2 अप्रैल 2024 का ज्ञानप्रसाद
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से हम परम पूज्य गुरुदेव की अद्भुत रचना “मानवीय विद्युत के चमत्कार” को आधार मानकर इस लेख श्रृंखला की अमृतपान कर रहे हैं। आज इस लेख शृंखला का पांचवां ज्ञानप्रसाद अपने समर्पित साथिओं के समक्ष प्रस्तुत है।
2011 में प्रकाशित 66 पन्नों की इस दिव्य पुस्तक के दूसरे एडिशन में परम पूज्य गुरुदेव हम जैसे नौसिखिओं,अनुभवहीन शिष्यों को मनुष्य शरीर की बिजली एवं उस बिजली से सम्पन्न होने वाले कार्यों से परिचित करा रहे है। गुरुदेव बताते हैं कि जिस प्रकार “स्वास्थ्य विज्ञान, Health science” जानना हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार उसे अपनी सबसे मूल्यवान वस्तु “शारीरिक बिजली, Bodily electricity” के बारे में जानना चाहिए। गुरुदेव कहते हैं कि कितने दुःख की बात है कि हम में से बहुत से सुशिक्षित लोग भी इस “महत्त्वपूर्ण विज्ञान” की मोटी-मोटी बातों से परिचित नहीं हैं। इस अज्ञानता का परिणाम यह होता है कि इस महत्वपूर्ण जानकारी के अभाव में मनुष्य गलत मार्गों को अपनाकर जीवनभर दुःख उठाता रहता है।
हमारे विचार में इस विस्तृत एवं जटिल विषय को समझना सरल तो नहीं है लेकिन जितना भी समझ आ जाए लाभदायक ही होगा।
कल वाले लेख में हमने गुरुदेव द्वारा सुझाए गए 10 प्रयोगों में से पहले प्रयोग का वर्णन किया था। आज बाकि 9 प्रयोग जो बहुत ही सरल एवं घर में ही होने वाले प्रयोग हैं, का संक्षिप्त वर्णन है। साथिओं से निवेदन है कि अगर कोई इन प्रयोगों को Try करने का प्रयास करेगा तो उसे प्राप्त होने वाली सफलता इस लेख में बताई गयी सफलता से बिल्कुल अलग हो सकती है। इसका Logical explanation यही है कि हर मनुष्य के शरीर में दौड़ रही बिजली अलग है ,किसी में कम किसी में अधिक। इस विषय पर इतनी अधिक रिसर्च हो रही है कि हमनें जितना पढ़ा है उसे आपके समक्ष रख कर confuse नहीं करना चाहते। हाँ आज के लेख के साथ स्क्रीनशॉट अवश्य अटैच कर रहे हैं कि कोई शंका न रह जाए।
अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च ग्रुप के अनुसार मानव शरीर से 2000 वाट बिजली पैदा की जा सकती है जिससे 20 बल्ब रोशन हो सकते हैं, इस तथ्य को आप निम्नलिखित वीडियो लिंक में देख सकते हैं। वीडियो का आरम्भ ही 2000 वाट वाली बात से शुरू होता है ,बाकी तो सारी साइंस ही है जिसे आप छोड़ सकते हैं।
हमारे साथी संकल्प सूची के सिकुड़न से चिंतित हैं लेकिन हम इतने स्वार्थी एवं निर्दई तो हो नहीं सकते कि हमारे परिवारजन स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हों और हमें संकल्प सूची की चिंता हो। “साथी हाथ बढ़ाना” वाली बात शायद हो सकती हो।
प्रस्तुत हैं बाकि के 9 प्रयोग
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(2) आकर्षक प्रभाव
पालथी मार कर लकड़ी की चौकी पर बैठो। कुर्सी पर बैठना हो तो पाँव को लकड़ी के तख्ते पर रखो। जिस चौकी या तख्ते पर बैठे हो उसमें धातु की कोई ऐसी कील न लगी हो जो तुम्हें छूती हुई जमीन तक पहुँचती हो। इन बातों का ध्यान रखना इसलिए आवश्यक है कि अगर तुम्हारा शरीर जमीन को छू रहा होगा या धातु की कोई चीज़ शरीर को छूती हुई पृथ्वी तक पहुँच रही होगी तो शरीर की बिजली का प्रभाव Gravity और चुम्बक के कारण जमीन में खिंचने लगेगा और जिस वस्तु की परीक्षा करना चाहते हो उसे देखने में सफलता नहीं मिलेगी।
चौकी या कुर्सी पर पाँव ऊँचे करके बैठ जाएँ । दोनों हाथों को आपस में इस प्रकार मिलाओ कि हथेलियों और उँगलियों के सिरे आपस में मिल जावें। हथेली के बीच का भाग जरा सा खुला रह सकता है। एक मिनट तक हथेली और उँगलियों के सिरों को आपस में खूब चिपकाने का प्रयत्न करो। तदुपरांत हथेलियों को कस कर मिलाए रहते हुए उँगलियों को मिलाए रखने का प्रयत्न करो । ऐसा करने पर चारों उँगलियों में कँपकँपी मच जायेगी, वे एक दूसरे से अलग न होना चाहेंगी। किंतु जब तुम उनका चुंबकत्व भंग करके उन्हें अलग करना चाहते हो तो मानवीय चुंबक विद्युत के आकर्षण के कारण वे काँपने लगती हैं यह अनुभव बहुत सफलता से किया जा सकता है।
(3 ) जल का स्वाद परिवर्तन
एक मेज पर काँच के ग्लासों में पानी भरकर रखो । उनमें से एक में अपनी उँगलियों का अग्रभाग 4-5 मिनट तक डुबोये रखो और अनुभव करते रहो कि तुम्हारे शरीर की बिजली की शक्ति इस पानी में उतर रही है। इसके बाद किसी कुशाग्र (तेज़) बुद्धि के मनुष्य को उन दोनों जल पात्रों को दिखाओ या उन जलों में से थोड़ा-थोड़ा पिलाओ। वह व्यक्ति तुरंत ही बता देगा कि इस पानी के स्वादों में और रंगों में कितना अंतर है ।
( 4 ) चक्र में झनझनाहट
एक गोल मेज के चारों ओर कुर्सियाँ लगा कर कम से कम तीन और अधिक से अधिक सात व्यक्ति बैठें। स्थान शांत और हल्के प्रकाश का हो, एक प्रहर रात्रि जाने के बाद का समय इसके लिए उत्तम है। सब लोग शांत चित्त होकर बैठें और पाँव लकड़ी के तख्ते पर रखें। सब लोगों के हाथ आपस में मिलाकर एक चक्र बन जाना चाहिए। नंबर 1 स्थान पर बैठे मनुष्य पर शांत चित्त से दृष्टि की एकाग्रता करने पर एक विद्युत धारा बहने लगेगी और चक्र में बैठने वालों के हाथों में तथा शरीर के अन्य भागों में हल्की झनझनाहट मालूम होने लगेगी।
(5 ) मृत वस्तुओं को जीवित रखना
एक ही समय के टूटे दो फल या फूल या किसी मृत प्राणी के शरीर लो। एक को परीक्षा के तौर पर किसी दूसरे व्यक्ति के पास छोड़ दो और दूसरे को अपने पास रखो। दूसरा व्यक्ति उसे जहाँ चाहे वहाँ रखे तुम उस वस्तु को अपने पास रखो और थोड़ी-थोड़ी देर बाद उस पर जीवन रक्षा की भावना से दृष्टिपात करते रहो। इस प्रकार तुम देखोगे कि साथी की वस्तु सड़ने लगी है, किंतु तुम्हारी वस्तु में सड़ने का जरा भी प्रभावित न होगा, हाँ यदि दृष्टिपात अधिक तेज हुआ तो सूखने लगेगी।
फ्रांस के बोर्डों नगर में इस संबंध में बहुत अन्वेषण हुआ । वहाँ एक स्त्री ने अपने शरीर में विशेष रूप से आकर्षण पैदा कर लिया था, जिस वस्तु पर दृष्टि डालती वह कदापि न सड़ती । केवल फल-फूलों पर ही नहीं, वरन् मरे हुए मेंढ़क, खरगोश, मछली, सुअर आदि की लाशों पर भी यह परीक्षण किया गया। सूक्ष्मदर्शक यंत्रों से हफ्तों उन लाशों की परीक्षा होती रही, पर सड़ने का एक भी चिन्ह उनमें न देखा गया। कई ऐसी सड़ी हुई वस्तुएँ उस स्त्री के सामने उपस्थित की गईं जिनमें असंख्य जंतु उत्पन्न हो गये थे ।
(6 ) लटकती हुई वस्तु को झुलाना
सुई के छेद में धागा पिरोकर ऊपर छत में इस तरह बाँध दो कि सुई बीच में लटकती रहे। उस कमरे में हवा के झोंके न आने पावें, इसका प्रबंध रखो, अब उस सुई से तीन फुट के फासले पर तुम बैठो और उस पर दृष्टि जमाओ। कुछ ही देर में उसमें हरकत होने लगेगी और जिस तरफ चाहोगे, वह उसी तरफ हटने व हिलने लगेगी। जलती हुई मोमबत्ती या दीपक की लौ को भी इसी प्रकार मानवीय विद्युत के आधार पर हिलाया-झुलाया जा सकता है।
(7) जीव-जंतुओं पर प्रतिबंध
रामायण में ऐसा उल्लेख है कि लक्ष्मण जी एक रक्षित रेखा खींच कर चले जाते थे और उसके अंदर सीता जी निर्भय होकर बैठी रहती थीं। जब रावण सीता को चुराने पहुँचा तो उसका इतना साहस न हुआ कि उस रेखा के अंदर प्रवेश कर सके, अतएव उसे भिक्षुक का रूप बनाकर छल से सीता को रेखा के बाहर बुलाने का षड्यंत्र रचना पड़ा।
इस प्रकार की विद्युत रेखाएँ हर कोई खींच सकता है, लेकिन इन रेखाओं का असर रेखा बनाने वाले के बल के अनुसार ही होगा।
भूमि पर एक कोयले से कहीं छोटा-सा एक गोल घेरा चक्र की तरह खींच दो। खींचते समय उस रेखा में अपनी विद्युतमयी इच्छा का समन्वय कर दो और बैठकर तमाशा देखो। उधर से जो चीटिंयाँ या इसी प्रकार के छोड़े कीड़े निकलेंगे उनके लिए यह रेखा जलती हुई बालू के समान होगी। वे रेखा के समीप तक जाएँगे, किंतु उल्टे पाँव लौट आएँगे, उनसे इस रेखा को पार करना संभव नहीं हो पाएगा। यदि किसी छोटे कीड़े के आसपास ऐसी रेखा खींच दी जाय तो वह उससे बाहर न निकल पाएगा और उसी के अंदर ही घुमड़ता रहेगा। जब उसे कोई मार्ग न मिलेगा और अपनी जान हथेली पर रख लेगा, तब उस रेखा को पार करने को
उद्यत होगा। जब वह पार करेगा तो उसे बड़ा कष्ट होगा और निकलने के बाद ध्यान पूर्वक देखने से वह पीड़ित या पागल की तरह बेचैन दिखाई देगा।
(8) फोटो खींचना
फोटो खींचने के अच्छे प्लेट यां फोटो फिल्में आती हैं। यह फिल्में आँखों की अपेक्षा अधिक स्पष्ट अनुभव कर सकते हैं। किसी ऐसे अँधेर कमरे में जाओ जिसमें बाहर का प्रकाश बिल्कुल न पहुँचता हो और जिसमें प्लेट पर बाहरी प्रकाश लग जाने की आशंका न हो क्योंकि प्रकाश लगते ही सारी फिल्म नष्ट हो जाएगी। उस कमरे में जाकर एक फोटो का प्लेट खोलो और दो मिनट तक उस पर अपने हाथ का पंजा रखे रहो, बाद में प्लेट को सावधानी से ढक कर फोटोग्राफर से धुलवा लो | उस पर हाथ के प्रकाश का चित्र बन जाएगा।
(9 ) चौंका देना
कोई व्यक्ति किसी कार्य में व्यस्त हो, तो चुपके से उसके पीछे कुछ दूरी पर जाकर खड़े हो जाओ और रीढ़ की हड्डी या गर्दन का पिछला भाग जो खुला हो, उस पर दृष्टि जमाओ और उसे चौंका देने की भावना करते रहो। वह व्यक्ति कितने ही जरूरी काम में क्यों न लगा हो, अपना ध्यान हटाने को बाध्य होगा। उस स्थान को खुजलावेगा और वह मुड़कर तुम्हारी और देखने लगेगा।
(10) विचार उत्पन्न करना
किसी व्यक्ति को ढीला शरीर करके शांत चित्त से आराम के साथ बिठा दो और उसके सामने तुम बैठो। जिस प्रकार के विचार उसके मस्तिष्क में उत्पन्न करना चाहते हो, उसी प्रकार की भावनाओं का प्रवाह उसके मस्तिष्क को लक्ष्य करके जारी करो। तुम्हारी विद्युत उसके मन में प्रवेश पाकर वैसे ही विचारों को उत्पन्न करेगी। किसी का मन यदि बहुत चंचल और कठोर होता है, तो वह उन भावों को पूरी तरह ग्रहण नहीं कर पाता, फिर भी अधिकांश सफलता मिलती है। पूछने पर वह व्यक्ति उसी प्रकार के विचार उत्पन्न हुए स्वीकार करेगा, जैसे कि तुमने उसके लिए प्रेरित किए थे।
यह साधारण विद्युत की बात हुई। इतने अनुभव के लिए किसी विशेष अभ्यास की आवश्यकता नहीं होती। हाँ, यदि स्वभावतः तुम्हारी विद्युत प्रबल है, तो अधिक स्पष्ट अनुभव आवेंगे और निर्बल होने पर उतनी ही त्रुटि रहेगी । अभ्यास से तो इस शक्ति को बहुत अधिक बढ़ाया जा सकता है। यह शक्ति समुन्नत होने पर जीवन को प्रकाश का पुंज बना देती है।
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आज 8 युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। लगभग सभी ही गोल्ड मैडल विजेता हैं अतः सभी को बधाई।
(1),रेणु श्रीवास्तव-35 ,(2)संध्या कुमार-35,(3)अरुण वर्मा-35, (4) सुजाता उपाध्याय-30,(5) चंद्रेश बहादुर-26,(6)सरविन्द पाल-37,(7) सुमनलता-26,(8)विदुषी बंता-24
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।
