13 मार्च 2024
परमपूज्य गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्मदिन मनाने हेतु ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवारजनों द्वारा लिए गए संकल्प का दूसरा पार्ट “अनुभूति विशेषांक” है जिसके अंतर्गत इस परिवार के समर्पित साथिओं द्वारा एक-एक पुष्प चुन कर एक ऐसी माला अर्पण की जा रही है जिसकी सुगंध हम सबके अंतःकरण को ऊर्जावान किये जा रही है।
आज के अनुभूति लेख में तीन नारिओं (वंदना कुमार, विनीता पाल और राधा त्रिखा) का शक्तिप्रदर्शन हो रहा है, सभी अनुभूतियाँ देखने में बहुत ही छोटी/साधारण सी दिख रही हैं लेकिन श्रद्धा एवं समर्पण में ज़रा सी भी कमी नहीं दिख रही।
हम यह बताना अपना कर्तव्य समझते हैं कि कल वाला लेख इस “अनुभूति संकल्प” का अंतिम लेख होगा,जो बहुत ही छोटा है। सोमवार वाले ज्ञानप्रसाद लेख का वर्णन कल वाले लेख की भूमिका में ही होगा।
***********************
वंदना जी की 6 अनुभूतियाँ
पहली अनुभूति:
एक बार मेरे पतिदेव बाइक से घर आ रहे थे, रास्ते में एक और बाइक भी उसी दिशा में जा रही थी। साथ चल रही बाइक की स्पीड बहुत ही तेज थी। उस बाइक का हैंडल मेरे पतिदेव के बाइक के हैंडल से टकराकर उसी में फंस गया। फंसे हुए हैंडल को निकालने के लिए हैंडल को छोड़ना पड़ता और ऐसा करने से एक्सीडेंट होने का खतरा था। तो इस प्रकार दोनों बाइक कई किलोमीटर दूर तक घिसती चली गईं । गुरुदेव की कृपा से हाईवे बिल्कुल साफ था और कोई गाड़ी नहीं थी। आगे सड़क के किनारे छोटा सा गढ़ा था, दोनों बाइक गढ़े में जा गिरीं । गुरुदेव की कृपा तो देखिए, पतिदेव को एक खरोच तक नहीं आई बल्कि दूसरे व्यक्ति को चोट आई। जब पतिदेव ने घर आकर हमें सारा वृत्तांत सुनाया तो हमारे रोंगटे खड़े हो गए कि कुछ भी हो सकता था। जय गुरुदेव
दूसरी अनुभूति:
एक बार मेरे पति ऑफिस से घर आ रहे थे। आने जाने के लिए ऑफिस से कैब फैसिलिटी प्रोवाइडेड थी। घर आने के लिए जैसे ही मेरे पतिदेव कैब में बैठते हैं तो कैब वेंडर उन्हें मना कर देते हैं और उनको उस कैब से उतर कर दूसरी कब में बैठने को बोलते हैं। अचानक से हुए इस परिवर्तन से मेरे पतिदेव को थोड़ा असहज तो अवश्य महसूस हुआ लेकिन फिर भी दूसरी कैब में जाकर बैठ गए और घर आ गए। दूसरे दिन पता चला कि जिस कैब में उन्हें पहले बिठाया गया था उस कैब का तीन-चार पलटनी खाकर एक्सीडेंट हो गया है। समय रहते गुरुदेव ने मेरे पति को बचा लिया। जय गुरुदेव
तीसरी अनुभूति:
यह अनुभूति जनवरी 2024 की है। मेरा गायत्री मंत्र का मानसिक जाप तो निरंतर चलता ही रहता है और गुरुदेव की आज्ञा से गायत्री मंत्र लेखन भी करने लगी हूँ । पिछली अनुभूति में बता चुकी हूँ कि सपने में गायत्री मंत्र लेखन के संकेत मिले थे। तारीख तो याद नहीं लेकिन इसी महीने में तीन बार सपने में गायत्री माँ के दर्शन हुए। पहले वाले सपने में सिर्फ गायत्री माता की window size तस्वीर थी, दूसरे सपने में गायत्री माता के साथ-साथ गुरुदेव, वंदनीय माताजी और दादा गुरुदेव भी तस्वीर रूप में थे और साइज भी पहले से डबल था। मैं खड़ी होकर हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही थी। तीसरे सपने में देखती हूँ कि मैं कीचड़ भरे रास्ते को छलांग लगाकर पार करते हुए एक मंदिर में चली जाती हूँ। मंदिर में न कोई तस्वीर, न कोई मूर्ति थी, केवल दीवार में ही आकृति बनी हुई थी। मैं मंदिर में बैठकर गायत्री मंत्र का जाप करने लगती हूँ, तभी धोती कुर्ता पहने,पंडित जी जैसे दिखने वाले व्यक्ति वहां आए। उन्हें देखकर मैं वहां से जाने लगी तो उन्होंने मुझे रोक लिया। फिर देखती हूँ कि वह कोई अपना मंत्र पढ़ने लगते हैं और अपना सिर गोल-गोल घुमाने लगते हैं। मैं पंडित जी के बगल में ही खड़ी थी। पंडित जी के मंत्र पढ़ते ही दीवार में से अचानक ही बवंडर टाइप ऊर्जा निकलने लगती है और मेरी तरफ प्रवाहित हो जाती है ,इतने में मेरी आंख खुल जाती है। मुझे लगता है वह पंडित जी गुरुदेव ही थे और मुझे शक्ति प्रदान कर रहे थे।
चौथी अनुभूति:
21 नवंबर 2023 की बात है, शाम का समय था और मैं कुछ काम में व्यस्त थी। मेरी बेटी काशवी दूसरे कमरे में खेल रही थी। अचानक बेटी की घरघराई हुई सी आवाज आई। मैंने सोचा कि इस तरह की आवाज खेलते समय तो नहीं निकलती, जल्दी से भागकर उस कमरे में गई। देखती हूँ कि बिजली का तार उसके हाथ में चिपका हुआ है और वो बिल्कुल शांत हो गई। जल्दी से स्विच ऑफ करके बेटी का हाथ तार से छुड़ाया और वो गुरुदेव की कृपा से बच गई क्योंकि वोह लकड़ी के टेबल पर खड़ी थी अन्यथा बहुत बड़ी दुर्घटना हो जाती। अगर उसके मुंह से घरगराहट नहीं निकलती तो हमें पता भी नहीं चलता लेकिन गुरुदेव ने ही मुँह से आवाज़ निकलवाई होगी, नहीं तो हाई वोल्टेज में तो आवाज भी नही निकलती और दुर्घटना हो जाती है। बेटी को जीवनदान देने के लिए गुरुदेव को बारम्बार प्रणाम है। जय गुरूदेव
पाँचवी अनुभूति:
पिछले महीने की ही बात है, मेरी बेटी बरामदे में खेल रही थी। खेलते खेलते हैं वह गेट की ओर चली गई जहां पर बाइक लगी हुई थी। वह बाइक के पास जाकर खेलने लगी और उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगी। तभी बाइक अनबैलेंस होकर उसके ऊपर गिर गई । बाइक गिरने कीआवाज सुनकर हम दोनों पति-पत्नी बाहर दौड़े आए। देखते हैं की बच्ची बाइक के नीचे दबी पड़ी है लेकिन गुरुदेव की कृपा से पूरी तरह सुरक्षित बच गई और उसे कहीं भी कोई चोट नही आई। जय गुरुदेव
भाई साहिब, हिंदी में लिखने के लिए आपने मुझे बधाई दी है, इसके लिए आपका बहुत आभार है लेकिन इसका श्रेय भी गुरुदेव को ही जाता है। मेरे कीबोर्ड में हिंदी लिखने का कोई ऑप्शन ही नहीं था। आपके कहे अनुसार जीबोर्ड भी इंस्टॉल किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अलग से ऑप्शन भी ढूंढे पर बात नहीं बनी। तो फिर जैसा था वैसा ही छोड़ दिया। एक दिन अचानक मेरे पास ऑप्शन आया कि आप हिंदी में लिख सकते हैं और शायद कुछ क्लिक करने को कहा गया था जो कि मुझे safe लगा। मैंने वैसा ही कर दिया और मेरा कीबोर्ड चेंज हो गया उसमें हिंदी का ऑप्शन आ गया। मैं वही सोच रही थी कि जब मैं कोशिश कर रही थी तब कुछ नहीं हो पा रहा था और जब Try करना छोड़ दिया तो कुछ दिनों बाद स्वयं ही ऐसा हो गया। यह भी एक अनुभूति ही है। जय गुरुदेव
*****************
विनीता पाल जी की अनुभूति :
जय गुरुदेव,आपके शुभ चरणों में शत शत प्रणाम एवम चरण स्पर्श। मुझे आज भी वोह दृश्य याद है जब मैं बहुत छोटी थी, वर्ष तो नहीं याद है। मैंने या मेरे परिवार ने कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर परमपूज्य गुरुदेव के साक्षात् दर्शन किए। हमारे पापा हम सभी को सुबह उनके दर्शन के लिए ले गए थे, बहुत सारे लोगों की भीड़ इक्क्ठी हो गई थी लेकिन ट्रेन लेट होने के कारण काफी लोग चले गए लेकिन हम सभी भूखे प्यासे इंतजार करते रहे, सुबह से शाम हो गयी। हम सभी ने गुरुदेव के दर्शन किए, उनके चरण कमल छूने के लिए लाइन लगी थी। सभी लोग चरण छू कर दर्शन करते जा रहे थे। मेरी बारी आई तो मैं नमस्ते करके आगे बढ़ गई। मुझे अफ़सोस है कि मैंने चरण स्पर्श नहीं किए, शायद धारणा यही रही होगी कि लड़कियाँ पैर नहीं छूतीं। अब मैं सोचती हूँ कि मैं नादान थी जो गुरुदेव जी के चरणों का स्पर्श नहीं किया लेकिन कोई बात नहीं गुरुदेव के दर्शन तो कर ही लिए।
मेरे पापा गुरुदेव की सेवा में, उनके चरणों में, उनके गोद में सिर रख कर महीनों उनके बीच गुरु वंदना सुनाया करते थे, उनके पैर दबाया करते थे। वोह दृश्य कितना मधुर रहा होगा, वोह पल हमें बहुत याद आता है।
हमारे पापा जी के एक दोस्त थे जिनका नाम स्व. लक्ष्मी नारायण जी था। यह अंकल स्टेशन के पास ही छोटी सी कुटिया बनाकर गरीबी में अपने बेटे बहुओं के साथ रहते थे। हम सभी ने उनके घर जाकर भरपेट पूड़ी सब्जी खाई, ऐसा अनुभव हुआ मानो अमृतपान कर रहे हों, वो पल याद आते ही आँखों में आंसू आ जाते हैं।
बहुत वर्ष बाद अंकल बीमार पड़ गए तो पापा जी ने 40 दिन महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान किया, अंकल मृतावस्था में चले गए थे, महामृत्युंजय का पाठ करने के बाद वो जीवित हो गए । जय गुरुदेव जय महाकाल। यह गुरुदेव की ही कृपा थी। उन सुनहरे पलों को आज भी बहुत याद करती हूँ।
आदरणीय भाई साहब जी, आपको सदा प्रणाम और बहुत बहुत धन्यवाद। यह सब श्रेय आप को ही जाता है जो गुरुदेव जी के आध्यात्मिक जन्म दिवस के उपलक्ष्य में एक अद्भुत “अनुभूति शृंखला” संभव हो पाई। ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के माध्यम से परम पूज्य गुरुदेव की तप साधना, गुरुदेव की हिमालय यात्रा के अदभुत विवरण प्रतिदिन ब्रह्मवेला में प्राप्त होते रहते हैं जिसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद, जय गुरुदेव, जय महाकाल।
********************
राधा त्रिखा जी की अनुभूति:
माँ गायत्री का आशीर्वाद एवं धन्यवाद
मनुष्य जीवन अद्भुत है और यह दुर्लभ जीवन बड़े ही सौभाग्य से मिलता है। भरपूर जीवन में अनेक उतार चढ़ाव एवं असंख्य घटनाएं घटती रहती है। इन सभी से जीवन में बिना किसी परेशानी के निकल पाना कोई आसान कार्य या साधारण घटना नहीं है परन्तु अगर कोई दिव्य सूक्ष्म शक्ति का सहारा मिल जाए तो सब कुछ बिना किसी विघ्न के पूर्ण हो जाता है।
मुझे भी अपने सद्गुरु पूज्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी जी का सानिध्य वर्ष 1990 से प्राप्त है। उन्होंने मुझे माँ गायत्री की साधना के लिए प्रेरित किया, आजकल तो गुरुदेव मंत्र लेखन भी करवा रहे हैं (संलग्न चित्र ) जिससे मेरे परिवार में बेटा आलोक और बेटी ऋतमभरा का आगमन हुआ। गत वर्ष मुझे परिवार साहित गुरुदेव की पावन जन्मभूमि आंवलखेड़ा का तीर्थसेवन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसी तीर्थस्थली पर दोनों बच्चों को पूज्य गुरुदेव के सूक्ष्म आधात्मिक सानिध्य में गुरुदीक्षा दिलाई। मन ही मन माँ गायत्री से प्रार्थना की कि शिक्षा वगैरह पूर्ण होने के बाद अब इच्छा है कि दोनोें के घर बस जाएँ। वर्ष 2023 में योजना बनी कि बेटी की शादी पहले की जाए, रिश्ते की तलाश शुरु हो गई। हमारा विश्वास अटूट है इसलिए कि माँ गायत्री का स्नेह हमें इतना मिला है जिसे शब्दों में वर्णन करना असंभव है। 8 दिसंबर 2023 को बिटिया अपने सुयोग्य वर शुभम के संग अपने ससुराल जा चुकी है।
माँ गायत्री एवं सभी संबंधित देवी देवताओं का धन्यवाद् है जिन्होने इतने कम समय में सभी सामर्थ्य प्रदान कर सब कुछ निर्विघ्न पूर्ण किया।
****************
आज 15 युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है।आदरणीय सरविन्द जी को गोल्ड मैडल जीतने की बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1),रेणु श्रीवास्तव-45 ,(2)संध्या कुमार-39,(3)अनुराधा पाल-36,(4 )सुमनलता-34 ,(5 ) नीरा त्रिखा-30 , (6 ) सुजाता उपाध्याय-35,(7 ) अरुण वर्मा-45 ,(8 )निशा भारद्वाज-25 ,(9 )पुष्पा सिंह-25, (10) विदुषी बंता-25 , (11 )वंदना कुमार-24 ,(12) चंद्रेश बहादुर-36 ,(13)पूनम कुमारी-29,(14) सरविन्द कुमार-53, (15) राधा त्रिखा-26,
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।



