन हुआ कि बेटी से वीडियो कॉल की जाए। लगभग 15 मिंट वीडियो कॉल  हुई, मन प्रसन्न हो गया।

यही गुरुदेव का अपनत्व है जिसके माध्यम से परम पूज्य गुरुदेव ने इतना बड़ा विशाल गायत्री परिवार खड़ा किया है।   

4.बहिन सुमनलता जी का निम्नलिखित कमेंट परिवार में शेयर करने योग्य है : 

हम आभारी हैं कि आपने, गुरुदेव के ज्ञानरथ को ऑनलाइन चलाने के एक “उपयोगी विचार” को जन्म दिया। सामान्यतः तो ज्ञानरथ को स्थान विशेष पर खड़ा कर गुरुदेव के साहित्य का वितरण किया जाता है। जहाँ  हम स्वयं जाकर साहित्य लाते हैं और  फिर अपनी सुविधानुसार उसका अध्ययन करते हैं। लेकिन OGGP का  ज्ञानरथ प्रतिदिन हमारे पास आता है, और हमें उसको अध्ययन के लिए प्रेरित करता है। इतना ही नहीं, हमें उसके संबंध में अपने विचार प्रकट करने की भी सुविधा है जहाँ  हम अपनी शंकाओं का समाधान भी आपसे प्राप्त करते हैं। हमें तो ऐसा लगता है कि मोबाइल ज्ञानरथ की तुलना में ऑनलाइन ज्ञानरथ अधिक ज्ञान प्रसार कर रहा है। युग ऋषि के साहित्य से अनेकों को लाभान्वित कर रहा है। इसीलिए हम आपको ऑनलाइन ज्ञानरथ का “जन्मदाता” मानते हैं। ऐसा आविष्कार अन्य  किसी ने नहीं किया। यह आपके विज्ञान की देन है।

(ये हमारे व्यक्तिगत विचार हैं। हमने जैसा देखा जैसा पाया और जो अनुभव किया वही व्यक्त कर दिया।)

बहिन जी के कमेंट के रिप्लाई में जहाँ हम उनका ह्रदय की गहराईओं से धन्यवाद करते हैं वहीँ हम कहेंगें कि जो कुछ भी रहा  है, वही कर रहे हैं, गुरुदेव को नमन है। 

5. Bioelectricity पर चल रही वर्तमान लेख श्रृंखला पर  दीप उपाध्याय नामक एक परिजन ने यूट्यूब पर निम्लिखित कमेंट किया:

समय समय पर महान आत्माऐं पृथ्वी पर आती रहीं है व स्वयं ईश्वर ने भी अवतार लिए  लोक कल्याण हेतु लेकिन फिर भी यहां दुःख है, शोक है, कलह है, पाप है, मलिनता है, भय है, क्रोध है, व्यभीचार है, दरिद्रता है, दीनता है, हीनता है, वैमनस्य है।  कुविचार तो जैसे हवा में ही मिश्रित हो, नारकीय जीवन की स्थापना करने को व्याकुल है तो यदि ईश्वर की इच्छा से ही महान आत्मा यहां आई और कुछ विशेष लाभ धर्म देश और विश्व का नहीं सम्भव हो सका तो ये सब विषम परिस्थति किसकी इच्छा से है ?

भाई साहिब के कमेंट का हमने निम्नलिखित रिप्लाई दिया: 

प्रतक्ष्य और अप्रत्यक्ष में बहुत कुछ हर समय होता रहता है जिससे मानव अनभिज्ञ है,वोह तो उसी पर विश्वास करता है जो उसे दिखाई देता है।

भाई साहिब के रिप्लाई से यही भावना दिखाई दी कि जो दिखता है उसे ही सत्य मान  लिया जाता है।

विशाल अप्रतक्ष्य जगत में प्रतक्ष्य की तुलना में जो कुछ हो रहा है साधारण मानव के लिए उसका तो अनुमान लगाना भी संभव नहीं है। गुरुदेव के साहित्य की सहायता से अगर हम नास्तिकवाद और अध्यात्मवाद का फर्क बताने में सम्भव हो पाएं तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। यह प्रतक्ष्यवाद,भौतिकवाद,तर्कवाद  आदि की ही देन है कि आज का मानव कर्मफल को तो क्या, ईश्वर के अस्तित्व को ही मानने से इंकार कर रहा है। 

हम आदरणीय विवेक खजांची जी के आभारी हैं जिन्होंने गुरुदेव की मास्टरपीस पुस्तक “ईश्वर कौन है, कैसा है, कहाँ है” भेज कर  हमारा कल्याण किया है। इसी पुस्तक का अध्ययन करते समय एक और  पुस्तक “ विवाद से परे ईश्वर का अस्तित्व” हमारे  हाथ लगी, हम तो कहेंगें” क्या पुस्तकें हैं !, सही मायनों में अमृत हैं। इसी सम्बन्ध  में बताना चाहेंगें कि आदरणीय अनिल मिश्रा जी ने “चमत्कारिक पल” की pdf कॉपी भेजी है। गुरुदेव के ही शिष्य आदरणीय दिनेश कुमार जी द्वारा लिखित यह पुस्तक भी मास्टरपीस ही है। हम अनिल भाई साहिब के आभारी हैं। 

हम यहाँ कहना चाहेंगें कि वैसे तो ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का संचालन परम पूज्य गुरुदेव ही कर रहे हैं, लेकिन अगर गुरुदेव हमारा निवेदन स्वीकार कर लें तो ईश्वर के अस्तित्व पर चर्चा करने की बड़ी इच्छा है, हम जानते हैं कि हमारे साथी भी यही चाहते हैं। 

6.बड़े हर्ष के साथ सूचित कर रहे हैं कि हमारी आदरणीय बहिन निशा जी की प्रार्थना गुरुदेव ने स्वीकार कर ली  है और वोह 9 अप्रैल तक शांतिकुंज में तीर्थसेवन कर रही हैं। अगर अभी भी किसी को गुरुदेव की शक्ति पर शंका है तो करते रहें, उनका हम कुछ नहीं कर सकते।  

7.आज के स्पेशल सेगमेंट का समापन आदरणीय बहिन साधना सिंह जी के निम्नलिखित  कमेंट से करते हैं :    

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार  में हमारी  और दो बेटियां हैं, उपासना और बबली।  दोनों  बेटियां प्रतिदिन लेख  पढ़ती है लेकिन  कमेंट नहीं करतीं।  बबली तो विद्यालय आकर ही लेख पढ़ती है और सभी को सुनाती है।  कल दिव्या  को भी बबली ने ही  है इस ग्रुप में जोड़ा है।

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आज 10  युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। अति सम्मानीय संध्या जी एवं रेणु जी को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।     

(1)संध्या कुमार-41 ,(2)सुमनलता-31,(3 ) नीरा त्रिखा-26,(4 ) सुजाता उपाध्याय-32   ,(5)चंद्रेश बहादुर-31,(6)सरविन्द कुमार-25 ,(7) रेणु श्रीवास्तव-38 (8 ) विदुषी बंता-29,(9 )राज कुमारी कौरव-25,(10) राधा त्रिखा-30     

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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