परम पूज्य गुरुदेव के सूक्ष्म संरक्षण एवं मार्गदर्शन में रचे गए ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा Open forum दिन होता है जब अध्ययन को एक तरफ रख दिया जाता है और बात की जाती है सप्ताह के पांच दिन की शिक्षा की, जिसका आधार साथिओं के कमैंट्स और काउंटर कमैंट्स होते हैं, बात की जाती है साथिओं की गतिविधियों की, बात की जाती है इस छोटे से किन्तु समर्पित परिवार के सदस्यों के दुःख-सुख की, बात की जाती है आने वाले दिनों की रूपरेखा यां फिर गायत्री परिवार से सम्बंधित कोई भी विषय जिसे सभी परिवारजन उचित समझें, इसीलिए इस विशेषांक को Open forum की संज्ञा दी गयी है।
तो आइए निम्लिखित शब्दों में ऐसे ही वातावरण को pointwise picturise करने का प्रयास करें :
अक्सर यह धारणा बनी हुई है कि जब हम pointwise लिखते हैं तो सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट पहला,उससे कम महत्व वाला दूसरा,फिर तीसरा, चौथा आदि होते हैं लेकिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के मंच पर ऐसी कोई भी धारणा नहीं बनी हुई है, सबका महत्व एक से बढ़कर एक ही है, हाँ समस्या हमारे मस्तिष्क की है जिसमें शनिवार के स्पेशल सेगमेंट के लिए इतना कुछ भर जाता है कि arrange करना, prioritize करना, एक चुनौती भरा कार्य प्रतीत होता है। इस सेगेमेंट के लिए सोमवार से ही पॉइंट्स लिखने शुरू कर देते है और कई बार पॉइंट्स ऊपर नीचे होते जाते हैं, शनिवार आते आते priority कुछ और ही हो जाती है।
तो आज की सबसे बड़ी priority हमारी सबकी सम्मानीय एवं आदरणीय बहिन रेणु श्रीवास्तव के स्वास्थ्य की है।
1. अभी कुछ देर पहले ही बहिन जी बड़ी ही संक्षिप्त (पांच मिंट से भी कम) बात हुई है, थकावट के कारण उनकी तबियत ठीक नहीं। अमेरिका से इतनी लम्बी यात्रा, फिर रांची जाना और एक ही सप्ताह में वापिस आना कोई आसान कार्य नहीं है। हमने आँख खुलते ही उन्हें व्हाट्सअप मैसेज किया था, 3 घंटे तक जब कोई भी रिप्लाई न मिला तो घबराहट होना स्वाभाविक है, हालाँकि यूट्यूब पर बहिन जी का संक्षिप्त सा कमेंट देख लिया था। हमने फ़ोन भी डरते-डरते किया था कि कहीं बहिन जी ऐसा न सोच लें कि “भाई साहिब को तो कमैंट्स की ही चिंता रहती है” लेकिन ऐसा नहीं है, अगर हमने इसे परिवार का नाम दिया हुआ है तो परिवार की भावना भी तो व्यक्त होनी चाहिए।
हमने तो बहिन जी को निवेदन किया है कि आप स्वास्थ्य ठीक होने तक यूट्यूब/व्हाट्सप्प से छुट्टी ले लें।
2. दूसरा पॉइंट आदरणीय उमा साहू बहिन जी से सम्बंधित है, बहिन जी यूट्यूब पर वंदेश्वरी साहू के नाम से कमेंट करती हैं जो उनकी बेटी हैं। बहिन जी ने मुंबई अश्वमेध यज्ञ में अपनी उपस्थिति से सम्बंधित अनेकों फोटो/ वीडियो भेजी थीं, उनकी व्हाट्सप्प settings के कारण पहली बार भेजी गयी फोटो disappear हो गयी थीं, दूसरी बार उन्होंने फिर से अनेकों फोटो भेजी थीं, उनमें से कुछ ऐसी भी थीं जिनका अश्वमेध यज्ञ से कोई सम्बन्ध नहीं था, हम अपने विवेक के अनुसार केवल चार फोटो का ही चयन कर पाए हैं, अगर कोई महत्वपूर्ण फोटो रह गयी हो तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं।
अगर बहिन जी ने पुष्पा जी की भांति अश्वमेध यज्ञ का कुछ महत्वपूर्ण विवरण दिया होता जो साथिओं के लिए लाभदायक होता तो अनुभूतियों में प्रकाशित होने की सम्भावना थी।
3.तीसरा पॉइंट “अनुभूति विशेषांक” से सम्बंधित है। इस विषय पर हम कहना चाहेंगें कि हम तो इस अद्वितीय लेख श्रृंखला का समापन कर ही चुके थे लेकिन वंदना बहिन जी, साधना बहिन जी, विदुषी बहिन जी और सरविन्द भाई साहिब ने अपनी अनुभूतियाँ भेजी हैं जिनका प्रकाशन सोमवार के बाद करने की योजना है। आदरणीय सरविन्द जी ने तो पहले ही भेजी थी लेकिन किसी कारणवश मिस हो गयी जिसके लिए हम भाई साहिब से करबद्ध क्षमाप्रार्थी हैं।
“अनुभूति विशेषांक” की बात चल रही है, समापन तो चाहे नहीं हुआ है लेकिन अरुण वर्मा जी का अति प्रेरणादायक निम्नलिखित कमेंट शेयर करना हम अपना कर्तव्य समझते हैं :
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में आज का दिव्य ज्ञान प्रसाद “अनुभूति विशेषांक” का आज समापन दिवस है। परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जन्मदिवस महोत्सव को हम सभी परिजनों ने बहुत ही धूमधाम से मनाया। बहुत सारी ऊर्जामयी, प्रेरणादायक, ज्ञानवर्धक अनुभूतियों से गुरुदेव के बहुत करीब पहूंचने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इन सारी अनुभूतियों से किसके अंदर अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और विश्वास जगा यह तो मैं नहीं बता सकता लेकिन इतना जरूर एहसास कर सकता हूँ कि गुरुदेव की इन सारी अनुभूतियों को जिसने हृदय से आत्मसात किया होगा उसके हृदय और वाणी में जरूर परिवर्तन देखा जा सकता है। अगर गुरुदेव के विचारों से अपना या अपने सहयोगियों के विचारों में परिवर्तन हो रहा है तो यह ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की बहुत बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार एक विश्वस्तरीय प्लेटफार्म है, जहाँ पूरे विश्व के लोग इसे पढ़ते हैं, समझते हैं और अच्छा लगता है तो कमेंट्स और काउंटर कमेंट्स भी करते हैं।
इस छोटे से किन्तु समर्पित परिवार के हम सभी साथी बहुत ही सौभाग्यशाली हैं जिन्हें परम पूज्य गुरुदेव के कार्यों में गिलहरी के माफिक कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। साथिओं द्वारा लिखी गई अनुभूतियाँ बहुत सारे लोगों को प्रेरित करने और गुरुदेव के प्रति विश्वास को प्रगाढ़ करने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं। इस विषय पर गंभीरता से विचार करने से पता चलता है कि यह औनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्लेटफार्म भले ही छोटा दिखाई देता हो लेकिन इसमें कार्यरत सभी सहयोगी गुरुदेव के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम कर रहे हैं।
सभी भाई बहनों एवं युवा साथियों को कोटि-कोटि नमन-वंदन एवं बहुत-बहुत धन्यवाद
परम आदरणीय अरूण भैया जी के सानिध्य में सभी फूलों को एक धागे में पिरोकर माला बनाने का दिव्य कार्य परम पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन में संपन्न हो रहा है। आदरणीय अरूण भैया जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ और परम पूज्य गुरुदेव से सिर्फ और सिर्फ एक ही याचना करता हूँ कि हम सभी के स्नेहिल अरूण भैया जी को हमेशा स्वस्थ एवं खुश रखें ताकि सदैव हम सभी का उचित मार्गदर्शन होता रहे।
जय गुरुदेव
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i)अरुण जी के इस कमेंट के सम्बन्ध में एवं अन्य अनेकों साथिओं द्वारा एक कॉमन, बहुमूल्य कमेंट हमारे अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हुआ पोस्ट किया जाता है जिसके लिए हम सभी का धन्यवाद् करते हैं। शायद हमारे साथी “Health is Wealth” में पूरी तरह विश्वास करते हैं।
ii)कमैंट्स की बात हो रही है तो आइए थोड़ी और चर्चा कर लें ताकि विषय और रोचक हो जाए :
अनेकों साथिओं के भांति हमारी आदरणीय एवं सम्मानीय बहिन विदुषी जी ने हमारी लेखनी की सराहना की तो हमारे ह्रदय से धन्यवाद् के साथ निम्लिखित पंक्तियाँ उभर कर आईं :
“चलती रहे बस मेरी लेखनी, इतना योग्य बना देना, मेरे सिर पर हाथ धरों माँ, ज्ञान की ज्योति जगा देना”
iii) ऐसा ही एक कमेंट हमारी सम्मानीय विनीता बहिन ने लिखा कि हमारी अनुभूति शामिल होने से हमें ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कि हमने किसी प्रतियोगता में भाग लिया और विजयी घोषित की गयी। सम्मान में गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
iv) इसी तरह आदरणीय वंदना बहिन ने लिखा कि अगर हमें अनुभूति लिखने को न कहा गया होता तो हमें पता ही नहीं चलता कि हमारे पास गुरुदेव की कितनी अनुभूतियाँ हैं।
v) एक और कमेंट की यहाँ पर चर्चा की जा सकती है: अरुण जी लिखते हैं कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार का प्लेटफॉर्म दिखने में चाहे छोटा दिखता हो – – – – ,हम भी यही विशेषण प्रयोग करते रहते हैं लेकिन योगेश शर्मा जी ने इस सन्दर्भ में बहुत ही सुन्दर बात लिखी जो निम्नलिखित है :
“परम पूज्य गुरुदेव ने लिखा है: पांच पांडव की ही तलाश है।” भाई साहिब हमें संबोधन करते हुए लिखते हैं कि अगर पांच मनुष्य ही लेख को अच्छे से पढ़ लें, वीडियोस को अच्छे से देख लें तो बहुत बड़ी बात है, भीड़/भेड़चाल नहीं होनी चाहिए।
योगेश जी के शब्दों ने अवश्य ही हमारा उत्साहवर्धन किया, हमारे परिवार में 5 से तो कहीं अधिक समर्पित साथी हैं, सभी को हमारा नमन है, धन्यवाद् है,आभार है।
धन्यवाद् योगेश भाई साहिब।
4.यह पॉइंट “अनुभूति विशेषांक” से सम्बंधित है। पिछले वर्ष की भांति इस बार भी हमारी योजना है कि अनुभूति विशेषांक के समापन पर एक Analytical report/ Closing report प्रकाशित की जाए जिससे हमारे साथिओं को Summary प्राप्त हो पाए। यह रिपोर्ट आज प्रकाशित करने की योजना थी लेकिन 4 और अनुभूतियाँ प्रकाशित होने के कारण अब इसे अगले शनिवार को प्रकाशित करने का प्रयास किया जाएगा।
संध्या बहिन जी द्वारा लिखित ज्ञानप्रसाद लेख को सोमवार प्रकाशित करने की घोषणा हम कर चुके हैं इसलिए मंगलवार को अनुभूतियों की और रुख करेंगें।
संध्या बहिन जी और सरविन्द जी ने अनुभूतियों के दौरान अपने लेख प्रकाशित करने के लिए इच्छा व्यक्त की थी लेकिन आँखों की सर्जरी के कारण, हमें विवश होकर यह लेख पोस्टपोन करने पड़े। सरविन्द जी का लेख तो महाशिवरात्रि से सम्बंधित था, इसलिए अब उसका प्रकाशन करना अनुचित ही होगा।
5. आज के स्पेशल सेगमेंट का समापन करते हुए हम कहना चाहेंगें कि अनुभूति चाहे कोई भी हो,छोटी हो बड़ी हो,संयोग/चांस जैसी हो, पढ़कर चाहे लगे कि इसमें कौन सी नई बात है, यह तो किसी के साथ/कभी भी हो सकता है आदि जैसे प्रश्न उठें, अपने छोटे बच्चों के साथ अवश्य शेयर करें, उन्हें अवश्य बताएं।
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि माता पिता 14-15 वर्ष की आयु से पहले जो संस्कार/विश्वास/धारणा बच्चों की बना देंगें वही सारी उम्र भर बने रहेंगें। इस आयु के बाद तो फिर विवश होकर यही कहना पड़ेगा, “क्या करें, आजकल के बच्चे तो सुनते ही नहीं हैं, हमारे समय में यह होता था, वोह होता था आदि आदि” आजकल यां भूतकाल की कोई बात नहीं होती, संस्कार तो किसी भी युग में अवतरित किये जा सकते हैं। बिकाश शर्मा, संजना बेटी, प्रेरणा बेटी एवं DSVV के अनेकों बच्चे इसी युग के हैं जिनकी नींव इतनी सदृढ़ है कि कोई तूफ़ान/आंधी उन्हें हिला नहीं सकती।
1980 में दूरदर्शन से प्रसारित होने वाला बहुचर्चित सीरियल “विक्रम-बेताल” बच्चों में तो क्या, बड़ों में भी बहुत ही लोकप्रिय रहा लेकिन क्या किसी ने विक्रम को यां बेताल को देखा था—- नहीं, इन काल्पनिक कहानियों से शिक्षा प्राप्त करने से बेहतर होगा कि बच्चे ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के सहकर्मियों की अनुभूतियों का अमृतपान करें क्योंकि यह प्रतक्ष्य हैं, काल्पनिक नहीं।
आशा करते हैं कि हम अपनी बात साथिओं तक पहुँचाने में सफल हो पाए हैं।
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आज फिर शुक्रवार है, केवल 6 युगसैनिकों ने ही 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है। अति सम्मानीय संध्या जी को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1) वंदना कुमार-24 (2)संध्या कुमार-46,(3)सुमनलता-36,(4) नीरा त्रिखा-25,(5) सुजाता उपाध्याय-30,(6)मंजू मिश्रा-27
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।



