https://drive.google.com/file/d/1nxkLOCV0yImj_bxjQMtsteFbkJLMymEh/view?usp=drive_link (यह गूगल ड्राइव लिंक है ,इसे डाउनलोड करना उचित होगा)
परम पूज्य गुरुदेव के सूक्ष्म संरक्षण एवं मार्गदर्शन में रचे गए ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में शनिवार का दिन एक उत्सव की भांति होता है। यह एक ऐसा Open forum दिन होता है जब अध्ययन को एक तरफ रख दिया जाता है और बात की जाती है सप्ताह के पांच दिन की शिक्षा की, जिसका आधार साथिओं के कमैंट्स और काउंटर कमैंट्स होते हैं, बात की जाती है साथिओं की गतिविधियों की, बात की जाती है इस छोटे से किन्तु समर्पित परिवार के सदस्यों के दुःख-सुख की,बात की जाती है आने वाले दिनों की रूपरेखा यां फिर गायत्री परिवार से सम्बंधित कोई भी विषय जिसे सभी परिवारजन उचित समझें, इसीलिए इस विशेषांक को Open forum की संज्ञा दी गयी है।
तो आइए निम्लिखित शब्दों में ऐसे ही वातावरण को pointwise picturise करने का प्रयास करें :
1.परम पूज्य गुरुदेव के अध्यात्मिक जन्म दिवस के लिए साथिओं की अनुभूतियाँ, योगदान अभी भी आ रहे हैं, शायद हमारे साथिओं को इस बात का आभास हो गया है कि यह सौभाग्य हर किसी को प्राप्त होने वाला नहीं है। जिस किसी भी विरले को, उसकी पात्रता के अनुरूप गुरुकार्य में योगदान देने का अवसर मिल गया, समझो उसका बेड़ा पार हो गया। तो सभी यही सोच रहे हैं कि क्यों न बहती गंगा में हाथ धो लें और गुरुदेव के असीमित अनुदान/प्यार प्राप्त करके अपने जीवन को स्वर्गतुल्य बना लें। अनेकों साथिओं ने स्वयं देख लिया है कि जिस किसी ने भी इस मंच की गतिविधिओं में गिलहरी जितना भी योगदान कर दिया,उसका कायाकल्प होना निश्चित है, यही है हमारे गुरु की शक्ति का साक्षात् प्रमाण।
साथिओं की छोटी,बड़ी सभी अनुभूतियाँ परिवार के समक्ष प्रस्तुत करने का उद्देश्य सार्थक होता दिख रहा है। गुरुदेव के प्रति साथिओं की श्रद्धा/ विश्वास और प्रगाढ़ होता दिख रहा है। गुरुदेव से प्रार्थना करते हैं कि ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार के प्रत्येक सदस्य पर अपनी कृपा बरसाते रहें ताकि परस्पर स्नेह और अपनत्व के पुष्पों से संजोई यह माला समस्त विश्व को सुगन्धित करती रहे।
2. इसी अपनत्व की भावना को प्रकट करती हमारी सबकी आदरणीय बहिन सुमनलता जी द्वारा रचित निम्लिखित पंक्तियां आपके समक्ष रख रहे हैं :
सुप्रभात भाई साहब, आज के अनुभूति विशेषांक में भाई अरुण वर्मा जी की अनुभूतियां पढ़ने को मिली थी। भाई जी की बिटिया ने तो हमें और भी अधिक विस्मित कर दिया। बिटिया ने हमारा सम्मान करते हुए, अपनी पहली आय से हमारे लिए ऑनलाइन मिष्ठान आर्डर कर भेजा है। फोन पर बात भी हुई। भाई जी भी हमें श्रेय दे रहे हैं लेकिन हमें यह समझ ही नहीं आ रहा है कि हमने किया क्या है। लीलाधारी गुरुदेव अदृश्य रूप में सब कर रहे हैं, सम्मान हमें मिल रहा है। इसके अधिकारी हम हैं ही नहीं।
परिवार के मूल्यों का पालन इस ज्ञानरथ परिवार में पूरी निष्ठा से हो रहा है क्योंकि इसके सृजनकर्ता आप हैं,जो परिवार का इतना स्नेह और सम्मानपूर्वक मार्गदर्शन कर रहे हैं। हमारा मन बहुत भाव विह्वल हो रहा था, इसलिए आपसे साझा करने का मन किया। असुविधा के लिए क्षमा चाहते हैं।
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बहिन जी के यह शब्द मानवीय मूल्यों के पालन का एक अद्भुत सैंपल हैं जिसका हम सदैव राग अलापते रहते हैं। हमारा विश्वास है कि यदि हम सही अर्थों में गुरुदेव के शिष्य हैं तो सभी मानवीय मूल्यों का पालन करते ही होंगें।
बहिन जी ने श्रेय के संबंध में जो बात लिखी है,उसे हम अनेकों बार दोहरा चुके हैं,एक बार फिर से लिख देते हैं:
ऐसा ही है मेरा गुरु, उन्होंने ने ही सब कुछ किया और सारा सम्मान/सराहना मुझ जैसे नचीज की झोली में डाल दी। हमारे शब्दों में किसी को ज़रा सा भी संदेह है तो उसे आमंत्रण है, ज़रा आकर/कुछ कर के तो देखे, कितना गुना होकर वापस आता है।
3.तीसरा निम्नलिखित पॉइंट वोह है जिसका हम कई बार पहले भी संकेत दे चुके हैं, आज फिर एवं आने वाले प्रत्येक स्पेशल सेगमेंट में (नियमितता की भांति) स्मरण कराते रहेंगें । हमें पूर्ण विश्वास है कि साथी इस निवेदन का भी सम्मान करेंगें :
कमेंट-काउंटर कमेंट की प्रक्रिया में अगर कोई कमेंट किसी “व्यक्ति विशेष” से सम्बंधित होता है तो वह व्यक्ति अपना उत्तरदाईत्व समझकर उस कमेंट का रिप्लाई अवश्य करता है।स्पेशल सेगमेंट में भी इसी प्रकार की भावना की अपेक्षा है।
इसे थोड़ा और क्लियर शब्दों में लिखते हुए कहना चाहेंगें कि जिन साथिओं के योगदान स्पेशल सेगमेंट में शामिल किए जाते हैं, उनका एक प्रकार का कर्तव्य बन जाता है कि वोह उस सेगमेंट को न केवल पढ़ें, बल्कि धन्यवाद् भी करें-यह भी एक प्रकार का मानवता का पालन करना ही होगा क्योंकि इतने परिश्रम से विशाल कंटेंट से चयन के बाद लिखा हुआ स्पेशल सेगमेंट अगर वोह ही न पढ़े जिससे यह सम्बंधित हो तो अनुचित ही होगा।
इसका एक सटीक उदाहरण नीरा जी ने तब प्रस्तुत किया जब उन्होंने हमारी सर्जरी के सम्बन्ध में पोस्ट हुए एक- एक कमेंट का धन्यवाद् किया।
विनीता जी की माता जी से संबंधित पोस्ट के लिए हमने बहिन जी को व्हाट्सएप पर निवेदन किया कि यूट्यूब पर बहुत लोग कॉमेंट कर रहे हैं आपको उनका एक-एक करके धन्यवाद करना चाहिए। बहिन जी ने हमारा निवेदन मान कर सम्मान किया जिसके लिए धन्यवाद करते हैं।
यूट्यूब पर पहले भी लिख चुके हैं, आज फिर रिपीट कर रहे हैं कि सोशल मीडिया साइट्स ने फिजिकल परिवार का रूप ले लिया है, जन्म से लेकर मरण तक,सब कुछ इन साइट्स पर ही तो हो रहा। मनुष्य ने बड़े बड़े,आलीशान महल तो बना लिए हैं लेकिन वोह पुरातन/सनातन अतिथिवाद लगभग लुप्त हुआ ही दिखता है।
इस स्थिति में OGGP का कर्तव्य बनता है कि इन सोशल साइट्स पर मानवीय मूल्यों का पालन ठीक उसी प्रकार लिया जाए जैसे हमारे पिताजी/दादा जी के युग में होता था।
वर्षों पहले,जब कोई किसी के घर जाता था तो घर वाले उसे भगवान का रूप समझकर,”अतिथि भगवान” समझकर जिस शिष्टाचार,सम्मान,श्रद्धा को प्रकट करते थे उसका उदाहरण शायद ही कहीं मिल सके। आज तो ऐसे मिलन coffee shops में ही दिखते हैं जहां coffee भी अपने अपने पैसे देकर खरीदी जाती है लेकिन OGGP में ऐसी प्रथा का कोई स्थान नहीं है।यहां तो शब्दों की सुगंध ही अपनत्व अनुभव करने के लिए पर्याप्त है।
हमारी नन्हीं सी बच्ची काव्या, हर रात सोने से पहले “गुड नाईट,दादा जी” का ऑडियो मैसेज भेजती है, हृदय यही कहता है: गुरुदेव के शिष्य सम्पूर्ण विश्व में फैले हैं।बच्ची को हमारा अनंत आशीर्वाद मिलता रहे।
4.इस प्वाइंट के अंतर्गत शुक्रवार को यूट्यूब पर लगातार आ रही समस्या का समाधान ढूंढना है। बहिन रेणु जी के साथ फोन पर भी चर्चा हुई थी। अगर आने वाले दिनों में यह समस्या इसी तरह बनी रहती है यां और भी जटिल हो जाती है तो हमें डर है कहीं यूट्यूब को तिलांजलि ही न देनी पड़े। इस स्थिति से जूझने के लिए फेसबुक की लोकप्रियता को देखते हुए हमने दैनिक ज्ञानप्रसाद को वहां भी पोस्ट करना आरंभ कर दिया है। Fan base बनाने में वर्ष नहीं तो महीने तो लग ही जाते हैं। अभी तो मात्र 4 दिन ही हुए हैं और 50-60 लोगों तक ज्ञानप्रसाद पहुंच रहा है। हमें विश्वास है कि अगर हमारे युगसैनिकों ने कमर कस ली तो यहां भी कॉमेंट्स का तहलका मचते देर नहीं लगेगी।
5. आज आदरणीय चंद्रेश भाई साहिब ने गुरुदेव की शक्ति का वर्णन करते हुए एक घटना बताई जिसे हम उन्हीं के शब्दों में लिख रहे हैं:
आज प्रताप गढ़ जनपद की शक्ति पीठ के ज्ञान केन्द्र पर गया था, वहां के ज्ञान केन्द्र पर एक 80 वर्षीय गायत्री परिजन सी मेरी मुलाकात हुई, वे लगभग पन्द्रह वर्ष तक जीवन दानी के रूप में शान्ति कुंज में रहे।
उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि एक बार हरि की पैड़ी में स्नान करते हुए गंगा की धारा में बहने लगे, तभी अचानक कोई एक झटके में सीढ़ियों पर पहुंचा दिया, उन्हे लगा कि परम पूज्य गुरुदेव जी उन्हे धारा से निकाल कर किनारे लगा दिए।
जय माता गायत्री जी की।
6.आज के स्पेशल सेगमेंट का अंतिम लेकिन सबसे महत्वपूर्ण प्वाइंट मुंबई अश्वमेध यज्ञ में OGGP की भागीदारी से संबंधित है। इस विश्वयापी आयोजन में हमारे साथियों द्वारा प्रस्तुत की गई झलकियों को आप संलग्न वीडियो में देख रहे हैं।
वांदेश्वरी साहू ने भी कुछ फोटो भेजी थीं लेकिन उनकी व्हाट्सएप में disappearing messages settings के कारण वोह फोटो गायब हो गईं ।
राजकुमारी कौरव जी की अश्वमेध यज्ञ की अनुभूति निम्नलिखित शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं :
परम पूज्य गुरुदेव वंदनीय माताजी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम ।
मुंबई अश्वमेध महायज्ञ की मधुर अनुभूतियां आप सभी से साझा करते हुए बहुत खुशी हो रही है।
19 फरवरी मुंबई जाने का रिजर्वेशन हुआ। 18 फरवरी को परिस्थितियां प्रतिकूल हो गई। रिजर्वेशन कैंसिल करवाना पडा मन बहुत दुखी हो गया आंखों से झर झर आंसू बहने लगे। फिर गुरुदेव से क्षमा मांगी सोचा अभी मेरी साधना अपूर्ण है इसलिए गुरुदेव नहीं बुला रहे। 21ता को दोपहर 2.30 बजे पतिदेव बोले आज चली जाओ मैं बोली ये तो असंभव है। इतने जल्दी टिकिट कैसे होगा उन्होंने कहा देखते हैं। टिकट कराया 50 वेटिंग थी। मैंने कहा चले जाऊंगी, बस रेल में चढने मिल जाए। 4बजे चार्ट प्रिपेयर हुआ तो टिकट कन्फर्म हो गई। सचमुच गुरुदेव बस भरोसा देखते हैं,परेशानी नहीं होने देते। यज्ञ आयोजन में समर्पित भाई बहनों की मेहनत, श्रम, निष्ठा, गुरुभक्ति देखकर मन प्रफुल्लित होकर गुरु सत्ता के चरणों में नतमस्तक हो गया। आयोजन की भव्यता दिव्यता ऊर्जा रोम रोम में समाहित हो गई। NRI भाई बहनों का भाव समर्पण देख हृदय गद्गद् हो गया। बड़े भैया मैंने आपको भी ढूंढा शायद आप भी आये हों। इतना विराट आयोजन इतनी व्यवस्थायें निश्चित ही ऋषि सत्ताओं, देवात्मयों ने इस आयोजन को सफल बनाया, ऐसा महसूस किया। हमारे चिन्मय भैया भी अवतारी सत्ता हैं उनके मुख से निकले एक एक शब्द ऊर्जा भर देते हैं। मां गायत्री विराजमान हैं। हम गर्व से कहते हैं ये है हमारा गायत्री परिवार। जय गुरुदेव जय माता दी प्रणाम भैयाजी
आज के स्पेशल सेगमेंट का यहीं पर समापन होता है। हमारी सर्जरी के कारण इतना कुछ pile up हो चुका था कि अगर कुछ मिस हो गया हो तो उसे आने वाले सेग्मेंट्स में शामिल करने का प्रयास करेंगें।
जय गुरुदेव
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आज 7 युगसैनिकों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है।आदरणीय नीरा जी ने सबसे अधिक अंक प्राप्त किये हैं लेकिन शुक्रवार की परिस्थिति के कारण सभी साथी गोल्ड मैडल विजेता हैं। सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1),रेणु श्रीवास्तव-25,(2)सरविन्द पाल-26,(3)सुमनलता-27,(4) नीरा त्रिखा- 34, (5 ) सुजाता उपाध्याय-30 ,(6 ) राधा त्रिखा-24 ,(7 )चंद्रेश बहादुर-24
सभी साथिओं को हमारा व्यक्तिगत एवं परिवार का सामूहिक आभार एवं बधाई।