वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

25 मार्च 2024 का ज्ञानप्रसाद- क्या सच में विज्ञान की प्रगति से मानवीय मूल्यों में गिरावट आ रही है ?

परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्म दिवस के उपलक्ष्य में सामूहिक अनुष्ठान के संपन्न होने की सभी साथिओं को बधाई देने के बाद आज से हम ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की रेगुलर लेखन साधना आरम्भ करने जा रहे हैं। बहुत कुछ पहले से ही lineup हुआ पड़ा है, अनेकों ज्ञानवर्धक विषय,अनेकों लेख श्रृंखलाएं पहले से ही प्रकाशन के लिए उत्तेजित हो रही हैं, जैसे जैसे परम पूज्य गुरुदेव का मार्गदर्शन मिलता  जाएगा, एक नियमित डाकिए की भांति हम उनकी डाक आपके समक्ष पहुँचाते रहेंगें। 

आज प्रस्तुत हो रहा लेख केवल एक ही पार्ट में आज ही समाप्त हो जाएगा और कल से संजना बेटी द्वारा रेफर की गयी पुस्तक “मानवीय विद्युत के चमत्कार, Wonders of  Bioelectricity” पर आधारित एक ऐसी चमत्कारिक लेख शृंखला का शुभारम्भ हो रहा है जिसके अमृतपान से हम सब दांतों तले ऊँगली दबाए बिना नहीं रह पाएंगें। गुरुदेव जैसे लेखक को बारम्बार नमन है। 

आज का लेख उन्हीं 16 मानवीय मूल्यों के इर्द गिर्द घूम रहा है जिनकी माला हम सभी हर पल फेरते रहते है। हालाँकि अधिकतर लोगों की धारणा  बनी हुई है कि वैज्ञानिक विकासवाद ने भौतिकवाद, पदार्थवाद, व्यक्तिवाद और न जाने कौन कौन से “वाद” को जन्म दिया है लेकिन आज के लेख से पिक्चर कुछ और ही निकल कर आ रही है। आज का लेख बता रहा है कि मानव यदि संतुलित एवं विवेकपूर्ण दृष्टि से विकास को अपनाए तो अवश्य ही उसके द्वारा किए  जा रहे वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोग से निश्चित ही मानवता फलीभूत होगी एवं मानवीय मूल्यों का विकास होगा।

आज के लेख को लिखते समय अपने ह्रदय में उठ रहे विचारों को शब्दों में पिरोते समय ऐसे अनुभव हो रहा था कि स्वयं परम पूज्य गुरुदेव ही शब्दों का चयन कर रहे हैं,वाक्य बना रहे हैं, हमारी तो मात्र उँगलियाँ ही लैपटॉप पर चल रही हैं। 

आइए देखें मानवीय मूल्यों का विकास कैसे होगा। 

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वर्तमान वैज्ञानिक युग में चाहे कोई भी क्षेत्र हो,वैज्ञानिक अविष्कारों एवं खोजों  से बनाई गई वस्तुओं का प्रचलन दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। रेलयात्रा  हो,हवाई यात्रा हो,सिनेमा हो, चिकित्सा उपकरण हो, कंप्यूटर/ स्मार्टफोन/आई फ़ोन हो,यहाँ तक कि रोटियां बेलने और सेंकने जैसी साधारण प्रक्रिया हो,आधुनिक टेक्नोलॉजी  हमारे जीवन की दिनचर्या में ऐसे घुसपैठ कर चुकी   है कि क्या  कहा जाए।

अगर मानव आँखें बंद करके अपने अंतःकरण से संवाद करते हुए कुछ milliseconds ( एक सेकंड का 10 लाख वां भाग)  के लिए ही सही,उस  स्थिति का चिंतन जिसमें  सारे विश्व का कंप्यूटर सिस्टम क्रैश कर गया है, तो शायद मनुष्य अपने उतावलापन के कारण हार्ट अटैक, ब्रेन  हेमरेज जैसी भयानक स्थिति को सहन न कर पाए और उसके जीवन का अंत ही हो जाए। 

यह शब्द हम केवल लिखने के लिए ही नहीं वर्णन कर रहे हैं, आए  दिन इस तरह की अनेकों  घटनाएं सामने आ रही हैं। इसी स्थिति को देखते हुए हमने सप्ताह में एक दिन “फ़ोन उपवास” का प्रस्ताव रखा था और ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के साथिओं के लिए भी यही निवेदन है कि यथासंभव “फ़ोन उपवास का पालन करें क्योंकि “जान है तो जहान है, नहीं तो सफाचट्ट मैदान है।”     

एक तरफ स्थिति यह है कि आधुनिक मानव वैज्ञानिक/ तकनीकी  प्रगति के उच्चतम शिखर तक पहुँचने का प्रयास कर रहा है वहीं दूसरी तरफ मानव जिसे So-called advanced कहने में ज़रा सी भी झिझक नहीं होनी चाहिए, मानवीय मूल्यों की अवहेलना किए जा रहा है। 

आज का मानव व्यक्तिवादी और भौतिकवादी होता जा रहा है जिसके कारण उसकी प्रवृत्ति ऐसी बन चुकी है कि वह कल्याणकारी से अधिक शोषणकारी बन चुका है । इन दोनों प्रवृतिओं के परीक्षण से स्पष्ट होता है कि विज्ञान की प्रगति से मानवीय मूल्य लुप्त हुए जा रहे  हैं ।

क्या यह सच है ? आगे देखिये:   

ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच से जिन 16 “मानवीय मूल्य बिन्दुओं” का प्रचार हुए जा रहा है, एक एक करके उन पर चर्चा की जानी चाहिए। चर्चा करने से ही पता चलेगा कि हम कितने पानी में हैं। चर्चा करने से हर कोई भागता है, डरता है लेकिन परम पूज्य गुरुदेव के गोल्डन शब्द  “जहाँ संवाद समाप्त वहां सम्बन्ध समाप्त” हमें हमेशा सचेत करते रहते  हैं  

आधुनिक समाज में अगर 1% मानव भी मिल पाएं  जो इन्हें समझने के लिए (पालन करना तो दूर) तैयार हों  तो बड़ी बात होगी। हाँ ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में अनेकों exceptional परिवार मिल जाएंगें जिन्हें हम नमन करते हैं।  

1)शिष्टाचार,2) आदर,3) सम्मान,4) श्रद्धा,5) समर्पण,6) सहकारिता,7) सहानुभूति, 8)सद्भावना,9) अनुशासन,10) निष्ठा,11) विश्वास,12) आस्था,13) प्रेम,14) स्नेह, 15)नियमितता,16) शालीनता 

उपरोक्त 16 मानवीय मूल्य केवल symbolic हैं, सही अर्थों में कहलाए  जाने वाले  आदर्श मानव के लिए ऐसे न जाने कितने ही और मूल्य हों। 

टेक्नोलॉजी और विकास से जन्मी, व्यक्तिवाद और भौतिकवाद  धारणा वास्तविक प्रतीत होती जा रही है। यदि विकास एक  कारण है तो उससे उत्पन हुए परिणाम ऐसे हैं कि उन्हें हमारे चाहने पर भी अलग नहीं किया जा सकता। 

“क्या यह महज एक संयोग है कि विकास के क्षेत्र में वृद्धि ही मानवीय मूल्यों  के पतन  का कारण बन रहा है ?”

शायद नहीं,किसी परिणाम तक पहुँचने के लिये इस स्टेटमेंट की सूक्ष्म जाँच करना,चीड़फाड़ (Dissection)  अति आवश्यक है। 

अगर हम गौर करें तो पाएंगे कि जिस प्रकार मानव विकास के लिए विज्ञान आवश्यक है उसी प्रकार “मानवता के विकास के लिए मानवीय मूल्यों का होना बहुत जरूरी है।” विज्ञान की प्रगति का अर्थ वैज्ञानिक सोच, शोध, आविष्कार आदि में वृद्धि होना है। अगर विज्ञान संबंधित वस्तुओं के प्रयोग में वृद्धि होती हैं तो विज्ञान की प्रगति ही मानी जाती है।  हमारी दिनचर्या में विज्ञान संबंधित वस्तुओं के उपयोग में काफी वृद्धि हुई है। आजकल घरों में उपयोग में आने वाली मशीनें, टी.वी, फ्रिज, ए.सी, कार आदि सभी वस्तुएँ वैज्ञानिक प्रगति को ही इंगित करती हैं। शासन के संचालन से लेकर चिकित्सीय कार्यों में भी इसकी उपयोगिता किसी से छिपी नहीं है। लोक-संगीत तथा मनोरंजन आदि कार्य के लिए भी वैज्ञानिक तकनीक का इसका भरपूर प्रयोग होता है। संगीत के वाद्य यंत्र, संगीत की रिकॉर्डिंग उसकी टेलीकास्टिंग आदि चीजें नवीन आधुनिक यंत्रों पर ही निर्भर है। धार्मिक कार्यों को भी संपादित करने में आजकल वैज्ञानिक खोजों की सहायता ली जा रही है।  इसके लिए माइक,स्पीकर, रिकॉर्डर आदि की जो व्यवस्था की जाती है वह प्रगति का सूचक है। सामाजिक आयोजनों या वैवाहिक कार्यक्रमों में भी विज्ञान से संबंधित विकास के प्रमाण आजकल बखूबी मिलते हैं।

मानवीय मूल्यों की परिभाषा : 

अगर मानवीय मूल्यों की बात की जाए तो जो मूल्य मानव जीवन के स्वभाविक एवं सुव्यवस्थित संचालन के लिये आवश्यक होते हैं, वोह मानवीय मूल्य कहलाते हैं। दैनिक जीवन में प्राय: उचित-अनुचित, श्रेष्ठ-निकृष्ठ, आदि का हम जो निर्णय लेते हैं उनका आधार मानवीय मूल्य ही होते हैं। जिन मानदंडों की कसौटी पर किसी घटना की सत्यता, व्यक्ति एवं समाज के ऊपर पड़ने वाले कल्याणकारी या अकल्याणकारी प्रभाव की परख या किसी वस्तु के गुण की श्रेष्ठता या निकृष्टता मापी जाती है, वे मूल्य कहलाते हैं। मूल्यों के अनुसार ही किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण, दोष, योग्यता आदि की पहचान कर उनके महत्त्व स्थापित किये जाते हैं।

मूल्य के भी कई प्रकार होते हैं जैसे मानवीय मूल्य, सामाजिक मूल्य, नैतिक मूल्य, राजनैतिक मूल्य, धार्मिक मूल्य, राष्ट्रीय मूल्य, ऐतिहासिक मूल्य, आर्थिक मूल्य आदि। ये मूल्य किसी न किसी आदर्श से जुड़े होते हैं। अहिंसा, नैतिकता, जनहित, राष्ट्रीयता, बंधुत्व, करुणा, त्याग, दया आदि मूल्यों के  आधारभूत Units हैं । 

दैनिक जीवन में भी हम जाने-अनजाने विभिन्न कार्यकलापों के संबंध में उचित एवं अनुचित निर्णय लेते हैं। किसी व्यक्ति द्वारा बोला गया सच परिस्थिति अनुसार पाप या पुण्य अलग-अलग वर्ग में विभाजित हो जाता है। इस प्रकार मूल्य ही औचित्य-अनौचित्य, सत्य-असत्य, कल्याण एवं अकल्याण का निर्णायक तत्व हो जाता है। 

वैज्ञानिक प्रगति द्वारा मानवीय मूल्यों का नाश:

  • धार्मिक आस्था में कमी
  • व्यक्ति के संयम में कमी
  • सादगीपूर्ण जीवन का नाश 
  • मानवीय भावनाओं में कमी
  • लोभ एवं लालच के कारण ईमानदारी में कमी
  • संयुक्त परिवार की प्रथा का लगभग लुप्त होना 
  • भौतिकवादी एवं उपभोगवादी संस्कृति को बढ़ावा
  • भौतिकवाद एवं उपभोगवाद  में वृद्धि के साथ परिश्रम में कमी 

लेकिन यह सारी चर्चा वास्तविक नहीं बल्कि Misleading है : 

माँ गायत्री, विवेक की देवी, सद्बुद्धि की देवी,  मानव को सही और गलत के बारे में निर्णय करने की और प्रेरित करती है। वैज्ञानिक विकास का श्रेय मानव और उसकी सद्बुद्धि को ही तो जाता है, तो अगर मानव इतने उच्चकोटि के अनुसन्धान एवं अन्वेषण कर सकता है तो क्या कारण है कि वह इन उपकरणों के प्रयोग करते-करते उसका दास बनने के बजाए  इन्हे ही अपना दास बना ले। यही है इन उपकरणों का सदुपयोग।   

गौर से देखने पर यह प्रतीत होता है कि वैज्ञानिक प्रगति के कारण मानवीय मूल्यों में आई गिरावट संबंधी तथ्य वास्तविक नहीं बल्कि misleading  हैं । विज्ञान एक निरपेक्ष (Absolute)  विषय है और वैज्ञानिक सिद्धांतों से निर्मित आधुनिक उपकरणों को मानव के गुलाम के रूप में दिखाया गया है क्योंकि इनके उपयोग का निर्धारण मानव ही करता है। अंतः यदि मानवीय मूल्यों का वर्तमान में नाश  हो भी रहा है तो इस स्थिति के लिये वैज्ञानिक प्रगति नहीं बल्कि मानव ही ज़िम्मेदार होता है। 

विज्ञान की प्रगति से मानवीय मूल्यों का नाश नहीं बल्कि  मानवीय मूल्यों के विकास को बल मिलता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विज्ञान की प्रगति एवं विज्ञान जनित उपकरणों को उपयोग में लाने की प्रकृति ही तय करती हैं कि मानवीय मूल्यों का उत्थान हो रहा है या पतन which means how we are going to use technology. मदिरापान के ठेके, जुए के अड्डे तो जगह-जगह खुले पड़े हैं, अगर परिवार बर्बाद हो रहे हैं तो कारण इन दुकानों का है यां मानव का। अधिक टीवी देखने से कोई बुज़ुर्ग अँधा हो जाता है तो कसूर टीवी का है यां मनुष्य की प्रकृति (Nature) का, अवश्य ही मनुष्य की प्रकृति का।  

यदि मानव संतुलित एवं विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएं तो उसके द्वारा किये जा रहे वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोग से निश्चित ही मानवता फलीभूत होगी एवं मानवीय मूल्यों का विकास होगा।

समापन 

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आज 9  युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। अति सम्मानीय चंद्रेश  जी एवं संध्या जी  को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।     

(1),रेणु श्रीवास्तव-30 ,(2)संध्या कुमार-49 ,(3)मंजू मिश्रा-28,(4  )सुमनलता-36 ,(5 ) नीरा त्रिखा-24 , (6 ) सुजाता उपाध्याय-25,(7 )चंद्रेश बहादुर-50,(8  )सरविन्द कुमार-34 ,(9) अनुराधा पाल-33

सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।


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